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निकटवर्ती वर्णो के परस्पर मेल से उत्पन्न परिवर्तन को संधि कहते हैं। वर्णों में संधि करने पर स्वर, व्यंजन अथवा विसर्ग में परिवर्तन आता है। अतः संधि तीन प्रकार की होती है। (1) स्वर संधि, (2) व्यंजन संधि, (3) विसर्ग संधि।
स्वर संधि
दो स्वरों के योग से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं। स्वर संधि के पॉंच भेद हैं – दीर्घ, गुण, यण, वृद्धि, अयादि।
दीर्घ संधि:- जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ आपस में मिलते हैं तो स्वर दीर्घ हो जाता है।
| अ + अ = आ | |
| धर्म+अर्थ=धर्मार्थ | परम+अर्थ=परमार्थ |
| दीप+अवली=दीपावली | स्व+अर्थ=स्वार्थ |
| शस्त्र+अस्त्र=शस्त्रास्त्र | शास्त्र+अर्थ=शास्त्रार्थ |
| कुसुम+अवलि=कुसुमावलि | शिख+अंत=शिखांत |
| वेद+अंत=वेदान्त | परम+अणु=परमाणु |
| अन्य+अन्य =अन्यान्य | वीर+अंगना=वीरांगना |
| राम+अवतार=रामावतार | शरण+अर्थी=शरणार्थी |
| पीत+अंबर=पीतांबर | अभय+अरण्य =अभ्यारण्य |
| अ+आ=आ | |
| हिम+आलय =हिमालय | देव+आलय =देवालय |
| धर्म+आत्मा=धर्मात्मा | आत्म+आहुति=आत्माहुति |
| शिव+आलय =शिवालय | एक+आसन=एकासन |
| शरण+आगत=शरणागत | वाष्प+आकुल=वाष्पाकुल |
| वात+आवरण=वातावरण | सत्य+आग्रह=सत्याग्रह |
| रत्न+आकर=रत्नाकर | मकर+आकृति=मकराकृति |
| देव+आगमन=देवागमन | गद्य+आत्मक=गद्यात्मक |
| आ+अ=आ | |
| विद्या+अर्थी=विद्यार्थी | विद्या+अभ्यास=विद्याभ्यास |
| सुषमा+अनुभूति=सुषमानुभूति | सीमा+अंकित=सीमांकित |
| सीमा+अंत=सीमांत | यथा+अवकाश=यथावकाश |
| रेखा+अंकित=रेखांकित | परीक्षा+अर्थी=परीक्षार्थी |
| रेखा+अंश=रेखांश | |
| आ+आ=आ | |
| विद्या+आलय=विद्यालय | दया+आनन्द=दयानन्द |
| श्रद्धा+आनन्द=श्रद्धानन्द | महा+आशय =महाशय |
| इ+इ=ई | |
| रवि+इन्द्र=रवीन्द्र | कवि+इन्द्र=कवीन्द्र |
| अति+इव=अतीव | मुनि+इन्द्र=मुनीन्द्र |
| अभि+इष्ट=अभीष्ट | |
| इ+ई=ई | |
| गिरि+ईश=गिरीश | मुनि+ईश्वर=मुनीश्वर |
| कपि+ईश=कपीश | अधि+ईश=अधीश |
| हरि+ईश=हरीश | कवि+ईश=कवीश |
| ई+इ=ई | |
| मही+इन्द्र=महीन्द्र | नारी+इच्छा=नारीच्छा |
| नारी+इन्दु=नारीन्दु | नारी+इन्द्र=नारीन्द्र |
| ई+ई=ई | |
| नदी+ईश=नदीश | मही+ईश=महीश |
| सती+ईश=सतीश | नारी+ईश्वर=नारीश्वर |
| रजनी+ईश=रजनीश | |
| उ+उ=ऊ | |
| भानु+उदय =भानूदय | विधु+उदय =विधूदय |
| बहु+उद्देश्य=बहूद्देश्य | सु+उक्ति=सूक्ति |
| साधु+उपकार=साधूपकार | गुरु+उपदेश=गुरूपदेश |
| उ+ऊ=ऊ | |
| लघु+ऊर्मि=लघूर्मि | सिंधु+ऊर्मि=सिंधूर्मि |
| ऊ+उ=ऊ | |
| वधू+उत्सव=वधूत्सव | वधू+उल्लेख=वधूल्लेख |
| ऊ+ऊ=ऊ | |
| वधू+ऊर्मि=वधूर्मि | भू+ऊर्ध्व=भूर्ध्व |
| वधू+ऊर्जा=वधूर्जा | |
गुण संधिः- जब अ या आ के पश्चात् इ, ई, हो तो ए हो जाता है। अ या आ के साथ उ, ऊ हो तो ओ हो जाता है तथा अ, आ के पश्चात् ऋ हो तो अर् हो जाता है।
| अ+इ, ई=ए | |
| देव+इन्द्र=देवेन्द्र | सुर+इन्द्र=सुरेन्द्र |
| सोम+ईश=सोमेश | नर+ईश=नरेश |
| शुभ+इच्छा=शुभेच्छा | उप+ईक्षा=उपेक्षा |
| वीर+इन्द्र=वीरेन्द्र | नर+इन्द्र=नरेन्द्र |
| परम+ईश्वर=परमेश्वर | गण+ईश=गणेश |
| गज+इन्द्र=गजेन्द्र | |
| आ+इ, ई=ए | |
| महा+इन्द्र=महेन्द्र | रमा+इन्द्र=रमेन्द्र |
| रमा+ईश=रमेश | राजा+ईश=राजेश |
| राजा+इन्द्र=राजेन्द्र | महा+ईश=महेश |
| अ+उ, ऊ = ओ | |
| सूर्य+उदय =सूर्योदय | पूर्व+उदय =पूर्वोदय |
| सागर+ऊर्मि=सागरोर्मि | पर+उपकार=परोपकार |
| सर्व+उदय =सर्वोदय | नर+उचित=नरोचित |
| हित+उपदेश=हितोपदेश | जल+ऊर्मि=जलोर्मि |
| पूर्व+उत्तर=पूर्वोत्तर | नव+उदय =नवोदय |
| वीर+उचित=वीरोचित | नव+ऊढ़ा=नवोढ़ा |
| ज्ञान+उपदेश=ज्ञानोपदेश | पश्चिम+उत्तर=पश्चिमोत्तर |
| आ + उ, ऊ = ओ | |
| महा+उत्सव=महोत्सव | गंगा+ऊर्मि=गंगोर्मि |
| शीत+उष्ण=शीतोष्ण | महा+उष्म=महोष्म |
| महिला+ऊर्जा=महिलोर्जा | आत्मा+उत्सर्ग=आत्मोत्सर्ग |
| महा+उदधि=महोदधि | गंगा+उदक=गंगोदक |
| अ, आ + ऋ = अर् | |
| ब्रह्म+ऋषि=ब्रह्मर्षि | महा+ऋषि=महर्षि |
| देव+ऋषि=देवर्षि | सप्त+ऋषि=सप्तर्षि |
| राजा+ऋषि=राजर्षि | |
यण संधि:- इ, ई के पश्चात् विजातीय स्वर हो तो य हो जाता है। उ, ऊ के पश्चात् अन्य स्वर हो तो व हो जाता है। ऋ के पश्चात् अन्य स्वर हो तो र् हो जाता है।
| इ, ई + अन्यस्वर= य | |
| अति+अधिक=अत्यधिक | अति+अंत=अत्यन्त |
| वि+आप्त=व्याप्त | वि+आकुल=व्याकुल |
| अति+आचार=अत्याचार | प्रति+उपकार=प्रत्युपकार |
| देवी+अर्पण=देव्यर्पण | देवी+आगम=देव्यागम |
| नदी+अर्पण=नद्यर्पण | देवी+उदय =देव्युदय |
| इति+आदि=इत्यादि | वि+आपक=व्यापक |
| अति+आनंद=अत्यानंद | यदि+अपि=यद्यपि |
| अति+उष्ण=अत्युष्ण | सखी+उचित=सख्युचित |
| सखी+आगमन=सख्यागमन | पंक्ति+अन्वय =पंक्त्यन्वय |
| उ, ऊ + अन्यस्वर=व | |
| अनु+अय =अन्वय | गुरू+अर्पण=गुर्वर्पण |
| मधु+अरि=मध्वरि | अनु+एषण=अन्वेषण |
| सु+अल्प=स्वल्प | अनु+इति=अन्विति |
| सु+आगत=स्वागत | मधु+आलय =मध्वालय |
| मनु+अन्तर=मन्वन्तर | वधू+आगमन=वध्वागमन |
| गुरू+औदार्य=गुर्वौदार्य | गुरू+आकृति=गुर्वाकृति |
| ऋ + अन्यस्वर=र | |
| मातृ+आनन्द=मात्रानंद | पितृ+आदेश=पित्रादेश |
| मातृ+आज्ञा=मात्राज्ञा | पितृ+आज्ञा=पित्राज्ञा |
| पितृ+अनुमति=पित्रनुमति | भ्रातृ+आज्ञा=भ्रात्राज्ञा |
वृद्धि संधि:- जब अ, आ के साथ ए, ऐ मिलाया जाये तो ऐ तथा अ, आ के साथ ओ, औ मिलाने पर औ हो जाता है।
| अ, आ +ए, ऐ=ऐ | |
| नव+ऐश्वर्य=नवैश्वर्य | मत+ऐक्य =मतैक्य |
| एक+एक=एकैक | लोक+एषणा=लोकैषणा |
| सदा+एव=सदैव | विद्या+ऐश्वर्य=विद्यैश्वर्य |
| यथा+एव=यथैव | महा+ऐश्वर्य=महैश्वर्य |
| अ, आ+ओ, औ=औ | |
| वन+औषध=वनौषध | परम+ओज=परमौज |
| महा+औदार्य=महौदार्य | परम+औषधि=परमौषधि |
| महा+ओज=महौज | महा+औत्सुक्य =महौत्सक्य |
| महा+औषध=महौषध | |
अयादि संधि:- ए के साथ अन्य स्वर मिलने पर अय्, ऐ के साथ अन्य स्वर मिलने पर आय्, ओ के साथ अन्य स्वर मिलने पर अव् तथा औ के साथ अन्य स्वर मिलने पर आव् हो जाता है।
| ए+अन्यस्वर=अय् | |
| ने+अन=नयन | शे+अन=शयन |
| ऐ+अन्यस्वर=आय् | |
| गै+अक=गायक | गै+अन=गायन |
| नै+अक=नायक | |
| ओ+अन्यस्वर=अव् | |
| पो+अन=पवन | भो+अन=भवन |
| गो+ईश=गवीश | |
| औ+अन्यस्वर=आव् | |
| पौ+अन=पावन | पौ+अक=पावक |
| भौ+अन=भावन | भौ+उक=भावुक |
| नौ+इक=नाविक | |
व्यंजन संधि
व्यंजन का व्यंजन अथवा किसी स्वर के समीप होने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं। ये परिवर्तन कई प्रकार के होते हैंः-
| किसी वर्ग के पहले वर्ण (क, च, ट, त, प) का मेल किसी स्वर या किसी वर्ग के तीसरे, चौथे वर्ण या य, र, ल, व, ह, से हो तो पहला वर्ण तीसरे वर्ण (ग, ज, ड, द, ब) में बदलता है। | |
| वाक्+ईश=वागीश | दिक्+अंबर=दिगम्बर |
| दिक्+दर्शन=दिग्दर्शन | वाक्+दान=वाग्दान |
| दिक्+गज=दिग्गज | अच्+आदि=अजादि |
| तत्+अनुसार=तदनुसार | तत्+अनुरूप=तदनुरूप |
| सत्+उपयोग=सदुपयोग | जगत्+ईश=जगदीश |
| उत्+घाटन=उद्घाटन | तत्+भव=तद्भव |
| सुप+अन्त=सुबन्त | तत्+रूप=तद्रूप |
| दिक्+अन्त=दिगंत | सत्+धर्म=सद्धर्म |
| वाक्+दत्ता=वाग्दत्ता | सच्चित्+आनन्द=
सच्चिदानंद |
| षट्+आनन=षडानन | दिक्+अंचल=दिगंचल |
| वाक्+जाल=वाग्जाल | षट्+दर्शन=षड्दर्शन |
| सत्+भावना=सद्भावना | भगवत्+गीता=भगवद्गीता |
| जगत्+गुरू =जगद्गुरू | चित्+रूप=चिद्रूप |
| भगवत्+भक्ति=भगवद्भक्ति | अप्+ज=अब्ज |
| त् या द् + च या छ हो तो त् या द् = च | |
| सत्+चरित्र=सच्चरित्र | सत्+छात्र=सच्छात्र |
| शरत्+चंद्र=शरच्चन्द्र | जगत्+छाया=जगच्छाया |
| सत्+चित्=सच्चित् | उत्+चारण=उच्चारण |
| उत्+छिन्न=उच्छिन्न | |
| त् या द् + ज् या झ हो तो त् या द् = ज् | |
| सत् + जन = सज्जन | विपत्+जाल=विपज्जाल |
| उत्+ज्वल=उज्ज्वल | जगत्+जननी=जगज्जननी |
| त् या द् + ट् या ठ् हो तो त् या द् = ट् | |
| तत्+टीका=तट्टीका | वृहत्+टीका=वृहट्टीका |
| त् या द् + ड् या ढ् हो तो त् या द् = ड् | |
| उत्+डयन=उड्डयन | |
| त् या द् + ल हो तो त् या द् = ल् | |
| तत्+लीन=तल्लीन | उत्+लेख=उल्लेख |
| उत्+लास=उल्लास | |
| त् या द् + श हो तो त् या द = च्, श् = छ् | |
| उत्+श्वास=उच्छ्वास | उत्+शिष्ट=उच्छिष्ट |
| तत्+शंकर=तच्छंकर | श्रीमत्+शंकर=श्रीमच्छंकर |
| तत्+शिव=तच्छिव | तत्+शिव=तच्छिव |
| त् या द् + ह हो तो त् या द् = द् तथा ह=ध | |
| तत्+हित=तद्धित | उत्+हार=उद्धार |
| पत्+हति=पद्धति | |
| यदि किसी वर्ग के पहले अक्षर के पश्चात् कोई आनुनासिक हो तो पहला अक्षर अपने वर्ग के आनुनासिक में परिवर्तित | |
| वाक्+मुख=वाङ्मुख | वाक्+मय =वाङ्मय |
| चित्+मय =चिन्मय | जगत्+नाथ=जगन्नाथ |
| सत्+मार्ग=सन्मार्ग | सत्+मति=सन्मति |
| तत्+नाम=तन्नाम | उत्+मुख=उन्मुख |
| अप+मय =अम्मय | उत्+नायक=उन्नायक |
| षट्+मुख=षण्मुख | उत्+नयन=उन्नयन |
| तत्+मय =तन्मय | षट्+मास=षण्मास |
| म् के बाद क् से म् तक कोई व्यंजन आने पर म् उसी वर्ग का अनुस्वार बन जाता है | |
| सम्+कल्प=संकल्प | सम्+जय =संजय |
| सम्+तोष=सन्तोष | सम्+ध्या=सन्ध्या |
| सम्+जीवनी=संजीवनी | सम्+भाषण=सम्भाषण |
| सम्+देह=सन्देह | सम्+चित=सचित |
| सम्+बंध=सम्बंध | सम्+चय =संचय |
| सम्+भव=सम्भव | हृदयम्+गम=हृदयंगम |
| सम्+पूर्ण=सम्पूर्ण | |
| म् का मेल म से होने पर म् ही रहता है, अनुस्वार नहीं होता | |
| सम्+मिलित=सम्मिलित | सम्+मान=सम्मान |
| सम्+मति=सम्मति | |
| म् से परे य, र, ल, व श, ष, स, ह, हो तो म् अनुस्वार में परिवर्तित | |
| सम्+योग=संयोग | सम्+सार=संसार |
| सम्+लग्न=संलग्न | सम्+शोधन=संशोधन |
| सम्+वत=संवत | सम्+योग=संयोग |
| सम्+रक्षक=संरक्षक | सम्+वाद=संवाद |
| सम्+रक्षा=संरक्षा | सम्+हार=संहार |
अपवादः-सम्+राट=सम्राट
| छ से पूर्व यदि स्वर हो तो छ से पूर्व च् जुड़ जाता है | |
| तरू+छाया=तरूच्छाया | परि+छेद=परिच्छेद |
| आ+छादन=आच्छादन | वि+छेद=विच्छेद |
| वृक्ष+छाया=वृक्षच्छाया | अनु+छेद=अनुच्छेद |
| शिर+छत्र=शिरच्छत्र | |
| न् का ण् में परिवर्तन ऋ, र और ष के बाद न हो और इनके बीच कोई स्वर, कवर्ग, पवर्ग, अनुस्वार या य, व, ह हो तो न = ण | |
| ऋ+न=ऋण | प्र+नाम=प्रणाम |
| परि+मान=परिमाण | मर+न=मरण |
| हर+न=हरण | राम+अयन=रामायण |
| तृष्+ना=तृष्णा | परि+नाम=परिणाम |
| शोष+अन=शोषण | प्र+मान=प्रमाण |
| भर+न=भरण | भूष+अन=भूषण |
| तर+न=तरण | |
| स से पहले अ, आ को छोड़ कर कोई स्वर हो तो स = ष | |
| नि+सिद्ध=निषिद्ध | नि+सेध=निषेध |
| वि+सम=विषम | अभि+सेक=अभिषेक |
| यदि स के बाद र, ऋ आए तो स = स | |
| अनु+सरण=अनुसरण | वि+स्मरण=विस्मरण |
| यौगिक शब्दों में यदि पहले शब्द के अंत में न हो तो उसका लोप हो जाता है | |
| राजन्+आज्ञा=राजाज्ञा | प्राणिन्+मात्र=प्राणिमात्र |
| राजन्+आज्ञा=राजाज्ञा | मंत्रिन्+मंडल=मंत्रिमंडल |
विसर्ग (:) संधि
| विसर्ग (:) + च, छ हो तो विसर्ग (:)=श् | |
| निः+चल=निश्चल | निः+छल=निश्छल |
| दुः+चरित्र=दुश्चरित्र | निः+चय =निश्चय |
| हरिः+चंद्र=हरिश्चंद्र | निः+चिंत=निश्चिंत |
| निः+चल=निश्चल | |
| विसर्ग (:)+क, ख, ट, ठ, प, फ, हो तो विसर्ग(:)=ष् | |
| दुः+ट=दुष्ट | धनुः+टंकार=धनुष्टंकार |
| दुः+प्रकृति=दुष्प्रकृति | निः+काम=निष्काम |
| दुः+परिणाम=दुष्परिणाम | निः+पाप=निष्पाप |
| दुः+कर्म=दुष्कर्म | निः+कलंक=निष्कलंक |
| निः+ठुर=निष्ठुर | निः+कपट=निष्कपट |
| निः+फल=निष्फल | निः+प्राण=निष्प्राण |
| विसर्ग (:) + त्, थ् तो विसर्ग (:)=स् | |
| नमः+ते=नमस्ते | दुः+तर=दुस्तर |
| मरूः+थल=मरूस्थल | मनः+ताप=मनस्ताप |
| निः+तेज=निस्तेज | निः+तार=निस्तार |
| विसग (:) +ष, श, स हो तो या तो परिवर्तन नहीं अन्यथा वही वर्ण | |
| निः+सन्देह=निःसंदेह | दुः+साहस=दुस्साहस |
| दुः+शासन=दुःशासन, दुश्शासन | निः+शुल्क=निःशुल्क |
| दुः+सह्य=दुस्सह्य | |
| विसर्ग से पूर्व अ तथा बाद में क या प हो तो विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता | |
| अधः+पतन=अधःपतन | प्रातः+काल=प्रातःकाल |
| अन्तः+करण=अन्तःकरण | पयः+पान=पयःपान |
| विसर्ग से पूर्व यदि अ हो तथा बाद में किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पॉंचवॉं वर्ण या य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग (:)=ओ | |
| मनः+बल=मनोबल | तपः+बल=तपोबल |
| सरः+ज=सरोज | यशः+दा=यशोदा |
| रजः+गुण=रजोगुण | अधः+गति=अधोगति |
| मनः+विकार=मनोविकार | वयः+वृद्ध=वयोवृद्ध |
| मनः+रथ=मनोरथ | तमः+गुण=तमोगुण |
| मनः+हर=मनोहर | पयः+द=पयोद |
| अधः+लिखित=अधोलिखित | मनः+योग=मनोयोग |
| विसर्ग से पूर्व अ, आ से भिन्न स्वर तथा बाद में कोई स्वर, वर्ग का तीसरा, चौथा, पॉचवॉं वर्ण या य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग(:)=र | |
| निः+अर्थक=निरर्थक | निः+धन=निर्धन |
| निः+उद्वेग=निरुद्वेग | दुः+आत्मा=दुरात्मा |
| निः+मल=निर्मल | निः+गुण=निर्गुण |
| निः+बल=निर्बल | दुः+जन=दुर्जन |
| निः+वात=निर्वात | दुः+आशा=दुराशा |
| दुः+उपयोग=दुरूपयोग | पुनः+विवाह=पुनर्विवाह |
| निः+उत्साह=निरूत्साह | निः+आवरण=निरावरण |
| दुः+बल=दुर्बल | निः+यात=निर्यात |
| निः+अंतर=निरन्तर | दुः+योधन=दुर्योधन |
| दुः+गुण=दुर्गुण | निः+जन=निर्जन |
| निः+आशा=निराशा | पुनः+उत्थान=पुनरुत्थान |
| निः+अपराध=निरपराध | |
| विसर्ग के पश्चात् यदि र हो तो उसको लोप होकर स्वर दीर्घ हो जाता है | |
| निः+रव=नीरव | निः+रस=नीरस |
| निः+रोग=नीरोग | |
| विसर्ग से पहले अ तथा बाद में भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है | |
| अतः+एव=अतएव | |
हिंदी की संधि
| (ब+ह=भ) | |
| कब+ही=कभी | तब+ही=तभी |
| सब+ही=सभी | जब+ही=जभी |
| अब+ही=अभी | |
| स,ह+ह=ह का लोप | |
| इस+ही=इसी | उस+ही=उसी |
| वहॉं+ही=वहीं | यहॉं+ही=यहीं |
| यह+ही=यही | वह+ही=वही |
| प्रत्यय जुड़ने पर परिवर्तन | |
| सोना+आर=सुनार | लोहा+आर=लुहार |
| मामा+एरा=ममेरा | लूट+एरा=लुटेरा |
| जेठ+आनी=जेठानी | भाभी+यॉं=भाभियॉं |
| आधा+खिला=अधखिला | काट+पुतली=कठपुमली |
| घोड़ा+दौड़=घुड़दौड़ | दो+गुना=दुगुना |
| गॉंव+आर=गॅंवार | भीख+आरी=भिखारी |
| दूध+मुहॉं=दुधमुहॉं | चाम+आर=चमार |
| चाचा+एरा=चचेरा | नदी+यॉं=नदियॉं |
| काला+मुहॉं=कलमुहॉं | तीन+गुना=तिगुना |
| कान+कटा=कनकटा | |
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