हिन्दी साहित्य का इतिहास » आधुनिक काल

पूर्वाभास काल(1843से 1868)

रीवां नरेश महाराज रघुराज सिंह
भक्त कवि
काव्य सुंदरशतक, पत्रिका, आनन्दाम्बुनिधि, रूक्मिणी परिणय, श्रीमद् भागवत महात्म्य, रामस्वयंवर(प्रबंध), रामाष्टयाम
महन्त रघुनाथ दास रामस्नेही
(भक्त कवि)
काव्य विश्राम सागर
सरदार कवि
काव्य रामलीला प्रकाश, रामरत्नाकर, षडऋतु, साहित्य सरसी, शृंगार संग्रह, तुलसीभूषण, साहित्य सुधकर, वागविलास
बाबू गोपाल चंद्र गिरधरी दास
काव्य जरासंध वध महाकाव्य, राधस्रोत्र, गोपाल स्रोत्र, बलराम कथामृत, रामकथामृत, भारती भूषण द्धअलंकार ग्रंथऋ, छंदोवर्णन
ये भारतेंदु के पिता थे।
रामदास
काव्य कविकल्पद्रुम (ध्वनि सिद्धान्त संबंधी)
सेवक
काव्य वाग्विलास (नायिका भेद संबंधी), नखशिख
ग्वाल
काव्य रसरंग(1847)
बैजनाथ द्विवेदी
काव्य सीतारामाभरणमंजरी, रामरस्य, वृत्तनिदोषकदम्ब, वामाविलास, उद्दीपन शृंगार, अनुभव उल्लास, चित्रभरण
नवनीत चतुर्वेदी
काव्य कुब्जापच्चीसी
चंद्रशेखर वाजपेयी
काव्य हम्मीर हठ(1845), नखशिख, रसिक विनोद(1846)

भारतेंदु युग के रीति निरूपक कवि

लछिराम भट्ट
काव्य महेश्वर विलास, रामचंद्रभूषण, रावणेश्वार कल्पतरू, मानसिंहाष्टक, प्रताप रत्नाकर, लक्ष्मीश्वर रत्नाकर, कमलानंद कल्पतरू
कविराजा मुरारिदान
काव्य जसवंत जसोभूषण
सत्यनारायण कविरत्न
काव्य प्रेमकली (ब्रजभाषा), भ्रमरदूत (ब्रजभाषा), उत्तररामचरित (भवभूति के नाटक अनुवाद ब्रज भाषा में), मालतीमाधव (भवभूति के नाटक अनुवाद ब्रज भाषा में) होेरेशस (मैकाले के खण्डकाव्य का अनुवाद ब्रज भाषा में)
जगनन्नाथदास ‘रत्नाकर’
काव्य हिंडोला, कल-काशी, हरिश्चन्द्र, गंगावतरण, उद्धवशतक, समालोचनादर्श (यह पोप के ‘एस्से आन क्रिटिसिज्म’ का रोला छंद में पद्यात्मक अनुवाद है) बिहारी रत्नाकर (संपादन)
(1) जंकी उपनाम से उर्दू में कविता करते थे।
बालगोविंद मिश्र
काव्य भाषाछंद प्रकाश
प्रतापनारायण सिंह
काव्य रस कुसुमाकर (गद्य का प्रयोग)
कन्हैयालाल पोद्धर
काव्य अलंकार प्रकाश (गद्य का प्रयोग)

खड़ी बोली का युग

  1. 1800 ई- में वार्ड कैरे और मार्शमैन ने श्रीरामपुर (कलकत्ता) में डैनिश मिशन की स्थापना की। कैरे ने 1803 में देवनागरी अक्षरों की ढलाई की तथा मिशन की एक प्रेस खोली। श्रीरामपुर मिशन के प्रेस से ये दो पत्र प्रकाशित हुए – ‘समाचार दर्पण’ तथा ‘दिग्दर्शन’।
  2. फोर्ट विलियम कॉलेज:- इसकी स्थापना 1800 में हुई। इसके प्रिंसिपल जॉन गिलक्राइस्ट थे। इस कॉलेज ने हिंदी व हिन्दूस्तानी में गद्य की पुस्तकें लिखवाई।
  3. हिन्दू कॉलेज:- इसकी स्थापना 1817 में कलकता में हुई।
  4. राममोहन राय ने 1821 में ‘संवाद कौमुदी’ नाम से एक बंगला साप्ताहित निकाला। यह पहला पत्र था, जिसमें अपने देश का संदर्भ था। राजा राममोहन राय ने ब्रमैनिकल मैगजीन (अंग्रेजी में) तथा जाए-ए-जहाँ-नुमा (फारसी में) दो अन्य पत्र भी निकाले।
  5. बांबे समाचार नाम से एक गुजराती भाषा का पत्र 1822 में गुजराती प्रेस बम्बई से छपना शुरू हुआ।
  6. हिन्दी का पहला पत्र 1826 में पंडित जुगलकिशोर ने ‘उदन्त मार्तण्ड’ नाम से कलकता से निकाला।
  7. कलकता जर्नल के संपादक ककिंघम थे। यह अखबार अंग्रेजी में था। यह अखबार भारतीयों की वैचारिक स्वतंत्रता के समर्थन के कारण 1823 में बंद हो गया।
  8. 18 वी- सदी के उत्तरार्द्ध में कंपनी सरकार ने ‘कलकता मदरसा’ तथा बनारस में ’संस्मरणकृत कॉलेज’ खोला। सन् 1823 में कलकता में ‘लोकशिक्षा समिति’ की स्थापना की गई।
  9. स्कूल बुक सोसाइटी (आगरा) – इसकी स्थापना 1833 में हुई। इससे मार्शमैन के ‘प्राचीन इतिहास’ का अनुवाद ‘कथासार’ नाम से छपा। 1840 में पंडित भट्ट का ‘भूगोलसार’ तथा 1847 में बद्रीलाल शर्मा का ‘रसायनप्रकाश’ छपा। ले- रत्नलाल के ‘कथासागर’ का प्रकाशन भी यहीं से हुआ।
  10. सन् 1835 में मैकाले ने अंग्रेजी शिक्षा के पक्ष में एक प्रारूप तैयार किया।
  11. सन् 1857 में कलकता, मद्रास तथा बम्बई में अंग्रेजी माध्यम के विश्वविद्यालय खुले।

अदालती भाषा

सन् 1836 में कंपनी सरकार ने जनता के कठिनाइयों को देखते हुए अदालतों में देशी भाषाओं के प्रयोग को अनुमति दे दी। अतः फारसी के साथ देवनागरी का प्रचलन हो गया। गार्सा द तासी एवं सैयद अहमद ने उर्दू का समर्थन किया। सांप्रदायिक आग्रहवश 1837 में उर्दू संयुक्त प्रांत की अदालती भाषा कर दी।

राजा शिवप्रसाद ‘सितारेहिंद’ ने हिंदी भाषा तथा नागरी लिपि के संबंध में सन् 1868 में सरकार के पास एक आवेदन भेजा। वह एक आमफहम भाषा (उर्दू की ओर झुकी हुई हिंदी) के समर्थक थे।

हिंदी के पक्ष में उद्योग करने वालों में ‘फ्रेडरिक पिन्काट’ का नाम अविस्मरण्ीय है। इनकी रचनाएँ हैं – बालदीपक तथा विक्टोरिया चरित्र। सन् 1881 में फारसी लिपि अदालतों से हटा दी गई।

1893 में नागरी प्रचारिणी सभा (काशी) की स्थापना की गई। 1900 में नागरी लिपि को भी कचहरी में अनुमति मिल गई। पंजाब के पं- श्रद्धाराम फुल्लौरी ने हिंदी को जगह-जगह व्याख्यान देकर मजबूत किया। 1910 में हिंदी साहित्य सम्मेलन (प्रयाग) की स्थापना हुई। अयोध्याप्रसाद खत्री ने ब्रजभाषा के जगह कविता में खड़ी बोली प्रयोग के लिए प्रचार किया।

समाज सुधार आंदोलन

आंदोलन का नाम वर्ष संस्थापक स्थान
ब्रहम् समाज 1828 राजा राममोहन राय,
देवेन्द्रनाथ टैगोर,
केशवचंद्र सेन
बंगाल 
प्रार्थना समाज 1867 महादेव गोविंद रानाडे महाराष्ट्र
तटीय समाज 1873 भारतेन्दु हरिश्चंद्र काशी
आर्य समाज 1875 स्वामी दयानन्द सरस्वती
(इनकी पुस्तक है -सत्यार्थ प्रकाश)
उत्तर भारत
थियोसोफिकल सोसाइटी 1882 एनीबेसण्ट अड्यार मद्रास
रामकृष्ण मिशन 1893 विविकानन्द
(शिकागो भाषण 1893)
 बंगाल
अखिल भारतीय संगीत परिषद 1919 विष्णुनारायण भातखण्डे  
सत्यशोधक समाज  1873 ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र
अहमदिया आंदोलन  1889 मिर्जा गुलाम अहमद  मुस्लिम समाज
अलीगढ़ आंदोलन  1857 सर सैयद अहमद खाँ  मुस्लिम समाज
रहनुमाई मजदेयासान सभा  1851 नौरोजी फरदोनजी, दादाभाई नौरोजी  पारसी समाज
इंशा अल्ला खॉं
काव्य उदयभान चरित या रानी केतकी की कहानी
मुंशी सदासुखलाल ‘नियाज’
काव्य सुखसागर, सुखसागर निर्णय (यह सदासुखलाल का एक निबंध है जो लाला भगवानदीन तथा रामदास गौड द्वारा सम्पादित ‘हिंदी भाषा सार’ में संकलित है।), सुरासुर निर्णय (खड़ी बोली)
लल्लूलाल
काव्य प्रेमसागर (1803, खड़ी बोली में है)
सदलमिश्र
काव्य नासिकेतोपाख्यान (1803)
रामप्रसाद निरंजनी
काव्य भाषा योग वशिष्ठ (खड़ी बोली)
भारतेंदु हरिश्चंद्र
काव्य बंदर सभा (अमानत के नाटक इंदर सभा की पैरोडी),
कविताएँ (ब्रज) – प्रेममालिका, प्रेम सरोवर, गीतगोविन्दानंद, वर्षाविनोद, प्रेम माधुरी, विनय प्रेम पचासा, प्रेम फुलवारी, वेणुगीत
कविताएँ (खड़ी बोली) – विजयनी विजय वैयजंती, भरतशिक्षा, दशरथ विलाप, विजय वल्लरी, फूलों का गुच्छा, रिपनाष्टक, बसंत होली, प्रबोधिनी, प्रातः समीरन (यह बंगला के पयार छंद में है), बैशाख महात्म्य
कहानियॉं एक कहानी कुछ आपबीती कुछ जगबीती
निबंध कार्तिक कर्म विधि, माघ स्नान विधि, अथ अंग्रेज स्तोत्र लिख्यते, पॉंचवॉं पैगंबर, वैष्णवता और भारतवर्ष, स्वर्ग की विचार सभा
उपन्यास पूर्णप्रकाश और चंद्रप्रभा (बंगला से अनुवाद)
नाटक मौलिक नाटक– वैदिकी हिंसा हिंसा मा भवति, चंद्रावली, विषस्य विस्माषधम्, भारत दुर्दशा(1876), नीलदेवी, प्रेमजोगिनी, सती प्रताप (अधूरा), अंधेर नगरी (1881 प्रहसन, एक अंक तथा छः दृश्य हैं),  सत्यवादी हरिश्चंद्र, भारत जननी
अनूदित नाटक–विद्यासुंदर (1868 यह भारतेन्दु का प्रथम नाटक है), पाखंड विडम्बन, धनंजय विजय, कर्पूरमंजरी, मुद्राराक्षस, रत्नावली,  दुर्लभ बंधु (मर्चेंट ऑफ वेनिस का अनुवाद)
आलोचना नाटक (निबंध) यह सैद्धांतिक आलोचना की पहली हिंदी रचना है।
पत्र-पत्रिकाएॅं कविवचनसुध (1868 मासिक, काशी), हरि”चंद्र मैगजीन (मासिक 1873 इसका नाम 1874 में हरिचंद्र चंद्रिका कर दिया गया), बालाबोधिनी (1874 यह स्त्री शिक्षा संबंधी थी)
जीवनी चरितावली, उदयपुरोदय, बूंदी का राजवंश, इतिहास– बादशाह दर्पण, कश्मीर कुसुम, जयदेव का जीवनवृत
यात्रवृत सरयूपार की यात्र, लखनऊ यात्र
आत्मकथा एक कहानी कुछ आपबीती कुछ जगबीती
विशेष

  • जन्म- 9 सितंबर 1850 वाराणसी उत्तर प्रदेश । मरण- 6 जनवरी 1885 वाराणसी उत्तर प्रदेश। 
    पिता–बाबू गोपालचंद्र गिरधरी दास
  • उर्दू में रसा नाम से कविता करते थे।
  • कालचक्र — हिंदी नये चाल मेें ढली (सन् 1873)
  • कालचक्र में ही नहुष 1869 द्धबाबू गोपाल चंद्रगिरिधरदासऋ को हिंदी का प्रथम, शकुंतला द्धराजा लक्ष्मण सिंहऋ को द्वितीय और विद्यासुंदर को तृतीय नाटक कहा है। नहुष ब्रज भाषा में है
  • भारतेंदु ने समस्यापूर्ति के एक मंच कवितावर्धिनी सभाद्धकाशीऋ की स्थापना की।
  • भारत दुर्दशा नाटक की टेक है–अग्रेज राज सुख राज सजे सब भारी। पै धन विदेस चलि जात इहै अति ख्वारी।।
  • कहॉं है करूणानिधि केसव सोए–नीलदेवी
  • समस्यापूर्ति–पिय प्यारे तिहारे निहारे बिना, अंखियाँ दुखियाँ नहीं मानती हैं।
  • उर्दू का स्यापा–है है उर्दू हाय हाय। कहॉं सिधरी हाय-हाय।।
  • भारतेन्दु की वाणी का सबसे उॅफ़ंचा स्वर देश भक्ति का था। —- रामचंद्र शुक्ल
  • उन्होंने (भारतेन्दु ने) यहाँ पर यह दिखाया है कि पुरानी लोक संस्मरणकृति के रूपों को राजनीतिक चेतना फैलाने के लिए किस तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए। रामविलास शर्मा – अंधेर नगरी के बारे में
  • पॅंक्तियॉं
    • सखा प्यारे कृष्ण के गुलाम राधरानी के
    • मेरे तो साधन एक ही है, जग नन्दलला वृषभानु दुलारी
    • डूबत भारत नाथ बेगि जागो अब जागो
    • भीतर भीतर सब रस चूसे, हॅंसि-हॅंसि के तनम न धन मूसै।
    • जाहिर बातन में अति तेज, क्यों सखि साजन नहिं अंगरेज।
    • अंधधूंध मच्यौ सब देसा। मानह राजा रहत बिदेसा।।
    • मरेहू पै आँखें ये खुली ही रहि जायँगह।
  • काव्यानुवाद–
    • तदीय सर्वस्व (नारद भक्तिसू़त्र का अनुवाद)
    • भक्तिसूत्र वैजयन्ती (शाण्डिलय भक्तिसूत्र का अनुवाद)
    • सुंदरीतिलक नाम से रीतिकालीन मुक्तकों का संकलन
बाल कृष्ण भट्ट (1844 से 1915)
निबंध भय, दृढता, प्रेम, भक्ति, चंद्रोदय, रूचि, ईश्वर भी क्या ठठोल है, चली सो चली, देवताओं से हमारी बातचीत, नये तरह का जुनून, खटका, बाल विवाह
नाटक कविराज की सभा, रेल का विकट खेल, दमयन्ती स्वयंवर, बाल विवाह, चंद्रसेन शर्मिंदा, वृहभला, वेणुसंहार, जैसा काम वैसा परिणाम, नयी रोशनी का विष (प्रहसन प्रधान) आचार विडंबन, पद्मावती (माइकेल मधुसूदन दत्त का अनुवाद)
उपन्यास नूतन ब्रहमचारी (1886, प्रथम ऐतिहासिक उपन्यास, स्वयं भट्ट ने इसे ‘अपनी भाषा में नई चाल की पुस्तक’ कहा), सौ अजान एक सुजान, रहस्य कथा
आलोचना सच्ची समालोचना(1886ः श्रीनिवास दास के नाटक संयोगिता स्वयंवर की हिंदी प्रदीप में समीक्षा जहॉं से व्यावहारिक समीक्षा का सूत्रपात हुआ), रणधीर प्रेममोहिनी, नीलदेवी, परीक्षागुरू तथा एकांतवासी योगी की हिंदी प्रदीप में आलोचनाएॅं छपी
यात्र वृत गया यात्र
पत्रिका हिंदी प्रदीप (1877 प्रयाग)
बाल कृष्ण भट्ट विशेष

  1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इनको और प्रताप नारायण मिश्र को हिंदी का स्टील और एडीसन कहा
प्रताप नारायण मिश्र
(1856 से 1895)
काव्य प्रेम पुष्पावली, मन की लहर, लोकोक्ति शतक, तृप्यन्ताम्, शृंगार विलास आदि।
नाटक भारतदुर्द”ाा, कलिकौतुक रूपक, संगीत शाकुंतल, हठी हमीर, गोसंकट, जुआरी-खुआरी, कलि प्रभाव
निबंध धोखा, खुशामद, आप, बात, दांत, भौं मुच्छ, ब्रैंडला स्वागत, नारी, परीक्षा, ह, द, मनोयोग, समझदार की मौत
उपन्यास बंकिम चंद चटर्जी के चार उपन्यासों राजसिंह, इंदिरा, राधरानी तथा युगलांगुरीय का अनुवाद
यात्रवृत विलायत यात्र
पत्र-पत्रिका ब्राहमण (मासिक 1883 कानपुर)
प्रताप नारायण मिश्र विशेष

  1. इस पत्र को चलाते रहने के लिए प्रतापनारायण को एक बार इन “ाब्दों में चंदा मांगना पड़ा–आठ मास बीते जजमान। अब तो करौ दच्छिना दान।।
  2. मिश्र जी कसीदा, शेर , मरसिया भी लिखते थे तथा लोकशैलियों में लावनी, कजली, आल्हा का प्रयोग भी करते थे।
  3. समस्यापूर्ति–पपीहा जब पूछिहै पीव कहॉं बहुत प्रसिद्ध है
  4. वह कानपुर के समस्या पूर्ति मंच रसिक समाज के प्रधन कार्य कर्ता थे
  5. हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान का नारा दिया।
  6. ‘उनकी बहुत बातें बाबू हरिश्चन्द्र की सी थी’ — (बालमुकुन्द गुप्त ने कहा)
बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन
(1855 से 1922)
काव्य जीर्ण जनपद (प्रबंधकाव्य), अलौकिक लीला (प्रबंधकाव्य), मयंक महिमा (प्रबंध अपूर्व), आनंद अरूणोदय, हार्दिक हर्षादर्श, वर्षाबिंदु
नाटक भारत सौभाग्य, प्रयाग रामागमन, वीरांगना रहस्य, बुद्ध विलाप
आलोचना संयोगिता स्वयंवर (लाला श्रीनिवासदास) बाबू गदाधर सिंह के अनुवाद की आनंद कादम्बिनी में समीक्षा
संपादन नागरी-नीरद (साप्ताहिक), आनंद कादम्बिनी (मासिक 1881 मिर्जापुर)
बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन विशेष

  1. उर्दू मे अब्र उपनाम से कविता करते थे
  2. समस्यापूर्ति–चरचा चलिबे की चलाइए ना
  3. ‘वे गद्य रचना को एक कला के रूप में ग्रहण करने वाले, कलम की कारीगरी समझने वाले लेखक थे।’ – रामचंद्र शुक्ल
लाला श्रीनिवास दास
नाटक प्रह्लाद चरित्र, तप्तासंवरण, रणधाीर प्रेमयोगिनी, संयोगिता स्वयंवर(1885)
उपन्यास परीक्षागुरू (1882 हिंदी का पहला मौलिक उपन्यास), राजनीति
संपादन सदादर्श (1874 दिल्ली)
लाला श्रीनिवास दास विशेष

  1. इन्होंने महाराजा विश्वनाथ सिंह ( रीतिकाल)  के  नाटक आनन्दरघुनन्दन को  हिंदी का प्रथम नाटक माना है।
  2. इन्होंने राजा लक्ष्मणसिंह (पूर्वभास काल) के नाटक शकुंतला (अनुवाद) को खड़ी बोली हिंदी का प्रथम नाटक माना है।
शीतला प्रसाद त्रिपाठी
नाटक जानकी मंगल, कृष्णमित्रद्धप्रबोधाचंद्रोदय का अनुवाद)
अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
(15 अप्रैल 1865 से 16 मार्च 1947)
काव्य प्रिय प्रवास ( खड़ी बोली हिंदी का प्रथम महाकाव्य, इस पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला), वैदेही वनवास (1941, प्रबंध काव्य, खड़ी बोली), रसकलश (ब्रज), चोखे चौपदे, चुभते चौपदे, पद्यप्रसून, बोलचाल, परिजात (महाकाव्य), जातुमुकुर, काव्योपवन, प्रेम पुष्पोपहा, प्रेम प्रपंच, प्रेमांबु प्रस्रावण, प्रेमांबु प्रवाहम, प्रेमांबु वारिधि, आधुनिक कवि
नाटक प्रद्युमन विजय, रूक्मिणी परिणय, व्यायोग
उपन्यास ठेठ हिंदी का ठाठ (1899), अधखिला फूल (1907), वेनिस का बांका (पहली गद्य पुस्तक)
आलोचना हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास, कबीर वचनावली की आलोचना
हरिऔध विशेष

  1. दो बार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रहे
  2. दिवस का अवसान समीप था। गगन था कुछ लोहित हो चला।          – प्रियप्रवास की आरंभिक पंक्ति
  3. लख अपार-प्रसार गिरीन्द में,
    ब्रज धराधिय के प्रिय-पुत्र का
    सकल लोग लगे कहने,
    उसे, रख लिया है उँगली पर श्याम ने।     -प्रियप्रवास से
  4. रूपोद्यान प्रफुल्लप्राय कलिका राकेन्दु बिम्बानना।    -प्रियप्रसास से
  5. क्यों पले पीस कर किसी को
    है बहुत पालिस बुरी तेरी
    हम रहे चाहतें पटाना हीं,
    पेट तुझसे पटी नहीं मेरी।’
राधाकृष्ण दास
काव्य भारत बारहमासा, देश दशा
नाटक महाराणा प्रताप, महारानी पदमावती, दुखिनी बाला (1880)
उपन्यास महारा, निस्सहाय हिंदू (लिखा 1881 में छपा 1890), स्वर्णलता, मरता क्या न करता (बंगला)
राधा चरण गोस्वामी
नाटक बूढ़े मुॅंह मुहासे, तन मन धान गोसाई जी को अर्पण, अमर सिंह राठौर
निबंध यमलोक की यात्रा
उपन्यास विधावा विवाह, मृण्मयी (बंगला अनूदित), बिरजा जावित्री (बंगला से)
संपादन भारतेंदु (वृंदावन 1884)
खड्ग बहादुर मल्ल
नाटक भारत आरत, रतिकुसुमायुध
अम्बिका दत्त व्यास
(1848 से 1900)
काव्य पावस पचासा, सुकवि सतसई, हो-हो-होरी, बिहारी विहार (यह बिहारी के दोहों का कुण्डलीया छंद में विस्तार है), कंसवध (अपूर्ण, खड़ी बोली)
नाटक ललिता, गोसंकट
उपन्यास भारत सौभाग्य, आश्चर्य वृतांत (रोमानी उपन्यास)
संपादन वैष्णव पत्रिका (1884), पीयूष प्रवाह (1883 काशी)
गोपालराम गहमरी (जासूसी उपन्यासकार)
नाटक देश दशा, चित्रंगदा (रवींद्र बाबू का)
उपन्यास चक्करदार चोरी(1901), जासूस पर जासूसी(1904), जासूस की ऐयारी(1914), जासूस चक्कर में, इंद्राजालिक जासूस, सास पतोहू (अनूदित), बड़ा भाई (अनूदित), नये बाबू, अद्भुत लाश, बेकसूर की फांसी, गुप्तचर (अनूदित), सरकती लाश, खूनी कौन, बेगुनाहों का खून, जासूस की भूल, अद्भुत खून, खूनी का भेद, गुप्त भेद, चतुरचंचला, भानमती, भोजपुर का ठग (अनूदित), देवरानी जेठानी (अनूदित), दो बहिन (अनूदित), तीन पताहू (अनूदित)
संपादन जासूस
काशी नाथ खत्री
नाटक विधवा विवाह, सिंधु देश की राजकुमारियॉं, गुन्नौर की रानी, बाल विधवा संताप नाटक, ग्राम पाठशाला और निकृष्ठ नौकरी नाटक
कार्तिक प्रसाद खत्री
नाटक उषाहरण, जया (अनूदित)
उपन्यास इला, प्रमिला, जया, मधुमालती (अनूदित)
संपादन हिंदी दीप्तिप्रकाश, प्रेम विलासिनी (पत्रिका)
किशोरी लाल गोस्वामी
नाटक प्रणयिनी-प्रणय, मयंक मंजरी महानाटक, चोपट चपेट
उपन्यास लवंग लतिका, कुसुम कुमारी, लीलावती वा आदर्श सती, पुर्नजन्म वा सौतिया डाह, अगूठी का नगीना, त्रिवेणी वा सौभाग्य, श्रेणी, हृद्यहारिणी वा आदर्श रमणी (1890), तिलस्मी शीशमहल, नव्य समाजचित्र, तरूण तपस्विनी, कुटीर वासिनी, तारा (1902), राजकुमारी (1902), कनक कुसुम वाा मस्तानी (1903), लखनऊ की कब्र वा शाही महलसरा (1906) रजिया बेगम, त्रिवेणी, प्रणयिनी प्रणय, चपला, मल्लिका देवी वा बंग सरोजनी, हीराबाई या बेहयाई का बारका
कहानियॉं इंदुमति (प्रणयिनी-परिणय, 1900 आचार्य रामचंद्र ने इसे पहली कहानी माना है यह शेक्सपियर के टेम्पस्ट की छाया पर लिखित बताई जाती है), गुलबहार (शेक्शपीयर के टेम्पेस्ट की छाया पर )
संपादन उपन्यास (मासिक, 1898 काशी)
बाबू तोताराम वर्मा
काव्य रामरामायण (वाल्मीकि रामायण का अनुवाद)
नाटक कीर्तिकेतु, जोजेफ (एडीसन का केटो का वृतांत)
उपन्यास ब्रजविनोद
यात्रवृत ब्रजविनोद
संपादन भारतबंधु (अलीगढ़)
बाबू तोताराम वर्मा विशेष

  1. भाषा संबर्धिनी सभा(अलीगढ़) की स्थापना की।
लाला शालिग्राम
नाटक  मालती माधव (अनूदित)
लाला सीताराम
नाटक उत्तररामचरित (अनूदित -भवभूति) मालतीमाधव  (अनूदित -भवभूति), महावीर चरित (अनूदित -भवभूति),
लविकाग्निमित्रम् (अनूदित – कालिदास), भूलभूलैया (अनूदित -शेक्सपीयर), मृच्छकटिकम् (अनूदित -शूद्रक)
संपादन शुभचिंतक
नंदलाल विश्वनाथ दूबे
नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम् (अनूदित – कालिदास)
अयोध्याप्रसाद चौधरी
नाटक कृष्णमित्र (प्रबोध चंद्रोदय का अनुवाद)
गदाधार भट्ट
नाटक मृच्छकटिकम (अनूदित -शूद्रक)
उपन्यास बंगविजेता (अनुवाद बंगला), दुर्गेशनन्दिनी (अनुवाद बंगला)
देवदत्त तिवारी
नाटक रत्नावली (श्रीहर्ष का अनुवाद)
ज्वालाप्रसाद मिश्र
नाटक भट्टनाराण के वेणीसंहार का अनुवाद
रूपनारायण पाण्डेय
काव्य वनवैभव (प्रगीत मुक्तकों का संग्रह), कविताएँ-पराग, वन विहंगम, दलित कुसुम, आश्वासन
नाटक अचलायतन (रवींद्रबाबू का अनुवाद), उस पार, शाहजहॉं, दुर्गादास, ताराबाई (द्विजेंद्रलाल राय का बंगला से अनुवाद), प्रायश्चित (1928,सामाजिक समस्या)
रामचरण शुक्ल
नाटक माइकेल मधुसूदन दत्त के नाटक का शर्मिष्ठा नाम से अनुवाद
रामकृष्ण वर्मा
नाटक कृष्णाकुमारी (मा म द), पद्मावती (राजकिशोर दे), वीरनारी (द्वारिकानाथ गांगुली)
उपन्यास वृतांतमाला (उर्दू से अनूदित), पुलिस वर्तांतमाला (अनूदित)
संपादन भारत जीवन
उदितनारायण लाल
नाटक सती (मोहन बसु का अनुवाद)
उपन्यास दीपनिर्वाण
गौरीदत्त शुक्ल
उपन्यास देवरानी जेठानी की कहानी
गौरीदत्त शुक्ल विशेष

  1. नागरी प्रचार के जायदाद दे दी, गोैरीनागरी कोश, जय नागरी की नारा दिया। गौरी नागरी कोश का निर्माण किया।
श्रद्धाराम फुल्लौरी
उपन्यास भाग्यवती (1871, हिंदी का पहला उपन्यास है। यह सामाजिक उपन्यास है), सत्यामृतप्रभाव, तत्वदीपक, धर्मरक्षा, उपदेश संग्रह, शतोपदेश
मेहता लज्जाराम शर्मा (सामाजिक उपन्यासकार)
उपन्यास धूर्त रसिकलाल, स्वतंत्र रमा और परतंत्र लक्ष्मी, चक्र हिंदी महत्व, आदर्श दम्पति, बिगड़ों का सुधाार, सुशीला विधवा, आदर्श हिंदू
संपादन वेंकेटश्वर समाचार
मिश्रबंधु
नाटक पूर्वभारत (1922), उतर भारत (1923)
उपन्यास वीरमणि (1917),
आलोचना हिंदी नवरत्न
ठाकुर जगमोहन सिंह
काव्य प्रेमसंपतिलता (मेघदूत का अनुवाद), श्यामलता, श्यामा सरोजनी, देवीयानी
उपन्यास श्यामास्वप्न (रोमानी)
देवकीनंदन खत्री
(29 जून 1861- 1अगस्त 1913)
उपन्यास चंद्रकांता (1891), चंद्रकांता संतति, नरेंद्र मोहिनी, वीरेद्रवीर अथवा कटोरा भर खून, कुसुम कुमारी, काजर की कोठरी (1902), अनूठी बेगम, गुप्त गोदना, भूतनाथ (छह भाग)
संपादन उपन्यास लहरी, सुदर्शन (1883 मासिक, काशी से 1900 में)
देवकीनंदन खत्री विशेष

  1. हिंदी के प्रथम तिलस्मी-ऐयारी लेखक
  2. पिता – लाला ईश्वरदास
दुर्गाप्रसाद खत्री
उपन्यास भूतनाथ (शेषभाग), अद्भुत भूत(1916)
हरिकृष्ण जौहर
उपन्यास कुसुमलता, मयंक मोहिनी या मायामहल, कमल कुमारी, निराला नकाबपोश, भयानक खून (तिलस्मी ऐयारी)
रवींद्रनाथ टैगोर
उपन्यास ऑंख की किरकिरी
पंक्ति – अर्धेक मानवी तुमि, अर्धेक कल्पना
शिवप्रसाद सितारेहिंद
कहानी राजा भोज का सपना (हिंदी का पहला निबंध), वीरसिंह का वृतांत, आलसियों का कोड़ा
उपन्यास इतिहास तिमिरानाशक (इस रचना का झुकाव कुछ अरबी-फारसी से लदी हुई उर्दू की ओर था), भूगोल हस्तामलक, मानवधर्मसार, उपनिषद्सार,  वामामनरंजन (कहानी)
राजा लक्ष्मण सिंह
नाटक शकुंतला  नाटक (अनूदित, यह खड़ीबोली हिंदी का प्रथम नाटक है), अभिज्ञानशाकुंतलम् (1862, खड़ी बोली) मेघदूत (ब्रजभाषा का अनुवाद) हिंदी में लिखा, रघुवंश (ब्रजभाषा का अनुवाद) हिंदी में लिखा
रामलाल वर्मा
उपन्यास पुतली महल (तिलस्मी – ऐयारी, 1908)
संपादन दारोगा दतर
भारतेन्दु युग के कुछ यात्रवृत
लन्दन यात्रा श्रीमती हरदेवी (यात्रा साहित्य की पहली पुस्तक)
लन्दन का यात्री भगवानदास वर्मा
मेरी पूर्व दिग्यात्र दामोदर शास्त्री
मेरी दक्षिण दिग्यात्र दामोदर शास्त्री
ब्रजयात्रा देवीप्रसाद

 

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