व्याकरण » शब्द निर्माण

अक्षर

सामान्यतः ‘अक्षर’ शब्द का प्रयोग स्वरों और व्यंजनों के लिपि-चिह्नों के लिए होता है। जैसे- उसके अक्षर बहुत सुन्दर हैं। व्याकरण में ध्वनि की उस छोटी-से-छोटी इकाई को अक्षर कहते हैं जिसका उच्चारण एक झटके से होता है। अक्षर में व्यंजन एकाधिक हो सकते हैं किन्तु स्वर प्रायः एक ही होता है। हिन्दी में एक अक्षर वाले शब्द भी हैं और अनेक अक्षरों वाले भी। उदाहरण देखिए-

आ, खा, जो, तो (एक अक्षर वाले शब्द)
मित्र, गति, काला, मान (दो अक्षरों वाले शब्द)
कविता, बिजली, कमान (तीन अक्षरों वाले शब्द)
अजगर, पकवान, समवेत (चार अक्षरों वाले शब्द)
मनमोहन, जगमगाना (पाँच अक्षरों वाले शब्द)
छः या उससे अधिक अक्षरों वाले शब्दों का प्रयोग बहुत कम होता है।

बलाघात

शब्द का उच्चारण करते समय किसी एक अक्षर पर दूसरे अक्षरों की तुलना में कुछ अधिक बल दिया जाता है। जैसे- ‘जगत’ में ज और त की तुलना में ‘ग’ पर अधिक बल है। इसी प्रकार ‘समान’ में ‘मा’ पर अधिक बल है। इसे बलाघात कहा जाता है।

शब्द में बलाघात का अर्थ पर प्रभाव नहीं पड़ता। वाक्य में बलाघात से अर्थ में परिवर्तन आ जाता है। उदाहरण के लिए एक वाक्य देखिए-

राम मोहन के साथ मुम्बई जाएगा।
इस वाक्य में भिन्न-भिन्न शब्दों पर बलाघात से निकलने वाला अर्थ कोष्ठक में दिया गया है-
राम सोहन के साथ मुम्बई जाएगा। (राम जाएगा, कोई और नहीं)
राम सोहन के साथ मुम्बई जाएगा। (सोहन के साथ जाएगा किसी और के साथ नहीं)
राम सोहन के साथ मुम्बई जाएगा। (मुम्बई जाएगा, कहीं और नहीं)
राम सोहन के साथ मुम्बई जाएगा। (निश्चय ही जाएगा)
यह अर्थ केवल उच्चारण की दृष्टि से है, लिखने में यह अंतर लक्षित नहीं हो सकता।

बलाघात दो प्रकार का होता है– (1) शब्द बलाघात (2) वाक्य बलाघात।

(1) शब्द बलाघात– प्रत्येक शब्द का उच्चारण करते समय किसी एक अक्षर पर अधिक बल दिया जाता है।
जैसे– गिरा मेँ ‘रा’ पर।
हिन्दी भाषा में किसी भी अक्षर पर यदि बल दिया जाए तो इससे अर्थ भेद नहीं होता तथा अर्थ अपने मूल रूप जैसा बना रहता है।

(2) वाक्य बलाघात– हिन्दी में वाक्य बलाघात सार्थक है। एक ही वाक्य मेँ शब्द विशेष पर बल देने से अर्थ में परिवर्तन आ जाता है। जिस शब्द पर बल दिया जाता है वह शब्द विशेषण शब्दों के समान दूसरों का निवारण करता है। जैसे– ‘रोहित ने बाजार से आकर खाना खाया।’

उपर्युक्त वाक्य मेँ जिस शब्द पर भी जोर दिया जाएगा, उसी प्रकार का अर्थ निकलेगा। जैसे– ‘रोहित’ शब्द पर जोर देते ही अर्थ निकलता है कि रोहित ने ही बाजार से आकर खाना खाया। ‘बाजार’ पर जोर देने से अर्थ निकलता है कि रोहित ने बाजार से ही वापस आकर खाना खाया। इसी प्रकार प्रत्येक शब्द पर बल देने से उसका अलग अर्थ निकल आता है। शब्द विशेष के बलाघात से वाक्य के अर्थ में परिवर्तन आ जाता है। शब्द बलाघात का स्थान निश्चित है किन्तु वाक्य बलाघात का स्थान वक्ता पर निर्भर करता है, वह अपनी जिस बात पर बल देना चाहता है, उसे उसी रूप मेँ प्रस्तुत कर सकता है।

अनुतान

बोलते समय वाक्यों में जो सुर का उतार-चढ़ाव होता है, उसे अनुतान कहते हैं। एक ही वाक्य को अलग-अलग अनुतान के साथ बोलने पर भिन्न-भिन्न अर्थ हो सकते हैं। जैसे-

  1. रमेश जाएगा। (सामान्य कथन)
  2. रमेश जाएगा? (प्रश्नवाचक  कथन)
  3. रमेश जाएगा! (आश्चर्य सूचक कथन)

 अन्य उदाहरण के लिए ‘सुनो’ शब्द लें। विभिन्न अनुतानों में इसका अर्थ अलग-अलग होगा।

  1. नेताजी का भाषण ध्यान से सुनो। (सामान्य कथन)
  2. मेरी बात तो सुनो! (आग्रह या मनुहार के अर्थ में)
  3. अपनी ही हाँके जाते हो, कुछ दूसरों की भी सुनो। (क्रोध के अर्थ में)
संगम

दो शब्द या दो ध्वनियाँ अलग-अलग होने के बावजूद भी मिल जाती है और साथ-साथ चलती हैं तो इनका सीमा संकेत ही संगम कहलाता है। दो भिन्न स्थानों पर संगम से दो भिन्न अर्थ निकलते हैं। जैसे-

बाल कथा       बालक था

जल सा        जलसा

तुम हारे        तुम्हारे

पी लिया       पीलिया

सिर का        सिरका

 

स्रोत के आधार पर शब्द

(क) तत्सम शब्द – तत्सम शब्द का अर्थ है उसके समान अर्थात् संस्कृत के समान। जो शब्द संस्कृत के समान ही हिंदी में भी प्रयुक्त होते हैं तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे सूर्य, रात्रि।

(ख) तद्भव शब्द – तद्भव अर्थात् उससे होना या बनना। संस्कृत के वे शब्द जो पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं से होते हुए हिन्दी में परिवर्तित रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते है। जैसे:- सूरज, रात आदि।

तत्सम तद्भव तत्सम तद्भव
अज्ञान अजान छत्र छाता
गृह घर धूम धुआँ
उज्ज्वल उजला चैत्र चैत
लौह लोहा क्षेत्र खेत
नव नया कर्पट कपड़ा
मृत्यु मौत कृष्ण किशन
महिषी भैंस सिंधी हिंदी
चर्मकार चमार हस्ती हाथी
स्वर्णकार सुनार व्याघ्र बाघ
भक्त भगत शून्य सूना
अट्टालिका अटारी पक्ष पंख
मौक्तिक मोती अग्नि आग
कूप कुआँ घृत घी
वधू बहू घोटक घोड़ा
ग्राम गाँव भ्रमर भौंरा
आम्र आम गौ गाय
ताम्र ताँबा पत्र पत्ता
तीक्ष्ण तीखा अंधकार अँधेरा
मयूर मोर पिपासा प्यास
उष्ट्र ऊँट परीक्षा परख
हस्त हाथ आश्रय आसरा
प्रस्तर पत्थर नग्न नंगा
परशु फरसा कीट कीड़ा
चरित्र चरित पौष पूस
भगिनी बहन ग्राहक गाहक
रिक्त रीता सिंधु हिन्दू
दंत दाँत सिंध हिंद
सत्य सच दुर्बल दुबला
कार्य काज अश्रु आँसू
रत्न रतन वर्ष बरस
कुम्भकार कुम्हार पीत पीला
वर्षा बरसा सूत्र सूत
सूर्य सूरज श्यामल साँवला
सप्त सात जिह्वा जीभ
पूर्णिमा पूनम आश्चर्य अचरज
विवाह ब्याह उच्च ऊँचा
रात्रि रात स्थल थल
पर्यंक पलंग भिक्षार्थी भिखारी

(ग) देशज शब्द:– जिन शब्दों के स्रोत अज्ञात है, उन्हें देशज शब्द कहते हैं। इनका मूल जनभाषाओं में होता है, जैसे पगड़ी, लोटा, खाट, लाठी आदि।***

(घ) आगत शब्द:- आगत का अर्थ है – आया हुआ। ये वे शब्द है जो दूसरी भाषाओं से आए है। जैसे अरबी, फारसी, अंग्रेजी, पुर्तगाली आदि।

(1) अरबी:- औरत, इस्तीफा, इम्तहान, इन्साफ, इंतजार, आईना, अल्लाह, अदालत, अखबार, हुक्म, हिरासत, हवा, सलाह, शैतान, शतरंज, वकील, रिश्वत, रईस, यतीम, मुहावरा, मुकदमा, मस्जिद, कफन, कब्र, कसम, कसाई, कानून, किताब, कुरसी, खत, गदर, गबन, गुनाह, जनाज, जुलूस, जलसा, जुर्माना, तरीका, ताकत, तूफान, दफ्रतर, दलील, दवा, दौलत, निकाह, फकीर, फसल, मजहब, मरीज।

(2) फारसी:- जंजीर, चिलम, चिराग, गुलाब, गुब्बारा, खुशामद, कारोबार, कारीगर कमरा, आसमान, आमदनी, आदमी, बहादुर, सूरमा, सरकार, सब्जी, शायरी, शादी, रशीद, मेहमान, मेज, मसाला, मजदूर, बेईमान, बीमा, बालूशाही, जमीन, जहर, जानवर, तराजू, दरवाजा, दिमाग, दूरबीन, नमक, परदा, पोदीना, प्याज, फरियाद, फौज, फौलाद, बदमाश।

(3) तुर्की:- सौगात, बेगम, बारूद, तोप, चाकू, कैंची, कुली, कुरता, उर्दू, बंदूक।

(4) अंग्रेजी:- स्टील, स्कूटर, सूटकेस, लाटरी, मोटर, मेजर, बोगी, बैंक, बूट, बुशर्ट, बजट, फ्राक, फोटो, फुटबाल, अपील, इंजन, एकड़, कंपनी, कमीशन, कार, कॉलेज, कालोनी, कूपन, कोट, क्रिकेट, क्लब, गाउन, गैस, ग्राम, चाकलेट, चेक, जाकेट, जेल, टाई, टायर, डायरी, डिग्री, डेरी, नर्स, निब, पंप, पाइप, पाउडर, फ्रलैट, पुलिस, प्लेटफार्म।

(5) पुर्तगाली:-मिस्तरी, बालटी, फीता, पादरी, नीलाम, तौलिया, आया, आलपिन, इस्पात, गमला, चाबी, संतरा, साबुन।

(6) संकर शब्द:- दो भिन्न स्रोतों से आए शब्दों के मेल से बने शब्द संकर शब्द कहलाते हैं, जैसे –

→ रेलगाड़ी – रेल (अंग्रेजी) + गाड़ी (हिंदी)

→ सीलबंद – सील (अंग्रेजी) + बंद (फारसी)

→ छायादार

→ जेलखाना

→ लाठीचार्ज

रचना के आधार पर शब्द

(क) रूढ़ शब्द:– जिन शब्दों के सार्थक खण्ड नहीं हो सकें, जैसे घर, रोटी, पैसा आदि। ये मूल शब्द भी कहे जाते हैं।

(ख) यौगिक शब्द:- दो शब्दों या शब्दाशों के योग से बने शब्द जैसे – घुड़सवार (घोड़ा+सवार), पाठशाला (पाठ+शाला)

(ग) योगरूढ़ शब्द:- जो शब्द योग से बने हो, पर किसी एक अर्थ में रूढ़ हो जाएँ। जैसे – जलज (जल$ज) अर्थात जल में उत्पन्न किन्तु ये कमल के अर्थ में रूढ़ हो गया है अतः योगरूढ़ कहलाएगा।

प्रयोग के आधार पर शब्द

(क) सामान्य शब्द – सामान्य जनजीवन तथा उससे जुड़े क्रिया व्यापारों से जुडे शब्द जैसे – घर, परिवार, अनाज, खान-पान आदि।

(ख) पारिभाषिक या तकनीकी शब्द – ये शब्द व्यावसायिक क्षेत्रें जैसे – कार्यालय, बैंक, विज्ञान, कानून आदि से संबंधित होते हैं।

व्याकरणिक आधार पर शब्द

(क) विकारी – जो शब्द लिंग, वचन, काल आदि के कारण परिवर्तित हो जाते हैं। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण व क्रिया शब्द आते हैं।

(ख) अविकारी – जिन शब्दों के मूल रूप में किसी भी दशा में कोई बदलाव नहीं होता। इसमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चय बोधक, विस्मयादि बोधक और निपात शब्द आते हैं।

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