JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL 0% Created by hindigyan कक्षा 11 HINDI MCQ PAPER 1 1 / 40 1. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - प्रदूषण से विशेषकर किस वर्ग को साँस लेना मुश्किल हो जाता है? A. घर से बाहर जाकर काम करने वाले लोगों के लिए। B. जिम में कसरत करने वाले लोगों के लिए। C. वयस्क लोगों के लिए। D. बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए। 2 / 40 2. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - एक से पंद्रह नवम्बर के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक कितना चला जाता है? A. एक हजार के ऊपर। B. आठ सौ के ऊपर। C. सात सौ पचास के ऊपर। D. चार सौ पचास के ऊपर। 3 / 40 3. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - प्रदूषण फैलाने वाले लोगों और संस्थानों से कैसे निपटा जाना चाहिए? A. बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है। B. बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों को समझाने की जरूरत है। C. बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों शहर से बाहर भेजने की जरूरत है। D. बड़े पैमाने पर उन संस्थानों को बंद करने की जरूरत है। 4 / 40 4. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - प्रदूषण कम करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का व्यापक असर क्यों नहीं हुआ? A. ईमानदारी की कमी और दिखावे के कारण. B. प्रदूषण के ज्यादा मात्रा में फैलने के कारण। C. लोगों के न मानने के कारण। D. मौसम की बिगड़ते स्वभाव के कारण। 5 / 40 5. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - किस कारण से शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता? A. मशीनों की धीमी रफ्तार के कारण। B. लोगों की धीमी रफ्तार के कारण। C. गाड़ियों की धीमी रफ्तार के कारण। D. हवा की धीमी रफ्तार के कारण। 6 / 40 6. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - दिल्ली के पर्यावरण मंत्री के अनुसार धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए किसके साथ समन्वय में काम करना होगा? A. विश्व प्रदूषण नियंत्रण समिति। B. दिल्ली प्रदूषण समिति। C. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति। D. दिल्ली नियंत्रण समिति। 7 / 40 7. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - दिल्ली के पर्यावरण मंत्री सरकारी विभागों को क्या बनाने के लिए कहा? A. धूल मुक्त प्रकोष्ठ। B. धूल रोधी प्रकोष्ठ। C. धूल रहित प्रकोष्ठ। D. धूल प्रविधि प्रकोष्ठ। 8 / 40 8. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - 'दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है' - इस वाक्य में रेखांकित शब्द की संज्ञा का भेद बताइए। A. समूहवाचक संज्ञा। B. भाववाचक संज्ञा। C. जातिवाचक संज्ञा। D. व्यक्तिवाचक संज्ञा। 9 / 40 9. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - प्रदूषण के कारण दिल्ली में कितने मीटर के बाद कोई चीज दिखनी बंद हो गई? A. दो सौ मीटर। B. चार सौ मीटर। C. तीन सौ मीटर। D. पाँच सौ मीटर। 10 / 40 10. अपठित गद्यांशदिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि सभी सरकारी विभागों को धूल रोधी प्रकोष्ठ बनाने और धूल रोधी संयुक्त कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ समन्वय में काम करना होगा। दुनिया देख रही है, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या और बढ़ गई है। कई जगह ऐसी स्थिति है कि 200 मीटर के बाद कोई चीज दिख नहीं रही है। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से लोगों को परेशानी हो रही है। बीमारियों के संक्रमण के दौर में प्रदूषण से खासकर बुजुर्गों और सांस की तकलीफ वाले लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल है। सब जानते हैं, हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के भी ऊपर चला जाता है। प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाती है। मतलब, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से करीब छह गुना ज्यादा हो जाता है। और तो और, इस मौसम में हवा भी धीमी रफ्तार से बहती है या लगभग ठहर सी जाती है, तो शहर में भर आया प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता है। लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रदूषण निवारण के लिए सरकारों को सख्ती बरतते हुए आगे आना चाहिए। दिल्ली सरकार ने एक कदम उठाया है, लेकिन क्या यही एक कदम पर्याप्त है? बड़े पैमाने पर उन लोगों और संस्थानों पर जुर्माना लगाने की जरूरत है, जो तय मानकों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। सरकारों को अपने सभी विभागों को निर्देश देना चाहिए कि सब अपने-अपने स्तर पर प्रदूषण में कमी लाने की पहल करें। जो लोग समझ नहीं रहे हैं, उन पर सख्ती ही बेहतर विकल्प है। तरह-तरह से प्रयास हुए हैं, सरकारों ने भी अपनी ओर से अभियान चलाए हैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं ईमानदारी की कमी है, दिखावा भी खूब हुआ है। वक्त आ गया है कि प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाए।प्रश्न - एक से पंद्रह नवम्बर के बीच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण अपनी सामान्य सीमा से लगभग कितना ज्यादा हो जाता है। ? A. दो गुना अधिक। B. छह गुना अधिक। C. चार गुना अधिक। D. बराबर रहता है। 11 / 40 11. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - 'अगणित लघु दीप हमारे' - से कवि का क्या अभिप्राय है? A. कवियों और लेखकों से। B. अंग्रेज़ो से। C. वीर सेनानियों से। D. राजनेताओं से। 12 / 40 12. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - 'मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल' से क्या अभिप्राय है? A. पीने के लिए पानी माँगना। B. अपने हित साधने के लिए अँग्रेजी सरकार की कृपा स्वीकार करना। C. पेट की ज्वाला शांत करने के लिए रोजगार माँगना। D. लोगों से जेल से छुड़ाने के लिए आग्रह करना। 13 / 40 13. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - 'वीर बलिदानियों की महिमा का कौन साक्षी है? A. सूर्य, भूगोल। B. भूगोल, खगोल। C. सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल। D. सूर्य, चन्द्र। 14 / 40 14. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - निम्न में से कौन-सा धरती का पर्यायवाची नहीं है? A. धरा B. व्योम C. रत्नगर्भा D. वसुधा 15 / 40 15. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - धरती के डोलने का क्या कारण है? A. सिंहों का गर्जन। B. वीरों का गर्जन। C. इनमें से कोई नहीं। D. बादलों का गर्जन। 16 / 40 16. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - कवि के अनुसार चकाचौंध में अंधा हुआ व्यक्ति क्या नहीं जनता? A. इतिहास। B. भविष्य। C. विज्ञान। D. राजनीति। 17 / 40 17. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - इस कविता में कौन-सा रस है? A. करुण रस। B. वीभत्स रस। C. वीर रस। D. भयानक रस। 18 / 40 18. अपठित पद्यांश-जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफ़ानों में एक किनारे,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।कलम, आज उनकी जय बोल।पीकर जिनकी लाल शिखाएं,उगल रही सौ लपट दिशाएं,जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल।कलम, आज उनकी जय बोल।अंधा चकाचौंध का मारा,क्या जाने इतिहास बेचारा,साखी हैं उनकी महिमा के,सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।कलम, आज उनकी जय बोल।प्रश्न - 'अंधा चकाचौंध का मारा' से कवि का क्या अभिप्राय है? A. जो ऐश्वर्य का जीवन जी रहे हैं। B. जो देशभक्त हैं। C. जो गरीबी का जीवन जी रहे हैं। D. जो गरीब और अंधे हैं। 19 / 40 19. डायरी और उसके लेखक को सुमलित कीजिए-(I) हरी घाटी - रघुवंश(II) एक साहित्यिक की डायरी - मुक्तिबोध(III) सुदूर दक्षिण पूर्व - सेठ गोविंद दास A. केवल I सही है। B. केवल II सही है। C. केवल III सही है। D. तीनों सहीं हैं। 20 / 40 20. दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश है- A. चीन B. अमेरिका C. भारत D. पाकिस्तान 21 / 40 21. रेडियो कैसा माध्यम है? A. प्रकाश माध्यम B. तरल माध्यम C. ध्वनि माध्यम D. दृश्य माध्यम 22 / 40 22. निम्न में से क्या पत्रकारिता का कार्य है? A. रोजगार के अवसर तलाशने में सहायक B. जनसामान्य को उनके कर्तव्यों और अधिकारों की जानकारी देना C. ये सभी D. देश-विदेश की गतिविधियों की जानकारी देना 23 / 40 23. कौन-सी पत्रकारिता सनसनी फैलाने का कार्य करती है? A. पेज़ थ्री पत्रकारिता B. पीत पत्रकारिता C. एडवोकेसी पत्रकारिता D. वैकल्पिक पत्रकारिता 24 / 40 24. पठित पद्यांश-खेलन में को काको गुसैयाँ।हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ।जाति-पाँति हमतैं बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ।अति अधिकार जनावत यातै जातैं अधिक तुम्हारै गैयाँ।रूठहि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ ग्वैयाँ।सूरदास प्रभु खेल्यौइ चाहत, दाऊँ दियौ करि नंद-दुहैयाँ।।प्रश्न - 'बरबस हीं कत करत रिसैयाँ।' - पंक्ति के आधार पर बताएँ कि कौन क्रोध कर रहा है? A. सुदामा B. ग्वाले C. राधा D. कृष्ण 25 / 40 25. पठित पद्यांश-खेलन में को काको गुसैयाँ।हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ।जाति-पाँति हमतैं बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ।अति अधिकार जनावत यातै जातैं अधिक तुम्हारै गैयाँ।रूठहि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ ग्वैयाँ।सूरदास प्रभु खेल्यौइ चाहत, दाऊँ दियौ करि नंद-दुहैयाँ।।प्रश्न - ग्वालों के अनुसार कृष्ण के पास क्या अधिक होने के कारण वो ग्वालों पर अधिक अधिकार जताते हैं? A. भूमि B. खेत C. गाएँ D. खिलौने 26 / 40 26. पठित पद्यांश -खेलन में को काको गुसैयाँ।हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ।जाति-पाँति हमतैं बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ।अति अधिकार जनावत यातै जातैं अधिक तुम्हारै गैयाँ।रूठहि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ ग्वैयाँ।सूरदास प्रभु खेल्यौइ चाहत, दाऊँ दियौ करि नंद-दुहैयाँ।।प्रश्न - 'दाऊँ दियौ करि नंद-दुहैयाँ' - पंक्ति का क्या अर्थ है? A. नंद के कहने पर कृष्ण ने बारी देना स्वीकार कर लिया। B. नंद की दुहाई देकर कृष्ण ने बारी देना स्वीकार कर लिया। C. ये सभी। D. नंद के द्वारा मनाने पर कृष्ण ने बारी देना स्वीकार कर लिया। 27 / 40 27. पठित पद्यांश -खेलन में को काको गुसैयाँ।हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ।जाति-पाँति हमतैं बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ।अति अधिकार जनावत यातै जातैं अधिक तुम्हारै गैयाँ।रूठहि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ ग्वैयाँ।सूरदास प्रभु खेल्यौइ चाहत, दाऊँ दियौ करि नंद-दुहैयाँ।।प्रश्न - 'हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ।' - पंक्ति का कौन-सा अलंकार है? A. अनुप्रास अलंकार B. उत्प्रेक्षा अलंकार C. यमक अलंकार D. मानवीकरण अलंकार 28 / 40 28. खेलन में को काको गुसैयाँ।हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ।जाति-पाँति हमतैं बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ।अति अधिकार जनावत यातै जातैं अधिक तुम्हारै गैयाँ।रूठहि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ ग्वैयाँ।सूरदास प्रभु खेल्यौइ चाहत, दाऊँ दियौ करि नंद-दुहैयाँ।।प्रश्न - प्रस्तुत पद में कौन-सा रस है? A. वात्सल्य रस B. वीभत्स रस C. रौद्र रस D. शृंगार रस 29 / 40 29. पठित गद्यांशऔर सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह चार-पाँच साल का गरीब-सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। किसी को पता न चला, क्या बीमारी है। कहती तो कौन सुनने वाला था। दिल पर जो कुछ बीतती थी, वह दिल में ही सहती थी और जब न सहा गया तो संसार से बिदा हो गई। अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है। उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। बहुत-सी थैलियाँ लेकर आएँगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है, और फिर बच्चों की आशा! उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है।प्रश्न - 'माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई।' - वाक्य से किस बीमारी का बोध होता है? A. हैजा। B. बुखार। C. पीलिया। D. मलेरिया। 30 / 40 30. पठित गद्यांशऔर सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह चार-पाँच साल का गरीब-सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। किसी को पता न चला, क्या बीमारी है। कहती तो कौन सुनने वाला था। दिल पर जो कुछ बीतती थी, वह दिल में ही सहती थी और जब न सहा गया तो संसार से बिदा हो गई। अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है। उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। बहुत-सी थैलियाँ लेकर आएँगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है, और फिर बच्चों की आशा! उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है।प्रश्न - हामिद की प्रसन्नता का क्या कारण है? A. उसे उम्मीद है कि उसके अब्बा और अम्मी अवश्य आएँगे। B. दादी की गोदी में उसे माता-पिता का स्नेह मिल रहा है। C. ईदगाह जाते हुए उसके पास सबसे अधिक पैसे हैं। D. वह नए वस्त्र पहने हुए है। 31 / 40 31. पठित गद्यांशऔर सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह चार-पाँच साल का गरीब-सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। किसी को पता न चला, क्या बीमारी है। कहती तो कौन सुनने वाला था। दिल पर जो कुछ बीतती थी, वह दिल में ही सहती थी और जब न सहा गया तो संसार से बिदा हो गई। अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है। उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। बहुत-सी थैलियाँ लेकर आएँगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है, और फिर बच्चों की आशा! उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है।प्रश्न - 'राई का पर्वत बनाना' मुहावरे का अर्थ है- A. निराशा में आशा का संचार करना। B. नव निर्माण करना। C. राई का ढेर लगा देना। D. छोटी बात को बहुत बढ़ा देना। 32 / 40 32. पठित गद्यांशऔर सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह चार-पाँच साल का गरीब-सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। किसी को पता न चला, क्या बीमारी है। कहती तो कौन सुनने वाला था। दिल पर जो कुछ बीतती थी, वह दिल में ही सहती थी और जब न सहा गया तो संसार से बिदा हो गई। अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है। उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। बहुत-सी थैलियाँ लेकर आएँगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है, और फिर बच्चों की आशा! उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है।प्रश्न - प्रस्तुत गद्यांश किस कहानी से उद्धृत है? A. टॉर्च बेचने वाले B. ईदगाह C. ख़ानाबदोश D. दोपहर का भोजन 33 / 40 33. पठित गद्यांशऔर सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह चार-पाँच साल का गरीब-सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। किसी को पता न चला, क्या बीमारी है। कहती तो कौन सुनने वाला था। दिल पर जो कुछ बीतती थी, वह दिल में ही सहती थी और जब न सहा गया तो संसार से बिदा हो गई। अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है। उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। बहुत-सी थैलियाँ लेकर आएँगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है, और फिर बच्चों की आशा! उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है।प्रश्न - गद्यांश के अनुसार निम्न में से क्या सत्य नहीं है? A. हामिद अपनी दादी के पास रहता है। B. हामिद के पिता की मृत्यु हैजे से हुई थी। C. हामिद अपने जीवन से निराश हो चुका है। D. हामिद दुबला-पतला चार-पाँच वर्ष का बालक है। 34 / 40 34. 'दोपहर का भोजन' कहानी में केंद्रीय समस्या है - A. बीमारी B. प्रदूषण C. बेरोजगारी D. शोषण 35 / 40 35. टॉर्च बेचने वाला मित्र किस अंधेरे को मिटाने की बात करता है? A. रात के अंधेरे को B. आत्मा के अंधेरे को C. मन के अंधेरे को D. किसी को नहीं 36 / 40 36. ‘बालम आवो हमारे गेह रे’ इस पद में ‘लाज’ का अर्थ नहीं है? A. लज्जा B. प्रेम C. शर्म D. संकोच 37 / 40 37. 'औरै भाँति कुंजन में गुंजरत भीर भौंर' इस छंद में निम्न में से कौन-सी विशेषता नहीं है? A. अवधी भाषा का प्रयोग B. चित्रत्मक वर्णन C. तुकांतता D. गेयता और संगीतात्मकता 38 / 40 38. 'अंडे के छिलके' एकांकी में वीना के पति का क्या नाम है? A. माधव B. गोपाल C. कृष्ण D. श्याम 39 / 40 39. 'अंडे के छिलके' एकांकी में यह किसने कहा - 'चार दिन जो अंडे खा लिए हैं वे छिलकों समेत वसूल हो जाएँगे।' A. श्याम B. माधव C. कृष्ण D. गोपाल 40 / 40 40. 'अंडे के छिलके' एकांकी के आधार पर बताएँ कि कौन श्याम को उसके दूध का गिलास अलग रखवाने की धमकी देता है? A. राधा B. माधव C. गोपाल D. वीना Your score is LinkedIn Facebook Twitter VKontakte 0% Restart quiz PLEASE RATE THIS PAPER Send feedback JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL 2023-08-26