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नेताजी का चश्मा
(पाठ का सार)
स्वयं प्रकाश द्वारा लिखित कहानी ‘नेताजी का चश्मा’ के माध्यम से देशभक्ति की नूतन परिभाषा या पहचान देने का प्रयास किया गया है। नगरपालिका द्वारा चौराहे पर नेताजी की मूर्ति बनाने का जिम्मा एक स्कूल के ड्राइंग मास्टर को दे दिया जाता है, जो संगमरमर से नेताजी की मूर्ति तो तैयार कर देता है किन्तु उसका चश्मा बनाना भूल जाता है। चौराहे पर ही फेरी लगाकर चश्मा बेचने वाला कैप्टन नमक एक व्यक्ति प्रतिदिन मूर्ति पर अलग तरह का चश्मा लगता है। हालदार साहब प्रतिदिन उस चौराहे से निकलते हैं और उस मूर्ति और चश्मे के विषय में पानवाले से पूछते हैं। ये उनके लिए कौतूहल का विषय बना रहता है। नेताजी की मूर्ति पर चश्मा न पाकर वे पानवाले से इसका जिक्र करते हैं। पानवाला बताता है कि कैप्टन की मृत्यु हो चुकी है। अचानक कैप्टन चश्मेवाले की मृत्यु का समाचार सुनकर और नेताजी की मूर्ति पर चश्मा न पाकर हालदार साहब दुखी हो जाते हैं। हालदार साहब सोचते हैं कि क्या होगा उस कौम का जो देशभक्तों पर हँसती है। अंत में एक दिन चौराहे से गुजरते हुए हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा दिखता है और हालदार साहब उसे देखकर भावुक हो जाते हैं।
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नेताजी का चश्मा (प्रश्न-उत्तर)
1- सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर – सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे, क्योंकि
- कैप्टन चश्मेवाले का नेताजी के प्रति विशेष लगाव एवं श्रद्धा भाव था।
- वह फ़ौजी की तरह शहीदों से लगाव रखता था।
- उसमें देशभक्ति का भाव भरा था।
- उसे बिना चश्मे की नेताजी की मूर्ति पीड़ा देती थी।
2- हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
उत्तर – (क) हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि उन्होंने सोचा था कि कस्बे के चौराहे पर मूर्ति तो होगी पर उसकी आँखों पर चश्मा न होगा। अब कैप्टन तो जिंदा है नहीं, जो मूर्ति पर चश्मा लगाए। देशभक्त हालदार साहब को नेताजी की बिना चश्मे की मूर्ति उदास कर देती थी।
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
उत्तर – मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि भारत में देशभक्ति एवं देशप्रेम समाप्त नहीं हुआ है। बच्चों द्वारा नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना देश के स्वस्थ भविष्य का संकेत है। आने वाली पीढ़ी में देश प्रेम के बीज अंकुरित हो रहे हैं।
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर – हालदार साहब ने सोचा था कि कैप्टन के न रहने से नेताजी की मूर्ति चश्मे के बिना होगी। जब उन्होंने देखा कि मूर्ति की आँखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ है तो उनकी निराशा आशा में बदल गई। वे यह सोचकर भावुक हो गए कि युवा पीढ़ी में देशप्रेम और देशभक्ति की भावना पनप रही है जो देश के लिए अच्छा है।
3- आशय स्पष्ट कीजिए-
“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उत्तर – हालदार साहब द्वारा सोची गई इस पंक्ति का आशय यह है कि बहुत से लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। आज कुछ लोग ऐसे देशभक्तों का उपहास उड़ाते हैं। लोगों में देशभक्ति की ऐसी कम होती भावना निंदनीय है। ऐसे लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए देशद्रोह करने तक को तैयार हो जाते हैं।
4- पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – पानवाला स्वभाव से खुशमिज़ाज, काला और मोटा व्यक्ति है। वह अपनी पान की दुकान पर बैठा ग्राहकों को पान देने के अलावा उनसे कुछ न कुछ बातें करता रहता है। उसकी तोंद निकली हुई है। वह जब हँसता है तो उसकी तोंद थिरकने लगती है। पान खाने से उसकी बत्तीसी लाल-काली हो रही है। वह बाते करने में चतुर है जो व्यंग्यात्मक बातें भी करता है।
5- “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर – यह टिप्पणी कैप्टन चश्मेवाले के बारे में पानवाले की घटिया सोच को दर्शाती है। कैप्टन में देशभक्ति की भावना है। वह अपने कम साधनों से नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर देशप्रेम का प्रदर्शन करता है और लोगों में देशभक्ति की भावना जगाना चाहता है। वह वास्तव में उपहास का नहीं सम्मान का पात्र है। उसका इस तरह मजाक उड़ाना उचित नहीं है।
रचना और अभिव्यक्ति
6- निम्नलिखित वाक्य पात्रें की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
उत्तर – हालदार साहब अपने काम को करने में सजग थे। वे पान खाने के शौकीन थे। नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति को देखकर उनका दुखी होना यह दर्शाता है कि उनके मन में शहीदों और देशभक्तों के प्रति आदर की भावना थी। वे चाहते थे कि नई पीढ़ी में देशप्रेम की भावना और भी प्रबल हो।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब! कैप्टन मर गया।
उत्तर – पानवाला अधिकतर कैप्टन चश्मेवाले का उपहास उड़ाता था। हमें लगता था पानवाले के अंदर देशभक्ति का भाव नहीं है लेकिन जब कैप्टन मर जाता है तब उसके देशप्रेम की झलक मिलती है। वह हालदार को कैप्टन चश्मेवाले की मृत्यु की सूचना देता है तो उसकी आँखें भर आती हैं और वह उदास हो जाता है।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर – कैप्टने भले ही फ़ौजी नहीं था पर वह फ़ौजियों जैसी ही भावना रखता था। कैप्टन में देशभक्ति की भावना है। वह अपने कम साधनों से नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर देशप्रेम का प्रदर्शन करता है और लोगों में देशभक्ति की भावना जगाना चाहता है। उसे बिना चश्मे की नेताजी की मूर्ति पीड़ा देती थी।
7- जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर – जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर कैप्टन का व्यक्तित्व एक फ़ौजी व्यक्ति जैसा रहा होगा। ऐसा फ़ोजी जो लंबा तथा मजबूत कद-काठी वाला दिखता होगा। उसका चेहरा रोबीला और घनी मूंछों वाला होगा। वह अवश्य ही नेताजी की फ़ौज का सिपाही रहा होगा।
8- कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
उत्तर – किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का उद्देश्य सजावटी न होकर निम्न हो सकता है-
- लोगों को उनके कार्यों के बारे में बताना तथा प्रेरित करना।
- लोगों में अच्छे कार्य करने की रुचि उत्पन्न करना।
- युवा पीढ़ी को उनके पदचिह्नो पर चलने के प्रेरित करना।
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर – मैं अपने इलाके के चौराहे पर भगत सिंह की मूर्ति स्थापित करवाना चाहूँगा ताकि लोगों को अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिले। युववर्ग अपनी मातृभूमि पर आंच न आने दें। देश कभी फिर से गुलाम न हो सके।
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर – किसी समाज सेवी या अन्य उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति की प्रतिमा के प्रति हमारा एवं दूसरे लोगों का यह उत्तरदायित्व होना चाहिए कि
- हम उस प्रतिमा की नियमित साफ़-सफ़ाई करें।
- वहाँ समय-समय पर ऐसा आयोजन करें कि लोग वहाँ एकत्र होकर उस व्यक्ति के कार्यों से परिचित हों।
- हमें मूर्ति के प्रति सम्मान भाव बनाए रखना चाहिए।
9- सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर – यह बात बिलकुल सत्य है कि सीमा पर तैनात फ़ौजी विशिष्ट रूप में देशप्रेम का परिचय देते हैं। उनका देशप्रेम अत्यंत उच्चकोटि का होता है। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं जैसे- सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, वृक्ष लगाकर बढ़ते प्रदूषण को रोकने में मदद करना, अपने आसपास की सफ़ाई रखना, वर्षा जल का संरक्षण करना, पानी के स्रोतों को दूषित होने से बचाना, बिजली की बचत करना, कूड़ा इधर-उधर न फेंकना, तोड़-फोड़ न करना, लोगों के साथ मिल-जुलकर रहना शहीदों एवं देशभक्तों के प्रति सम्मान रखना आदि।
10- निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
उत्तर – मान लीजिए कोई ग्राहक आ गया। उसे चौड़ा फ्रेम चाहिए। तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्तिवाला फ्रेम दे देता है और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा देता है।
11- ‘भई खूब! क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर – इस वाक्य में ‘आइडिया’ शब्द अँग्रेजी भाषा का है। जब एक भाषा के शब्द ज्यों के त्यों दूसरी भाषा में आते हैं तो इससे भाषा सरल, सहज और बोधगम्य बनती है। ऐसी भाषा अधिक से अधिक लोगों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है तो कुछ ही समय में ये शब्द उसी भाषा के बन जाते हैं।
भाषा-अध्ययन
12- निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-
(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।
उत्तर – निपात – भी
वाक्य – तुमने भी यह काम नहीं क्या।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
उत्तर – निपात – ही
वाक्य – सही अवसर देखकर ही छात्र ने अध्यापक से प्रश्न पूछा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
उत्तर – निपात – तो
वाक्य – जंगल में शेर की गुफा तो थी लेकिन शेर नहीं दिखा।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
उत्तर – निपात – अब भी
वाक्य – इस साल का परिणाम देखकर अब भी तुम्हारी आँखें नहीं खुली तो कब खुलेंगी।
(घ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।
उत्तर – निपात – तक
वाक्य – कभी-कभी हमें सच के रास्ते पर वर्षो तक इंतजार करना पड़ता है।
13- निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-
(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
उत्तर – उसके द्वारा उसकी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
उत्तर – पानवाले द्वारा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।
उत्तर – पानवाले द्वारा साफ़ बता दिया गया था।
(घ) ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे।
उत्तर – ड्राइवर द्वारा ज़ोर से ब्रेक मारे गए।
(घ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
उत्तर – नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग कर दिया गया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर – हालदार साहब द्वारा चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।
14- नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए-
जैसे-अब चलते हैं। -अब चला जाए।
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
भाववाच्य – माँ से बैठा नहीं जाता।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
भाववाच्य – मुझसे देखा नहीं जाता।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
भाववाच्य – चलो, अब सोया जाए।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
भाववाच्य – माँ से रोया भी नहीं जाता।
टेस्ट/क्विज
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