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उसकी माँ (पाठ का सार)
शब्दार्थ :- पुश्त – पीढ़ी। फ़रमाबरदार – आज्ञाकारी, सेवक। पाजीपन – बदमाशी। दुरवस्था – बुरी हालत। हँसोड़ – हँसमुख प्रवृत्ति का। नीति-मर्दक कानून – नीति को मिटाने वाला, नष्ट करने वाला कानून। बंगड़ – शरारती। ब्यालू – रात का भोजन। बाल अरुण – सुबह-सुबह का सूर्य (लालिमायुक्त)।
उग्र जी प्रेमचंदयुगीन कहानीकार हैं इसलिए उस समय की मुख्य प्रवृत्ति – समाज सुधार इनकी कहानियों में भी मौजूद है। उसकी माँ कहानी देश की दुरवस्था से चितित युवा पीढ़ी के विद्रोह को नए रूप में प्रस्तुत करती है। यह युवा पीढ़ी देश की दुरवस्था का जिम्मेदार शासन-तंत्र को मानती है तथा इस शासन-तंत्र को उखाड़ फेंकना चाहती है। दुष्ट, व्यक्ति-नाशक राष्ट्र के सर्वनाश में अपना योगदान ही इस पीढ़ी का सपना है। यथार्थ के तूफ़ानों से बेपरवाह यह पीढ़ी जानती है कि नष्ट हो जाना तो यहाँ का नियम है। जो सँवारा गया है, वह बिगड़ेगा ही। हमें दुर्बलता के डर से अपना काम नहीं रोकना चाहिए। कर्म के समय हमारी भुजाएँ दुर्बल नहीं, भगवान की सहड्ड भुजाओं की सखियाँ हैं। नयी पीढ़ी का यह विद्रोही स्वर जहाँ राजसत्ता से विद्रोह की मशाल लिए खड़ा है, वहीं पूर्ववर्ती पीढ़ी का बुद्धिजीवी समाज अपनी सुविधा के लिए राजसत्ता के तलवे चाटने को तैयार है। इन दोनों के बीच खड़ी है एक माँ, जो अपना बेटा चाहती है, अपना लाल और उसकी खुशहाली। समाज के दो सिरों के बीच खड़ी ममतामयी माँ लाख कोशिशों के बावजूद व्यवस्था की चक्की से अपने बेटे को बचा नहीं पाती। पूरी कथा में व्याप्त तत्कालीन जनमानस, स्वाधीनता आंदोलन तथा माँ की ममता का सजीव चित्रण पाठक को उद्वेलित करता है।
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उसकी माँ (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न :- क्या लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षड्यंत्रकारी था?
उत्तर :- यह कहानी गुलामी की जंजीरों में जकड़े भारत को आजाद कराने की इच्छा रखने वाले युवक की है। लाल देशभक्त, क्रांतिकारी युवक था। इसलिए अंग्रेज़ी सरकार उसे राजद्रोही कह सकती है। क्रांतिकारी होने के कारण सरकार उस पर संदेह करती थी। लेकिन उसने कभी देश के विरुद्ध षड्यंत्र नहीं किया था। उसके क्रांतिकारी कदमों को रोकने के लिए अंग्रेज़ी सरकार उसे फँसाना चाहती थी। अतः हम उसे षड्यंत्रकारी नहीं कह सकते हैं।
प्रश्न :- पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, कितु लेखक ने उसे केंद्र में ही नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?
उत्तर :- जानकी किसी भी तंत्र का न तो हिस्सा है, न उसके विरोध में है और न ही समर्थन में। वह केवल लाल की माँ है। उसके लिए उसकी संतान महत्वपूर्ण है। यहाँ लेखक शासन-तंत्र और क्रांतिकारी को नहीं दिखाना चाहता है। वह एक माँ के निस्वार्थ प्रेम को दिखाना चाहता है। जो उसे सबसे अलग बना देता है। अतः यह कहानी लाल से आरंभ तो अवश्य होती है लेकिन इसका केंद्र उसकी माँ ही रहती है। इसीलिए लेखक ने उसे कहानी का शीर्षक बना दिया।
प्रश्न :- चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है कितु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है?
उत्तर :- किसी आम आदमी की तरह चाचा को देश तथा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। वह आराम से रह रहता है। उसे देश की गुलामी और आजादी से कोई मतलब नहीं है। वह पड़ोसी होने के कारण ही लाल तथा जानकी के प्रति सहानुभूति रखता है। वह जनता है कि लाल को पुलिस ने बिना कारण के पकड़ा है। उसे लगता है कि लाल तथा उसकी माँ की प्रत्यक्ष रूप से मदद पर सरकार उसे भी पकड़ सकती है। वह स्वयं तथा अपने परिवार को सरकार के प्रकोप से बचाना चाहता है।
प्रश्न :- इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नजर में कौन सही है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर :- हमारी नज़र में लाल सही है क्योंकि लाल अपने देश से प्रेम करता है। यह लग सकता है कि लाल अपनी माँ के प्रति ज़िम्मेदार नहीं था। लेकिन ध्यान से देखें तो यदि सभी चाचा जैसे हो जाते, तो देश अब तक गुलाम रहता। लाल जैसे हजारों क्रांतिकारियों की कुर्बानी से ही हम आज़ाद देश में रह रहे हैं जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
प्रश्न :- उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ़ माँ नहीं भारतमाता है? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :- लाल के मित्रों में से एक कहता है – “माँ! तू तो ठीक भारत माता-सी लगती है। तू बूढ़ी, वह बूढ़ी। उसका उजला हिमालय है, तेरे केश। हाँ, नक्शे से साबित करता हूँ—तू भारत माता है। सिर तेरा हिमालय—माथे की दोनों गहरी बड़ी रेखाएँ गंगा और यमुना, यह नाक विंध्याचल, ठोढ़ी कन्याकुमारी तथा छोटी बड़ी झुरियाँ रेखाएँ भिन्न-भिन्न पहाड़ और नदियाँ हैं। जरा पास आ मेरे! तेरे केशों को पीछे से आगे बाएँ कंधे पर लहरा दूँ, वह बर्मा बन जाएगा।”
कहानी के आधार पर जानकी के चरित्र में निम्न विशेषताएँ मिलती हैं-
- सीधी-साधी स्त्री – उसे सरकार या तत्र से कोई लेना-देना नहीं है। उसे अपने बच्चों की चिंता है।
- वात्सल्य की मूर्ति – वह अपने बेटे लाल के साथ-साथ उसके मित्रों को भी अपने बच्चों जैसा प्यार करती है। बच्चों की मृत्य़ु का सामाचार पाकर स्वयं भी प्राण त्याग देती है।
- त्यागमयी की भावना – वह अपने बेटे लाल और उसके मित्रों के भोजन-पानी की व्यवस्था के लिए अपनी सारी पूंजी खर्च देती है।
- स्वाभिमानी स्त्री – वह किसी मदद माँगे बिना ही अपने बच्चों के लिए वह स्वयं प्रयास करती है। किसी से भी दया की अपेक्षा नहीं रखती है।
प्रश्न :- विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में डालता? इस कथन के आधार पर उस शासन-तंत्र और समाज-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में डालता-इस कथन से उस शासन-तंत्र और समाज-व्यवस्था की कठोरता का अनुमान लगाया जा सकता है-
- उस शासन-तंत्र में कोई नियम-कानून नहीं था। सरकार की नीतियों के विरुद्ध काम करने वाले को भीषण दंड दिया जाता था।
- समाज के लोग शासन-तंत्र से डरते थे।
प्रश्न :- चाचा ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा?
उत्तर :- चाचा को डर था कि यदि पुलिसवाले तलाशी लेने आएँ तो इस किताब को देखकर लाल तथा अन्य क्रांतिकारियों के साथ उसका संबंध जोड़ सकते है। उसे भी ब्रिटिश सरकार का विरोधी मानकर दंड मिल सकता है। इसलिए चाचा ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक की छाती पर से मिटा डालना चाहा।
प्रश्न :- ‘ऐसे दुष्ट, व्यक्ति-नाशक राष्ट्र के सर्वनाश में मेरा भी हाथ हो’ के माध्यम से लाल क्या कहना चाहता है?
उत्तर :- ‘ऐसे दुष्ट, व्यक्ति-नाशक राष्ट्र के सर्वनाश में मेरा भी हाथ हो’ के माध्यम से लाल क्या कहना चाहता है कि हमें निरकुंश शासन का विरोध करना चाहिए। जो सत्ता अपने नागरिकों के हितों के स्थान पर उनका अहित करने लगे हमें उसका विरोध निडरता से करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हमें अपने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े, तो हिचकना नहीं चाहिए।
प्रश्न :- जानकी जैसी भारत माता हमारे बीच बनी रहे, इसके लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के संदर्भ में विचार कीजिए।
प्रश्न :- निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) पुलिसवाले केवल————-धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना है।
उत्तर :- (क) जानकी लड़कों की बातचीत की जानकारी चाचा को देती है। वह बताती है कि
‘पुलिसवाले केवल संदेह पर भले आदमियों के बच्चों को त्रास देते हैं, मारते हैं, सताते हैं। यह अत्याचारी पुलिस की नीचता है। ऐसी नीच शासन-प्रणाली को स्वीकार करना अपने धर्म को, कर्म को, आत्मा को, परमात्मा को भुलाना है। धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना है।’
इसका आशय है कि पुलिस निर्दोष लोगों पर अत्याचार करती थी। स्वाभिमानी व्यक्ति को ऐसे शासन-तंत्र के अत्याचार विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। जो लोग अन्याय के सामने चुप रहते हैं, वे अपने धर्म को, कर्म को, आत्मा को तथा परमात्मा को भी भुला देते हैं। इस तरह वे धीरे-धीरे घुलते हैं तथा आखिर में मिट जाते हैं। गुलामी ऐसे लोगों का भाग्य बन जाता है।
(ख) चाचा जी, नष्ट हो जाना————सहस्र भुजाओं की सखियाँ हैं।
उत्तर :- लाल के इस कथन का आशय है कि जो प्रत्येक प्राणी, वस्तु इस संसार हैं, उन्हें एक दिन समाप्त हो जाना है। जिसे आज हमने बनाया है, वह कल बिगड़ जाएगा। उसे बिगड़ने से कोई रोक नहीं सकता है। हमें अपनी दुर्बलता के डर से कार्य को नहीं रोकना चाहिए। हमें दुर्बलताओं पर विजय पानी चाहिए और बिना डर के कार्य करना चाहिए। जब हम मज़बूत होकर कार्य करते हैं, तो हमारी भुजाएँ भगवान की असंख्य भुजाओं की मित्र के समान बन जाती है अर्थात ईश्वर की शक्ति भी हमारे साथ हो जाती है।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न :- पुलिस के साथ दोस्ती की जानी चाहिए या नहीं? अपनी राय लिखिए।
उत्तर :- निस्वार्थ भाव से दोस्ती किसी से भी की जा सकती है। दोस्ती मनुष्य से की जाती है, उसके पद या धन से नहीं। यदि वह मनुष्य आपके दोस्त बनने का हकदार है, तो हमें दोस्ती अवश्य करनी चाहिए। यदि हम बिना किसी लालच के पुलिस के साथ दोस्ती करते हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं है। इसके साथ-साथ हमें पुलिस का साथ भी देना चाहिए। किसी भी गलत व्यक्ति या घटना की सूचना तुरंत पुलिस को देनी चाहिए।
प्रश्न :- लाल और उसके साथियों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :- लाल और उसके साथियों बिना किसी भय के देश की आज़ादी के लिए कार्य करते हैं। उनसे हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें निरकुंश शासन का विरोध करना चाहिए। जो सत्ता अपने नागरिकों के हितों के स्थान पर उनका अहित करने लगे हमें उसका विरोध निडरता से करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हमें अपने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े, तो हिचकना नहीं चाहिए।
प्रश्न :-‘उसकी माँ’ के आधार पर अपनी माँ के बारे में एक कहानी लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
क्विज/टेस्ट
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