रीतिकाल की अति महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं जो रीतिकालीन लक्षण/लक्ष्य ग्रंथों के प्रमुख आधार ग्रंथ है
कृपाराम | हिततरंगिनी (1541) भरत के नाट्यशास्त्र पर आधारित (रीतिशास्त्र पर प्राप्त सबसे पहला ग्रंथ) |
मोहनलाल मिश्र | श्रंगार सागर (1559 |
भानुदत्त मिश्र | रसमंजरी, रससामग्री, रस तरंगिणी |
जयदेव | चंद्रलोक, रतिमंजरी |
अप्पय दीक्षित | कुवलयानन्द |
विश्वनाथ | साहित्यदर्पण |
भट्टकेदार | वर्णरत्नाकर |
गंगादास | छंदोमंजरी, प्राकृतपैंगलम् |
हाल | गाहा सप्तती |
अमरूक | अमरूकशतक |
गोवर्धन | आर्यासप्तशती |
कालिदास | शृंगारतिलक, घटकपर |
किल्हण | चौरपंचाशिका |
वात्स्यायन | कामसूत्र |
कोक्कन | रतिरहस्य |
कल्याणमल्ल | अनंगरंग |
धनंजय | दशरूपक |
अकबरशाह | शृंगारमंजरी |
रूद्रभट्ट | शृंगारतिलक |
शिंगभूपाल | रवार्णवसुधाकर |
रीतिकाल पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ |
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