अपठित बोध » कक्षा 9 से 10 अपठित पद्यांश

अपठित पद्यांश 1

बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

प्रश्न – कवि क्या मिलाकर चलने को कह रहा है?

कदम

प्रश्न – ‘पीड़ाओं में पलना होगा’ से कवि का क्या अभिप्राय है?

आगे बढ़ने के लिए कष्ट सहने होंगे।

प्रश्न – प्रथम पद में कवि का क्या संदेश देना चाहता है?

घोर विपत्ति आने पर भी आगे बढ़ना

प्रश्न – कविता में किस रस का प्रयोग है?

वीर रस

प्रश्न – ‘घिरें प्रलय की घोर घटाएँ’ में कौन-सा अलंकार है?

अनुप्रास अलंकार

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