भारतीय काव्यशास्त्र » ध्वनि सिद्धान्त

काव्य के प्रकार

(क) ध्वनि-काव्य
(ख) गुणीभूतव्यंग्य-काव्य
(ग) चित्र-काव्य

इनका विवरण निम्न प्रकार है-

(क) ध्वनि-काव्य – वाच्यार्थ से भिन्न अर्थ ध्वनि या व्यंग्यार्थ कहलाता है। ध्वनि-काव्य के पाँच प्रमुख भेद है –
1- अर्थान्तर-संक्रमितवाच्यध्वनिकाव्य
2- अत्यन्त-तिरस्कृत-वाच्य-ध्वनिकाव्य
3- वस्तुध्वनिकाव्य
4- अलंकारध्वनिकाव्य
5- रसध्वनिकाव्य

(ख) गुणीभूतव्यंग्य-काव्य – जहाँ व्यंग्यार्थ वाच्यार्थ की अपेक्षा गौण या समान रूप से चमत्कारक हो, वहाँ गुणीभूतव्यंग्य काव्य होता है। गुणीभूतव्यंग्य-काव्य के आठ भेद निन्म हैं-
1- अगूढ़-व्यंग्य
2- अपरांग-व्यंग्य
3- वाचयासिद्धयंग-व्यंग्य
4- अस्फुट-व्यंग्य
5- संदिग्ध-प्राधान्य -व्यंग्य
6- तुल्य-प्राधान्य-व्यंग्य
7- काक्वाक्षिप्त-व्यंग्य
8- असुन्दर-व्यंग्य

(ग) चित्र-काव्य- जिस काव्य में किसी शब्दगत अलंकार अथवा किसी अर्थगत अलंकार अथवा किसी गुण की वर्णव्यंजकता का चमत्कार इतना अधिक हो कि व्यंग्यार्थ अस्फुट बनकर रह जाए, तो वहाँ चित्रकाव्य माना जाता है।