भारतीय काव्यशास्त्र » शब्दशक्ति

वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द का यथेष्ट अर्थ निर्दिष्ट करने वाली शक्ति को शब्द-शक्ति कहते हैं। इसके तीन भेद हैं – अभिधा, लक्षणा और व्यंजना।
उक्त तीन शक्तियों के अनुसार शब्द के तीन भेद है – वाचक, लक्षक और व्यंजक तथा तीन अर्थ भी है – वाच्यार्थ, लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ।

(क) अभिधा शब्दशक्ति – प्रसिद्ध अर्थ या मुख्यार्थ का बोध कराने वाली शक्ति को अभिधा शब्दशक्ति कहते हैं।

(ख) लक्षणा शब्दशक्ति – मुख्यार्थ के बाधित होने पर, रूढ़ि अथवा प्रयोजन के कारण जिस शक्ति के द्वारा मुख्यार्थ से सम्बद्ध अन्य अर्थ लक्षित हो, उसे लक्षणा शब्दशक्ति कहते हैं। लक्षणा शब्दशक्ति के भेद है – 

लक्षणा शब्दशक्ति
प्रयोजनवती लक्षणा रूढ़ा लक्षणा

 

प्रयोजनवती लक्षणा

गौणी शुद्धा
उपादानलक्षणा लक्षणलक्षणा उपादानलक्षणा लक्षणलक्षणा
सारोपा साध्य

-वसाना

सारोपा साध्य-

वसाना

सारोपा साध्य-

वसाना

सारोपा साध्य-

वसाना

 

व्यंजना शब्दशक्ति – अभिधा और लक्षणा द्वारा अपना-अपना अर्थ ज्ञात करके शांत हो जाने पर जिसके द्वारा अन्य अर्थ की प्रतीति होती है उसे व्यंजना शब्दशक्ति कहते हैं।

व्यंजना शब्दशक्ति के दो भेद है – शाब्दी व्यंजना और आर्थी व्यंजना।

व्यंजना शब्दशक्ति

शाब्दी आर्थी
अभिधामूला लक्षणमूला वक्रित्त वैशिष्ट्य बोद्धव्य वैशिष्ट्य
काकु वैशिष्ट्य वाक्य वैशिष्ट्य
वाच्य वैशिष्ट्य अन्यसन्निधि वैशिष्ट्य
प्रस्ताव (प्रकरण) वैशिष्ट्य देश वैशिष्ट्य
काल वैशिष्ट्य चेष्टा वैशिष्ट्य