मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखने वाला | मुमुक्षु | |
सिर पर धारण करने योग्य | शिरोधार्य | |
आदि से अंत तक | आद्योपांत | |
बालकों से बूढ़ों तक | आबालवृद्ध | |
मृत्यु होने तक | मृत्युपर्यन्त | |
जिसे दण्ड का भय न हो | उद्दण्ड | |
जिसके पास कुछ भी न हो | अकिंचन | |
हृद्य को दुख देने वाला | मर्मान्तक | |
दूसरों के दोष ढॅूंढने वाला | छिद्रान्वेषी (अनसूया) | |
भिन्न जातियों के माता-पिता की संतान | वर्णसंकर | |
जो होकर ही रहेगा | अवश्यम्भावी | |
बिना पलक झपकाए | अपलक, निर्निमेष | |
बुद्धि ही जिसके नेत्र हो | प्रज्ञाचक्षु, अंधा | |
हाथ से लिखी हुइ | हस्तलिखित , पाण्डुलिपि | |
शरण में आया हुआ | शरणागत | |
छुटकारा दिलाने वाला | त्राता | |
जो अभी-अभी पैदा हुआ हो | नवजात | |
एक दूसरे पर आश्रित | अन्योन्याश्रित | |
जिसकी हजार बाहें हों | सहस्रबाहु | |
दो अर्थ देने वाला शब्द | श्लिष्ट, द्विअर्थी | |
अपने चारों ओर चक्कर काटना | परिभ्रमण | |
किसी भाषा के ग्रंथों का समूह | वाड्-मय (साहित्य) | |
मरने के निकट | मरणासन्न, मुमूर्षु | |
एक-एक अक्षर के अनुसार | अक्षरशः | |
जल में लगने वाली आग | बडवानल, बडवाग्नि | |
वन में लगने वाली आग | दावानल, दावाग्नि | |
दीवारों पर बने हुए चित्र | भित्तिचित्र | |
जो एक स्थान पर टिककर न रहे | यायावर, खानाबदोश | |
युद्ध की इच्छा रखने वाला | युयुत्सु | |
रात का दिखाई न देने का रोग | रतौंधी | |
खाल (त्वचा) का रोग | स्कर्वी | |
बाल्यावस्था व युवावस्था के बीच का समय | वयःसंधि | |
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का | स्वातं=योत्तर | |
सूचित किया हुआ | विज्ञप्त | |
एक बात का बार-बार दोहराना | पिष्ट पेषण | |
जो स्वयं पैदा हुआ हो | स्वयंभू | |
अंदर की बात जानने वाला | अंतर्यामी | |
जो पूछने योग्य हो | पृष्टव्य | |
प्रमाण द्वारा सिद्ध करने योग्य | प्रमेय | |
रात का भोजन | ब्यालू या रात्रिभोज | |
जिसकी आँखें मगर जैसी हो | मकराक्ष | |
जिस स्त्री की आँखें मछ्ली के समान हों | मीनाक्षी | |
जिस पुरुष की आँखें मछ्ली के समान हों | मीनाक्ष | |
हरिण के नेत्रों सी आँखों वाली | मृगनयनी | |
सृजन करने की इछाह | सिसृक्षा | |
खुले हाथ से दान देने वाला | मुक्तहस्त | |
माता की हत्या करने वाला | मातृहंता | |
जिसने मृत्यु को जीत लिया हो | मृत्युंजय | |
वह कन्या जिसका विवाह करने का वचन दे दिया गया हो | वाग्दत्ता | |
व्याकरण का ज्ञाता | वेयाकरण | |
सब कुछ पाने वाला | सर्वलब्ध | |
जो भोजन रोगी के लिए उचित हो | पथ्य | |
जो भोजन रोगी के लिए निषिद्ध हो | अपथ्य | |
अविवाहित महिला | अनूठा | |
वह स्त्री जिसके पति ने दूसरी शादी कर ली हो | अध्यूढ़ा | |
वह स्त्री जिसका पति परदेश से लौटा हो | आगतपतिका | |
वह स्त्री जिसका पति रात को अन्य स्त्री के साथ रहकर प्रातः लौटे | खंडिता | |
वह स्त्री जिसका पति दूर स्थान पर गया हो | प्रोषितपतिका | |
वह स्त्री जिसके हाल ही शिशु उत्पन्न हुआ हो | प्रसूता | |
पति द्वारा छोड़ दी गयी पत्नी | परित्यक्ता | |
जिस स्त्री का विवाह अभी हुआ हो | नवोढ़ा | |
जीतने या दमन करने की इच्छआ | जिगीषा | |
किसी को मारने की इछा | जिघांसा | |
भोजन करने की ईछाह | जिघत्सा बुभुक्षा | |
ग्रहण करने या पकड़ने की इछा | जिघृक्षा | |
जिंदा रहने या जीने की ईछाह | जिजीविषा | |
तैर कर पार करने या तर जाने की ईछाह | तितिर्षा | |
सांसारिक वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा | आशना | |
जिसे खरीद या मोल ले लिया गया हो | क्रीत | |
पर्वत के नीचे तलहटी की भूमि | उपत्यका | |
जो सपना दिन में देखा जाये | दिवास्वप्न | |
जिसे कठिनाई से जाना जा सके | दुर्ज्ञेय | |
जो कठिनाई से समझ में आता हो | दुर्बोध | |
अर्ध रात्रि का समय | निशीथ | |
आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लेने वाला | नेष्ठिक | |
नाटक का पर्दा गिरना | पटाक्षेप | |
रंगमंच का पर्दा | यवनिका | |
जो उत्तर न दे सके | निरुत्तर | |
केवल दूध पर जीवित रहने वाला | पयोहारी | |
शरणागत की रक्षा करने वाला | प्रणतपाल | |
एक बार कही हुई बात को दोहराते रहना | पिष्टपेषण | |
सब कुछ पाने वाला | सर्वलब्ध | |
जो गुप्त रूप से निवास करता हो | छ्द्यवासी | |
दिन ओर रात के बीच का समय | गोधूलि बेला | |
जिसका अर्थ स्वयं ही सिद्ध है | सिद्धार्थ | |
वह व्यक्ति जिसका ज्ञान अपने ही स्थान तक सीमित है | कूपमंडूक | |
भोजन करने के बाद का बचा हुआ अन्न /जूठन | उच्छिष्ट | |
जिसे सूंघा न जा सके | आघ्रेय | |
वह कवि जो तत्काल कविता लिख सके | आशुकवि | |
जो मापा न जा सके | अपरिमेय | |
किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा | अभीप्सा | |
आवश्यकता से अधिक धन का ग्रहण न करना | अपरिग्रह | |
मार्ग में खाने के लिए भोजन | पाथेय | |
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