व्याकरण » संज्ञा

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किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, अवस्था या भाव का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं। जैसे – श्याम, पुस्तक, भारत, क्रोध आदि। संज्ञा के तीन भेद होते हैं –

1- व्यक्तिवाचक संज्ञा –  जिन शब्दों से किसी विशेष वस्तु, स्थान या प्राणी का बोध होता है। जैसे – रमेश, दिल्ली, रामायण आदि।

2- जातिवाचक संज्ञा – जिन शब्दों से वस्तु, प्राणी आदि की संपूर्ण जाति का बोध होता है। जैसे – लड़का, शहर, पुस्तक आदि। जातिवाचक संज्ञा के दो उपभेद है-

समूहवाचक संज्ञा  द्रव्यवाचक संज्ञा
कक्षा, टीम, दल, सेना, गिरोह रूई, चावल, ऊन, दूध

3- भाववाचक संज्ञा – जिन शब्दों से किसी गुण, भाव, दशा, कार्य आदि का बोध हो। इनका हम अनुभव कर सकते हैं किंतु छू नहीं सकते है। जैसे – एकता, बुढ़ापा, दुःख, हॅंसी, आनंद, पढ़ाई आदि।

 

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग

(क) नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।     (नेहरू जातिवाचक होते हुए भी व्यक्तिवाचक है)

(ख) नेताजी के बलिदान को भूला नहीं जा सकता। (नेताजी जातिवाचक होते हुए भी व्यक्तिवाचक है)

 

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक के रूप में प्रयोग

(क) आज भी भारत में सीता-सावित्रियों की कमी नहीं है।

(ख) जयचंदों के कारण ही भारत पराधीन हुआ।

(ग) वह तो विभीषण निकला, अपनो को धोखा दे दिया।

 

विशेषण का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग 

 

(जब भी विशेषण का प्रयोग बिना विशेष्य के होगा तब वह जातिवाचक संज्ञा बन जाएगा।)

(क) बड़ों का सम्मान करो।

(ख) गरीबों की सहायता करो।

(ग) झूठों पर विश्वास मत करो।

(बड़ा, गरीब, झूठ विशेषण होते हुए भी जातिवाचक संज्ञा क रूप में)

 

भाववाचक संज्ञा की रचना

(क) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा

    मानवता, लड़कपन, व्यक्तित्व, मित्रता, पशुता, स्त्रीत्व, इंसानियत, पौरुष, मैत्री आदि।

(ख) विशेषण से भाववाचक संज्ञा

     सुंदरता, माधुर्य, लाघव, भलाई, मिठास, बड़प्पन, अच्छाई, मोटापा, लम्बाई, कटुता आदि।

(ग) क्रिया से भाववाचक संज्ञा

    चाल, पढ़ाई, चढ़ाई, कमाई, उतार, हॅंसी, लड़ाई, चढ़ाव आदि।

(घ) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा

   निजता, अहंकार, सर्वस्व, अपनत्व, परायापन, ममता, ममत्व, स्वत्व, निजत्व आदि।

(ड-) क्रियार्थक संज्ञा

    प्रातः पढ़ना  अच्छा है।

   टहलना  स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

 

शब्दों से भाववाचक संज्ञा का रूप प्रदान करना
अराजक अराजकता
अंकित अंकन
अतिथि आतिथ्य
अमर अमरता
आवश्यक आवश्यकता
इतिहास ऐतिहासिकता
ईमानदार ईमानदारी
ईर्ष्यालु ईर्ष्या
ईश्वर ऐश्वर्य
उदार उदारता, औदार्य
उपस्थित उपस्थिति
ऊँचा ऊँचाई
एक एकत्व
एक एकता
कुलीन कुलीनता
कुशल कुशलता
कृषक कृषि
कवि  कवित्व
कृपण कृपणता
कृत कृतज्ञता
कुरूप कुरूपता
कठोर कठोरता
कड़वा कड़वाहट
कृत्रिम कृत्रिमता
कायर कारयता
ख्यात  ख्याति
खुश खुशी
खट्टा खटास, खटाई
गहरा गहराई
गंभीर गांभीर्य
 गँवार गँवारपन
गुरु गौरव, गुरुत्व
गोल   गोलाई
गंभीर गंभीरता
गरम गरमी
चोर चोरी 
चालाक चालाकी
चाटुकार चाटुकारिता
छोटा   छोटापन, छुटपन 
जातीय जातीयता
जिज्ञासु जिज्ञासा
जटिल जटिलता
ठाकुर ठकुराई
ढीठ ढिठाई
डाकू  डकैती
तपस्वी  तप
दुष्ट दुष्टता 
दीन दीनता
देव देवत्व
दानव दानवता
धीर  धीरता (धैर्य)
धार्मिक धार्मिकता
नारी नारीत्व
नगर नागरिकता
निर्भय निर्भयता
नीचा निचाई
नम्र  नम्रता
नेक नेकी
नवाब नवाबी
पुराण पौराणिकता
पशु  पशुता
प्रगतिशील प्रगतिशीलता
पुरुष  पुरुषत्व
प्यासा प्यास
प्रतिकूल प्रतिकूलता
पागल पागलपन
प्रभु प्रभुता, प्रभुत्व
परिश्रमी परिश्रम
पराजित पराजय
पण्डित पाण्डित्य
प्राचीन प्राचीनता
फकीर फकीरी
 बूढ़ा बुढ़ापा
बुरा बुराई
बंधु बंधुता
बेईमान बेईमानी
 बालक बालकपन 
बहुत बहुतायत
बंधु बंधुत्व
बहुत बहुलता
भक्त भक्ति
भीत भीति
भाई भाईचारा
भ्राता भातृत्व
भावुक भावुकता
भिक्षु भिक्षा
मानव मानवता
मुखर मुखरता
मांस मांसलता
मीठा मिठास
 मनुज मनुजता
 मधुर  मधुरता, माधुर्य  
मूक मूकता
मूर्ख मूर्खता
मौलिक मौलिकता
मित्र मित्रता
माता मातृत्व
मोटा    मोटापा
मलिन मलिनता
युवक यौवन
 युवा यौवन
रंग  रंगत
राजा राज्य
राजनीतिक राजनीतिकता 
लौकिक लौकिकता
लुटेरा  लूट
लाल लाली
लंबा लंबाई
वीर वीरत्व, वीरता
विद्वान विद्वता
विषम विषमता, वैषम्य
विस्मृत  विस्मृति
वकील वकालत
विधवा  वैधव्य
शत्रु शत्रुता
शिष्य शिष्यत्व
शूर शूरता
शुद्ध शुद्धता, शुद्धि 
शिशु शैशव, शिशुता
शिशु शिशुत्व
शिक्षक शिक्षा
संस्कार संस्कृति
सम्पन्न सम्पन्नता 
सुंदर सुंदरता, सौंदर्य
सभ्य  सभ्यता
स्वीकृत स्वीकृति
संबद्ध संबद्धता
सुखद  सुख
सदृश सादृश्यता
सरल सरलता
साधु साधुता
सम समता, साम्य
सुगम सुगमता
सहायक सहायता
स्पष्ट  स्पष्टता
समीप सामीप्य
सिद्ध सिद्धि
सेवक सेवकत्व
सृजन सृजनता
स्वामी स्वामित्व
स्त्री  स्त्रीत्व 
समाज सामाजिकता
स्वाधीन स्वाधीता
सबल सबलता
संयुक्त संयोग
हरा हरियाली
हिंदू   हिदुत्व
हिंसक हिंसा 

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