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जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर उसका संबंध उसी वाक्य के अन्य संज्ञा या सर्वनाम से बताते हैं, संबंध बोधक कहलाते हैं। जैसे – से पहले, के बाद, के ऊपर, के भीतर, की ओर, की तरफ, के कारण, की वजह से, की खातिर, के लिए, से लेकर, तक, पर्यंत, के विरूद्ध, के अनुसार इसके उदाहरण हैं।
राम के आगे मैं खड़ा हूँ |
मैं गोपाल के बिना नहीं जाऊँगा |
मेरे आगे राम खड़ा है |
प्रयोग के आधार पर | विभक्ति सहित |
विभक्ति रहित | |
उभयविधि | |
अर्थ के आधार पर | कालवाचक |
स्थानवाचक | |
दिशावाचक | |
साधनवाचक | |
कारणवाचक | |
सादृश्यवाचक | |
विरोधवाचक | |
सीमावाचक | |
व्युत्पत्ति या रूप के आधार पर | मूल |
यौगिक |
प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक
(क) विभक्ति सहित
जिन अव्यय शब्दों का प्रयोग कारक विभक्तियों ( ने , को , से ) के साथ होता है ; उन्हें विभक्ति सहित संबंधबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे – यथा , पास , लिए आदि |
उदाहरण-
- राम के घर के पास मेरा घर है |
(ख) विभक्ति रहित
जिन अव्यय शब्दों का प्रयोग बिना कारक विभक्तियों के होता है ; उन्हें विभक्ति रहित संबंधबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे – रहित , सहित आदि |
उदाहरण-
- वह परिवार सहित विवाह में आया था |
(ग) उभयविधि
जिस अव्यय का प्रयोग विभक्ति सहित और विभक्ति रहित दोनों प्रकार से होता है, उसे उभयविधि संबंधबोधक अव्यय कहते हैं ; जैसे – द्वारा, बिना आदि |
उदाहरण-
- यह पत्र मीरा के द्वारा लिखा गया है |
- यह पत्र मीरा द्वारा लिखा गया है |
अर्थ के आधार पर संबंधबोधक
(क) कालवाचक संबंध बोधक
जिन अव्यय शब्दों से ‘समय’ का बोध होता है ,उन्हें ‘कालवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – आगे , पीछे, बाद में, पश्चात्, उपरान्त इत्यादि।
उदाहरण-
- राम के बाद कोई अवतार नहीं हुआ।
(ख) स्थानवाचक संबंध बोधक
जिन अव्यय शब्दों से ‘स्थान’ का बोध होता है ,उन्हें ‘स्थानवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – आगे , पीछे , सामने , निकट, भीतर इत्यादि।
उदाहरण-
- मेरे घर के सामने बगीचा है।
(ग) दिशावाचक संबंध बोधक
जिन अव्यय शब्दों से किसी ‘दिशा’ का बोध होता है ,उन्हें ‘दिशावाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – ओर , तरफ , प्रति इत्यादि।
उदाहरण-
- परिवार की तरफ देखो कि कितने भले हैं।
(घ) साधनवाचक संबंध बोधक
जिन अव्यय शब्दों से किसी ‘साधन’ का बोध होता है ,उन्हें ‘साधनवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – माध्यम, जरिए, द्वारा, सहारे , मार्फत आदि |
उदाहरण-
- वह मित्र के सहारे ही पास हो सकता है।
(ङ) कारणवाचक संबंध बोधक
जिन अव्यय शब्दों से किसी ‘कारण’ का बोध होता है ,उन्हें ‘कारणवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – कारण, हेतु, वास्ते ,निमित्त, खातिर इत्यादि |
उदाहरण-
- रावण अपनी दुष्टता के कारण मारा गया।
(च) सादृश्यवाचक संबंध बोधक
जिन अव्यय शब्दों से ‘समानता’ का बोध होता है ,उन्हें ‘सादृश्यवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – समान , तरह , जैसा, वैसा ही आदि।
उदाहरण-
- मानसी के समान मीरा भी सुंदर है।
(छ) विरोधवाचक संबंध बोधक
जिन अव्यय शब्दों से प्रतिकूलता या विरोध का बोध होता है, उन्हें ‘विरोधवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – विरुद्ध, प्रतिकूल , विपरीत , उल्टा आदि।
उदाहरण-
- आतंकवादी कानून के विरुद्ध लड़ते हैं।
(ज) सीमावाचक संबंधबोधक अव्यय
जिन अव्यय शब्दों से किसी सीमा का पता चलता है, उन्हें सीमावाचक संबंधबोधक अव्यय कहते हैं ; जैसे – तक , पर्यन्त , भर , मात्र आदि।
उदाहरण
- समुद्र पर्यन्त यह पृथ्वी तुम्हारी है।
व्युत्पत्ति या रूप के आधार पर संबंधबोधक
(क) मूल संबंधबोधक अव्यय
जो अव्यय किसी दूसरे शब्द के योग से नहीं बनते अपितु अपने मूलरूप में ही रहते हैं ; उन्हें मूल संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे – बिना , समेत , तक आदि।
(ख) यौगिक संबंधबोधक अव्यय
जो अव्यय संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के योग से बनते हैं, उन्हें यौगिक संबंधबोधक अव्यय कहते हैं ; जैसे – पर्यन्त ( परि + अंत )
संबंधबोधक व क्रियाविशेषण में अंतर
हिंदी में कुछ शब्द ऐसे हैं जिनका प्रयोग क्रियाविशेषण तथा संबंधबोधक दोनों रूपों में किया जाता है ; जैसे – सामने, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर आदि।
ये शब्द किसी क्रिया की विशेषता बताते हैं, तो क्रियाविशेषण कहलाते हैं एवं जब वे दो संज्ञा या सर्वनाम के बीच संबंध का बोध कराते हैं , तो संबंधबोधक कहलाते हैं |
क्रियाविशेषण के रूप में | संबंधबोधक के रूप में | |
आगे | वह आगे चल रहा है। | वह सुरेश से आगे चल रहा है। |
नीचे | राकेश नीचे बैठा है। | राकेश चारपाई के नीचे छिप गया। |
पीछे | वह पीछे आया। | प्रिया दीवार के पीछे खड़ी है। |
ऊपर | श्याम ऊपर सो रहा है। | श्याम छत के ऊपर सो रहा है। |
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