कक्षा 10 » मानवीय करुणा की दिव्य चमक – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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मानवीय करुणा की दिव्य चमक
(पाठ का सार)

शब्दार्थ :- जहरबाद – गैंग्रीन, एक तरह का जहरीला और कष्ट साध्य फोड़ा। आस्था – विश्वास, श्रद्धा। देहरी – दहलीज। पादरी – ईसाई धर्म का पुरोहित या आचार्य।आतुर – अधीर, उत्सुक। निर्लिप्त – आसक्ति रहित, जो लिप्त न हो। आवेश – जोश। लबालब – भरा हुआ। धर्माचार – धर्म का पालन या आचरण। रूपांतर – किसी वस्तु का बदला हुआ रूप। अकाट्य – जो कट न सके, जो बात काटी न जा सके। विरल – कम मिलने वाली। ताबूत – शव या मुरदा ले जाने वाला संदूक या बक्सा। करील – झाड़ी के रूप में उगने वाला एक कँटीला और बिना पत्ते का पौधा। गैरिक वसन – साधुओं द्वारा धारण किए जाने वाले गेरूए वस्त्र। श्रद्धानत – प्रेम और भक्तियुक्त पूज्यभाव।

संस्मरण स्मृतियों से बनता है और स्मृतियों की विश्वसनीयता उसे महत्त्वपूर्ण बनातीहै। फ़ादर कामिल बुल्के पर लिखा सर्वेश्वर का यह संस्मरण इस कसौटी पर खराउतरता है। अपने को भारतीय कहने वाले फ़ादर बुल्के जन्मे तो बेल्जियम (यूरोप) के रैम्सचैपल शहर में जो गिरजों, पादरियों, धर्मगुरुओं और संतों की भूमि कही जाती है परंतु उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया भारत को। फ़ादर बुल्के एक संन्यासी थे परंतु पारंपरिक अर्थ में नहीं। सर्वेश्वर का फ़ादर बुल्के से अंतरंग संबंध था जिसकी झलक हमें इस संस्मरण में मिलती है। लेखक का मानना है कि जब तक रामकथा है, इस विदेशी भारतीय साधु को याद किया जाएगा तथा उन्हें हिदी भाषा और बोलियों के अगाध प्रेम का उदाहरण माना जाएगा।

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मानवीय करुणा की दिव्य चमक
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न – फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

उत्तर – फ़ादर ‘परिमल’ नामक हिंदी साहित्यिक संस्था से जुड़े सदस्यों के साथ घनिष्ठ एवं पारिवारिक संबंध रखते थे। वे उम्र में बड़े होने के कारण आशीर्वचन कहते, दुखी मन को सांत्वना देते जिससे मन को उसी तरह की शांति और सुकून मिलता जैसे थके हारे यात्री को देवदार की शीतल छाया में मिलता है। इसलिए उनकी उपस्थिति देवदार की छाया-सी लगती है।

प्रश्न – फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?

उत्तर – फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग बन चुके थे। 47 वर्षों तक भारत में रहने वाले फ़ादर केवल तीन बार ही अपने परिवार से मिलने बेल्जियम गए। वे भारत को ही अपना देश समझने लगे थे। पहले तो उन्होंने यहाँ रहकर पढ़ाई की फिर डॉण् धीरेंद्र वर्मा के सान्निध्य में रामकथा उत्पत्ति और विकास पर अपना शोध प्रबंध पूरा किया। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश भी तैयार किया।

प्रश्न – पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिदी प्रेम प्रकट होता है?

उत्तर – फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट करने वाले प्रसंग निम्नलिखित हैं

  • फ़ादर बुल्के ने कोलकाता से बी०ए० करने के बाद हिंदी में एम०ए० इलाहाबाद से किया।
  • उन्होंने प्रामाणिक अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश तैयार किया।
  • मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक “ब्लू बर्ड” का हिंदी में “नील पंछी” नाम से रूपांतरण किया।
  • इलाहाबाद विश्वविद्यालय से “रामकथा-उत्पत्ति एवं विकास” पर शोध प्रबंध लिखा।
  • परिमल नामक हिंदी साहित्यिक संस्था के सदस्य बने।
  • वे हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलवाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे।

प्रश्न – इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – फ़ादर कामिल बुल्के की छवि संकल्प से संन्यासी जैसे व्यक्ति की उभरती है। उनका लंबा शरीर ईसाइयों के सफ़ेद चोंगे में हुँका रहता था। उनका रंग गोरा था तथा चेहरे पर सफ़ेद भूरी दाढ़ी थी। उनकी आँखें नीली थीं। वे पारिवारिक जलसों में पुरोहित या बड़े भाई की तरह उपस्थित होकर आशीर्वादों से भर देते थे, जिससे मन को अद्भुत शांति मिलती थी। उस समय उनकी छवि देवदार के विशाल वृक्ष जैसी होती थी।

प्रश्न – लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करफ़णा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?

उत्तर – लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा है क्योंकि फ़ादर भले मन वाले वह व्यक्ति थे जिनकी मन में दूसरों के लिए प्यार, अपनत्व और ममता भरी थी। वह लोभ, क्रोध से कोसों दूर थे। वे अपने परिचितों के लिए स्नेह और ममता रखते थे। वे दूसरों के दुख में सदैव शामिल होते थे और अपने सांत्वना भरे शब्दों से उसका दुख हर लेते थे। लेखक को अपनी पत्नी और बच्चे की मृत्यु पर फ़ादर के सांत्वना भरे शब्दों से शांति मिली थी।

प्रश्न – फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

उत्तर – परंपरागत रूप से संन्यासी एक अलग छवि लेकर जीते हैं। उनका विशेष पहनावा होता है। वे सांसारिकता से दूर होकर एकांत में जीवन बिताते हैं। उन्हें मानवीय संबंधों और मोह-माया से कुछ लेना-देना नहीं होता है। वे लोगों के सुख-दुख से तटस्थ रहते हैं और ईश वंदना में समय बिताते हैं।

फ़ादर बुल्के परंपरागत संन्यासियों से भिन्न थे। वे मन के नहीं संकल्प के संन्यासी थे। वे एक बार संबंध बनाकर तोड़ना नहीं जानते थे। वे लोगों से अत्यंत आत्मीयता से मिलते थे। वे अपने परिचितों के दुख-सुख में शामिल होते थे और देवदारु वृक्ष की सी शीतलता से भर देते थे। इस तरह उन्होंने परंपरागत संन्यासी से हटकर अलग छवि प्रस्तुत की।

प्रश्न – आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।

उत्तर – आशय यह है कि फ़ादर की मृत्यु पर अनेक साहित्यकारए हिंदी प्रेमीए ईसाई धर्मानुयायी एवं अन्य लोग इतनी संख्या में उपस्थित होकर शोक संवेदना प्रकट कर रहे थे कि उनकी गणना करना कठिन एवं उनके बारे में लिखना स्याही बर्बाद करने जैसा था अर्थात् उनकी संख्या अनगिनत थी।

(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।

उत्तर – आशय यह है कि फ़ादर को याद करते ही उनका करुणामय, शांत एवं गंभीर व्यक्तित्व हमारे सामने आ जाता है। उनकी याद हमारे उदास मन को विचित्र-सी उदासी एवं शांति से भर देती है। ऐसा लगता है जैसे हम एक उदास-सा संगीत सुन रहे हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न – मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।

भारत मेरा देश

भारत मेरा देश है और मुझे इस पर गर्व है। भारत यह दुनिया का सातवाँ सबसे विशाल देश है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक और घनी आबादी वाला देश है। भारत को इंडिया, हिंदुस्तान भी कहा जाता है। प्राचीन समय में इसे आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता था। हमारे देश की राजधानी दिल्ली है। भारत में 29 राज्य है और सभी राज्यों की अपनी विशेष भाषा है और फिर भी हम सब भारतवासी एक सूत्र में बंधे हुए है। पौराणिक दंतकथाओं को माना जाए तो हमारे देश का नाम प्राचीन हिन्दू राजा भरत के नाम पर पड़ा था। भारत की हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता आज भी विश्व प्रसिद्ध है। देश की मिटटी और उसकी सुगंध के एहसास को ब्यान नहीं किया जा सकता है।

भारत का भूगोल : भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। हमारे देश के ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर को भारतीय संविधान का पिता कहा जाता है। संविधान सभा के 389 सदस्यों ने देश से संबंधित सभी मुद्दों पर विस्तार से जांच करने के लिए समितियों का गठन किया था। हमारे देश के संविधान ने प्रत्येक देशवासी को बराबर के अधिकार दिए है। हमारा देश लोकतांत्रिक देश हैए यहाँ प्रत्येक नागरिक को अपने विचारो को रखने का अधिकार है। भारत के पड़ोसी देश के नाम पाकिस्तान, नेपाल, बर्मा, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया और श्रीलंका है।

भारत की संस्कृति : भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि सभी धर्मों के लोगो को समान मान्यता प्रदान की जाती है। हमारे देश की संस्कृति और गहन इतिहास पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ के ऐतिहासिक स्मारकए इमारतों की वास्तुकलाए जन जीवन का दशकों और उसे भी पुराना इतिहास पर्यटको को सम्मोहित कर देते है। भारत अपनी पीढ़ियों से चली आ रही संस्कृति और परम्पराओ को संजोह कर रखना वाला देश है। रामायण, महाभारत और भगवतगीता जैसे साहित्य और उसके मूल्य हमे ज़िन्दगी के पथ पर चलना और सही -गलत में फर्क करना सिखाते है।

भारत की ऋतुएँ : भारत में विभिन्न ऋतु का आगमन सबको देखने मिलता है। प्रत्येक ऋतू का अपना अलग महत्व होता है। भारत अपने सुन्दरता और मन को छू लेने वाले हिमालय पर्वत के लिए जाना जाता है। यह सर्वोच्च ऊंचा पर्वत है। यहां हमेशा बर्फ़-बारी होती है। हिमालय पर्वत देश को अनेक प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं से बचाता है और देश को सुरक्षा प्रदान करता है। भारत में गंगाए यमुनाए नर्मदाए ताप्ती ए गोदावरी और कृष्णा जैसी विशाल नदियाँ बहती है। यह सभी नदियाँ कृषि की सिंचाई और उपज की दृषिकोण से महत्वपूर्ण है। लेकिन बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण नदियाँ बुरी तरीके से प्रभावित हो रही है। नदियों का संरक्षण बेहद ज़रूरी है।

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक : का राष्ट्रीय पशु बाघ हैए राष्ट्रीय पक्षी मोर है। राष्ट्रीय फूल कमल हैए राष्ट्रीय फल आम है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हैए केसरियाए सफेद और हरा रंग के साथ अशोक चक्र है। भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मनज् जिसे रबिन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा था। राष्ट्रगान के बैगर कोई समारोह समाप्त नहीं होता। बंकिमचंद्र चटर्जी ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरमज् लिखा था। देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी है लेकिन अधिकाँश लोग क्रिकेट को ज़्यादा पसंद करते है। अशोक स्तंभ भारत का राष्ट्रिय चिन्ह है।

भारत का स्वाधीनता संघर्ष : महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों का देश हमारा भारत है। हमारे देश को आतंकवादियों से बचाने के लिए भारतीय सैनिक सीमाओं पर हमेशा तैनात रहते हैं। छत्रपति शिवाजी, महात्मा गांधी, नेताजी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर आदि जैसे महान नेता ने देश और देशवासियों को सही मार्ग दिखाया है। अगर यह नहीं होते तो देश को आज़ादी दिलाना मुश्किल हो जाता। ऐसे कई अज्ञात नाम है, जो इतिहास के किताबो में मौजूद नहीं है लेकिन उन्होंने भी देश हित के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी है और हिन्दुस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। अंग्रेज़ो ने लगभग दो सौ वर्षो तक भारत पर राज कियाए भारत को आर्थिक तौर पर लूटा और कमज़ोर किया। भारतीयों पर अत्याचार किये और फुट डालोए राज करो की नीति अपनाकर हिन्दू -मुस्लिम में फुट डालने का प्रयास किया। भारत के ऐतहासिक वीर जिन्होंने देश को स्वतंत्र कराने में अपने प्राणो की बलि चढ़ाईए चंद्रशेखर आज़ादए भगतसिंगए नेताजीए रानी लक्ष्मी बायीं और कई स्वतंत्र सेनानी शामिल है।

विविधता में एकता : भारत के विविध भाषाओं विभिन्न धर्मो के बावजूदए लोग अपने दिलो में प्रेमभावए अपनापन और भाईचारा रखते है। यह अनेकता में एकता का खूबसूरत उदाहरण है। आखिर कार 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ। छब्बीस जनवरी 1950 को भारत एक गणतांत्रिक देश के रूप में उभर कर आया। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की छटवी विशाल अर्थव्यवस्था है और देश की मुद्रा रुपया है।

भारत के पर्यटन स्थल : भारत के प्रत्येक राज्यों में मंत्रमुग्ध कर देने वाले पर्यटन स्थल है, जो आपका मन जीत लेंगे। विश्व में लोकप्रिय इमारत ताजमहल है जिसे शाहजहां ने अपने बीवी मुमताज़ की याद में बनवाया था। भारत एक ऐसा देश है जहाँ ताजमहलए फतेहपुर सीकरीए स्वर्ण मंदिरए कुतुब मीनारए लाल किलाए ऊटीए नीलगिरीए कश्मीर, खजुराहोए अजंता और एलोरा की गुफाएँ आदि प्रसिद्ध इमारत साथ ही उसकी वास्तुकला और नक्काशी मौजूद हैं। यह महान नदियोंए पहाड़ोंए घाटियोंए झीलों और महासागरों का देश है।

भारत के उत्सव : भारत में सभी धर्मो के अनुरूप लोग उत्सव मनाते है। भारत में रंगो का त्यौहार होलीए रोशनी से भरपूर दीपावलीए रक्षा बंधनए भाई -बहनो का त्यौहारए दशहरा ए ईद ए क्रिसमस ए लोहड़ी ए पोंगल सभी तरह के उत्सव लोग मना सकते है। भारत का भोजन दुनिया भर में लोकप्रिय है।

भारत के व्यंजन : सभी राज्यों के अपने-अपने विशेष भोजन होते है जिसका मज़ा हम सब देश वासी उठाते है। सभी राज्यों के अपने लज़्ज़तदार व्यंजन हैए चाहे वह सरसो के साग से लेकर दक्षिण भारत के इडली डोसे तकए सभी लोग इस भोजन का आनंद उठाते है।

निष्कर्ष :  इस देश पर मुझे और सभी देशवासी को नाज़ है। हम अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं और कई देवी -देवताओं की पूजा करते हैं। फिर भी हम सभी भारतीयों की संभावनाएं वही है। इतनी सादगी और अपनापन इस देश से बेहतर हमे और कहीं नहीं मिलेगा। इन विविधताओं के बावजूद हम सब एक है। ठीक उसी प्रकार जैसे एक फूलों की माला मेंए कई प्रकार के फूल होते हैए सबके अपने रंग और विशेष सुगंध है लेकिन एक साथ एकाकृत है। विविधता मेंए हमारे देश की महान एकता बसी हुई है। यह वह देश है जो अपनी विविधताए मजबूत एकताए और शांति के लिए विश्वभर में मशहूर है। सभी देशवासी में देशप्रेम की भावना कूट -कूट कर भरी है। हमे फक्र है अपने हिन्दुस्तान पर।

प्रश्न – आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुि‘यों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।

प्रश्न – निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोधक छाँटकर अलग लिखिए-
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।

समुच्यबोधक – और

(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।

समुच्यबोधक – कि

(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।

समुच्यबोधक – तो

(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।

समुच्यबोधक – जो

(घ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।

समुच्यबोधक – लेकिन


टेस्ट/क्विज

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