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यह दंतुरित मुस्कान (कविता की व्याख्या)
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात—
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
शब्दार्थ :- दंतुरित – बच्चों के नए-नए दाँतो की। धूलि-धूसर – धूल में सने हुए। गात – शरीर। जलजात – कमल का फूल। परस – स्पर्श। पाषाण – पत्थर।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 2 में संकलित कवि ‘नागार्जुन’ की कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है।
प्रसंग :- इस कविता में कवि ने एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देखकर अपने मन के भावों को कविता के रूप में व्यक्त किया है।
व्याख्या :- इस पद्यांश में कवि ने ऐसे छोटे बच्चे की सुंदरता का वर्णन किया है जिसके अभी एक-दो दाँत ही निकले हैं। कवि के अनुसार ऐसे बच्चे की मुसकान देखकर मुर्दे में भी जान आ सकती है। बच्चे का धूल से सना हुआ गात ऐसा लग रहा है जैसे कमल का फूल तालाब को छोड़कर कवि की झोंपड़ी में खिल गया हो। कवि को लगता है कि बच्चे के स्पर्श को पाकर ही सख्त पत्थर भी पिघलकर पानी बन गया होगा।
विशेष :-
- बाल चित्र का मनोहारी वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- तत्सम् शब्दों के साथ तद्भव शब्दों का सुंदर प्रयोग है
- दृश्य बिम्ब है।
- ‘धूलि-धूसर’, ‘परस पाकर’ में अनुप्रास अलंकार है।
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल?
तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
देखते ही रहोगे अनिमेष!
थक गए हो?
आँख लूँ मैं फेर?
शब्दार्थ :- अनिमेष – बिना पालक झपकाए। आँख लूँ मैं फेर – दूसरी ओर देखना।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 2 में संकलित कवि ‘नागार्जुन’ की कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है।
प्रसंग :- इस कविता में कवि ने एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देखकर अपने मन के भावों को कविता के रूप में व्यक्त किया है।
व्याख्या :- कवि के अनुसार उस बच्चे के निश्छल चेहरे में वह आकर्षण है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल झरने लगते हैं। बच्चा कवि को पहचान नहीं पा रहा है और उसे बिना पालक झपकाए देख रहा है। कवि को लगता है कि वह बच्चा इस तरह लगातार देखते-देखते थक गया होगा। इसलिए कवि उससे आँखें फेर लेने के बारे में पूछता है।
विशेष :-
- बालक की कोमलता का मनोहारी वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- तत्सम् शब्दों के साथ तद्भव शब्दों का सुंदर प्रयोग है
- दृश्य बिम्ब है।
क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
शब्दार्थ :- दंतुरित – बच्चों के नए-नए दाँतो की। प्रवासी – दूसरे स्थान पर रहने वाला। इतर – दूसरा।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 2 में संकलित कवि ‘नागार्जुन’ की कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है।
प्रसंग :- इस कविता में कवि ने एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देखकर अपने मन के भावों को कविता के रूप में व्यक्त किया है।
व्याख्या :- कवि को इस बात का अफसोस नहीं है कि बच्चे से पहली बार में उसकी जान पहचान नहीं हो पाई। लेकिन वह इस बात के लिए उस बच्चे और उसकी माँ को धन्यवाद देता है कि उनके कारण ही कवि को उस बच्चे के सौंदर्य को देखने का अवसर मिला है। कवि उस बच्चे के लिए अजनबी था, परदेसी था। इसलिए वह जनता है कि इसी कारण उस बच्चे की कोई जान पहचान कवि से नहीं है।
विशेष :-
- बालक की कोमलता का मनोहारी वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- तत्सम् शब्दों के साथ तद्भव शब्दों का सुंदर प्रयोग है
- दृश्य बिम्ब है।
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान!
शब्दार्थ :- मधुपर्क – दही, घी, शहद, जल और दूध का योग जो देवता और अतिथि के सामने रखा जाता है। आम लोग इसे पंचामृत कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग बच्चे को जीवन देने वाला आत्मीयता की मिठास से युक्त माँ के प्यार के रूप में हुआ है। कनखी – तिरछी निगाह से देखना। छविमान – सुंदर.
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 2 में संकलित कवि ‘नागार्जुन’ की कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है।
प्रसंग :- इस कविता में कवि ने एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देखकर अपने मन के भावों को कविता के रूप में व्यक्त किया है।
व्याख्या :- कवि स्वयं को अतिथि के रूप में दर्शाता हुआ कहता है कि अतिथि होने के कारण बच्चे का उससे अधिक संपर्क नहीं रहा। बच्चा अपनी माँ की उँगली चूस रहा है तो ऐसा लगता है कि उसकी माँ उसे अमृत का पान करा रही है। बीच-बीच में बच्चा कनखियों से कवि को देखता है। जब दोनों एक दूसरे को देखते हैं तो कवि को उस बच्चे की सुंदर मुसकान की सुंदरता के दर्शन हो जाते हैं।
विशेष :-
- बालक की कोमलता का मनोहारी वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- तत्सम् शब्दों के साथ तद्भव शब्दों का सुंदर प्रयोग है
- दृश्य बिम्ब है।
- ‘आँखें चार’ मुहावरे का प्रयोग है।
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यह दंतुरित मुसकान (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न – बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :- बच्चे की दंतुरित मुस्कान को देखकर कवि मोहित हो जाता है। कवि को लगता है कि मानो कमल के सारे फूल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी के आगे खिल गए हो। यह सब देखकर उसके मन की सारी निराशा और उदासी दूर हो जाती है।
प्रश्न – बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?
उत्तर :- बच्चे की मुस्कान निश्चल, भोली और अबोध होती है। बच्चे की मुस्कान स्वाभाविक होती है। बच्चे की मुस्कान व्यक्ति को मोहित कर लेती है।
बड़े अपनी मुस्कान पर नियंत्रण रख सकते हैं। इसलिए बड़े की मुस्कान स्वार्थी, निश्चल और बनावटी हो सकती है। बड़े व्यक्ति परिस्थिति के अनुसार मुसकाते हैं।
प्रश्न – कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?
उत्तर :- कवि ने बच्चे की भी मुस्कान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया है :-
- कवि को लगता है कि कमल तलाब छोड़कर उसकी झोपड़ी के आगे खिल गए हैं।
- बबूल या बांस शेफालिका के फूलों का नीचे धरती पर गिरना।
- बच्चे का बिना पलकें झपकाए अपरिचित को देखते रहना।
- बच्चे द्वारा तिरछी नजरों से देखना और आंखें चार होने पर अपनी दंतुरित मुस्कान दिखाना।
प्रश्न – भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) छोड़कर तालाब मेरी झाेंपड़ी में खिल रहे जलजात।
उत्तर :- बच्चे का धूल से सना हुआ गात ऐसा लग रहा है जैसे कमल का फूल तालाब को छोड़कर कवि की झोंपड़ी में खिल गया हो।
(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल?
उत्तर :- कवि के अनुसार उस बच्चे के निश्छल चेहरे में वह आकर्षण है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल झरने लगते हैं।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न – मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर :- मुस्कान – जो व्यक्ति प्रसन्न होता है। वह स्वयं तो खुश रहता ही है साथ ही अपनी मुस्कुराहट से दूसरों के मन को भी प्रसन्न कर देता है।
क्रोध – क्रोधी व्यक्ति का मन अशांत होता है। वह कोई भी दुर्व्यवहार करने से पहले जरा भी नहीं हिचहिचाता और दूसरों के मन में भी भय पैदा करना चाहता है।
प्रश्न – दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :- बच्चे की उम्र छह महीने से एक वर्ष के बीच में होगी, क्योंकि इसी उम्र में बच्चों के दाँत निकलना शुरू होते हैं और वे लोगों को पहचानने भी लगते हैं।
प्रश्न – बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- कवि पहली बार बच्चे से मिलता है तो बच्चा उसे लगातार निहारता रहता है। बच्चे की दंतुरित मुसकान कवि के हृदय को प्रसन्नता और उल्लास से भर देती है। कवि को लगता है जैसे कमल के फूल तालाब को छोड़कर उसके झोंपड़ी में खिल उठे हैं। देखते-देखते बच्चा थक न जाए इसीलिए कवि उस बच्चे से आँख फेर लेते हैं
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न – आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न – एन-सी-ई-आर-टी- द्वारा नागार्जुन पर बनाई गई फ़िल्म देखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
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फसल (कविता की व्याख्या)
एक के नहीं,
दो के नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमाः
एक की नहीं,
दो की नहीं,
हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्मः
शब्दार्थ :- ढेर – अनेक। कोटि-कोटि – करोड़ों ।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 2 में संकलित कवि ‘नागार्जुन’ की कविता ‘फसल’ से ली गई है।
प्रसंग :- इस कविता के माध्यम से कवि कहता है कि मानव की मेहनत और प्रकृति दोनों के सहयोग से ही खेतों में फसल लहलहा उठती हैं। मानव और प्रकृति एक दूसरे के पूरक है।
व्याख्या :- इन पंक्तियों में कवि कहता है कि एक या दो नहीं बल्कि अनेक नदियों का पानी अपना जादुई असर दिखाता है तब जाकर फसल पैदा होती हैं। बादलों में अनेक नदियों का पानी होता है और वह अलग-अलग जगह पर बरस जाता है। आगे कवि कहता है कि एक नहीं दो नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों हाथों के अथक परिश्रम का परिणाम होती है फसल। अर्थात करोड़ों किसानों की रात-दिन की मेहनत से फसल उगती हैं। कवि के अनुसार एक या दो नहीं बल्कि हजारों खेतों की उपजाऊ मिट्टी के पोषक तत्व भी इन फसलों के अंदर छुपे हुए हैं।
विशेष :-
- भाषा सहज, सरल, प्रवाहमयी खड़ी बोली है।
- शब्द चयन सर्वथा उचित और सटीक है।
- ‘लाख-लाख’ ‘कोटि-कोटि’ ‘हजार-हजार’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
- तत्सम व तद्भव शब्दावली का प्रयोग देखने को मिलता है।
- प्रसाद गुण सर्वत्र व्याप्त है।
- दृश्य बिंब का सफल प्रयोग हुआ है।
- वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
फसल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
शब्दार्थ :- रूपांतर – बदलाव।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 2 में संकलित कवि ‘नागार्जुन’ की कविता ‘फसल’ से ली गई है।
प्रसंग :- इस कविता के माध्यम से कवि कहता है कि मानव की मेहनत और प्रकृति दोनों के सहयोग से ही खेतों में फसल लहलहा उठती हैं। मानव और प्रकृति एक दूसरे के पूरक है।
व्याख्या :- इन पंक्तियों में कवि कहता है कि नदियों के पानी का जादू फसल के रूप दिखाई देता हैं क्योंकि बिना जल के फसल का होना संभव नहीं है। करोड़ों किसानों की दिन-रात की मेहनत का परिणाम हमें फसल के रूप में मिलता हैं। भूरी, काली व खुशबूदार मिट्टी यानि अलग-अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्वों के रूप में फसल उगती है। कवि के अनुसार सूरज की किरणों का रूपांतर और हवा की थिरकन का नाम ही फसल है। अर्थात सूरज की रोशनी और हवा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर ही पौधे अपनी पत्तियों के द्वारा भोजन बनाते हैं।
विशेष :-
- भाषा सहज, सरल, प्रवाहमयी खड़ी बोली है।
- शब्द चयन सर्वथा उचित और सटीक है।
- तत्सम व तद्भव शब्दावली का प्रयोग देखने को मिलता है।
- प्रसाद गुण सर्वत्र व्याप्त है।
- दृश्य बिंब का सफल प्रयोग हुआ है।
- वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
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फसल (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न – कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर :- कवि के अनुसार फसल करोड़ों किसानों की मेहनत व लगन, नदियों के पानी का जादू, मिट्टी में पाए जाने वाले तत्वों, सूर्य की किरणों तथा हवा का परिणाम है।
प्रश्न – कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर :- फसल उगाने के लिए बहुत आवश्यक हैं – हवा, पानी, मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्व व सूर्य की किरणें।
प्रश्न – फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर :- फसल के फलने-फूलने में एक या दो नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों किसानों के हाथों के स्पर्श की गरिमा विद्यमान होती है। किसान की मेहनत के बिना फसल नहीं हो सकती। कवि कहता है कि मिट्टी, पानी के पोषक तत्व, सूरज की उर्जा भी तभी सार्थक होती है जब किसानों के हाथों का स्पर्श इसे गरिमा प्रदान करता हैं।
प्रश्न – भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर :- कवि के अनुसार सूरज की किरणों का रूपांतर और हवा की थिरकन का नाम ही फसल है। अर्थात सूरज की रोशनी और हवा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर ही पौधे अपनी पत्तियों के द्वारा भोजन बनाते हैं।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न -कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
उत्तर :- प्रकृति में अनेक प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। प्रत्येक प्रकार की मिट्टी मेन भिन्न-भिन्न पोषक तत्त्व होते हैं। यही मिट्टी के गुण-धर्म के आधार पर ही फसल की उत्पत्ति करते हैं।
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
उत्तर :- जनसंख्या बढ़ते के कारण अनाज की माँग भी बढ़ी है। इसलिए खेती पर दबाव बढ़ा है। अधिक फसल के लिए रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग बहुत बढ़ गया है। जो मिट्टी की उर्वरता को भी नष्ट कर रहे हैं।
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
उत्तर :- मिट्टी का गुण-धर्म है – अपने पोषक तत्वो के द्वारा पेड़-पौधों और फसल की उत्पत्ति करना। यदि मिट्टी अपना गुण-धर्म छोड़ देगी तो संसार में सभी तरह का जीवन समाप्त हो जाएगा।
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर :-
- फसलों को उगाने के लिए रसायनिक तत्वों का उपयोग बंद हो।
- अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए जाएँ।
- कारखानों से निकलने वाले जहरीले केमिकल को कम किया जाए।
- प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न – इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न -फसलों के उत्पादन में महिलाओं के योगदान को हमारी अर्थव्यवस्था में महत्त्व क्यों नहीं दिया जाता है? इस बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
टेस्ट/क्विज
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