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संगतकार (कविता की व्याख्या)
मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
शब्दार्थ :- संगतकार – मुख्य गायक का साथ देने वाला सह गायक।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक “क्षितिज भाग- 2″ में संकलित कविता” संगतकार” से लिया गया है। इस कविता के रचयिता “मंगलेश डबराल” हैं।
प्रसंग :- इस कविता में उमंगलेश डबराल ने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है।
व्याख्या :- इन पंक्तियों में कवि कहता है कि जब मुख्य गायक किसी संगीत कार्यक्रम में अपना गायन प्रस्तुत कर रहा होता है तो उसकी भारी व गंभीर आवाज के साथ संगतकार की सुंदर, मधुर मगर हल्की–हल्की आवाज सुनाई देती हैं। कवि के अनुमान से यह संगतकार मुख्य गायक का छोटा भाई या शिष्य भी हो सकता है या फिर मुख्य गायक का दूर का रिश्तेदार भी हो सकता है जो संगीत सीखने के लिए पैदल चलकर उसके पास आया है।
विशेष :-
- संगतकार की भूमिका का वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- मुक्त छंद है।
- प्रसाद गुण है।
- श्रव्य बिम्ब है।
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था
शब्दार्थ :- संगतकार – मुख्य गायक के साथ गायन करने वाला या कोई वाद्य बजाने
वाला कलाकार, सहयोगी। गरज – ऊँची गंभीर आवाज। अंतरा – स्थायी या टेक को छोड़कर गीत का चरण। जटिल – कठिन। तान – संगीत में स्वर का विस्तार।नौसिखिया – जिसने अभी सीखना आरंभ किया हो। सरगम – संगीत के लिए सात स्वर तय किए गए हैं। वे हैं-षडज, ट्टषभ, गांधार, मध्यम, पंचम्, धैवत और निषाद। इन्हीं नामाें के पहले अक्षर लेकर इन्हें सा, रे, ग, म, प, ध और नि कहा गया है। स्थायी – मुख्य टेक
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक “क्षितिज भाग- 2″ में संकलित कविता” संगतकार” से लिया गया है। इस कविता के रचयिता “मंगलेश डबराल” हैं।
प्रसंग :- इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है।
व्याख्या :- वर्षों से यह परंपरा रही है कि मुख्य गायक की ऊँची गंभीर आवाज में संगतकार अपना स्वर मिलाता आया है। मुख्य गायक की भारी आवाज के पीछे संगतकार की आवाज दब सी जाती है। लेकिन संगतकार हर क्षण अपनी भूमिका को पूरी ईमानदारी से निभाता है। कभी मुख्य गायक किसी गाने का अंतरा गाने में इतना मगन (तल्लीन) हो जाता हैं कि वह अपने सुरों से ही भटक जाता हैं। यानि असली सुरों को ही भूल जाता हैं। ऐसी स्थिति में संगतकार, जो हमेशा मुख्य सुरों को पकड़े रहता है। वही उस समय सही सरगम को दुबारा पकड़ने में मुख्य गायक की मदद कर उसे उस विकट स्थिति से बाहर लाता है। उसकी भूमिका इसी तरह की होती है जैसे कि वह आगे चलने वाले राही का छूटा हुआ सामान बटोरकर कर अपने साथ लाता है। साथ ही वह मुख्य गायक को उसके बीते दिनों की याद भी दिलाता है जब मुख्य गायक नौसिखिया हुआ करता था।
विशेष :-
- संगतकार की भूमिका का वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- मुक्त छंद है।
- प्रसाद गुण है।
- दृश्य बिम्ब है।
तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाँढ़स बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
शब्दार्थ :- सप्तक – सप्तक का अर्थ है सात का समूह। सात शुद्ध स्वर हैं इसीलिए यह नाम पड़ा। लेकिन ध्वनि की ऊँचाई और निचाई के आधार पर संगीत में तीन तरह के सप्तक माने गए हैं। यदि साधारण ध्वनि है तो उसे ‘मध्य सप्तक’ कहेंगे और ध्वनि मध्य सप्तक से ऊपर है तो उसे ‘तार सप्तक’ कहेंगे तथा ध्वनि मध्य सप्तक से नीचे है तो उसे ‘मंद्र सप्तक’ कहते हैं। राख जैसा कुछ गिरता हुआ – बुझता हुआ स्वर। ढाँढ़स बँधाना – तसल्ली देना, सांत्वना देना।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक “क्षितिज भाग- 2″ में संकलित कविता” संगतकार” से लिया गया है। इस कविता के रचयिता “मंगलेश डबराल” हैं।
प्रसंग :- इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है।
व्याख्या :- इन पंक्तियों में कवि कहता है कि जब कभी मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता है तो उसका गला बैठने लगता है। उससे सुर सँभलते नहीं हैं। उस समय गायक को लगता है कि अब उससे आगे गाया नहीं जाएगा। उसकी आवाज काँपने लगती हैं जिससे उसके मन की निराशा व हताशा प्रकट होने लगती है। उस समय संगतकार का मधुर स्वर सुनाई देता है जो मुख्य गायक का हौसला बढ़ाता है और उसके भीतर उत्साह जगाता है। उस सुंदर आवाज को सुनकर मुख्य गायक फिर नए जोश से गाने लगता हैं।
विशेष :-
- संगतकार की भूमिका का वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- मानवीकरण अलंकार – “प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ”
- उपमा अलंकार – “आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ”
- मुक्त छंद है।
- प्रसाद गुण है।
- दृश्य बिम्ब है।
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
शब्दार्थ :- राग – राग स्वरों का वह समूह होता है जिसे गा कर या बजा कर मन को शांति मिलती है।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक “क्षितिज भाग- 2″ में संकलित कविता” संगतकार” से लिया गया है। इस कविता के रचयिता “मंगलेश डबराल” हैं।
प्रसंग :- इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है।
व्याख्या :- इन पंक्तियों में कवि कहता है कि कभी–कभी संगतकार मुख्य गायक की आवाज में स्वर इसलिए मिलता है जिससे मुख्य गायक को लगे कि वह अकेला नहीं है। वह मुख्य गायक को यह भी बताता है कि जो राग या गाना एक बार गाया जा चुका है उसे फिर से गाया जा सकता है।
विशेष :-
- संगतकार की भूमिका का वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- मुक्त छंद है।
- प्रसाद गुण है।
- दृश्य बिम्ब है।
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
शब्दार्थ :- हिचक – संकोच।
संदर्भ :- प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक “क्षितिज भाग- 2″ में संकलित कविता” संगतकार” से लिया गया है। इस कविता के रचयिता “मंगलेश डबराल” हैं।
प्रसंग :- इस कविता में उन्होंने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व का प्रतिपादन किया है। यह कविता मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका पर विचार करती है।
व्याख्या :- इस पद्यांश में कवि कहता है कि जब भी संगतकार मुख्य गायक के स्वर में अपना स्वर मिलता है तो उसकी आवाज में एक हिचक साफ सुनाई देती है। उसकी हमेशा कोशिश रहती है कि उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से धीमा रहे। संगतकार की धीमी आवाज को हमें उसकी कमजोरी या असफलता नही माननी चाहिए क्योंकि वह मुख्य गायक के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए ऐसा करता है। यही संगतकार की मानवीयता है।
विशेष :-
- संगतकार की भूमिका का वर्णन है।
- भाषा खड़ी बोली हिन्दी है।
- मुक्त छंद है।
- प्रसाद गुण है।
- दृश्य बिम्ब है।
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संगतकार (कविता के प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न :- संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर :- संगतकार के माध्यम से कवि ऐसे लोगों की ओर संकेत करना चाहता है जो किसी व्यक्ति विशेष की सफलता में उसका सच्चे मन से साथ देते है। उन्हें अपनी प्रसिद्धि की कोई चिंता नहीं होती।
प्रश्न :- संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रें में दिखाई देते हैं?
उत्तर :- संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा फिल्म, नाटक, नृत्य जैसी दृश्यात्मक प्रस्तुतियों में दिखाई देते हैं।
प्रश्न :- संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर :- कभी मुख्य गायक किसी गाने का अंतरा गाने में इतना मगन (तल्लीन) हो जाता हैं कि वह अपने सुरों से ही भटक जाता हैं। यानि असली सुरों को ही भूल जाता हैं। ऐसी स्थिति में संगतकार, जो हमेशा मुख्य सुरों को पकड़े रहता है। वही उस समय सही सरगम को दुबारा पकड़ने में मुख्य गायक की मदद कर उसे उस विकट स्थिति से बाहर लाता है।
प्रश्न :- भाव स्पष्ट कीजिए-
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर :- इस पद्यांश में कवि कहता है कि जब भी संगतकार मुख्य गायक के स्वर में अपना स्वर मिलता है तो उसकी आवाज में एक हिचक साफ सुनाई देती है। उसकी हमेशा कोशिश रहती है कि उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से धीमा रहे। संगतकार की धीमी आवाज को हमें उसकी कमजोरी या असफलता नही माननी चाहिए क्योंकि वह मुख्य गायक के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए ऐसा करता है। यही संगतकार की मानवीयता है।
प्रश्न :- किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :- फिल्म के नायक को सफलता के सोपान पर चढ़ाने के लिए अन्य सहयोगी कलाकार, नृत्य निर्देशक, गायक, संगीतकार, पोशाक बनाने वाला, रूप सज्जा करने वाला, संवाद लिखने वाला आदि सहयोगी होते है। कुछ ऐसे भी हैं जो सहयोग तो करते हैं किंतु उनकी पहचान किसी भी रूप में सामने नहीं आ पाती।
प्रश्न :- कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नजर आता है उस समय
संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है।
इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- जब कभी मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता है तो उसका गला बैठने लगता है। उससे सुर सँभलते नहीं हैं। उस समय गायक को लगता है कि अब उससे आगे गाया नहीं जाएगा। उसकी आवाज काँपने लगती हैं जिससे उसके मन की निराशा व हताशा प्रकट होने लगती है। उस समय संगतकार का मधुर स्वर सुनाई देता है जो मुख्य गायक का हौसला बढ़ाता है और उसके भीतर उत्साह जगाता है।
प्रश्न :- सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
उत्तर :- सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान जब व्यक्ति लड़खड़ाते हताश होने लगता है उस समय सहयोगी ही उसे सांत्वना देकर धैर्य बंधाते हैं। उसे समझाते हैं कि वह फिर से कोशिश करें।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न :- कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाएँ-
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर :- ऐसी परिस्थिति में मैं स्वयं को बिलकुल अकेला और असहाय महसूस करूँगा।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
उत्तर :- मैं अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करूँगा और कोशिश करूँगा कि सहयोगी कलाकारों को कमी न महसूस हो।
प्रश्न :- आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
उत्तर :- अपने मानवीय गुणों के कारण वे शीर्ष पर नहीं पहुंच पाते। क्योंकि वे सामने न आकर मुख्य पंक्ति में रहने वालों को विचलित होने से बचाते है।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न :- आप फ़िल्में तो देखते ही होंगे। अपनी पसंद की किसी एक फिल्म के आधार पर लिखिए कि उस फिल्मों की सफलता में अभिनय करने वाले कलाकारों के अतिरिक्त और किन-किन लोगों का योगदान रहा।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध गायिका की गीत प्रस्तुति का आयोजन है-
(क) इस संबंध पर सूचना पट्ट के लिए एक नोटिस तैयार कीजिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
(ख) गायिका व उसके संगतकारों का परिचय देने के लिए आलेख (स्क्रिप्ट) तैयार कीजिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
टेस्ट/क्विज
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