कक्षा 10 » संस्कृति – भदंत आनंद कौसल्यायन

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संस्कृति
(पाठ का सार)

शब्दार्थ :-  आध्यात्मिक – परमात्मा या आत्मा से संबंध रखने वाला,  मन से संबंध रखने वाला। साक्षात – आँखों के सामने, प्रत्यक्ष, सीधे। आविष्कर्ता – आविष्कार करने वाला। परिष्कृत – जिसका परिष्कार किया गया हो, शुद्ध किया हुआ, साफ़ किया हुआ। अनायास – बिना प्रयास के, आसानी से। कदाचित – कभी, शायद। शीतोष्ण – ठंडा और गरम। निठल्ला – बेकार, अकर्मण्य, बिना काम धंधे का, खाली बैठा हुआ। मनीषियों – विद्वानों, विचारशीलों। वशीभूत – वश में होना, अधीन। तृष्णा – प्यास, लोभ। अवश्यंभावी – जिसका होना निश्चित हो। अविभाज्य – जो बाँटा न जा सके।

संस्कृति निबंध हमें सभ्यता और संस्कृति से जुड़े अनेक जटिल प्रश्नाें से टकराने की प्रेरणा देता है। इस निबंध में भदंत आनंद कौसल्यायन जी ने अनेक उदाहरण देकर यह बताने का प्रयास किया है कि सभ्यता और संस्कृति किसे कहते हैं, दोनों एक ही वस्तु हैं अथवा अलग-अलग। वे सभ्यता को संस्कृति का परिणाम मानते हुए कहते हैं कि मानव संस्कृति अविभाज्य वस्तु है। उन्हें संस्कृति का बँटवारा करने वाले लोगों पर आश्चर्य होता है और दुख भी। उनकी दृष्टि में जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी नहीं है, वह न सभ्यता है और न संस्कृति।

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संस्कृति
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न :- लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

उत्तर :-  लेखक के अनुसार लोग सभ्यता और संस्कृति शब्दों का प्रयोग तो खूब करते हैं पर वे इनके अर्थ के बारे में भ्रमित रहते हैं। इन शब्दों के साथ भौतिक और आध्यात्मिक विशेषण लगाकर इन्हें और भी भ्रामक बना देते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनका अर्थ अपने-अपने विवेक से लगा लेते हैं। इसलिए ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ शब्दों  की समझ अब तक नहीं बन पाई है।

प्रश्न :- आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?

उत्तर :- आग की खोज से मानव की जीवन शैली में बहुत बदलाव आया। वह पका हुआ खाने लगा। उसका भोजन स्वादिष्ट बन गया। उसे ठंड से बचने का साधन मिल गया। वह आग का भय दिखाकर जंगली जानवरों को भगा सकता था। आग ने मानव को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आग के आविष्कार में कदाचित पेट की ज्वाला की प्रेरणा एक मुख्य कारण रही।

प्रश्न :- वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?

उत्तर :- जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया, वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति है। ऐसा आदमी जिसका पेट भरा है, जिसका तन ढँका है, लेकिन जब वह खुले आकाश के नीचे सोया हुआ रात के जगमगाते तारों को देखता है, तो उसको केवल इसलिए नींद नहीं आती क्योंकि वह यह जानने के लिए परेशान है कि आखिर यह मोती भरा थाल क्या है? पेट भरा और तन ढँका होने पर भी ऐसा मानव जो वास्तव में संस्कृत है, निठल्ला नहीं बैठ सकता।

प्रश्न :- न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?

उत्तर :- न्यूटन ने गुरफ़त्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। वह संस्कृत मानव था। आज के युग का भौतिक विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरफ़त्वाकर्षण से तो परिचित है ही, लेकिन उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्राप्त है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा। ऐसा होने पर भी हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सके, पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते क्योंकि उन्होंने न्यूटन की भाँति किसी नए तथ्य का आविष्कार नहीं किया। 

प्रश्न :- किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?

उत्तर :- निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा –

  • शरीर को शीत और गर्मी के मौसम से बचाने के लिए।
  • सुंदर दिखने की चाह में अपने शरीर को सजाने के लिए।

प्रश्न :- “मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगाें का उल्लेख कीजिए जब-
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।

उत्तर :- मानव संस्कृति को विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में बाँटकर इसे नष्ट करने का प्रयास किया गया है।

अनेक युद्धों के द्वारा भी मानव संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया गया।

(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।

उत्तर :-

  • अनेक मानव संस्कृत भूखे व्यक्ति को अपने हिस्से को भोजन खिला देते हैं।
  • बीमार बच्चे को अपनी गोद में लिए माँ सारी रात गुजार देती है।
  • कार्ल मार्क्स ने आजीवन मजदूरों के हित के लिए संघर्ष किया।
  • लेनिन ने अपनी डेस्क की ब्रेड भूखों को खिला दिया।
  • सिद्धार्थ मानव को सुखी देखने के लिए राजा के सारे सुख छोड़कर ज्ञान प्राप्ति हेतु जंगल की ओर चले गए।

प्रश्न :- आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?

उत्तर :- संस्कृति और कल्याण की भावना एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। संस्कृति की भावना मनुष्य को मानवता हेतु उपयोगी तथ्यों का आविष्कार करने के लिए प्रेरित करती है। जब कोई आत्मविनाश के साधनों की खोज करता है तब यह असंस्कृति बन जाती है क्योंकि ऐसी संस्कृति में कल्याण की भावना नहीं होती है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न :- लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न :- निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए-

उत्तर :-

  • गलत-सलत – गलत और सलत (द्वंद समास)
  • महामानव – महान है जो मानव (कर्मधारय समास)
  • हिंदू-मुसलिम – हिंदू और मुसलिम (द्वंद समास)
  • सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह (द्विगु समास)
  • आत्म-विनाश – स्वयं का विनाश (तत्पुरुष समास)
  • पददलित – पद से दलित (तत्पुरुष समास)
  • यथोचित – जो उचित हो (अव्ययीभाव समास)
  • सुलोचना – सुंदर लोचन है जिसके (कर्मधारय समास)

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न :- ‘स्थूल भौतिक कारण ही आविष्कारों का आधार नहीं है।’ इस विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- उन खोजों और आविष्कारों की सूची तैयार कीजिए जो आपकी नजर में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं?

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

 

टेस्ट/क्विज

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