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शब्दकोश, संदर्भ ग्रन्थों की उपयोगी विधि और परिचय
प्रश्न – शब्दकोश किसे कहते हैं?
उत्तर – शब्दकोश शब्दों का खजाना है इसमें एक भाषा भाषी समुदाय में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को संचित किया जाता है। शब्दकोश में शब्दों की व्युत्पत्ति, स्रोत, लिंग, शब्दरूप एवं विभिन्न संदर्भपरक अर्थों के बारें में जानकारी दी जाती है। हिंदी शब्दकोश में हिन्दी वर्णमाला का अनुसरण किया जाता है। परंतु अ से प्रारम्भ होने वाले शब्द सबसे पहले दिए जाते हैं। यद्यपि हिन्दी वर्णमाला में कुछ संयुक्त व्यंजन सबसे अंत में आते हैं परंतु शब्दकोश में उन्हें उस क्रम में रखा जाता है जिन व्यंजनों से मिलकर वे बने हैं जैसे – क् + ष = क्ष, ज् + ञ = ज्ञ, त् + र = त्र, श् + र = श्र
स्वर रहित व्यंजनों सें प्रारम्भ होने वाले शब्द उस व्यंजन में इस्तेमाल होने वाले सभी स्वरों के बाद में रखे जाते हैं। जैसे क्या शब्द ‘कौस्तुभ’ के बाद ही आएगा।
1- ग्रंथ 2- ग्रंथि 3- ग्रस्त 4- ग्रह 5- ग्राम 6- ग्रीवा
एं/एँ, ए, ऐ, ऐं, ओं, ओ, औं, औ।
प फ़/फ़ ब भ म य र ल व श ष स ह।
कोश के वर्णक्रम में पूर्ण अक्षर से पहले अनुस्वार (अं युक्त वर्ण) फि़र अनुनासिक चिह्न (अँ युक्त वर्ण) आएँगे। जैसे कंगन, कँगला/हंस, हँस।
आधो अक्षर पूर्ण अक्षरों के बाद आएँगे। (कारगर, क्या, क्लेश)
संयुक्ताक्षरों का वर्णक्रम उनके घटकों के क्रम से निर्धाारित होता है जैसेः
क्ष = क् + ष
त्र = त् + र
ज्ञ = ज् + ञ
श्र = श् + र
क्र = क् + र
र्क = र् + क
द्ध = द् + ध
द्व = द् + व
द्य = द् + य
तृ = त् + ऋ
‘शब्दकोश में त वर्ण से बनने वाले ‘शब्दों की क्रम स्थिति ध्यानपूर्वक समझिए:
तंग, तंडुल, तंतु, तंत्र, तंदूरी, तंद्रा, तंबू, तकरार, तक्षक, तगड़ी, तड़पना, ततैया, तत्काल, तन, तपाक, तमोगुण, तरंग, तरजनी, तलहटी, तसला, तस्वीर, ताँगा, ताड़पत्र, तिकोन, तिजोरी, तीखा, तीन, तुंग, तुच्छ, तुलसी, तफ़ूान, तृण, तृतीया, तेंदुआ, तेज, तैंतीस, तोंद, तोता, तौलिया, त्याग, त्योहार, त्रस्त, त्रिकाल, त्रिविधा।
नीचे दिए गए ‘शब्दों को शब्दकोषीय क्रम में लिखिएः
यायावर, इमरती, विश्राम, उत्सर्जन, उचित, घड़ी, परिकथा, परीक्षित, प्रमाद, अंबर, बोधा, हिमाचल, आँख, ईश्वर, हृदय, आखिर, अंक, परतंत्र, ग्लानि, चिरकाल, घंटा, घास। अंक, अंबर, आँख, आखिर, इमरती, ईज्वर, उचित, उत्सर्जन, ग्लानि, घंटा, घड़ी, घास, चिरकाल, परतंत्र, परिकथा, परीक्षित, प्रमाद, बोधा, यायावर, विश्राम, हिमाचल, हृदय।
प्रश्न – संदर्भ ग्रंथ किसे कहते हैं?
उत्तर – जिस प्रकार ‘शब्दकोश’ में शब्दों के अर्थ दिए होते हैं उसी प्रकार ‘संदर्भ-ग्रंथों’ में मानव द्वारा संचित ज्ञान को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है। संदर्भ-ग्रंथ कई प्रकार के होते हैं। संदर्भ-ग्रंथ का सबसे विशद रूप ‘विश्व ज्ञान कोश’ है। इसमें मानव द्वारा संचित हर प्रकार की जानकारी और सूचना का संक्षिप्त संकलन होता है। संदर्भ-ग्रंथों के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रकार हैं ‘साहित्य कोश’ और ‘चरित्र कोश’ ‘साहित्य कोश’ में साहित्यिक विषयों से संबंधित जानकारियाँ संकलित होती हैं। ‘चरित्र कोश’ में साहित्य, संस्कृति, विज्ञान आदि क्षेत्रें के महान व्यक्तियों के व्यक्तित्वऔर कृतित्त्व के बारे में जानकारी संकलित होती है। संदर्भ-ग्रंथ गागर में सागर के समान हैं। जब भी किसी विषय पर तुरंत जानकारी की आवश्यकता होती है, संदर्भ-ग्रंथ हमारे काम आते हैं। संदर्भ-ग्रंथों में जानकारियों का सिलसिलेवार संकलन ‘शब्दकोश’ के नियमों के अनुसार ही होता है।
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