कक्षा 11 » ईदगाह (प्रेमचंद)

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ईदगाह
(पाठ का सार)

शब्दार्थ 

बला – कष्ट, कष्ट देने वाली वस्तु। बदहवास – घबराना। निगोड़ी – अभागिन, जिसका कोई न हो। चितवन – किसी की ओर देखने का ढंग, दृष्टि, कटाक्ष। वज़ू – नमाज़ से पहले हाथ-पाँव और मुँह धोना। सिजदा – माथा टेकना, सिर झुकाना। हिंडोला – झूला। मशक – भेड़ या बकरी की खाल से बनाया गया थैला। अचकन – एक तरह का वस्त्र। नेमत – बहुत बढ़िया। ज़ब्त – कब्जे मे लेना। दामन – पल्लू, आँचल। 

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ईदगाह
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न – ईदगाह कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनमें ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है।

उत्तर – ईद के अवसर पर पूरे गाँव में हलचल मची हुई थी। सभी लोग ईदगाह जाने की तैयारियां कर रहे थे। इसलिए वे जल्दी-जल्दी अपने कामों को निपटा रहे थे। कई घरों में सेवैयां और अन्य पकवान बनाने की तैयारी चल रही थी। गांव में से एक दल ईदगाह चला गया था। ईदगाह में नमाज समाप्त होने के बाद गाँव वाले खिलौने और अन्य मिठाइयाँ खरीदते थे। बच्चे झूला झूलते थे। तो कोई घोड़े इत्यादि की सवारी करता। जब वे लोग वापस गाँव आते थे तो गांव में फिर से हलचल मत जाया करती थी। इन सभी बातों से हमें पता चलता है कि ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास कितना अधिक बढ़ जाता था।

प्रश्न – ‘उसके अंदर प्रकाश है बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी’। – इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

उत्तर – हामिद सभी दुखों से दूर था। अभी उसके मन में दुख रूपी अंधकार की कोई किरण नहीं थी। उसकी आत्मा में खुशियों का प्रकाश छाया हुआ था। मुखमंडल पर आशा की किरणें जगमग कर रही थी।  ऐसे समय में अगर विपत्ति हामिद के पास आ भी जाए तो भी वह हामिद का मुखमंडल देख कर समाप्त हो जाएगी। हामिद का मन खुशी से भरा हुआ था, दुनिया की कोई भी विपत्ति उसको उदास नहीं कर सकती थी।

प्रश्न –  उन्हें क्या ख़बर कि चौधरी आज आँखे बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए – इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –  बच्चे इस बात से बेखबर थे कि घर में मनाई जाने वाली ईद के लिए चौधरी साहब से कर्ज़ लिया गया था। अगर चौधरी साहब पैसे देने से मना कर दें तो उनकी ख़ुशियाँ मुहर्रम के मातम में बदल जाएंगी।

प्रश्न –  मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।- इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।

उत्तर – गांव के लोग ईदगाह में नमाज पढ़ने गए थे। ईदगाह में नमाज अदा करने के लिए बहुत ही सुंदर वातावरण था। जब लोग नमाज पढ़ने का काम कर रहे थे तब उनको देखकर यह लग रहा था कि इन सब आत्माओं को एक सूत्र जोड़े हुए है। इस तरह सभी धर्म के लोग भ्रातृत्व और प्रेम से जुड़े हुए थे। अतः यह कथन बिल्कुल सही है कि धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।

प्रश्न – ईदगाह कहानी के शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए। क्या इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक दिया जा सकता है?

उत्तर – ईदगाह कहानी की घटनाओं को देखकर इस कहानी का नाम सार्थक लगता है। इस कहानी को अन्य शीर्षक भी दिए जा सकते हैं, जैसे ‘हामिद का त्याग’ , ‘अमीना और हामिद आदि’।

प्रश्न –  हमीद ने चिमटे की उपयोगिता सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए?

उत्तर –  हामिद में चिमटे की उपयोगिता सिद्ध करते हुए जो तर्क दिए वे निम्नलिखित हैं –

(1) मेरा चिमटा मोहसिन के भिश्ती की सारी पसलियाँ चूर-चूर कर सकता है।

(2) मेरा चिमटा तुम लोगों के सारे खिलौनों की जान निकाल सकता है।

(3) मेरा चिमटा बहादुर शेर है।

(4) मेरा चिमटा आग में, पानी में, आंधी तूफान में डट कर खड़ा रह सकता है।

प्रश्न – गाँव से शहर जाने वाले रास्ते के मध्य पड़ने वाले स्थानों का ऐसा वर्णन प्रेमचंद ने किया है मानो आंखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़ने वाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न – ‘बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई।’ इस कथन में बूढ़े हामिद और बालिका अमीना से लेखक का क्या आशय है?

उत्तर – वास्तव में हामिद एक बालक ही था लेकिन जब वह अपनी दादी के लिए मेले से चिमटा लेकर आया तो लगता है वो अपनी उम्र से कई आगे निकल गया है. हामिद के दिल में अपने लिए ममता देखकर अमीना का दिल पसीज गया। उसकी आँखें भर आई। वो हामिद के गले लगकर रोने लगी। उस समय लगा जैसे बूढ़ी अमीना बालिका अमीना बन गई हो।

प्रश्न – ‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ  देती जाती थी और आंँसू की बड़ी-बड़ी बूंँदे गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता! – लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आंँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – दादी के प्रति अपने स्नेह और निश्छल प्रेम के कारण हामिद ईदगाह से उसके लिए चिमटा लेकर आया था। हामिद जैसे छोटे-से बालक से अपने प्रति इतना प्रेम और चिंता देखकर अमीना गद्गद् हो उठी और हामिद के गले लगकर रोने लगी। छोटा बालक होने के कारण हामिद अपनी दादी के आँसुओं का रहस्य नहीं समझ पाया। यहाँ प्रेमचंद ने अमीना के हृदय की भावनाओं के रहस्य की ओर इशारा किया है।

प्रश्न – हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।

उत्तर – ईदगाह कहानी का प्रमुख पात्र हामिद छोटा बालक है, जिसके माता पिता गुजर चुके थे। अब वह अपनी दादी के साथ रहता है। उसके चरित्र में हमें निम्नलिखित विशेषताएँ देखने को मिलती हैं –

(1) धैर्य और संयम

(2) विवेकशील

(3) त्याग भावना से ओतप्रोत

(4) तर्कशील

(5) आत्मविश्वास से युक्त

(6) आशावादी

(7) चतुर

(8) वाक्पटु

(9) संवेदनशील

प्रश्न –  हामिद के अतिरिक्त इस कहानी के किस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है और क्यों?

उत्तर – वैसे तो इस कहानी में हामिद के अतिरिक्त कईं पात्र हैं लेकिन हामिद की दादी अमीना अपने व्यावहार के कारण हमें विशेष रूप से प्रभावित करती है। हामिद के माता-पिता के गुज़र जाने के पश्चात्‌ वह जैसे-तैसे हामिद का पालन-पोषण करती है। लोगों के लिए काम करके वह दो वक़्त की रोटी का इंतजाम करती है। उसे हामिद को सुख न दे पाने का दुःख भी होता है। वह हामिद से बहुत प्रेम करती है।

प्रश्न –  बच्चों में लालच एवं एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है। कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पुष्टि कीजिए।

उत्तर – मेले में से सभी बच्चे मिट्टी के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं लेकिन हामिद के पास पैसे कम होने के कारण वो मेले से मिठाई आदि नहीं ले पाता। वो उनके खिलोनों और मिठाइयों की ओर ललचाई आँखों से देखता है। इस पर सभी बच्चे हामिद को चिढ़ाते हैं और अपने-अपने खिलोनों की बड़ाई करते हैं। मोहसिन हामिद की तरफ रेवड़ी का हाथ बढ़ाकर वापिस खींच लेता है। हामिद चिमटा खरीदता है और उसे सभी खिलोनों से श्रेष्ठ सिद्ध करता है। अंत में सभी बच्चे एक दूसरे के खिलोनों से खेलते हैं और मेहमूद हामिद को केले देता है। इन सभी घटनाओं से पता चलता है कि बच्चों में लालच एवं एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है।


क्विज/टेस्ट

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