कक्षा 11 » टॉर्च बेचने वाले (हरिशंकर परसाई)

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टॉर्च बेचनेवाले
(पाठ का सार)

गुरु गंभीर वाणी – विचारों से पुष्ट वाणी। सर्वग्राही – सबको ग्रहण करने वाला। स्तब्ध – हैरान। आह्वान – पुकारना। शाश्वत – चिरंतन, हमेशा रहनेवाला। सनातन – सदैव चला आता हुआ। असार संसार – व्यर्थ संसार। हताश – निराश। किस्मत आजमाना – (मुहावरा – भाग्य परखना)। नाटकीय – बनावटी। लहूलुहान हो जाना – (मुहावरा – खून बह जाना)। उदर – पेट। पथभ्रष्ट – राह से भटका हुआ। अंतर – मन, आत्मा। ज्योतिहीन – नेत्रहीन। त्रस्त – परेशान। धंधा – रोजगार।

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टॉर्च बेचनेवाले
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न – लेखक ने टार्च बेचनेवाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ ही क्यों रखा?

उत्तर – लेखक ने टार्च बेचनेवाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ इसलिए रखा क्योंकि वह अंधेरा दूर करने की बात को बोलकर ही अपनी टार्च बेचता था। लेखक के अनुसार जैसे सूरज अंधकार को दूर करता है वैसे ही उसकी कंपनी की टार्च भी घर के अंधेरे को दूर करके प्रकाश फैला देगी।

प्रश्न – पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाकात किन परिस्थितियों में और कहा! होती है?

उत्तर – पाँच साल बाद जब उसका दोस्त नियत स्थान पर नहीं पहुँचा तो टार्च बेचने वाला दोस्त उसकी तलाश करने के लिए निकल पड़ा। एक स्थान पर उसने देखा कि एक मैदान में उसका दोस्त हजारों श्रद्धालुओं के बीच धार्मिक उपदेश दे रहा था। उसी स्थान पर उन दोनों दोस्तों की मुलाकात हुई

प्रश्न – पहला दोस्त मंच पर किस रूप में था और वह किस अंधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेच रहा था?
उत्तर – पहला दोस्त मंच पर धर्म का उपदेश दे रहा था। वह सुंदर वस्त्र पहने था। उसने लंबी दाढ़ी और बाल बढ़ा रखे थे। मंच पर बैठा वह भव्य पुरुष लग रहा था। वह लोगों को मंच से उपदेश दे रहा था कि मानव की आत्मा मैली हो गई, उस पर अंधकार छा गया है। आत्मा के अंतर्मन की ज्योति बुझ चुकी है। मैं उसी बुझी हुई ज्योति को तुम्हारे भीतर फिर से जगाना चाहता हँू। वह मानव के मन के अंधेरे को दूर करने वाली टार्च बेच रहा था।

प्रश्न – भव्य पुरुष ने कहा – ‘जहाँ अंधकार है वहीं प्रकाश है’। इसका क्या तात्पर्य है?

उत्तर – भव्य पुरुष उपदेश के द्वारा पहले लोगों में भय पैदा करता है। कहता है कि संसार के लोगों की आत्मा कलुषित हो चुकी है। सब के मन में अंधकार और निराशा ने अपना घर कर लिया है। जब लोग डर जाते हैं तो वह भव्य पुरुष कहता है -‘जहाँ अंधकार है वहीं प्रकाश है’। इसका तात्पर्य है कि निराशा में ही आशा का किरण छुपी होती है। आत्मा के अंधेरे से घबराने की जरुरत नहीं है। जैसे सूरज का प्रकाश अंधेरे को दूर कर देता है उसी प्रकाश भव्य पुरुष भी आत्मा के अंधकार को दूर कर देगा।

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प्रश्न – भीतर के अंधेरे की टार्च बेचने और ‘सूरज छाप’ टार्च बेचने के धंधे में क्या प़्ाफ़र्क है? पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर – ‘सूरज छाप’ टार्च बेचने का धंधा एक छोटा-मोटा रोजगार है। जो व्यक्ति यह धंधा करता है वह किसी गली में, चौराहे पर या किसी मैदान में लोगों को रात के अंधेरे का भय दिखाकर अपनी टार्च बेचता है। इससे उसका जीवन बसर हो जाता है और वह साधारण आदमी की भाँति दो वक्त की रोटी खा लेता है।

लेकिन दूसरी ओर भीतर के अंधेरे को दूर करने वाली टार्च बेचना एक उत्तम किस्म का धंधा है। जिसे चलाने वाला व्यक्ति भव्य पुरुष के रूप में समाज में प्रसिद्ध हो जाता है। वह लोगों की श्रद्धा का पात्र बन जाता है। बड़े-बड़े लोग उसके चरण-स्पर्श करते हैं तथा चढावा चढ़ाते हैं। उस भव्य पुरुष का जीवन ऐश्वर्यवान हो जाती है।

प्रश्न – ‘सवाल के पाँव जमीन में गहरे गड़े हैं। यह उखड़ेगा नहीं।’ इस कथन में मुनष्य की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत है और क्यों?

उत्तर – ‘सवाल के पाँव जमीन में गहरे गड़े हैं। यह उखडे़गा नहीं।’ इस कथन से ज्ञात होता है कि कुछ व्यक्ति संघर्ष न करके शीघ्र हार मान लेते हैं। मनुष्य की यह प्रवृति इसलिए होती है क्योंकि वह सब कुछ आसानी से प्राप्त कर लेना चाहता है।

प्रश्न – ‘व्यंग्य विधा में भाषा सबसे धारदार है।’ परसाई जी की इस रचना को आधार बनाकर इस कथन के पक्ष में अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर – व्यंग्य विधा में भाषा सबसे धारदार होनी चाहिए। व्यंग्य लेखक की भाषा में पैनापन नहीं होगा तो वह व्यंग्य केवल हँसी का माध्यम बन जाएगा उसकी मारक क्षमता समाप्त हो जाएगी। परसाई जी की भाषा व्यांग्यात्मक पैनापन लिए हुए है, इसका पता निम्नलिखित कथनों के माध्यम से लगता है –

  • जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है, वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है। किससे दीक्षा ले आए?य्
  •  यार, इस सवाल के पाँव जमीन में गहरे गड़े हैं। यह उखड़ेगा नहीं। इसे टाल जाएँ।
  • तेरी बात ठीक ही है। मेरी कंपनी नयी नहीं है, सनातन है।
  • धंधा वही करूँगा, यानी टार्च बेचूँगा। बस कंपनी बदल रहा हूँ।

प्रश्न – आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) आजकल सब जगह अंधेरा छाया रहता है। रातें बेहद काली होती हैं। अपना ही हाथ नहीं सूझता।
उत्तर – टार्च बेचनेवाला लोगों को रात के अंधेरे का भय दिखाकर डराता है। वह कहता है कि रात मै आजकल बहुत अंधेरा होता है। इसलिए अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं देता।

(ख) प्रकाश बाहर नहीं है, उसे अंतर में खोजो। अंतर में बुझी उस ज्योति को जगाओ।
उत्तर – भव्य पुरुष लोगों को उनकी आत्मा का अंधेरा याद दिलाकर डराता है। फिर वह लोगों को समझाने की कोशिश करता है कि उस अंधकार को दूर करने का प्रकाश भी तुम्हारे अंदर ही है। अपने अंतर्मन की ज्योति को जलाओ जिससे आत्मा का अंधेरा दूर हो जाएगा।

(ग) धंधा वही करूँगा, यानी टार्च बेचूँगा। बस कंपनी बदल रहा हूँ।
उत्तर – जब टार्च बेचने वाले दोस्त से सवाल किया जाता है कि अब क्या करेगा? तो वह कहता है कि अब भी मैं टार्च ही बेचूँगा लेकिन अपनी कंपनी का नाम बदल रहा हूँ अथात् अब वह भी अपने दोस्त की तरह प्रवचन देकर लोगों के मन अंधेरे को दूर करने की टार्च बेचेगा।


क्विज/टेस्ट

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