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दोपहर का भोजन (पाठ का सार)
शब्दार्थ
व्यग्रता – व्याकुलता।
बर्राक – याद रखना, चमकता हुआ।
पंडूक – कबूतर की तरह का एक पक्षी।
कनखी – आँख के कोने से।
ओसारा – बरामदा।
निर्विकार – जिसमें कोई विकार न हो।
छिपुली – खाने का छोटा बर्तन।
अलगनी – कपड़े टाँगने के लिए बाँधी गई रस्सी।
नाक में दम आना – परेशान होना।
जी में जी आना – चैन आ जाना।
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दोपहर का भोजन
(प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न – सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला?
उत्तर – सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ इसलिए बोला क्योंकि वह चाहती थी कि भाइयों में आपसी मतभेद न हो तथा परिवार की एकता बनी रहे।
प्रश्न – कहानी के सबसे जीवंत पात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर – कहानी का सबसे जीवंत पात्र सिद्धेश्वरी है। निम्न मध्यवर्गीय परिवार में वह बहुत चाहने पर भी जीविका कमाने का कोई साधन नहीं ढूँढ पाती। वह गरीबी के अहसास को किसी के सामने नहीं आने देती। पारिवारिक परिस्थितियों से उसका मन बहुत आहत था। लेकिन अपनी पीड़ा का भुलाकर वह अन्य सदस्यों को तसल्ली देती रहती थी। वह परिवार के सभी लोगों को भोजन कराती है जिससे उसके लिए बहुत ही कम भोजन बचता है। अपनी मानसिक और शारीरिक व्यथा को वह जाहिर नहीं होने देती।
प्रश्न – कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे गरीबी की विवशता झाँक रही हो।
उत्तर – ‘दोपहर का भोजन’ कहानी प्रारंभ से अंत तक गरीबी की विवशता को लेकर आगे बढ़ती है। इसका पता कहानी के विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से पाठक को हो जाता है। जैसे –
- प्रमोद का बीमार होने पर नंग-धड़ंग पड़ा होना।
- सिद्धेश्वरी द्वारा प्रमोद पर फटा हुआ गंदा ब्लाउज डालना।
- परिवार के सदस्यों का भरपेट भोजन न कर पाना।
- सिद्धेश्वरी के लिए पर्याप्त भोजन न बचना।
- मुंशी जी का फटे पुराने कपड़े पहनना।
प्रश्न – ‘सिद्धेश्वरी का एक दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक
प्रयास था’ – इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए।
उत्तर – सिद्धेश्वरी चाहती थी कि भाइयों में आपसी मतभेद न हो तथा परिवार की एकता बनी रहे। इस प्रयास में वह परिवार के एक दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलती है। वह ऐसा अनथक प्रयास करके अपने परिवार की गृहिणी का कर्तव्य निभा रही थी।
प्रश्न – ‘अमरकांत आम बोलचाल की ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे कहानी की संवेदना
पूरी तरह उभरकर आ जाती है।’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – नई कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर अमरकांत भाषा पर बेजोड़ पकड़ रखते हैं। सहज व सरल भाषा का प्रयोग करके अमरकांत कहानी की संवेदना को बखूबी उभारते हैं। जैसे –
- सिद्धेश्वरी बड़े बेटे से झूठ बोलती है – ‘‘किसी लड़के के यहाँ पढ़ने गया है, आता ही होगा। दिमाग उसका बड़ा तेज है और उसकी तबीयत चौबीसों घंटे पढ़ने में लगी रहती है।’’
- मोहन ने अपनी माँ का गौर से देखा, फिर धीरे-धीरे इस तरह उत्तर दिया, जैसे कोई शिक्षक अपने शिष्य को समझाता है, ‘नहीं रे, बस। अव्वल तो अब भूख नहीं। फिर रोटियाँ तूने ऐसी बनाई हैं कि खाई नहीं जातीं। न मालूम कैसी लग रही हैं। खैर, अगर तू चाहती ही है, तो कटोरे में थोड़ी दाल दे दे। दाल बड़ी अच्छी बनी है।’
उपरोक्त प्रसंगों से स्पष्ट है कि कहानी की संवेदना का उभारने में अमरकांत द्वारा प्रयुक्त आम बोलचाल की भाषा सार्थक सिद्ध होती है।
प्रश्न – रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी खाते समय रोटी न लेने के लिए बहाने करते हैं, उसमें
कैसी विवशता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी खाते समय रोटी न लेने का कोई न काई बहाना करते हैं। उनको मालूम था कि रसोई में गिनी चुनी ही रोटियाँ है लेकिन सिद्धेश्वरी उनसे व्यर्थ ही रोटी लेने का आग्रह कर रही है। उन तीनों का ही पेटी नहीं भरता लेकिन परिवार की तंगहाली के कारण वे रोटी लेने से मना कर देते हैं।
प्रश्न – मुंशी जी तथा सिद्धेश्वरी की असंबद्ध बातें कहानी से कैसे संबद्ध हैं? लिखिए।
उत्तर – परिवार की तंगहाली से सिद्धेश्वरी और मुंशी जी दोनों परिचित थे। भोजन की समस्या उनकी विवश्ता को ओर अधिक बढ़ा रही थी। सिद्धेश्वरी चाहती थी कि परिवार की हालत के विषय में मुंशी जी से बात कर ली जाए। लेकिन वह मुंशी जी स्थिति को समझ रही थी इसलिए मुंशी जी से सीधी बात करने का साहस नहीं जुटा पा रही थी। दूसरी ओर मुंशी जी भी कुछ न करने के अपराधबोध से परेशान थे। दोनों ही असह्य चुप्पी को तोड़ने के लिए कुछ असबद्ध बाते करते हैं। जैसे – मौसम के बारे में बातें, फूफाजी की बीमारी का बहाना, किसी की लड़की के विवाह की बात आदि।
ये बातें कहानी से सीधे न जुड़ी होने के बावजूद भी कहानी से संबद्ध हैं और कहानी में पात्रें के बीच की बोझिलता का कम करती हैं तथा कहानी को आगे बढ़ाती हैं।
प्रश्न – ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक किन दृष्टियों से पूर्णतया सार्थक है?
उत्तर – ‘दोपहर का भोजन’ कहानी गरीबी में जीवन यापन कर रहे परिवार की कहानी है। सिद्धेश्वरी कहानी का केन्द्रीय पात्र है जो ‘दोपहर के भोजन’ पर आए परिवार के सदस्यों को भोजन कराती है। इसी समय पर सभी पात्रें का आपसी वार्तालाप होता है तथा संवादों के माध्यम से कहानी की संवेदना उभर कर आती है। सिद्धेश्वरी गरीबी के अहसास को प्रकट नहीं होने देती। मुंशी जी की आशाएँ भविष्य पर टिकी हुई हैं। पिताजी की नौकरी छूटने के बाद वे कोई छोटी-मोटी नौकरी ढूँढ रहे हैं। एक बेटा प्रूफ-रीडिंग का कार्य करता है। दूसरा बेटा इंटर कर रहा है। तीसरा बेटा बीमार है। कहानी के इन सभी पक्षों की जानकारी पाठक को दोहपर का भोजन करने आए सदस्यों के संवादों से होती है। अतः इस कहानी का शीर्षक पूर्णतः सार्थक कहा जाएगा।
प्रश्न – आपके अनुसार सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी कैसे हैं? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर – सिद्धेश्वरी मजबूरी में अनेक झूठों को सहारा लेती है। उसके झूठ किसी को हानि नहीं पहुँचाते बल्कि वह अपने परिवार की एकता बनाए रखने के ऐसा करती है। इसलिए सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी हैं।
प्रश्न – आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई।
उत्तर – गरीबी और भुखमरी के कारण सिद्धेश्वरी ने दोहपर का भोजन नहीं किया था। उसे अचानक महसूस हुआ कि भूख और प्यास से उसकी व्याकुलता बढ़ती जा रही है तो वह मतवाले की तरह हिलती-डुलती उठी और गागर से एक लौटा पानी भरकर जल्दी-जल्दी पी गई।
(ख) यह कहकर उसने अपने मँझले लड़के की ओर इस तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो।
उत्तर – सिद्धेश्वरी अपने परिवार की एकता को बनाए रखने के लिए परिवार के सदस्यों के विषय में एक-दूसरे से झूठ बोलती है। सिद्धेश्वरी अपने मँझले बेटे मोहन से भी झूठ कहती है कि उसका बड़ा भाई उसकी तारीफ कर रहा था। यह बात बोलकर सिद्धेश्वरी मोहन की ओर कातर भाव से देखती है क्योंकि मँझले बेटे को पता है कि बड़ा भाई उसकी तारीफ नहीं कर सकता।
(ग) मुंशी जी ने चने के दानों की ओर इस दिलचस्पी से दृष्टिपात किया, जैसे उनसे बातचीत करनेवाले हों।
उत्तर – मुंशीजी दोपहर का भोजन करने घर आए तो सिद्धेश्वरी इधर-उधर की बातें करके उनसे घर की हालत के विषय में बात करना चाह रही थी। लेकिन मुंशीजी ऐसी स्थिति में अपनी पत्नी से नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। वे थाली में रखे चने के दानों को ध्यानपूर्वक देख रहे थे। एेसा लग रहा था जैसे वे चनों के साथ कुछ बातचीत करना चाहते हों।
क्विज/टेस्ट
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