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भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? (पाठ का सार)
शब्दार्थ :- महसूल – कर, टैक्स। चुंगी की कतवार – म्युनिसिपालिटी का कचरा। रंगमहल – भोग-विलास का स्थान। कमबख्ती – अभागापन। मर्दुमशुमारी – जनगणना। तिफ्रली – बचपन से संबंधित। महसूल – किराया। हाकिम – अधिकारी।गरज – मतलब, आवश्यकता। गम – दुख। गैर – दूसरा। प्रतिछिन – निरंतर। पुरुषों – पुरखों। वेध करना – अध्ययन या खोज करना। कतवार – कूड़ा। चुंगी – नगरपालिका द्वारा लिया जाने वाला टैक्स। फ्ररासीस – फ्रांस के लोग। तुरकी ताजी – घोड़ों की श्रेष्ठ नस्लें। हिन्दू काठियावाड़ी – भारतीय घोड़े। कम्बख्ती – दुर्भाग्य। कोप – क्रोध।अनुमोदन – स्वीकृति, समर्थन। गंगाराम – तोता (व्यंग्यार्थ)। कल – यंत्र। निकम्मी – व्यर्थ की। चाकरी – नौकरी। मुसाहबी – चापलूसी। जमा – धन, पैसा। हूस – असभ्य। बोदे – दुर्बल। रसातल – सबसे नीचे या पीछे। गौरे – गौर देश के लोग, मुहम्मद गौरी के सैनिक। शब्दभेदी बाण – शब्द को सुनकर बाण से भेदना। ताबे – रोटी सेकने के तबे। कमान – धनुष। जिनि – मत, नहीं। चुक्के – चूके, चूक जाए। कंटक – काँटा, बाधा। कृस्तान – ईसाई, अंग्रेज। पमान पुरस्कृत्य……मूर्खता – बुद्धिमान व्यक्ति को अपमान सहते हुए और सम्मान की चिंता न करते हुए भी अपने कार्य को सफल बनाना चाहिए। कार्य में असफल होना तो घोर मूर्खता कहलाती है। होम करके – हवन करके, ध्यान न देकर। वैद्यक – चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी बातें। उपवास – भोजन नं करना। तिवहार – त्योहार। हिकमत – लाभ, अच्छाई। देशकाल – स्थान और समय। शोधे – संशोधित किया जाना। फलानी – अमुक। पैर काठ में डालना – विवाह कर देना। शाक्त – शक्ति या देवी के उपासक। तिरस्कार – अपमान। धौरानी – देवरानी (पति के छोटे भाई की पत्नी)। डाह – जलन, ईर्ष्या। मयस्सर – प्राप्त। मीर हसन – एक पुराना लेखक। मनसी – मीर हसन लिखित ग्रंथ। इंदरसभा – एक पुराना ग्रंथ। तिफली से – बचपन से। गुल – फूल, सुंदर रूप। दीदार – दर्शन, देखना। गुलिस्तां – उपवन, बाग। तालीम – शिक्षा। पिनशन – पैंशन। मत-मतांतर – विभिन्न मान्यताएँ। आग्रह – बल देना। सिर झारना – कंघा करना। बेफिकरे – चिंताओं से मुक्त व्यक्ति। मसल – उदाहरण, कहावत।
आधुनिक हिदी गद्य के विकास में भारतेंदु का उल्लेखनीय योगदान है। उन्हाेंने अपने समकालीन लेखकों का तो नेतृत्व किया ही, साथ ही परवर्ती लेखकों के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य भी किया। यहाँ पाठ्यपुस्तक के लिए उनका बलिया के ददरी मेले में दिया गया व्याख्यान चुना गया है। भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? भारतेंदु का प्रसिद्ध भाषण है। इसमें एक ओर ब्रिटिश शासन की मनमानी पर व्यंग्य है, तो दूसरी ओर अंग्रेजों के परिश्रमी स्वभाव के प्रति आदर भी है। भारतेन्दु ने आलसीपन, समय के अपव्यय आदि कमियों को दूर करने की बात करते हुए भारतीय समाज की रूढ़ियों और गलत जीवन शैली पर भी प्रहार किया है। जनसंख्या-नियंत्रण, श्रम की महत्ता, आत्मबल और त्याग-भावना को भारतेंदु ने उन्नति के लिए अनिवार्य माना है और अत्यंत प्रेरक ढंग से इसे व्यक्त किया है।
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भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न :- पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है’ क्यों कहा गया है?
उत्तर :- ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है’ यह इसलिए कहा गया है क्योंकि भारतीय लोग आलस के कारण काम करने से बचते हैं। इनको कोई चलाने वाला चाहिए। इसी को देखते हुए उन्होंने कहा है कि अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है।
प्रश्न :- ‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो’ वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?
उत्तर :- ‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो’ इस वाक्य में लेखक ने ऐसे समाज की कल्पना की है जहाँ का राजा जागरुक हो। जहाँ का राजा सजग होगा, वहाँ के लोगों को सजग होना पड़ेगा। उनको स्वयं तथा राज्य के विकास हेतु काम करना पड़ेगा। इसी से किसी समाज की उन्नति हो सकती है।
प्रश्न :- जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार ‘हिदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर :- लेखक मानता है कि हिदुस्तानी लोग आलस के कारण बेकार हो गए हैं। उनकी योग्यताएँ आलस के नीचे दब गई हैं। भारत में अलग-अलग जाति, संप्रदाय आदि के लोग रहते हैं। इनमें स्वयं चलने की क्षमता है ही नहीं। उन्हें ट्रेन के इंजन की भांति कोई-न-कोई नेतृत्व करने वाला चाहिए। अतः लेखक कहता है कि हम इस समस्या को पहचानें और उसका हल खोजें।
प्रश्न :- देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर :- देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से चार का उदाहरण निम्न प्रकार है –
- हमें इस आलस्य को त्यागना होगा और अपने समय का सही सदुपयोग करना होगा।
- लेखक के अनुसार हमें अपने देश, जाति, समाज इत्यादि के लिए अपने स्वार्थों तथा हितों का त्याग करना होगा।
- हमें शिक्षा के महत्व को समझकर उसे भारत के घर-घर पहुँचाना होगा।
- हमें भारत से बाहर जाकर भी अन्य स्थानों को समझना होगा। इस तरह हम कुएँ का मेंढक नहीं रहेंगे और हमारी तरक्की अवश्य होगी।
प्रश्न :- लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?
उत्तर :- जातिगत और धार्मिक भेदभाव भारत के प्रत्येक समाज में देखे जाते हैं। इसी ने भारत की नींव को खोखला किया हुआ है। लोग धर्म तथा जाति के नाम पर आपसी दूरी बनाए हुए हैं। इसका लाभ अन्य लोगों ने उठाया है। इसी कारण अंग्रेज़ों ने ‘फूट डालो शासन करो की नीति’ से यहाँ पर राज़ किया है। लेखक मानता है कि जिस दिन भारतीय मत-मतांतर को छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने लगेंगे, उस दिन कोई ऐसी शासन-व्यवस्था नहीं होगी, जो हमें गुलाम बनाकर रख सके। अतः लेखक मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह करता है।
प्रश्न :- आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नीचे दिए गए वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए- ‘जैसे हजार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली हैं, वैसे ही तुम्हारी लक्ष्मी हजार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।’
उत्तर :- इस वाक्य के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि भारत का पैसा आज हजारों प्रकार से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी तथा अमेरिका में जा रहा है। किंतु वर्तमान स्थिति पूरी तरह ऐसी नहीं है। आज भारतीय विदेशी ब्राँड के कपड़े, जूते, घड़ियाँ, इत्र इत्यादि पहनते हैं और पैसे बाहर जाता है। किंतु हम भी व्यापारिक लेन-देन के कारण विदेशी मुद्रा भारत लाते हैं। वर्तमान में भारत में बनी बहुत-सी वस्तुओं की विदेशों में भारी माँग है।
प्रश्न :- आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदारहण तर्क सहित दीजिए।
उत्तर :- हमारे विचार से देश की उन्नति के लिए हमें निम्न कदम उठाने होंगे –
- हमें जनसंख्या पर नियंत्रण रखना होगा।
- देश में शिक्षा का प्रसार करना होगा।
- आलस्य का त्याग करना होगा।
- देश में बनी वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा।
- विदेश मुद्रा भंडार बढ़ाना होगा।
- जाति और धर्म के भेदभाव मिटाने होंगे।
प्रश्न :- भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ एक भाषण है।
उत्तर :- भाषण की चार विशेषताएँ इस प्रकार हैं।-
(क) संबोधन शैली – ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ का आरंभ ही संबोधन से किया गया है।
(ख) उदाहरण – भारतेन्दु ने उदाहरणों के माध्यम से अपनी बातों को प्रभावी बनाया है।
(ग) नए और ज्ञानवर्धक प्रसंगों का उल्लेख – भारतेन्दु जी ने भारत के लोगों की कमियाँ बताई, ब्रिटिश शासन पर व्यंग्य किया तथा उनके कार्यों के लिए उनकी सराहना भी की है। इसमें उन्होंने कई विषयों पर बात की।
(घ) ओज पूर्ण – भारतेन्दु ने यह भाषण ओजपूर्ण शैली में दिया जिसके कारण भाषण की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।
प्रश्न :- ‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? वर्तमान संदर्भों में इसकी प्रासंगिता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :- भारतेन्दु हमेशा ही राष्ट्रभाषा की उन्नति के लिए प्रयास करते रहे। उनका मानना था कि कोई भी देश अपनी राष्ट्रभाषा के माध्यम से ही विकास पथ पर अग्रसर होता है। हम अपनी भाषा में अपने विचारों को अच्छी प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं इसलिए हमें अपने देश की पहचान बनाने के लिए अपनी भाषा की भी उन्नति करनी चाहिए।
आज आजादी के 75 साल बाद भी हिन्दी पूरे भारत की भाषा नहीं बन पायी है| कई संगठन हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं| सरकारी उदासीनता के कारण हिन्दी नाममात्र के लिए ही राजभाषा है। वास्तव में सारे सरकारी कार्य अंग्रेजी में किए जाते हैं। हमें इस गुलाम मानसिकता से निकलना होगा और अपनी भाषा में ही अपने विकास का मार्ग खोजना होगा।
प्रश्न :- निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए –
(क) सास के अनुमोदन से————-फिर परदेस चला जाएगा।
उत्तर :-
संदर्भ :- व्याख्येय गद्यांश पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 1 में संकलित पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ से उद्धृत है। इसके लेखक भारतेन्दु हरिश्चंद्र हैं।
प्रसंग :- इस गद्यांश में लेखक भारवासियों के आलस्य प्रवृत्ति पर उदाहरण के माध्यम से कटाक्ष करते हैं।
व्याख्या :- लेखक बताते हैं कि एक बहू अपनी सास की आज्ञा पाकर पति से मिलने गई। वहाँ लज्जा के कारण उसका अपने पति से मिलन नहीं हो पाया। सारी परिस्थितियाँ उसके अनुकूल थीं। किंतु वह लज्जा के कारण कुछ बोल ही नहीं पायी। अब इसे उसका दुर्भाग्य ही कहें कि अगले दिन उसका पति वापिस जाने वाला था। उसे अपनी लज्जा कारण पति का मुख देखना भी नसीब नहीं हुआ। उसने हाथ आया अवसर गँवा दिया।
इस उदाहरण के द्वारा लेखक बताना चाहते हैं कि भारवासियों को सभी प्रकार के अवसर मिले हुए हैं। आलस्य के कारण भारतवासी इस अवसर का सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। एक बार यह अवसर चला गया, तो हमारे पास उस नव वधू की तरह दुख और पछतावे के अतिरिक्त कुछ नहीं बचेगा।
(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह————-वही दशा हिदुस्तान की है।
उत्तर :-
संदर्भ :- व्याख्येय गद्यांश पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 1 में संकलित पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ से उद्धृत है। इसके लेखक भारतेन्दु हरिश्चंद्र हैं।
प्रसंग :- इस गद्यांश में लेखक बताना चाहते हैं कि कैसे एक गरीब परिवार समाज में अपनी इज्जत बचाने में असमर्थ हो जाता है। यह गद्यांश भारत की गरीबी का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है।
व्याख्या :- लेखक कहता है कि गरीब तथा कुलीन वधू अपने फटे हुए वस्त्रों में अपने अंगों को छिपाकर अपनी इज्जत बचाने का हर संभव प्रयास करती है। भाव यह है कि साधन सीमित होने पर भी वह उसमें ही अधिक से अधिक कोशिश करती है। ठीक ऐसे ही भारतावासियों के हाल भी है। भारत में चारों ओर गरीबी विद्यमान है। इसके कारण लोग अपनी इज्जत बचा पाने में असमर्थ हो रहे हैं। फिर भी वे पूरी कोशिश कर रहे हैं।
(ग) वास्तविक धर्म तो————-शोधे और बदले जा सकते हैं।
उत्तर :-
संदर्भ :- व्याख्येय गद्यांश पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 1 में संकलित पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ से उद्धृत है। इसके लेखक भारतेन्दु हरिश्चंद्र हैं।
प्रसंग :- इस गद्यांश में लेखक भारत में विद्यमान धर्मों के स्वरूप को दर्शाता है।
व्याख्या :- लेखक के अनुसार धर्म मनुष्य को भगवान के चरण कमलों की भक्ति करने के लिए कहता है। हमें इसे समझना होगा। जो अन्य बातें धर्म के साथ जोड़ी गई हैं, वे समाज-धर्म कहलाती हैं। समय और देश के अनुसार इनमें परिवर्तन किया जाना चाहिए। धर्म का मूल स्वरूप हमेशा एक जैसा रहता है। बस हमें उसके व्यावहारिक पक्ष को समय के अनुसार बदलने का प्रयास करना चाहिए।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न :- देश की उन्नति के लिए भारतेंदु ने जो आह्नान किया है उसे विस्तार से लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- पाठ में आए बोलचाल के शब्दों की सूची बनाइए और उनके अर्थ लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- भारतेंदु उर्दू में किस उपनाम से कविताएँ लिखते थे? उनकी कुछ उर्दू कविताएँ ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर :- उर्दू साहित्य में भारतेन्दु जी ‘रसा’ उपनाम से लिखा करते थे।
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- पृथ्वीराज चौहान की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- पृथ्वीराज चौहान दिल्ली का आखिरी राजा था। कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता के बुलावे पर उसका अपहरण किया और उसके साथ विवाह किया।इससे राजा जयचंद उसका शत्रु बन बैठा। उसने ही मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए भारत में आक्रमण करने का निमंत्रण दिया। मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज का 16 बार आमना-सामना हुआ। पृथ्वीराज की शक्ति बार-बार युद्ध के कारण समाप्त हो रही थी। राजा जयचंद का धोखा इसमें और भी कारगर सिद्ध हुआ। 17वीं बार मोहम्मद गौरी सफल हुआ और 1192 में दिल्ली पर उसका कब्ज़ा हो गया। मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज और उसके मित्र चंदबरदाई को अपने साथ ले गया। पृथ्वीराज की आँखें फोड़ दी गई थीं। गौरी ने सुना था कि पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण की कला जानता है। उसने पृथ्वीराज की शब्दभेदी बाण की कला को देखने के लिए इच्छा जाहिर की। यही उसकी बड़ी गलती थी। चंदबरदाई ने चतुरता से पृथ्वीराज को गौरी की सही स्थिति बता दी। पृथ्वीराज ने उसके निर्देश पर गौरी को मार गिराया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण
ता उपर सुल्तान है,मत चूको चौहान।।
क्विज/टेस्ट
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