कक्षा 11 » ख़ानाबदोश (ओमप्रकाश वाल्मीकि)

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ख़ानाबदोश
(पाठ का सार)

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ख़ानाबदोश
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न- जसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का समूचा दिन कैसा बीता?

उत्तर – समूचा दिन अदृश्य भय और दहशत में बीता था। जसदेव को हलका बुखार हो गया था। वह अपनी झोंपड़ी में पड़ा था। सुकिया उसके पास बैठा था। आज की घटना से मजदूर डर गए थे। उन्हें लग रहा था कि सूबेसि्ांह किसी भी वक्त लौटकर आ सकता है। शाम होते ही भट्टे पर सन्नाटा छा गया था। सब अपने-अपने खोल में सिमट गए थे। बूढ़ा बिलसिया जो अकसर बाहर पेड़ के नीचे देर रात तक बैठा रहता था, आज शाम होते ही अपनी झोंपड़ी में जाकर लेट गया था। उसके खाँसने की आवाज भी आज कुछ धीमी हो गई थी। किसनी की झोंपड़ी से ट्रांजिस्टर की आवाज भी नहीं आ रही थी।

प्रश्न- ‘ईंटों को जोड़कर बनाए चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-पिट जैसे मन में पसरी दुश्चिताओं और तकलीफों की प्रतिध्वनियाँ थीं जहाँ सब कुछ अनिश्चित था।’ – यह वाक्य मानो की किस मनोस्थिति को उजागर करता है?

उत्तर – यह वाक्य मानो की अनिश्चित तथा भट्टे से तालमेल न बिठा सकने वाली मनोस्थिति को प्रकट करता है। मानो अपने पति सुकिया के साथ यह सपना लेकर गाँव छोड़कर आई थी कि दोनों अपना एक घर बनाएंगे। भट्टे के जीवन में उन्हें दो वक्त की रोटी भी ठीक से नहीं मिल रही थी, ऐसे में उनका यह सपना पूरा होना असंभव-सा था।

प्रश्न- मानो अभी तक भट्टे की जिदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी?

उत्तर – मानो एक छोटा-सा सपना लेकर अपने पति के साथ यहाँ आई थी। प्रत्येक दूसरे दिन भट्टे पर ऐसी घटनाएँ घट जाती थी जो मानो को भीतर से हिला देती थी। कभी किसी के साथ मारपीट, लड़ाई झगड़ा आदि देखकर मानो को डर लगता था। इसलिए मानो अभी तक भट्टे की जिंदगी के साथ तालमेल नहीं बैठा पाई थी।

प्रश्न- ‘खुद के हाथ पथी ईंटों का रंग ही बदल गया था। उस दिन ईंटों को देखते-देखते मानो के मन में बिजली की तरह एक खयाल कौंधा था।’ – वह क्या खयाल था जो मानो के मन में बिजली की तरह कौंधा? इस संदर्भ में सुकिया के साथ हुए उसके वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – ‘खुद के हाथ पथी ईंटों का रंग ही बदल गया था। उस दिन ईंटों को देखते-देखते मानो के मन में बिजली की तरह एक खयाल कौंधा था।’ मानो के मन में खयाल आया कि एक दिन उनका भी पक्की ईंटों का घर होगा। उसने सुकिया से पक्की ईंटों का घर बनाने की बात कही। सुकिया ने उसे समझाया कि ये ईंटें भट्टा मालिक की है, इन पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। इस पर मानों बोली कि हम दोनों दिन-राम मेहनत करके अपने लिए एक घर नहीं बना सकते। सुकिया ने उसकी बात को टाल दिया।

प्रश्न- असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिह क्यों बिफर पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था?

उत्तर – सूबे सिंह ने असगर ठेकेदार को मानो को अपने पास दफ्रतर में बुलाने के लिए भेजा था। सूबे सिंह के बुलावे से सभी समझ गए थे कि वह मानो को भी अपनी वासनापूर्ति का शिकार बनाना चाहता है। अतः मानो को सूबे सिंह के पास भेजने के स्थान पर जसदेव वहाँ चला गया। यह देख सूबे सिंह को क्रोध आ गया क्योंकि उसे लगा जसदेव उसकी इच्छापूर्ति में बाधक बन रहा है। इस कारण क्रोध में आकर उसने जसदेव को मारा।

प्रश्न- ‘सुकिया ने मानो की आँखों से बहते तेज अँधड़ों को देखा और उनकी किरकिराहट अपने अंतर्मन में महसूस की। सपनों के टूट जाने की आवाज उसके कानों को फाड़ रही थी।’ -प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ बताते हुए आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – मानो के मन में अपने घर का एक छोटा-सा सपना पल रहा था। वह यह भी जानती थी कि उसका यह सपना पूरा होना बहुत मुश्किल है। इसके बावजूद भी वह अपने लिए पक्का घर बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर रही थी। लेकिन जब उसका यह सपना टूटा तो वह भीतर तक टूट गई। उससे यह सहन नहीं हुआ। सुकिया ने मानो की आँखों से बहते तेज अँधड़ों को देखा और उसके दुःख को अपने मन में महसूस किया। उसे भी मानो के सपने के टूट जाने की असहनीय आवाज अपने कानों में सुनाई दे रही थी। जिससे दोनों के गहरे प्रेम का आभास होता है।

प्रश्न- ‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – खानाबदोश कहानी में आज के समाज की निम्नलिखित समस्याओं को रेखांकित किया गया है-

  • दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरों के घर छोड़ने की समस्या।
  • समाज के ताकतवर वर्ग द्वारा मजदूरों का शारीरिक शोषण करने की समस्या।
  • समाज के प्रभुत्वशाली वर्ग द्वारा मजदूरों के साथ हिंसा करने की समस्या।
  • मजदूरों के आर्थिक शोषण की समस्या।
  • मजदूर वर्ग के अभी तक जातिवादी मानसिकता ने न उबर पाने की समस्या।

प्रश्न- ‘चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।’ – सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।’ – सुकिया के इस कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि मजदूर दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए और अपने सिर छुपाने के लिए पक्के घर की उम्मीद लिए खानाबदोश वाला जीवन जीने के लिए विवश है। ऐसे मजदूरों को परिश्रम करने के बावजूद भी कैसी पीड़ा झेलनी पड़ती है। यही इस कहानी की मूल संवेदना है।

प्रश्न- निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।

उत्तर – इस कथन का आशय है कि यह अपने गाँव में रहकर मेहनत मजदूरी करके दो वक्त की सूखी रोटी भी मिल जाए वह अच्छी होती है। बावजूद इसके कि शहर या परदेश में जाकर अधिक पैसे कमाएँ और सुख-सुविधाएँ लें। अपने घर का जीवन ही श्रेष्ठ माना जाता है।

(ख) इत्ते ढेर से नोट लगे हैं घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा, चले हाथी खरीदने।

उत्तर – जब मानो सुकिया को पक्की ईंटों के घर के लिए कहती है। तो सुकिया उसे समझाता कि अपना घर बनाने में बहुत सारा धन लगेगा इसलिए उसे अपने घर के सपने को छोड़ देना चाहिए। वह कहता है कि तेरा यह सोचना ऐसा ही है जैसे जेब में पैसे न होने के बावजूद भी कोई व्यक्ति हाथी को खरीदने की इच्छा रखे।

(ग) उसे एक घर चाहिए था – पक्की ईंटों का, जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।
उत्तर – मानो ने जब भट्टे से निकली पकी हुई लाल ईंटों को देखा तो उसके मन में एक उम्मीद जागी कि उनका भी एक घर हो। ऐसा घर जो पक्की इंर्टों से बना हो और उसका पूरा परिवार उस घर में स्थायी रूप में अपना जीवन व्यतीत कर सके।

(घ) फिर तुम तो दिन-रात साथ काम करते हो—मेरी खातिर पिटे—फिर यह बामन म्हारे बीच कहाँ से आ गया—?

उत्तर – ब्राह्मण होने के कारण जसदेव मानो के हाथ की बनाई गई रोटियाँ खाने से मना कर देता हैै। इस पर मानो उसे कहती है कि हम मिलजुलकर दिन-रात ईंट पाथने का काम करते रहते हैं। तुम मेरे लिए सूबे सिंह से पिट भी गए थे। फिर तुम्हारे और हमारे बीच में ये जातिवाद की भावना कैसे आ गई।

(घ) सपनों के काँच उसकी आँख में किरकिरा रहे थे।

उत्तर – मानो का सपना था कि पक्की ईंटों से बना हुआ उसका भी एक घर हो। जसदेव की घटना के बाद उसका वह सपना टूट जाता है। सुकिया के साथ वह भट्टे को छोड़ने लगती है तो उसे टूटे हुए सपने की चुभन अपनी आँखों में महसूस होने लगती है।


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