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प्रश्न :- कविता क्या है?
उत्तर :- कविता को किसी एक परिभाषा में बाँधना संभव नहीं है। अनेक भारतीय काव्यशास्त्रियों और पाश्चात्य मनीषियों ने इसे शब्द और अर्थ के संयोग, रसयुक्त वाक्य, संगीतमय विचार आदि के रूप में परिभाषित किया है। इन विचारों के सार स्वरूप कहा जा सकता है कि कविता मनुष्य के मन के भावों को व्यक्त करने की सबसे प्राचीन कला है। कविता मन में उमड़ने वाले भावों और विचारों को अभिव्यक्त करने का काव्यात्मक माध्यम है।
प्रश्न :- कविता का जन्म किस रूप में हुआ होगा और आज यह किस रूप में मौजूद है?
उत्तर :- कविता का जन्म वाचिक परंपरा के रूप में हुआ था और कविता आज लिखित रूप में भी मौजूद है।
प्रश्न :- कविता के मूल में क्या होता है?
उत्तर :- कविता के मूल में संवेदना है, राग तत्त्व है। यह संवेदना, संपूर्ण सृष्टि से जुड़ने और उसे अपना बना लेने का बोध है। यह वही संवेदना है जिसने रत्नाकर डाकू को वाल्मीकि बना दिया।
प्रश्न :- कविता की अनजानी दुनिया का सबसे पहला उपकरण क्या है?
उत्तर :- कविता की अनजानी दुनिया का सबसे पहला उपकरण है-शब्द। शब्दों से मेलजोल कविता की पहली शर्त है। इस सबंध में अंग्रेजी कवि डब्ल्यू- एच- ऑर्डेन ने भी कहीं कहा है कि प्ले विद द वर्ड्स। यानी आरंभ में शब्दों से खेलना सीखें। एक शब्द अपने भीतर कई अर्थ छिपाए रहता है। शब्दों से जुड़ना कविता की दुनिया में प्रवेश करना है।
प्रश्न :-किसके के प्रयास में धीरे-धीरे बच्चों की रचनात्मकता आकार लेने लगती है?
उत्तर :- तुकबंदी के प्रयास में धीरे-धीरे बच्चों की रचनात्मकता आकार लेने लगती है।
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प्रश्न :- कविता के लिए बिम्ब का क्या महत्त्व है?
उत्तर : – बिंब और छंद (आंतरिक लय) कविता को इंद्रियों से पकड़ने में सहायक होते हैं। हमारे पास दुनिया को जानने का एकमात्र सुलभ साधन इंद्रियाँ ही है। बाह्य संवेदनाएँ मन के स्तर पर बिंब के रूप में बदल जाती हैं। कुछ विशेष शब्दों को सुनकर अनायास मन के भीतर कुछ चित्र कौंध जाते हैं। ये स्मृति चित्र ही शब्दों के सहारे कविता का बिंब निर्मित करते हैं।
प्रश्न :- सुमित्रनंदन पंत ने कविता के लिए कैसी भाषा पर बल दिया?
उत्तर : – सुमित्रनंदन पंत ने कविता के लिए चित्र-भाषा की आवश्यकता पर बल दिया है, क्योंकि चित्रों या बिंबों का प्रभाव मन पर अधिक पड़ता है।
प्रश्न :- कौन-से बिम्ब अधिक बोधगम्य होते हैं?
उत्तर :- दृश्य बिंब अधिक बोधगम्य होते हैं, क्योंकि देखी हुई हर चीज हमें प्रभावित करती है। कविता की रचना करते समय शुरुआत में धीरे-धीरे दृश्य और श्रव्य बिंबों की संभावना तलाश करनी चाहिए। ये बिंब सभी को आकृष्ट करते हैं। इसीलिए किसी विचारक ने यह कहा था कि कविता ऐसी चीज है जिसे पाँच ज्ञानेद्रियों (स्पर्श, स्वाद, दृश्य, घ्राण, श्रवण) रूपी पाँच उँगलियों से पकड़ा जाता है। जिस कवि में जितनी बड़ी एेंद्रिक पकड़ होती है वह उतनी ही प्रभावशाली कविता रचने में समर्थ हो पाता है।
प्रश्न :- कविता के लिए छंद का क्या महत्त्व है?
उत्तर :- छंद (आंतरिक लय) कविता का अनिवार्य तत्त्व है। मुक्त छंद की कविता लिखने के लिए भी अर्थ की लय का निर्वाह जरूरी है। कवि को भाषा के संगीत की पहचान होनी चाहिए।
प्रश्न :- कविता के सभी घटक किस तत्त्व से परिचालित होते हैं?
उत्तर :- परिवेश के साथ-साथ कविता के सभी घटक भाव तत्त्व से परिचालित होते हैं। कवि की वैयक्तिक सोच, दृष्टि और दुनिया को देखने का नजरिया कविता की भाव संपदा बनती है। कवि की इस वैयक्तिकता में सामाजिकता मिली होती है हवा में सुगंध की तरह। इसे वह भाषा में बरतता है। भाषा के साथ कवि का यह बरताव ही कविता कहलाती है। प्रतिभा इन्हीं तत्त्वों को उजागर करने वाली आंतरिक क्षमता है, जिसे हम दुनिया के महान कवियों में पाते हैं।
प्रश्न :- कविता के प्रमुख तत्व या घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर :-
- भाषा का सम्यक ज्ञान।
- शब्द विन्यास।
- छंद विषयक बुनियादी जानकारी।
- अनुभव और कल्पना का सामंजस्य।
- सहज संप्रेषण शक्ति।
- भाव एवं विचार की अनुभूति।
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प्रश्न :- कविता के तत्त्व के रूप में ‘भाषा के ज्ञान’ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- कविता भाषा में होती है, इसलिए भाषा का सम्यक ज्ञान जरूरी है। भावों और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति के लिए जरूरी है कि कवि कविता में भाषा के रोज नए प्रयोगों द्वारा अपने अनुभवों को प्रदान करता रहे।
प्रश्न :- कविता के तत्त्व के रूप में ‘शब्द-विन्यास’ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- शब्द मनुष्य के सबसे प्रिय मित्र होते हैं। इसलिए कविता लेखन के समय कवि को अपने विचारों और भावों के अनुरूप शब्दों का चयन कर उनका प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न :- कविता के तत्त्व के रूप में ‘छंद विषयक बुनियादी जानकारी’ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- छंद के अनुशासन की जानकारी से होकर गुजरना एक कवि के लिए जरूरी है। तभी आंतरिक लय का निर्वाह संभव है। कविता छंद और मुक्त छंद दोनों में होती है। कविता में छंद और तुक कविता को अधिक भावमयी बना देते हैं।
प्रश्न :- कविता के तत्त्व के रूप में ‘अनुभव और कल्पना के सामंजस्य’ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- कवि कविता में भावों और विचारों के साथ अपनी कल्पना शक्ति का प्रयोग करता है। कल्पना के द्वारा कवि कविता में जीवन से सत्य मधुर और कटु दोनों रूपों को प्रकट करता है। कवि को केवल कोरी कल्पना से बचना चाहिए।
प्रश्न :- कविता के तत्त्व के रूप में ‘सहज सम्प्रेषण शक्ति’ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- कविता कवि अपने नहीं लिखता वरन् उसका लक्ष्य अपने भावों और विचारों से समाज को परिचित कराना है। इसलिए वह अपने भावों का साधारण करता है। सहज और सरल भाव पाठक को कविता के साथ बांध देते हैं।
प्रश्न :- कविता के तत्त्व के रूप में ‘भाव एवं विचार की अनुभूति’ पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :- कविता भावों का प्रबल आवेग है और मनुष्य भावों और विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए तत्पर रहता है। सामान्य व्यक्ति कविता की उस ऊँचाई तक नहीं पहुँच सकता जहाँ कवि पहुँच जाता है क्योंकि कवि की आत्म शक्ति प्रबल होती है।
प्रश्न :- काव्य लेखन के संदर्भ में प्रतिभा क्या है?
उत्तर :- कविता रचने के लिए चीजों को देखने की नवीन दृष्टि या नए को पहचानने और प्रस्तुत करने की कला न हो तो काव्य लेखन संभव नहीं। भारतीय विचारकों ने इसी को प्रतिभा कहा है। यह प्रतिभा प्रकृति प्रदत्त होती है और हर आदमी में किसी न किसी रूप में मौजूद होती है। किसी नियम या सिद्धांत के अनुसार इसे पैदा नहीं किया जा सकता। निरंतर अभ्यास और परिश्रम के द्वारा विकसित अवश्य किया जा सकता है।
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