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विशेष लेखन - स्वरूप और प्रकार
प्रश्न – विशेष लेखन किसे कहते हैं?
उत्तर – समाचारपत्रों और दूसरे जनसंचार माध्यमों को सामान्य समाचारों से अलग हटकर विशेष क्षेत्रें या विषयों के बारे में भी निरंतर और पर्याप्त जानकारी देनी पड़ती है। समाचारपत्रों में विशेष लेखन के लिए जगह यहीं से बनती है। विशेष लेखन यानी किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर किया गया लेखन।
प्रश्न – डेस्क किसे कहते हैं?
उत्तर – अधिकतर समाचारपत्रें और पत्रिकाओं के अलावा टी-वी- और रेडियो चैनलों में विशेष लेखन के लिए अलग डेस्क होता है और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है। जैसे समाचारपत्रें और अन्य माध्यमों में बिजनेस यानी कारोबार और व्यापार का अलग डेस्क होता है, इसी तरह खेल की खबरों और फ़ीचर के लिए खेल डेस्क अलग होता है। इन डेस्कों पर काम करने वाले उपसंपादकों और संवाददाताओं से अपेक्षा की जाती है कि संबंधित विषय या क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता होगी।
प्रश्न – बीट क्या है
उत्तर – संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आमतौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं। एक संवाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अर्थ यह है कि उसका कार्यक्षेत्र अपने शहर या क्षेत्र में घटनेवाली आपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिंग करना है। अखबार की ओर से वह इनकी रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह भी है।
प्रश्न – विशेष लेखन/ विशेषीकृत लेखन क्या है?
उत्तर – विशेषीकृत रिपोर्टिंग का तात्पर्य यह है कि सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण करना और पाठकों के लिए उसका अर्थ स्पष्ट करने की कोशिश करना।
प्रश्न – विशेष लेखन के क्षेत्र कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर – विशेष लेखन के निम्न क्षेत्र हो सकते हैं-
- अर्थ
- व्यापार
- खेल
- मनोरंजन
- विज्ञान
- प्रौद्योगिकी
- कृषि
- विदेश
- पर्यावरण
- रक्षा
- कानून
- स्वास्थ्य
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प्रश्न – बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है?
उत्तर –
बीट रिपोर्टिंग | विशेषीकृत रिपोर्टिंग |
1. बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और दिलचस्पी का होना पर्याप्त है। इसके अलावा एक बीट रिपोर्टर को आमतौर पर अपनी बीट से जुड़ी सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं। | 1. विशेषीकृत रिपोर्टिंग का तात्पर्य यह है कि सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण करना और पाठकों के लिए उसका अर्थ स्पष्ट करने की कोशिश करना। |
2. बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता दर्जा दिया जाता है। | 2. विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता का दर्जा दिया जाता है। |
प्रश्न – विशेष लेखन की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – सामान्य लेखन का यह सर्वमान्य नियम विशेष लेखन पर भी लागू होता है कि वह सरल और समझ में आने वाला हो। दरअसल, विशेष लेखन का संबंध जिन विषयों और क्षेत्रें से है, उनमें से अधिकांश तकनीकी रूप से जटिल क्षेत्र हैं और उनसे जुड़ी घटनाओं और मुद्दों को समझना आम पाठकों के लिए कठिन होता है। इसलिए इन क्षेत्रें में विशेष लेखन की जरूरत पड़ती है जिससे पाठकों को समझने में मुश्किल न हो। विशेष लेखन की भाषा और शैली कई मामलों में सामान्य लेखन से अलग है। उनके बीच सबसे बुनियादी प़्ाफ़र्क यह है कि हर क्षेत्र विशेष की अपनी विशेष तकनीकी शब्दावली होती है जो उस विषय पर लिखते हुए आपके लेखन में आती है। जैसे कारोबार पर विशेष लेखन करते हुए आपको उसमें इस्तेमाल होने वाली शब्दावली से परिचित होना चाहिए। दूसरे, अगर आप उस शब्दावली से परिचित हैं तो आपके सामने चुनौती यह होती है कि आप अपने पाठक को भी उस शब्दावली से इस तरह परिचित कराएँ कि उसे आपकी रिपोर्ट को समझने में कोई दिक्कत न हो।
प्रश्न – कारोबार और व्यापार से जुड़ी कुछ तकनीकी शब्दावली बताइए।
उत्तर – ‘तेजड़िए’, ‘सोना उछला’, ‘चाँदी लुढ़की’, ‘मंदड़िए’, ‘बिकवाली’, ‘ब्याज दर’, ‘मुद्रास्फीति’, ‘व्यापार घाटा’, ‘राजकोषीय घाटा’, ‘राजस्व घाटा’, ‘वार्षिक योजना’, ‘विदेशी संस्थागत निवेशक’, ‘एफ0डी0आई0′, ‘आवक’, ‘निवेश’, ‘आयात’, ‘निर्यात’, ‘सोने में भारी उछाल’, ‘आवक बढ़ने से लाल मिर्च की कड़वाहट घटी’ ‘शेयर बाजार ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़े’, ‘सेंसेक्स आसमान पर’.
प्रश्न – पर्यावरण से जुड़ी कुछ तकनीकी शब्दावली बताइए।
उत्तर – ‘आद्रता’, ‘टोक्सिक कचरा’, ‘ग्लोबल वार्मिंग’, ‘पश्चिमी हवाएँ’, ‘तूफ़ान का केंद्र या रुख’ ।
प्रश्न – खेलों से जुड़ी कुछ तकनीकी शब्दावली बताइए।
उत्तर –
- ‘भारत ने पाकिस्तान को चार विकेट से पीटा’,
- ‘चैंपियंस कप में मलेशिया ने जर्मनी के आगे घुटने टेके’
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प्रश्न – विशेषज्ञता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – विशेज्ञता का अर्थ है कि व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित न होने के बावजूद उस विषय में जानकारी और अनुभव का आधार पर अपनी समझ को इस हद तक विकसित करना कि सूचनाओं की सहजता से व्याख्या कर पाठकों को उसके मायने समझा सके।
प्रश्न – विशेषज्ञता कैसे प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर – विशेषज्ञता निम्न प्रकार से प्राप्त की जा सकती है
- स्वयं को अपडेट रखना
- पुस्तकें पढ़ना
- शब्दकोश आदि का सहारा लेना
- सरकारी-गैरसरकारी संगठनों से संपर्क रखना
- निरंतर दिलचस्पी
- सक्रियता
प्रश्न – आर्थिक मामलों के पत्रकार की चुनौतियाँ क्या होती हैं?
उत्तर – आर्थिक मामलों की पत्रकारिता सामान्य पत्रकारिता की तुलना में काफी जटिल होती है क्योंकि आम लोगों को इसकी शब्दावली का मतलब नहीं पता होता। आर्थिक पत्रकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि वह किस प्रकार सामान्य पाठक और जानकार पाठक दोनों को भली-भांति संतुष्ट कर पाता है।
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