कक्षा 12 » गाँधी, नेहरू और यास्सेर अराफात – भीष्म साहनी

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"गाँधी, नेहरू और यास्सेर अराफात"
(पाठ का सार)

शब्दार्थ :गाँडा – बाजू और गले में पहना जाने वाला ताबीज या काला धागा। प्रदक्षिणा – परिक्रमा। घुप्प – गहरा, घोर। झिंझोड़कर – पकड़कर जोर से हिलाना। पालथी – बैठने का एक आसन जिसमें दाहिने और बाएँ पैरों के पंजे क्रम से बाईं और दाईं जाँघ के नीचे दबे रहते हैं। चीवर – वस्त्र, पहनावा, बौद्ध भिक्षुओं का ऊपरी पहनावा। क्षोभ – रोषयुक्त, असंतोष। रुग्ण – बीमार, अस्वस्थ। दिक् – तपेदिक। लब्ध प्रतिष्ठ – प्रसिद्धि प्राप्त, यश अर्जित करना। अभ्यर्थना – प्रार्थना, निवेदन। दत्तचित – जिसका मन किसी कार्य में अच्छी तरह लगा हो, एकाग्र। लरजना – काँपना, हिलना-डुलना। नजरसानी – पुनर्विचार, पुनरीक्षण, नजर डालना। सदरमुकाम – राजधानी। आँखों में चमक आना – प्रसन्न होना। हाथ पैर पटकना – बेचैन होना, तड़पना। पेट पालना – गुजारा करना। पानी-पानी होना – शर्मिंदा होना

आँखें गाड़ना – एक जगह नजर टिकाना। पुलक उठना – प्रसन्न हो जाना। घेर लेना – अपनी ओर कर लेना। तिलमिला उठना – कष्ट या पीड़ा से विकल हो जाना। एक नजर देखना – अवलोकन करना, ध्यान से देखना। चल बसना – दिवंगत होना।


महात्मा गाँधी

लेखक सन् 1938 ई0 मेें सेवाग्राम गया था। उसके बड़े भाई बलराज सेवाग्राम मेेें रहते थे। वे ‘नई तालीम’ पत्रिका के सह-संपादक थे। उस समय वहाँ कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन हुआ था। लेखक कुद दिन अपने भाई के साथ बिताने सेवाग्राम चला गया था।

लेखक ने प्रातः सात बजे महात्मा गाँधी को सड़क पर आते हुए देखा। उनको देखकर वह खुशी से उछल पड़ा। लेखक उनके साथ हो लिया। उसके बड़े भाई ने गाँधी जी के साथ उसका परिचय कराया। लेखक को वो बिल्कुल तस्वीर जैसे लग रहे थे। लेखक ने जैसे ही गाँधी जी से रावलपिंडी का जिक्र किया। वे रुक गए और मिस्टर जॉन के बारे में पूछा। रावलपिंडी का नाम सुनकर गाँधी जी उस दौर की यादों में खो गए।

सेवाग्राम में लेखक को अनेक देशभक्त मिले। लेखक वहाँ तीन सप्ताह तक रहा। लेखक के अनुसार वहाँ पृथ्वीसिंह आजाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ्रफार खाँ, राजेन्द्र बाबू जैसे देशभक्त आते थे।

रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार सहानुभूतपूर्ण था। रोगी बालक के पेट में दर्द हो रहा था, वह निरंतर बापू को बुलाने के लिए चिल्ला रहा था। मीटिंग में होने के बावजूद बापू उसके पास गए। उसके फूल हुए पेट को देखकर वे समझ गए कि इसने ज्यादा ईख पी ली है। बापू ने उसे उल्टी करने के लिए कहा और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगे। थोड़ी देख में बालक को आराम हो गया। बापू आश्रमवासी को हिदायत देकर मुस्कराते हुए वहाँ से चले गए।

नेहरू

पंडित नेहरू काश्मीर यात्र पर आए थे जहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ था। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में, झेलम नदी पर, शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक, सातवें पुल से अमीराकदल तक, नावों में उनकी शोभायात्र देखने को मिली थी जब नदी के दोनों ओर हज़ारों-हज़ार काश्मीर निवासी अदम्य उत्साह के साथ उनका स्वागत कर रहे थे। अद्भुत दृश्य था।

अखबार वाली घटना से नहरू जी की उदारता और सहनशीलता का पता चलता है। बड़े आदमी होने के बावजूद भी उनमें अहंकार बिल्कुल नहीं था। वे मृदुभाषी और व्यवहारकुशल व्यक्ति थे। वे दूसरे व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र से परिचित थे। इसी वजह से उन्होंने बालक से अखबार नहीं माँगा, बल्कि उसके अखबार पढ़ने का इंतजार करते रहे और अंत में बड़ी शालीनता से पूछा – ‘आपने देख लिया हो तो क्या मैं एक नज़र देख सकता हूँ?’

यास्सेर अराफात

फिलिस्तीन में भी भारत की तरह साम्राज्यवादी शासन था। भारत के नेताओं ने साम्राज्यवादियों शक्तियों का घोर विरोध किया था। फिलिस्तीन गुलामी से छुटकारा पाने के आंदोलन कर रहा था। भारत के लोग फिलिस्तीनी आंदोलन के समर्थक रहे थे। इसीलिए फिलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया बहुत सहानुभूतिपूर्ण एवं समर्थन भरा था।

अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबंधित दो घटनाएँ है –

  • अराफात स्वयं ही फल छीनकर उन्हें खिला रहे थे।
  • अराफात ने स्वयं उनके लिए चाय बनाई थी।
  • जब लेखक हाथ धोने के लिए गुसलखाने में गया तो अराफात तौलिया लेकर गुसलखाने के बाहर खड़े रहे।

गांधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह जैसे आंदोलनों के द्वारा साम्राज्यवादी शक्तियों को सामना किया और भारत को आजादी दिलाई। उन्होंने विश्व के अनेक देशों को आजादी के लिए संघर्ष करने की राह दिखाई। आजादी के लिए संघर्षरत् देश उनको अपना नेता मानते थे। इसलिए अराफात ने बोला कि ‘वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं। उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।’

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गाँधी, नेहरू और यास्सेर अराफात 

(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न – लेखक सेवाग्राम कब और क्यों गया था?

उत्तर – लेखक सन् 1938 ई0 मेें सेवाग्राम गया था। उसके बड़े भाई बलराज सेवाग्राम मेेें रहते थे। वे ‘नई तालीम’ पत्रिका के सह-संपादक थे। उस समय वहाँ कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन हुआ था। लेखक कुद दिन अपने भाई के साथ बिताने सेवाग्राम चला गया था।

प्रश्न – लेखक का गांधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?

उत्तर – लेखक ने प्रातः सात बजे महात्मा गाँधी को सड़क पर आते हुए देखा। उनको देखकर वह खुशी से उछल पड़ा। लेखक उनके साथ हो लिया। उसके बड़े भाई ने गाँधी जी के साथ उसका परिचय कराया। लेखक को वो बिल्कुल तस्वीर जैसे लग रहे थे। लेखक ने जैसे ही गाँधी जी से रावलपिंडी का जिक्र किया। वे रुक गए और मिस्टर जॉन के बारे में पूछा। रावलपिंडी का नाम सुनकर गाँधी जी उस दौर की यादों में खो गए।

प्रश्न – लेखक ने सेवाग्राम में किन-किन लोगों के आने का जिक्र किया है?

उत्तर – सेवाग्राम में लेखक को अनेक देशभक्त मिले। लेखक वहाँ तीन सप्ताह तक रहा। लेखक के अनुसार वहाँ पृथ्वीसिंह आजाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ्रफार खाँ, राजेन्द्र बाबू जैसे देशभक्त आते थे।

प्रश्न – रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार किस प्रकार का था?

उत्तर – रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण था। रोगी बालक के पेट में दर्द हो रहा था, वह निरंतर बापू को बुलाने के लिए चिल्ला रहा था। मीटिंग में होने के बावजूद बापू उसके पास गए। उसके फूल हुए पेट को देखकर वे समझ गए कि इसने ज्यादा ईख पी ली है। बापू ने उसे उल्टी करने के लिए कहा और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगे। थोड़ी देख में बालक को आराम हो गया। बापू आश्रमवासी को हिदायत देकर मुस्कराते हुए वहाँ से चले गए।

प्रश्न – काश्मीर के लोगों ने नेहरू जी का स्वागत किस प्रकार किया?
उत्तर – पंडित नेहरू काश्मीर यात्र पर आए थे जहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ था। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में, झेलम नदी पर, शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक, सातवें पुल से अमीराकदल तक, नावों में उनकी शोभायात्र देखने को मिली थी जब नदी के दोनों ओर हज़ारों-हज़ार काश्मीर निवासी अदम्य उत्साह के साथ उनका स्वागत कर रहे थे। अद्भुत दृश्य था।

प्रश्न – अखबार वाली घटना से नेहरू जी के व्यक्तित्व की कौन सी विशेषता स्पष्ट होती है?

उत्तर – अखबार वाली घटना से नहरू जी की उदारता और सहनशीलता का पता चलता है। बड़े आदमी होने के बावजूद भी उनमें अहंकार बिल्कुल नहीं था। वे मृदुभाषी और व्यवहारकुशल व्यक्ति थे। वे दूसरे व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र से परिचित थे। इसी वजह से उन्होंने बालक से अखबार नहीं माँगा, बल्कि उसके अखबार पढ़ने का इंतजार करते रहे और अंत में बड़ी शालीनता से पूछा – ‘आपने देख लिया हो तो क्या मैं एक नज़र देख सकता हूँ’

प्रश्न – फ़िलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया बहुत सहानुभूतिपूर्ण एवं समर्थन भरा क्यों था?

उत्तर – फिलिस्तीन में भी भारत की तरह साम्राज्यवादी शासन था। भारत के नेताओं ने साम्राज्यवादियों शक्तियों का घोर विरोध किया था। फिलिस्तीन गुलामी से छुटकारा पाने के आंदोलन कर रहा था। भारत के लोग फिलिस्तीनी आंदोलन के समर्थक रहे थे। इसीलिए फिलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया बहुत सहानुभूतिपूर्ण एवं समर्थन भरा था।

प्रश्न – अराफ़ात के आतिथ्य प्रेम से संबंधित किन्हीं दो घटनाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर – अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबंधित दो घटनाएँ है –

  • अराफात स्वयं ही फल छीनकर उन्हें खिला रहे थे।
  • अराफात ने स्वयं उनके लिए चाय बनाई थी।
  • जब लेखक हाथ धोने के लिए गुसलखाने में गया तो अराफात तौलिया लेकर गुसलखाने के बाहर खड़े रहे।

प्रश्न – अराफ़ात ने ऐसा क्यों बोला कि ‘वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं। उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।’ इस कथन के आधार पर गांधी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर – गांधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह जैसे आंदोलनों के द्वारा साम्राज्यवादी शक्तियों को सामना किया और भारत को आजादी दिलाई। उन्होंने विश्व के अनेक देशों को आजादी के लिए संघर्ष करने की राह दिखाई। आजादी के लिए संघर्षरत् देश उनको अपना नेता मानते थे। इसलिए अराफात ने बोला कि ‘वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं। उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।’

भाषा-शिल्प

प्रश्न – पाठ से क्रिया विशेषण छाँटिए और उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर –

बेसुध सोना – व्यापारी सारा माल बेचकर बेसुध सो गया।

भव्य स्वागत हुआ – लेखक का वहाँ पहुँचने पर भव्य स्वागत हुआ।

साथ चला – हमें साथ चलना चाहिए।

ऊँचा-ऊँचा चिल्लाना – बालक दर्द के मारे ऊँचा-ऊँचा चिल्ला रहा था।

चुपके से अंदर घुस जाना – चोर चुपके से घर के अंदर घुस गया।


टेस्ट/क्विज

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