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अक्षरों का महत्व
लेखक : गुणाकर मुले
शब्दार्थ : तादाद – संख्या। अनादिकाल – जो सदा से चला आ रहा हो। प्रागैतिहासिक मानव – इतिहास में वर्णित काल के पूर्व का मानव। द्योतक – सूचक
सिलसिला – क्रम। पीढ़ी – किसी जाति, कुल या व्यक्ति की वंश परंपरा की कोई कड़ी।
पाठ का सार
इस निबंध के माध्यम से लेखक गुणाकर मुले ने मानव के विकास में अक्षरों के योगदान को अत्यंत सहजता से व्यक्त किया है। वे कहते हैं कि सारी पुस्तकें अक्षरों से बनी हैं। दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं। हजारों पुस्तकें रोज छपती हैं। तरह-तरह के अक्षरों में हजारों की तादाद में रोज ही समाचार-पत्र छपते रहते हैं। इन सबके मूल में हैं अक्षर। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि यदि आदमी अक्षरों को न जानता, तो आज इस दुनिया का क्या हाल होता। कोई कह सकता है कि हम अक्षरों को अनादि काल से जानते हैं। आज हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज किसी ईश्वर ने नहीं, बल्कि स्वयं आदमी ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कि किन अक्षरों की खोज किस देश में किस समय हुई! इस धरती पर कोई पाँच लाख साल पहले मानव ने जन्म लिया। धीरे-धीरे उसका विकास हुआ। मानव ने सबसे पहले चित्रें के जरिए अपने भाव व्यक्त किए। जैसे, पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। इन चित्र-संकेतों से बाद में भाव-संकेत अस्तित्व में आए। जैसे, एक छोटे वृत्त के चहुँ ओर किरणों की द्योतक रेखाएँ खींचने पर वह ‘सूर्य’ का चित्र बन जाता था। तब जाकर काफ़ी बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज के सिलसिले को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। आदमी ने जबसे लिखना शुरू किया तबसे ‘इतिहास’ आरंभ हुआ। किसी भी कौम या देश का इतिहास तब से शुरू होता है जबसे आदमी के लिखे हुए लेख मिलने लग जाते हैं। अतः हम देखते हैं कि यदि आदमी अक्षरों की खोज नहीं करता तो आज हम इतिहास को न जान पाते। अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है।
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प्रश्न-अभ्यास
निबंध से
प्रश्न :- पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई?
उत्तर :- अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि आदमी अपने विचार और अपने हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा। एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी। तबसे मानव को ‘सभ्य’ कहा जाने लगा। अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हजार सालों में मानव जाति का तेजी से विकास हुआ।
प्रश्न :-अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।
उत्तर :- अक्षरों की खोज के सिलसिले को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। सबसे पहले प्रागैतिहासिक मानव ने अपने भावों को व्यक्त करने के लिए चित्र-संकेतों का सहारा लिया। ये चित्र संकेत बाद में भाव संकेतों में बदल गए। भाव को व्यक्त करने का यह प्रयास आगे चल कर अक्षरों की खोज में परिणत हुआ। यह खोज मुश्किल से छह हजार साल पुरानी है।
प्रश्न :- अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन-किन माध्यमों का सहारा लेता था?
उत्तर :- अक्षरों के ज्ञान से पहले मनुष्य चित्रों के सहारे अपने भाव व्यक्त करता था तथा दूर-दराज के इलाकों तक अपनी बात पहुँचाया करता था। जैसे पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। बाद में इन चित्रों ने भाव संकेतों का रूप ले लिया।जैसे एक गोले के चारों ओर रेखाएँ खींच कर बनाया गया सूर्य का चित्र ताप और धूप दर्शाने लगा।
प्रश्न :- ‘भाषा का विकास पहले हुआ, अक्षर और लिपि का बाद में। बोली गई भाषा को अक्षरों की मदद से लिखा जा सकता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अक्षर नहीं पहचानते, पर भाषा अच्छी तरह जानते हैं।’ ऊपर की पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए भाषा और अक्षर के संबंधों के बारे में एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
निबंध से आगे
प्रश्न :- अक्षरों के महत्व की तरह ध्वनि के महत्व के बारे में जितना जानते हो उसे लिखो।
उत्तर :- अक्षरों द्वारा लिखकर और ध्वनि द्वारा बोलकर अपने भाव व्यक्त किए जाते हैं। मौखिक भाषा का आधार ध्वनि ही है। पहले ध्वनि पैदा हुई, उसके बाद अक्षर। अतः ध्वनि ही अभिव्यक्ति का मूल आधार है। अक्षरों के बिना लिखा नहीं जा सकता और ध्वनियों के बिना बोलना असंभव है।
प्रश्न :- रेडियो की भाषा लिखित नहीं, मौखिक है। मौखिक भाषा का जीवन में क्या महत्व होता है? इसे शिक्षक को कक्षा में सुनाओ।
उत्तर :- मौखिक भाषा भावों को व्यक्त करने का प्रमुख साधन है। मौखिक भाषा द्वारा बोलकर सभी बातें दूसरों को बताई जा सकती है। इसके प्रयोग के बिना हम किसी मूक और बधिर व्यक्ति के ही समान हैं। मौखिक भाषा की महत्ता इसलिए भी है क्योंकि हर बात लिखकर नहीं बताई जा सकती। लिखित भाषा का प्रयोग सीखने में समय लगता है, जबकि मौखिक भाषा अनुकरण से स्वतः आ जाती है।
प्रश्न :- हर वैज्ञानिक खोज के साथ किसी-न-किसी वैज्ञानिक का नाम जुड़ा होता है, लेकिन अक्षरों के साथ ऐसा नहीं है, क्यों? पता करो और शिक्षक को बताओ।
उत्तर :- अक्षरों की खोज मानव जाति के सम्मिलित प्रयास का परिणाम है। अक्षरों की खोज एक दिन में नहीं हुई, इसका क्रमिक विकास हुआ। मानव जाति ने कई असफल प्रयासों के बाद धीरे-धीरे अक्षरों का निर्धारण किया और उसका प्रयोग सीखा। इसलिए अक्षरों कि खोज के साथ किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं जोड़ा जा सकता।
प्रश्न :- एक भाषा को कई लिपियों में लिखा जा सकता है। उसी तरह कई भाषाओं को एक ही लिपि में लिखा जा सकता है। आगे कुछ शब्द दिए गए हैं, जैसे – भारत, गांधी, भाषा। इन्हें एक से अधिक लिपियों में लिखो।
उत्तर :- छात्र स्कूल के शिक्षकों की मदद से कार्य करें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- पुराने जमाने में लोग यह क्यों सोचते थे कि अक्षर और भाषा की खोज ईश्वर ने की थी? अनुमान लगाओ और बताओ।
उत्तर :- पुराने जमाने में लोग यह सोचते थे कि अक्षर और भाषा की खोज ईश्वर ने की थी क्योंकि उनके पास उसका इतिहास नहीं था।
प्रश्न :- अक्षरों के महत्व के साथ ही मनुष्य के जीवन में गीत, नृत्य और खेलों का भी महत्व है। अपने मित्रें के साथ बातचीत कर इनके महत्व के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर :-
प्रश्न :- कल्पना करो कि यदि हमें अक्षरों का ज्ञान न होता तो क्या होता? लिखो।
उत्तर :- यदि हमें अक्षरों का ज्ञान न होता तो –
- पुस्तकों का विकास न हो पाता।
- इतिहास नहीं लिखा जाता।
- पीढ़ी दर पीढ़ी सीख नहीं पाते।
- हमारा विकास धीरे-धीरे होता।
भाषा की बात
प्रश्न :- अनादि काल में रेखांकित शब्द का अर्थ है जिसकी कोई शुरुआत या आदि न हो। नीचे दिए गए शब्द भी मूल शब्द के शुरू में कुछ जोड़ने से बने हैं। इसे उपसर्ग कहते हैं। इन उपसर्गों को अलग करके लिखो और मूल शब्दों को लिखकर उनका अर्थ समझो-
असफल = अ उपसर्ग, सफल मूल शब्द
अदृश्य = अ उपसर्ग, दृश्य मूल शब्द
अनुचित = अन् उपसर्ग, उचित मूल शब्द
अनावश्यक = अन् उपसर्ग, आवश्यक मूल शब्द
अपरिचित = अ उपसर्ग, परिचित मूल शब्द
अनिच्छा = अन् उपसर्ग, इच्छा मूल शब्द
(क) अब बताओ कि ये उपसर्ग जिन शब्दों के साथ जुड़ रहे हैं क्या उनमें कोई अंतर है?
उत्तर – हाँ, प्रत्येक शब्द का अलग अर्थ है।
(ख) उपर्युक्त शब्दों से वाक्य बनाओ और समझो कि ये संज्ञा हैं या विशेषण। वैसे तो संख्याएँ संज्ञा होती हैं पर कभी-कभी ये विशेषण का काम भी करती हैं, जैसे नीचे लिखे वाक्य में- हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया। इन वाक्यों में रेखांकित अंश ‘साल’ संज्ञा के बारे में विशेष जानकारी दे रहे हैं, इसलिए संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण का इस्तेमाल उन्हीं चीजों के लिए होता है जिन्हें गिना जा सके। जैसे, चार संतरे, पाँच बच्चे, तीन शहर आदि। पर यदि किसी चीज को गिना नहीं जा सकता तो उसके साथ संख्या वाले शब्दों के अलावा माप-तौल आदि के शब्दों का इस्तेमाल भी किया जाता है – तीन जग पानी, एक किलो जीरा। यहाँ रेखांकित हिस्से परिमाणवाचक विशेषण हैं क्योंकि इनका संबंध माप-तौल से है। अब नीचे लिखे हुए को पढ़ो। खाली स्थानों में बॉक्स में दिए गए माप-तौल के उचित शब्द छाँटकर लिखो।
प्याला कटोरी एकड़ मीटर
लीटर किलो ट्रक चम्मच
- तीन कटोरी खीर
- दो एकड़ जमीन
- छह मीटर कपड़ा
- एक ट्रक रेत
- दो प्याला कॉफ़ी
- पाँच किलो बाजरा
- एक लीटर दूध
- तीन लीटर तेल
कुछ करने को
प्रश्न :-अपनी लिपि के कुछ अक्षरों के बारे में जानकारी इकट्ठी करो-
(क) जो अब प्रयोग में नहीं रहे।
उत्तर :– छात्र स्वयं करें।
(ख) प्रचलित नए अक्षर जो अब प्रयोग में आ गए हैं।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :-लिखित और मौखिक भाषा के हानि-लाभ के बारे में दोस्तों के बीच चर्चा करो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- अक्षर और कंप्यूटर के संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त करो और इसे शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- अक्षर ध्वनियों (स्वरों और व्यंजनों) का प्रतीक होते हैं। उदाहरण के लिए ‘हिंदी’ ‘उर्दू’ और ‘बाँग्ला’ आदि शब्दों में प्रत्येक अक्षर के लिए उसकी ध्वनि निर्धारित है। कुछ चित्रें से भी संकेत व्यक्त होते हैं। नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं। उससे क्या संकेत व्यक्त होते हैं, बताओ-
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
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