कक्षा 6 » ऐसे-ऐसे (एकांकी)

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ऐसे-ऐसे

लेखक : विष्णु प्रभाकर

शब्दार्थ :- गलीचा – सूत या ऊन के धागे से बुना हुआ कालीन।अंट-शंट – फ़ालतू चीजें। गड़-गड़ – गरजने की आवाज। कल – चैन। बला – कष्ट। भला-चंगा – स्वस्थ, तंदरुस्त, अच्छा-खासा। गुलजार – चहल-पहल वाला। धमा-चौकड़ी – उछल-कूद, कूद-फाँद, ऊधम। वात – शरीर में रहने वाली वायु के बढ़ने से होनेवाला। रोग प्रकोप – बीमारी का बढ़ना, बहुत अधिक या बढ़ा हुआ कोप। तबीयत – शरीर या मन की स्थिति। बदहजमी – अपच, अजीर्ण। रौनक – चहल-पहल।

पाठ का सार

ऐसे-ऐसे एकांकी विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित है। इस एकांकी में निम्नलिखित पात्र हैं-

मोहन: एक विद्यार्थी
दीनानाथ: एक पड़ोसी
माँ: मोहन की माँ
पिता: मोहन के पिता
मास्टर: मोहन के मास्टर जी।
वैद्य जी, डॉक्टर तथा एक पड़ोसिन।

तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला आठ-नौ वर्ष का बच्चा मोहन कमरे में बेड पर लेटा बार-बार पेट पकड़ कर कराह रहा है। बगल में बैठी उसकी माँ गरम पानी का बोतल से मोहन का पेट सेंक रहीं है। वह मोहन के पिता से पूछती हैं कि उसने कुछ अंट-शंट चीज़ तो नहीं खायी है। पिता तसल्ली देते हुए कहते हैं कि मोहन ने केवल केला और संतरा खाया है। दफ़्तर से ठीक ही आया था, बस अड्डे पर अचानक बोला – पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। माँ अपनी ओर से घरेलू दवाई हींग, चूरन, पिपरमेंट दे चुकीं हैं परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। तभी फ़ोन की घंटी बजती है। पिता फ़ोन रखने के बाद बताते हैं कि डॉक्टर साहब आ रहे हैं। थोड़ी देर बाद वैद्य जी आते हैं। वे मोहन की नाड़ी छूकर बताते हैं कि उसके शरीर में वायु बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है। वह बताते हैं कि उसे कब्ज़ है, कुछ पुड़िया खाने के बाद ठीक हो जाएगा। वैद्य जी के जाने के बाद डॉक्टर साहब आ जाते हैं। वे मोहन की जीभ को देखते हैं और बताते हैं कि उसे बदहजमी है। वह दवाई भेजने की बात करते हुए निकल जाते हैं। डॉक्टर के जाने के बाद पड़ोसिन आती है। वह मोहन की माँ को नयी-नयी बीमारियों के बारे में बताती है। उसी वक़्त मोहन के मास्टरजी भी आ जाते हैं। वह मोहन का हाल पूछते हैं। मास्टरजी समझ जाते हैं कि मोहन ने गृहकार्य पूरा नहीं किया है इसलिए वह बिमारी का बहाना कर रहा है। मास्टरजी सभी को बताते हैं कि मोहन ने महीने भर मस्ती की जिसके कारण उसका स्कूल का कार्य पूरा नहीं हुआ इसलिए उसने यह बिमारी का बहाना किया। मास्टरजी मोहन को दो दिन का वक़्त देते हैं और कार्य पूरा करने के लिए कहते हैं। माँ यह बात सुनकर हैरान रह जाती है। पिताजी के हाथ से दवा की शीशी गिरकर टूट जाती है। सभी लोग हँस पड़ते हैं।

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प्रश्न-अभ्यास

एकांकी से

प्रश्न –  ‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्रलैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है—————उस पर एक फ़ोन रखा है।’ इस बैठक की पूरी तसवीर बनाओ।

उत्तर – छात्र दिए गए विवरण के आधार पर चित्र बनाएँ।

प्रश्न –  माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?

उत्तर – मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी क्योंकि मोहन कुछ बताता ही नहीं था बस ऐसे-ऐसे किए जा रहा था। माँ ने सोचा पता नहीं यह कौन-सी बीमारी है और कितनी भयंकर है। इसलिए मोहन की माँ घबरा गई थी। माँ का घबराना स्वाभाविक था।

प्रश्न –  ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो।

उत्तर – परिवार के किसी सदस्य की बीमारी का बहाना, पेट दर्द, सिर दर्द, बुखार, माता-पिता के साथ कहीं जाना, माता-पिता द्वारा किसी काम के लिए कहीं जाना, शादी में जाना।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न –  स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी?

उत्तर – यदि किसी दिन मोहन को सचमुच पेट में दर्द हो गया तो कोई भी उसकी बात को नहीं मानेगा तथा उसका दर्द बढ़ता जाएगा जो कि परेशानी का कारण बन सकता है। तब जाकर मोहन को पता चला होगा कि झूठ बोलने से क्या नुकसान होता है। उसे पछतावा होगा। हो सकता है कि वह भविष्य में कभी झूठ बोलने से तौबा कर ले।

प्रश्न – पाठ में आए वाक्य-‘लोचा-लोचा फिरे है’ के बदले ‘ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमजोर हो गया है’-लिखा जा सकता है। लेकिन, लेखक ने संवाद में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं, जैसे –

– इत्ती नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं,
– राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया,
– तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।
अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है?

उत्तर

  • इतनी नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं।
  • इन बीमारियों ने परेशान कर दिया है।
  • तुम तो बहुत चालाक हो।

प्रश्न –  मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो।

उत्तर –

मैं – अरे मोहन! कैसे हो? सुना है तुम्हारे पेट में गड़बड़ है?
मोहन – कुछ नहीं भाई। बस पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।
मैं – ऐसे कैसे?
मोहन – बस ऐसे-ऐसे।
मैं – डॉक्टर को दिखाया?
मोहन – डॉक्टर भी दिखाया है।
मैं – क्या कहा उन्होंने?
मोहन – बदहजमी बताई है।
मैं – दवा खाओ और जल्दी ठीक होने की कोशिश करो। 
मैं – अब मैं चलता हूँ। कल स्कूल जाते समय आऊँगा।
मोहन – अच्छा भाई ! धन्यवाद ।

प्रश्न –  संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए? ऐसे वक्त में पुलिस, फ़ायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे? कक्षा में करके बताओ।

उत्तर – संकट के समय पुलिस, फायर ब्रिगेड और हॉस्पिटल एवं चिकित्सक के नंबर याद रखे जाने चाहिए। पुलिस की नंबर-100, फायर ब्रिगेड की-101, एंबुलेंस की-102

  • यदि कोई वारदात होती है तो पुलिस को जानकारी देंगे।
  • यदि आग लगती है तो फायर ब्रिगेड को जानकारी देंगे।
  • यदि कोई बीमार है तो एंबुलेंस को फ़ोन करेंगे।

वैसे आज-कल एक नई फोन सेवा शुरू हुई है – नंबर 112, इस पर तीनों की जानकारी के लिए फोने किया जा सकता है।

प्रश्न – ऐसा होता तो क्या होता—

मास्टर: — स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है?
(मोहन हाँ में सिर हिलाता है।)
मोहन: जी, सब काम पूरा कर लिया है।

इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता? लिखो।

उत्तर – ऐसा होता तो मास्टर जी समझ जाते कि मोहन के पेट में सचमुच दर्द है। वे उसके माता-पिता को मोहन का ठीक से इलाज कराने की सलाह देते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न –  (क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया?
(घ) मोहन केला और संतरा खाओ।

उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं (निषेध का अर्थ नहीं या मना ही होता है।) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। आगे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो- बताना: रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे।

उत्तर – 

नहीं/मना करना: रुथ ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।
पूछना: क्या रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे ?
आदेश देना: रुथ कपड़े अलमारी में रखो।


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