कक्षा 6 » चाँद से थोड़ी-सी गप्पें (कविता)

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चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

कवि : शमशेर बहादुर सिंह

कविता का भावार्थ

(एक दस-ग्यारह साल की लड़की)

गोल हैं खूब मगर
आप तिरछे नजर आते हैं जरा
आप पहने हुए हैं कुल आकाश
तारों-जड़ा_
सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना
गोरा-चिट्टा
गोल-मटोल,
अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त।

शब्दार्थ :- खूब – बहुत अधिक। कुल – सारा। पोशाक – वस्त्र (यहाँ चाँदनी)। सिम्त – दिशा।

भावार्थ :- शमशेर बहादुर सिंह द्वारा लिखित चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता की इन पंक्तियों में बालिका चाँद से कह रही है कि यूं तो आप गोल हैं, पर फिर भी थोड़े-से तिरछे दिखाई देते हैं। अनगिनत तारे जड़ा हुआ आकाश मुझे आपके कपड़ों की तरह नज़र आता है। आप अकेले ही इस विशाल आसमान में अपना मुँह खोले रहते हो। आप गोल-मटोल और गोरे-चिट्टे-से दिखते हैं और अपनी रोशनी चारों ओर फैलाए हुए दिखाई पड़ते हैं।

आप कुछ तिरछे नजर आते हैं जाने कैसे
– खूब हैं गोकि!
वाह जी, वाह!
हमको बुद्धू ही निरा समझा है!
हम समझते ही नहीं जैसे कि
आपको बीमारी हैः

शब्दार्थ :-  गोकि – हालाँकि, यद्यपि। नीरा – बिलकुल।

भावार्थ :- इन पंक्तियों में चाँद से बात करने वाली लड़की कहती है कि भले ही आपने आकाश का कपड़ा ओढ़ रखा है लेकिन हमें बुद्दू नहीं बना सकते। आप कुछ-कुछ तिरछे नजर आते हो। हमें सब पता है ये तिरछापन आपकी बीमारी है। इसे आप छिपा नहीं सकते।

आप घटते हैं तो घटते ही चले जाते हैं,
और बढ़ते हैं तो बस यानी कि
बढ़ते ही चले जाते हैं-
दम नहीं लेते हैं जब तक बि ल कु ल ही
गोल न हो जाएँ,
बिलकुल गोल।
यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में—
आता है।

शब्दार्थ :- दम – फुरसत। मरज – बीमारी।

भावार्थ :- इन पंक्तियों में चाँद से बात करने वाली लड़की कहती है कि आपका आकार घटता है तो घटता ही चला जाता है, बढ़ता है तो बढ़ता ही चला जाता है। आप जब तक पूरे गोल न हो जाएँ तब तक दम नहीं लेते। आपका आकार बदलता ही रहता हैं। आपकी ये बीमारी ठीक होने का नाम नहीं लेती।

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प्रश्न-अभ्यास

कविता से

प्रश्न :- कविता में ‘आप पहने हुए हैं कुल आकाश’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है?

उत्तर:- लड़की कहना चाहती है कि चाँद के चारों ओर संपूर्ण आकाश ऐसा लगता है जैसे आकाश ही चाँद का वस्त्र है, जिस पर सितारे जड़े हैं।

प्रश्न :-‘हमको बुद्धू ही निरा समझा है!’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है?

उत्तर:- ‘हमको बुद्धू ही निरा समझा है!’ से लड़की का आशय है कि भले ही आपने आकाश का कपड़ा ओढ़ रखा है लेकिन हमें बुद्दू नहीं बना सकते। आप कुछ-कुछ तिरछे नजर आते हो। हमें सब पता है ये तिरछापन आपकी बीमारी है। इसे आप छिपा नहीं सकते।

प्रश्न :- आशय बताओ-
‘यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में आता है।’

उत्तर:- इन पंक्तियों में चाँद से बात करने वाली लड़की कहती है कि आपका आकार घटता है तो घटता ही चला जाता है, बढ़ता है तो बढ़ता ही चला जाता है। आप जब तक पूरे गोल न हो जाएँ तब तक दम नहीं लेते। आपका आकार बदलता ही रहता हैं। आपकी ये बीमारी ठीक होने का नाम नहीं लेती।

प्रश्न :- कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी? इस कविता में आई बातों की मदद से अनुमान लगाओ और इसके कारण भी बताओ।

दिन / कारण
पूर्णिमा
अष्टमी से पूर्णिमा के बीच
प्रथमा से अष्टमी के बीच

उत्तर – कवि ने चाँद से गप्पें अष्टमी से पूर्णिमा के बीच लगाई होगी।

क्योंकि कवि अपनी कविता में कहते हैं।

“गोल है खूब मगर

आप तिरछे नज़र आते हैं ज़रा।”

इन पंक्तियों से ज्ञात होता है कि चाँद पूरी तरह से गोल नहीं है। उसकी गोलाई थोड़ी तिरछी है। पूर्णिमा होने में अभी एक या दो दिन का समय और है।

प्रश्न :- नई कविता में तुक या छंद की बजाय बिंब का प्रयोग अधिक होता है, बिंब वह तसवीर होती है जो शब्दों को पढ़ते समय हमारे मन में उभरती है। कई बार कुछ कवि शब्दों की ध्वनि की मदद से ऐसी तसवीर बनाते हैं और कुछ कवि अक्षरों या शब्दों को इस तरह छापने पर बल देते हैं कि उनसे कई चित्र हमारे मन में बनें। इस कविता के अंतिम हिस्से में चाँद को एकदम गोल बताने के लिए कवि ने बि ल कु ल शब्द के अक्षरों को अलग-अलग करके लिखा है। तुम इस कविता के और किन शब्दों को चित्र की आकृति देना चाहोगे? ऐसे शब्दों को अपने ढंग से लिखकर दिखाओ।

उत्तर:-

  • गो-ल
  • ति-र-छे
  • ब-ढ-ते

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- कुछ लोग बड़ी जल्दी चिढ़ जाते हैं, यदि चाँद का स्वभाव भी आसानी से चिढ़ जाने का हो तो वह किन बातों से सबसे ज्यादा चिढ़ेगा? चिढ़कर वह उन बातों का क्या जवाब देगा? अपनी कल्पना से चाँद की ओर से दिए गए जवाब लिखो।

उत्तर:- यदि चाँद का स्वभाव आसानी से चिढ़ जाने का हो तो वह शायद निम्नलिखित बातों से चिढ़ जाता-

(i) आप कुछ तिरछे नज़र आते हैं।

चाँद द्वारा दिया जवाब होता – मैं तिरछा नहीं हूँ तिरछी तो तुम्हारी नज़र है।

(ii) आपको बीमारी है।

चाँद द्वारा दिया जवाब होता – मुझे कोई बीमारी नहीं है तुम्हारी सोच ही खराब है।

(iii) सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना।

चाँद द्वारा दिया जवाब होता – मेरा मुँह बिल्कुल ठीक है। तुम्हें देखना नहीं आता।

(iv) गोल मटोल।

चाँद द्वारा दिया जवाब होता – मै तुम्हारे जैसा कमज़ोर नहीं होना चाहता।

प्रश्न :- यदि कोई सूरज से गप्पें लगाए तो वह क्या लिखेगा? अपनी कल्पना से गद्यया पद्य में लिखो। इसी तरह की कुछ और गप्पें निम्नलिखित से किसी एक या दो से करके लिखो- पेड़ / बिजली का खंभा / सड़क /  पेट्रोल पंप।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न :- चाँद संज्ञा है। चाँदनी रात में चाँदनी विशेषण है। नीचे दिए गए विशेषणों को ध्यान से देखो और बताओ कि कौन-सा प्रत्यय जुड़ने पर विशेषण बन रहे हैं। इन विशेषणों के लिए एक-एक उपयुक्त संज्ञा भी लिखो-

उत्तर:-

  • गुलाबी पगड़ी – गुलाबी विशेषण – गुलाब में ‘ई’ प्रत्यय लगने से बना है।

अन्य उपयुक्त संज्ञा – गुलाबी वस्त्र।

  • मखमली घास – मखमली विशेषण – मखमल में ‘ई’ प्रत्यय लगने से बना है।

अन्य उपयुक्त संज्ञा – मखमली चादर।

  • क़ीमती गहने – क़ीमती विशेषण – क़ीमत में ‘ई’ प्रत्यय लगने से बना है।

अन्य उपयुक्त संज्ञा – क़ीमती समय।

  • ठंडी रात – ठंडी विशेषण – ठंड में ‘ई’ प्रत्यय लगने से बना है।

अन्य उपयुक्त संज्ञा – ठंडी ऋतु।

  • जंगली फूल – जंगली विशेषण – जंगल में ‘ई’ प्रत्यय लगने से बना है।

अन्य उपयुक्त संज्ञा – जंगली जानवर।

  • कश्मीरी भाषा – कश्मीरी विशेषण – कश्मीर में ‘ई’ प्रत्यय लगने से बना है।

अन्य उपयुक्त संज्ञा – कश्मीरी लोग।

प्रश्न :-􀁺 गोल-मटोल 􀁺 गोरा-चिट्टा

कविता में आए शब्दों के इन जोड़ों में अंतर यह है कि चिट्टा का अर्थ सफ़ेद है और गोरा से मिलता-जुलता है जबकि मटोल अपने-आप में कोई शब्द नहीं है। यह शब्द ‘मोटा’ से बना है। ऐसे चार-चार शब्द युग्म सोचकर लिखो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर:- 

(i) दुबला-पतला – यह दुबला-पतला आदमी क्या कर सकता है?

(ii) काला-कलुठा – शिवांशु कालाकलुठा है।

(iii) दाना-पानी – कबूतरों ने आज का दानापानी खा लिया।

(iv) खान-पान– आज लोगों का खान-पान बहुत बदल गया है।

प्रश्न :-‘बिलकुल गोल’ – कविता में इसके दो अर्थ हैं-
(क) गोल आकार का
(ख) गायब होना!
ऐसे तीन शब्द सोचकर उनसे ऐसे वाक्य बनाओ कि शब्दों के दो-दो अर्थ निकलते हाें।

उत्तर:-

(i) कल –

  • कल किसी का नहीं आता।
  • कल-कारखाने प्रदूषण फैलते हैं।

(ii) पानी –

  • झरनों का पानी बिलकुल साफ़ है।
  • मैं शर्म के मारे पानीपानी हो गया।

(iii) कनक – 

  • कनक के गहने पहनकर निकलना खतरनाक है।
  • कनक खाने से व्यक्ति पागल हो सकता है।

प्रश्न :- जोकि, चूँकि, हालाँकि – कविता की जिन पंक्तियों में ये शब्द आए हैं, उन्हें ध्यान से पढ़ो। ये शब्द दो वाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए दो-दो वाक्य बनाओ।

उत्तर:-

(i) जोकि –

  • चाँद पर नहीं जा सकते जोकि दूर है।
  • यह गिलास उठाकर दो जोकि तुम्हारे पास है।

(ii) चूँकि – 

  • चूँकि मैं आज बीमार हूँ इसलिए आज स्कुल नही जा सकता।
  • चूँकि पहाड़ ऊँचा था इसलिए मैं चढ़ नहीं सका।

(iii) हालाँकि – 

  • हालाँकि मौसम खराब है फिर भी तुम्हें यह काम करना होगा।
  • हालाँकि मुझे पता है लेकिन मैं सच जानना चाहता हूँ।

प्रश्न :- गप्प, गप-शप, गप्पबाजी – क्या इन शब्दों के अर्थ में अंतर है? तुम्हें क्या लगता है? लिखो।

उत्तर:-

गप्प– बिना काम की बात।

गपशप – इधर-उधर की बातचीत।

गप्पबाज़ी – कुछ झुठी, कुछ सच्ची बात।

कुछ करने को

प्रश्न :- क्या तुम जानते हो दुनियाभर में कई प्रकार के कैलेंडरों का इस्तेमाल होता है। नीचे दो प्रकार के कैलेंडर दिए गए हैं। इन्हें देखो और प्रश्नों के उत्तर दो।

संवत् 2063               सन् 2006

(क) इन कैलेंडरों में से कौन-सा कैलेंडर चंद्रमा के अनुसार है?

उत्तर:–  संवत् 2063 

(ख) क्या तुम्हारे आसपास इन दोनों कैलेंडरों का इस्तेमाल होता है? यदि होता है तो किन-किन मौकों पर?

उत्तर:- इन दोनो प्रकारों के कैलेंडरों का प्रयोग हमारे आसपास होता है जैसे-

  • सम्वत्‌ (हिन्दी) कैलेंडर का प्रयोग त्योहारों, पूजा-पाठ के दिन या शादी के लिए किया जाता है। 
  • अंग्रेज़ी कैलेंडर का प्रयोग तारीख देखने के लिए होता है।

(ग) कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष का क्या अर्थ होता है?

उत्तर:- कृष्ण पक्ष में रातें अंधेरी होती हैं, शुक्ल पक्ष में रातें चंद्रमा की रोशनी से रोशन होती है।

प्रश्न :- चाँद से संबंधित कुछ कविताओं के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और उसे कक्षा में शिक्षक को सुनाओ।

उत्तर:- छात्र स्वयं करें।

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