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जो देखकर भी नहीं देखते
लेखिका : हेलेन केलर
शब्दार्थ :- परखना – जाँच करना। सैर – भ्रमण। अचरज – आश्चर्य । आदी – अभ्यस्त रोचक – रुचि बढ़ाने वाला। खुशनसीब – भाग्यवान। समाँ – वातावरण, माहौल। मुग्ध – मोहित। कदर – गुणों की पहचान। नियामत – ईश्वरीय देन
पाठ का सार
‘जो देखकर भी नहीं देखते’ पाठ लेखिका हेलेन केलर द्वारा लिखा गया प्रेरक लेख है। लेखिका स्वयं दृष्टिहीन और बधिर थी। इस पाठ में उन्होंने मनुष्यों को अपना जीवन बेहतर बनाने की प्रेरणा दी है। लेखिका बताती है कि कभी-कभी वह अपने मित्रें की परीक्षा लेती लेती, यह परखने के लिए कि वह क्या देखते हैं। हाल ही में लेखिका की एक प्रिय मित्र जंगल की सैर करने के बाद वापस लौटीं। लेखिका ने पूछा – जंगल में क्या देखा? उसने कहा- कुछ नहीं। लेखका को बहुत अचरज नहीं हुआ क्योंकि वह अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी है। लेखिका का विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं वे बहुत कम देखते हैं। क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटाभर घूमे और फिर भी कोई विशेष चीज न देखे? लेखिका – जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता-सैकड़ों रोचक चीजें मिलती हैं, जिन्हें वह छूकर पहचान लेती है। वह भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती है। वसंत के दौरान टहनियों में नयी कलियाँ खोजती है। इस दौरान उसे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है। टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूँजने लगते हैं। अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर आनंदित हो उठती है। कभी-कभी लेखिका का दिल इन सब चीजों को देखने के लिए मचल उठता है। अगर उसे इन चीजों को सिर्फ छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो उसका मनमुग्ध ही हो जाएगा। परंतु, जिन लोगों की आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं। इस दुनिया के अलग-अलग सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है। यह कितने दुख की बात है कि दृष्टि के आशीर्वाद को लोग एक साधारण-सी चीज समझते हैं, जबकि इस नियामत से जिदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है।
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प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न:-‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’- हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था?
उत्तर:- जो लोग चीजों को लगातार देखने के आदी हो जाते हैं वे उनकी तरफ़ अधिक ध्यान नहीं देते। उनके मन में उन वस्तुओं के प्रति कोई जिज्ञासा नहीं रहती। ईश्वर की दी हुई देन का वह लाभ नहीं उठा सकते। इसलिए हेलेन केलर ने ऐसा कहा है।
प्रश्न:- ‘प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है?
उत्तर:- प्रकृति का जादू वह है जो प्रकृति के रूप में लगातार परिवर्तन करता है। प्रकृति अपने आकर्षण से हमें अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रकृति में अलग-अलग वृक्षों की अलग-अलग घुमावदार बनावट और उनकी छाल और पत्तियाँ होना, फूलों का खिलना, कलियों की पंखुड़ियों की मखमली सतह, बागों में पेड़ों पर गाते पक्षी, कलकल करते बहते हुए झरने, कालीन की तरह फैले हुए घास के मैदान आदि प्रकृति के जादू हैं।
प्रश्न:- ‘कुछ खास तो नहीं’- हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों हुआ?
उत्तर:- हाल ही में लेखिका की एक प्रिय मित्र जंगल की सैर करने के बाद वापस लौटीं। लेखिका ने पूछा – जंगल में क्या देखा? उसने कहा- कुछ नहीं। लेखिका का विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं वे बहुत कम देखते हैं। क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटाभर घूमे और फिर भी कोई विशेष चीज न देखे?
प्रश्न:- हेलेन केलर प्रकृति की किन चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ पढ़कर इसका उत्तर लिखो।
उत्तर:- लेखिका – जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता-सैकड़ों रोचक चीजें मिलती हैं, जिन्हें वह छूकर पहचान लेती है। वह भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती है। वसंत के दौरान टहनियों में नयी कलियाँ खोजती है। इस दौरान उसे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है। टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूँजने लगते हैं। अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर आनंदित हो उठती है।
प्रश्न:- ‘जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इन्द्रधनुषी रंगों से हरा-भरा जा सकता है।’- तुम्हारी नजर में इसका क्या अर्थ हो सकता है?
उत्तर:- संसार की सारी खूबसूरती हमारी आँखों से ही है। यह जिंदगी की बहुत बड़ी देन है। इसमें जिंदगी को रंगीन और खुशहाल बनाया जा सकता है और अपने सारे दुखों को भुलाया जा सकता है।
निबंध से आगे
प्रश्न:- आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा कीजिए।
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न:- कान से न सुनने पर आस पास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और साथियों के साथ विचार करो।
उत्तर:- कान से न सुन पाने पर दुनिया बड़ी विचित्र लगती होगी। बिना कानों के विचारों का आदान-प्रदान होना मुश्किल है। प्रतिदिन के कार्यों को करने में अत्यंत कठिनाई होती होगी।
प्रश्न – तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे सुनकर, सँधकर, चखकर, छूकर अनुभव की जानेवाली चीज़ों के संसार के विषय में क्या-क्या प्रश्न कर सकते हो? लिखो।
उत्तर:- छात्र प्रश्नों की सूची तैयार करें।
प्रश्न:- हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते हैं। ऐसी चीजों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो- सुनना चखना सूँघना छूना
उत्तर:-
सुनना – पक्षियों किया आवाज, गीत, बाजे की आवाज आदि।
चखना – फलों की मिठास, खाने का स्वाद आदि।
सूँघना – फूलों की खुशबू, खाने की खुशबू आदि।
छूना – माता का स्पर्श, पुस्तकें, खिलौने आदि।
भाषा की बात
प्रश्न:- पाठ में स्पर्श से संबंधित कई शब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीजों का स्पर्श ऐसा होता है –
उत्तर –
- चिकना – तेल, घी, क्रीम।
- मुलायम – रेशमी कपड़ा, पत्ते।
- खुरदरा – लकड़ी व छाल।
- सख्त – लोहा, पत्थर, लकड़ी।
- चिपचिपा – गोंद।
- भुरभुरा – रेत, नमक।
प्रश्न:- अगर मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा।
ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिप़्ाफ़र् महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। नीचे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो-
उत्तर:-
मिठास – मीठा (विशेषण)
भूख – भूखा (विशेषण)
शांति – शांत (विशेषण)
भोलापन – भोला (विशेषण)
बुढ़ापा – बूढ़ा (विशेषण)
घबराहट – घबराना (क्रिया)
बहाव – बहना (क्रिया)
फुर्ती – फुर्तीला (विशेषण)
ताजगी – ताजा (विशेषण)
क्रोध – क्रोधी (विशेषण)
मजदूरी – मजदूर (संज्ञा)
अहसास – अहसास (विशेषण)
प्रश्न:-
- मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।
- उस बगीचे में अमलतास, सेमल, कजरी आदि तरह-तरह के पेड़ थे।
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और समरूपी शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो-
उत्तर:-
- अवधि – कार्य पूरा करने की अवधि समाप्त हो चुकी है।
- अवधी – अवध क्षेत्र में अवधी भाषा बोली जोती है।
- में – खीर में कुछ गिर गया।
- मैं – मैं भारत में रहता हूँ।
- मेल – हमें मेल मिलाप से रहना चाहिए।
- मैल – रोज नहाने से शरीर पर मैल नहीं रहता।
- ओर – स्कूल की ओर चलो।
- और – उसने रात और दिन मेहनत की।
- दिन – आज दिन बड़ा सुहाना है।
- दीन – हमें दीन-दुखियों की सहायता करनी चाहिए।
- सिल – गीता सिल पर मसाला पीस रही है।
- शील – शील स्वभाव के लोग सबको अच्छे लगते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न:-इस तसवीर में तुम्हारी पहली नजर कहाँ जाती है?
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न:- गली में क्या-क्या चीजें हैं?
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न:- कौन-कौन-सी चीजें हैं, जो तुम्हारा ध्यान अपनी ओर खींच रही हैं?
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न:- इस गली में हमें कौन-कौन-सी आवाजें सुनाई देंगी?
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
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