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नौकर
अनु बंदोपाध्याय
शब्दार्थ :- बैरिस्टरी – वकालत। फ़ौरन – तुरंत। कौपीनधारी – धोती पहनने के एक विशेष ढंग के कारण यह विशेषण गांधी जी के लिए प्रयोग में लाया जाता था, लँगोटी धारण करने वाला। बीनना – चुनना, छाँटना। हैरत – अचंभा, विस्मय। आगंतुक – आनेवाला। चारा – उपाय । विदा माँगना – जाने के लिए अनुमति माँगना । हाजमा – पाचन शक्ति। माँजना – रगड़कर साफ़ करना, चमकाना । अद्भुत – अनोखा, आश्चर्यजनक । अनुकरण – नवफ़ल, किसी की देखा-देखी करना। तश्तरी – थालीनुमा प्लेट। छरहरा – चुस्त, फुर्तीला। सख्त – कठोर, प्रचंड, दुष्कर। बुहारी – बुहारने वाली चीज, झाडू। शिविर – अस्थायी विश्राम स्थल। खाखरा – एक गुजराती व्यंजन। चैन – आराम। पखवाड़ा – पंद्रह दिन का समय, महीने का आधा भाग।कारकुन – कारिंदा, काम करने वाला। निष्फल – जिसका कोई फल न हो। प्रतिदान – किसी ली हुई वस्तु के बदले दूसरी वस्तु देना।
पाठ का सार
अनु बंदोपाध्याय द्वारा रचित निबंध में गांधीजी द्वारा किए जाने वाले छोटे–छोटे कार्यों की महत्ता को बताया गया है। अनु बंदोपाध्याय बताते हैं कि आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थे। सवेरे की प्रार्थना के बाद वे रसोईघर में जाकर सब्जियाँ छीलते थे। गांधी आश्रमवासियों को अकसर स्वयं ही भोजन परोसते थे। आश्रम के लिए बाहर बने कुएँ से पानी खींचने का काम भी वे रोज करते थे। वह थकान का नाम भी नहीं जानते थे। दक्षिण अफ्रीका में बोअर-युद्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर एक-एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। वह मीलों पैदल चल सकते थे। उनके अन्य साथी भी उनके इस उदाहरण का खुशी-खुशी अनुकरण करते थे। गांधी दूसरों से काम लेने में बहुत सख्त थे, लेकिन अपने लिए दूसरों से काम कराना उन्हें नापसंद था। एक बार एक राजनीतिक सम्मेलन से गांधी जब अपने डेरे पर लौटे तो रात हो गई थी। सोने से पहले वे अपने कमरे का फर्श बुहार रहे थे। गांधी को बच्चों से बहुत प्रेम था। अपने बच्चों के जन्म के दो माह बाद उन्होंने कभी किसी दाई को बच्चे की देखभाल के लिए नहीं रखा। वे मानते थे कि बच्चे के विकास के लिए माँ-बाप का प्यार और उनकी देखभाल अनिवार्य है। गांधी अपने से बड़ों का बड़ा आदर करते थे। दक्षिण अफ्रीका में गोखले गांधी के साथ ठहरे हुए थे। वह उनका बिस्तर ठीक करते थे, उनको भोजन परोसते थे और उनके पैर दबाने को भी तैयार रहते थे। गोखले बहुत मना करते थे, लेकिन गांधी नहीं मानते थे। जब कभी आश्रम में किसी सहायक को रखने की आवश्यकता होती थी, तब गांधी किसी ’हरिजन को रखने का आग्रह करते थे। उनका कहना था, “नौकरों को हमें वेतनभोगी मजदूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, कुछ चोरियाँ हो सकती हैं, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी।” गांधी ने देखा कि इंग्लैंड में ऊँचे घरानों में घरेलू नौकरों को परिवार का आदमी माना जाता था। एक बार एक अंग्रेज के घर से विदा लेते समय उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि घरेलू नौकरों का उनसे परिचय नौकरों की तरह नहीं बल्कि परिवार के सदस्य के समान कराया गया। एक बार एक भारतीय सज्जन के यहाँ काफ़ी दिनों तक ठहरने के बाद गांधी जब चलने लगे तब उस घर के नौकरों से उन्होंने विदा ली और कहा, “मैं कभी किसी को अपना नौकर नहीं समझता, उसे भाई या बहन ही माना है और आप लोगों को भी मैं अपना भाई समझता हूँ। आपने मेरी जो सेवा की उसका प्रतिदान देने की सामर्थ्य मुझमें नहीं है, लेकिन ईश्वर आपको इसका पूरा फल देंगे।”
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नौकर
प्रश्न -अभ्यास
निबंध से
प्रश्न :- आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गांधी जी ने कौन-सा काम करवाया और क्यों?
उत्तर :- आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गांधी जी ने गेहूँ बीनने का काम करवाया। उन छात्रों को अपने अंग्रेजी भाषा के ज्ञान पर अहंकार था। गांधी जी उनके इस अहंकार को तोड़ना चाहते थे। वे यह शिक्षा देना चाहते थे कि अधिक पढ़ लेने पर भी हमें छोटे-छोटे कार्य में संकोच नहीं करना चाहिए।
प्रश्न :- ‘आश्रम में गांधी जी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर- चाकर करते हैं’। पाठ से तीन अलग-अलग प्रसंग अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हों।
उत्तर :- आश्रम में गांधी जी कई ऐसे कार्य करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। ये कार्य हैं-
- अपने हाथ से चक्की से आटा पीसना।
- बरतनों की सफ़ाई करना।
- रसोइघर में सब्जियों को धोने, छीलने, काटने का कार्य।
प्रश्न :- लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गांधी जी ने क्या किया?
उत्तर:- जब लंदन में गांधी जी को वहाँ के छात्रों ने भोज पर बुलाया तो गांधी जी समय से पहले पहुँचकर तश्तरियाँ (प्लेटें) धोने, सब्जी साफ़ करने तथा अन्य छोटे-मोटे काम करने में सहायता करने लगे।
प्रश्न :- गांधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया?
उत्तर :- गांधी जी के मित्र की पत्नी श्रीमती पोलक बहुत ही दुबली और कमजोर हो गई हैं। बच्चा उन्हें चैन नहीं लेने देता था और रो-रोकर उन्हें जगाए रखता था। गांधी जिस दिन लौटे, उसी रात से उन्होंने बच्चे की देखभाल का काम अपने हाथों में ले लिया। वे बच्चे को श्रीमती पोलक के बिस्तर पर से उठाकर अपने बिस्तर पर लिटा लेते थे। वह चारपाई के पास एक बरतन में पानी भरकर रख लेते ताकि यदि बच्चे को प्यास लगे तो उसे पिला दें, लेकिन इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती थी। बच्चा कभी नहीं रोता और उनकी चारपाई पर रात में आराम से सोता रहता था। एक पखवाड़े तक माँ से अलग सुलाने के बाद बच्चे ने माँ का दूध छोड़ दिया।
प्रश्न :- आश्रम में काम करने या करवाने का कौन-सा तरीका गांधी जी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो।
उत्तर :- आश्रम में गांधी जी स्वयं काम करने के साथ-साथ दूसरों से काम करवाने में सख्ती बरतते थे, पर वे अपना काम किसी और से करवाना पसंद नहीं करते थे। वे किसी के पूछने पर उसे तुरंत काम बता देते थे। गांधी जी को स्वयं काम करते देखकर कोई भी मना नहीं कर पाता था। वे काम करने वालों को कभी नौकर नहीं समझते थे, वरन उन्हें भाई या बहन मानते थे।
निबंध से आगे
प्रश्न :- गांधी जी इतना पैदल क्यों चलते थे? पैदल चलने के क्या लाभ हैं? लिखो।
उत्तर :- गांधीजी मानते थे कि पैदल चलना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। इसलिए वे मीलों पैदल चला करते थे। पैदल चलने के निम्न लाभ हैं –
- पैदल चलना एक व्यायाम है।
- पैदल चलने से पैर की हड्डियों और माँसपेशियों को मजबूती मिलती है।
- पैदल चलने से पैरों में ताकत आती है।
- पैदल चलने से शरीर की चुस्ती और फुर्ती बनी रहती है।
प्रश्न:- अपने घर के किन्हीं दस कामों की सूची बनाकर लिखो कि ये काम घर के कौन से सदस्य अकसर करते हैं? तुम अगले पृष्ठ पर बनी तालिका की सहायता ले सकते हो – मैं माँ पिता भाई बहन चाचा दादी अन्य। अब यह देखो कि कौन सबसे ज्यादा काम करता है और कौन सबसे कम। कामों का बराबर बँटवारा हो सके, इसके लिए तुम क्या कर सकते हो? सोच कर शिक्षक को बताओ।
उत्तर –
काम – काम करने वाले
1- घर का सामान लाना – पिताजी
2- घर की सफ़ाई करना – माँ
3- बिस्तर रखना – पिताजी
4- खाना बनाना – माँ
5- कपड़े धोना – माँ
सबसे ज्यादा काम माँ करती है और सबसे कम काम मैं करता हूँ। कामों के बराबर बँटवारे के लिए सबको बराबर कामों की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- गांधी जी अपने साथियों की जरूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, लेकिन उनका ख़ुद का काम कोई और करे, ये उन्हें पसंद नहीं था। क्यों? सोचो और अपने शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर :- गांधी जी को यह पसंद नहीं था कि केवल उनके महात्मा या बूढ़े होने की वजह से कोई उनकी सहायता करे। वह किसी पर भार नहीं बनना चाहते थे। वे अपनी जरूरत के लिए किसी को परेशान करना सही नहीं समझते थे।
प्रश्न :- ‘नौकरों को हमें वेतनभोगी मजदूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी।’ गांधी जी की इस बात को अपने मित्रों को समझाओ।
उत्तर :- नौकर भी इंसान होते हैं। उन्हें भी प्यार और सहानुभूति की जरूरत होती है। हमारा प्यार एवं सहानुभूति पाकर वे काम को मन लगाकर करेंगे। हमारा इस तरह का व्यवहार उन्हें संतोष देगा।
प्रश्न :- गांधी जी की कही-लिखी बातें लगभग सौ से अधिक किताबों में दर्ज हैं। घर के काम, बीमारों की सेवा, मेहमानों से बातचीत आदि ढेरों काम करने के बाद गांधी जी को लिखने का समय कब मिलता होगा? गांधी जी का एक दिन कैसे गुजरता होगा, इस पर अपनी कल्पना से लिखो।
उत्तर :- गांधी जी रात के समय एकांत में बैठकर लिखते होंगे। गांधी जी का पूरा दिन व्यस्त गुजरता होगा। खाली बैठना वह नहीं जानते थे और थकान उन्हें कभी नहीं होती थी।
- सुबह उठकर वह निश्चय ही टहलने जाते होंगे।
- वहाँ से लौटकर नित्यक्रिया से निवृत्त होकर प्रार्थना सभा में शामिल होते होंगे।
- उसके बाद वह चक्की से आटा पीसने और रसोई में जाकर सब्जियाँ छीलने का काम करते होंगे।
- वे कुएँ से पानी खींचते होंगे। इसके बाद आगंतुकों से मिलना और साथ में गेहूं बीनने का कार्य चलता रहता होगा।
- दोपहर का खाना वह कभी-कभी स्वयं ही सबको परोसते होंगे।
- शाम को राजनीतिक सम्मेलनों और सभाओं का कार्य देखते होंगे।
- रात में गांधी जी लिखने का कार्य करते होंगे।
इस प्रकार उनकी व्यस्त दिनचर्या समाप्त होती होगी।
प्रश्न :- पाठ में बताया गया है कि गांधी जी और उनके साथी आश्रम में रहते थे। आश्रम किसे कहते हैं? स्कूल के छात्रवास से गांधी जी का आश्रम किस तरह अलग था? पता करो और अपने शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- ऐसे कामों की सूची बनाओ जिसे तुम हर रोज खुद कर सकते हो पर नहीं करते? सामने उनका नाम लिखो जो यह काम तुम्हारे लिए करते हैं।
उत्तर :-
- अपना बिस्तर ठीक करना – पिता जी
- अपने कमरे में झाड़ लगाना – माँ
- चीजों को उनकी व्यवस्थित जगह रखना – माँ
- अपनी प्लेट खुद धोना – माँ
- अपने मोजे साफ करना – माँ
- अपने जूते पॉलिश करना – पिता जी
- माँ या छोटे भाई-बहन के कामों में उनकी सहायता करना – बहन।
भाषा की बात
प्रश्न:- ‘पिसाई’ संज्ञा है, जो ‘पीस’ क्रिया के अंत में ‘ई’ प्रत्यय जोड़ने से बनी है। किसी शब्द के अंत में कुछ जोड़ा जाए, तो उसे प्रत्यय कहते हैं। नीचे ऐसी कुछ और संज्ञाएँ लिखी हैं। बताओ कि ये किन क्रियाओं से बनी हैं-
- बुआई — बोना
- कटाई — काटना
- सिंचाई — सींचना
- रोपाई — रोपना
- कताई — कातना
- रंगाई –रंगना
- सिलाई – सीलना
प्रश्न :- हर काम-धंधे और हर क्षेत्र की अपनी अलग भाषा और शब्द-भंडार होता है। ऊपर लिखे शब्दों का संबंध दो अलग-अलग कामों से है। पहचानो कि वे क्षेत्र कौन-से हैं।
उत्तर :-
- रोपाई, सिंचाई, कटाई, बुआई – कृषि क्षेत्र
- कताई, सिलाई, रंगाई – वस्त्र निर्माण क्षेत्र
प्रश्न:- हमारे आसपास ऐसे कई घरेलू काम हैं, जिन्हें अब कम महत्व दिया जाता है। कपड़े सिलना इनमें से एक है। नीचे इस काम से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। आसपास के बड़ों से या दर्जी से पूछो और प्रत्येक शब्द को एक-दो वाक्यों में समझाओ। इस सूची में और शब्द भी जोड़ो – तुरपाई, कच्ची सिलाई, बखिया, चोर सिलाई।
उत्तर:-
- तुरपाई – हाथ से सिलाई करने को तुरपाई कहते हैं।
- बखिया – मशीन से जो सिलाई की जाती है उसे बखिया कहते हैं।
- कच्ची सिलाई – वह सिलाई जो पक्की सिलाई करने के बाद हटा दी जाए।
- चोर सिलाई – जो बाहर से दिखाई न दे।
प्रश्न :- नीचे लिखे गए शब्द पाठ से लिए गए हैं। इन्हें पाठ में खोज कर बताओ कि ये स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग-
उत्तर :-
- कालिख – स्त्रीलिंग
- भराई – स्त्रीलिंग
- चक्की – स्त्रीलिंग
- रोशनी – स्त्रीलिंग
- जेल – स्त्रीलिंग
- सेवा – स्त्रीलिंग
- पतीला – पुल्लिंग
क्विज/टेस्ट
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