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बचपन
लेखिका : कृष्ण सोबती
शब्दार्थ :- फ्रिल – झालर। ऑलिव ऑयल – जैतून का तेल। कैस्टर ऑयल – अरंडी का तेल। खुराक – निश्चित मात्र। स्टॉक – संग्रह, भंडार। बुरकना – चूर्ण जैसी वस्तु को छिड़कना। छुटपन – बचपन। कमतर – ज्यादा छोटा, लघुतर।
पाठ का सार
लेखिका कृष्णा सोबती द्वारा लिखा गया “बचपन” संस्मरण लेखिका के बचपन की खट्ठी-मिट्ठी यादों से परिचित करवाता है। लेखिका के अनुसार, वह उम्र के हिसाब से किसी की दादी, नानी, बड़ी बुआ या बड़ी मौसी भी हो सकती है परन्तु वैसे उसके परिवार में सब उन्हें जीजी के नाम से ही पुकारते हैं। वह रंग-बिरंगे जैसे नीला, जमुनी, ग्रे, काला, चॉकलेटी आदि कपडे पहनतीं थीं, लेकिन अब सफेद रंग के कपड़े पहनना पसंद करती है। बचपन में लेखिका को फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे पहनना पसंद था, अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्तें पहनती है। बचपन की कुछ फ्रॉक तो उन्हें आज भी याद हैं। लेखिका अपने मौजे खुद ही धोती थी। अपने जूतों को भी रविवार के दिन खुद ही पॉलिश करनी होती थी। नए जूतों से उनके पैरों में छाले पड़ जाते थे इसलिए लेखिका को नए जूतों के बजाय पुराने जूते पहनना पसंद था। स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए प्रत्येक शनिवार ऑलिव ऑइल या कैस्टर ऑइल पीना पड़ता था। उन दिनों रेडिओ और टेलीविजन नहीं था। केवल कुछ ही घरों में ग्रामोफ़ोन हुआ करते थे। पहले की कुल्फ़ी आइसक्रीम में, तो कचौड़ी-समोसा पैटीज में बदल गए हैं। शरबत भी कोक-पेप्सी बन गए हैं। लेखिका के घर के पास ही मॉल था परन्तु हफ्ते में एक ही बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। उन दिनों लेखिका के पास ही सबसे अधिक चॉकलेट रहा करती थी। उन्हें चना जोर गरम और अनारदाने का चूर्ण बेहद पसंद था। लेखिका ने अपने बचपन के दिनों में शिमला के रिज पर बहुत मजे किये हैं। घोड़ों की सवारी भी की थी। चर्च की बजती हुई घंटियों का संगीत सुनकर लेखिका को ऐसा लगता था मानो प्रभु ईश कुछ कह रहे हो। स्कैंडल पॉइंट के सामने के शोरुम में शिमला कालका ट्रेन का मॉडल बना था। पिछली सदी के हवाई जहाज भी देखने को मिल जाया करते थे। लेखिका को हवाई जहाज के पंख किसी भारी-भरकम पक्षी के लगते थे जो उन पंखों को फैलाकर उड़ा जा रहा हो। गाड़ी के मॉडल वाली दुकान के पास से लेखिका का पहला चश्मा बना था और वहाँ के डॉक्टर अंग्रेज थे। पहली बार जब उन्होंने चश्मा लगाया था तो उनके भाइयों ने उन्हें खूब चिढ़ाया था। धीरे-धीरे उन्हें उसकी आदत लग गई। लेखिका उस टोपे, काली फ्रेम के चश्में और भाइयों द्वारा लंगूर चिढाये जाने को याद करती है। अब लेखिका को हिमाचली टोपियाँ पहनना पसंद है और उसने कई रंगों की टोपियाँ इकट्ठा की है।
संस्मरण से
प्रश्न :- उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका में क्या-क्या बदलाव हुए हैं? पाठ से मालूम करके लिखो।
उत्तर :- वह रंग-बिरंगे जैसे नीला, जमुनी, ग्रे, काला, चॉकलेटी आदि कपडे पहनतीं थीं, लेकिन अब सफेद रंग के कपड़े पहनना पसंद करती है। बचपन में लेखिका को फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे पहनना पसंद था, अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्तें पहनती है।
प्रश्न :- लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थीं?
उत्तर :- बचपन में इतवार की सुबह लेखिका अपने मोजे धोती थी, फिर जूतों पर पॉलिश करके उसे कपड़े या ब्रश से रगड़कर चमकाती थी।
प्रश्न :-‘तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।’- यह कहकर लेखिका क्या-क्या बताती हैं?
उत्तर :- लेखिका अपने समय से आज के समय की दूरी को बताने के लिए निम्नलिखित उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं-
- कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन होते थे। अब उनकी जगह रेडियो और टेलीविज़न ले ली है।
- पहले कुल्फ़ी होती थी अब आइसक्रीम हो गई।
- कचौड़ी-समोसा अब पैटीज़ में बदल गया है।
- फ़ाल्से और खसखस के शरबत का स्थान कोक और पेप्सी ने ले लिया है।
प्रश्न :- पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका के चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्यों छेड़ते थे।
उत्तर :- लेखिका रात में टेबल लैंप के सामने बैठकर पढ़ती थी। इस कारण उनकी नजर कमजोर हो गई थी और उसे चश्मा लगाना पड़ा। उनके चचेरे भाई चश्मा लगाने पर उन्हें छेड़ते हुए कहते थे-
आँख पर चश्मा लगाया
ताकि सूझे दूर की
यह नहीं लड़की को मालूम
सूरत बनी लंगूर की!
वे लेखिका को तंग करने के लिए ऐसा करते थे।
प्रश्न :- लेखिका बचपन में कौन-कौन सी चीजें मजा ले-लेकर खाती थीं? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो।
उत्तर :- लेखिका बचपन में चॉकलेट, कुल्फ़ी, शहतूत, फ़ाल्से के शरबत, पेस्ट्री तथा फल मजे ले-लेकर खाती थी। फलों में प्रमुख फल ‘काफल’ और ‘चेस्टनट’ थे।
संस्मरण से आगे
प्रश्न :- लेखिका की तरह तुम्हारी उम्र बढ़ने से तुम्हारे पहनने-ओढ़ने में क्या-क्या बदलाव आए हैं? उन्हें याद कर लिखो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- लेखिका के बचपन में ग्रामोप़्ाफ़ोन, घुड़सवारी, शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल और हवाई जहाज की आवाजें ही आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें थीं। आज क्या-क्या आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें तुम्हें आकर्षित करती हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- अपने बचपन की किसी मनमोहक घटना को याद करके विस्तार से लिखो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- कल्पना करो कि तुम अपने माता-पिता के समान बड़े हो गए हो तो अनुमान करके बताओ कि तुम्हारे पहनने-ओढ़ने में क्या-क्या बदलाव हो सकता है और क्यों? इसे अपने दोस्तों को सुनाओ।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- इस संस्मरण में लेखिका ने अपने बचपन की घटनाओं, यादों और क्रिया-कलापों को बताने की कोशिश की है। तुम बड़े होकर क्या-क्या कर सकते हो? अनुमान के आधार पर बताओ।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- लेखिका ने इस संस्मरण में सरवर के माध्यम से अपनी बात बताने की कोशिश की है, लेकिन सरवर का कोई परिचय नहीं दिया गया है। अनुमान करके बताओ कि सरवर कौन हो सकता है।
उत्तर :- इस संस्मरण में सरवर का नाम लेखिका ने संकेत के रूप में लिया है। संभव है कि सरवर कोई पत्रकार या उनका मित्र लेखक रहा होगा जिन्हें वह अपनी जीवनी सुना रही हैं।
भाषा की बात
प्रश्न :- क्रियाओं से भी भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। जैसे मारना से मार, काटना से काट, हारना से हार, सीखना से सीख, पलटना से पलट और हड़पना से हड़प आदि भाववाचक संज्ञाएँ बनी हैं। तुम भी इस संस्मरण से कुछ क्रियाओं को छाँट कर लिखो और उनसे भाववाचक संज्ञा बनाओ।
उत्तर :-
क्रिया | भाववाचक संज्ञा |
गूँजना | गूँज |
बदलना | बदलाव |
दौड़ना | दौड़ |
चाल | चलन |
गहराना | गहराई |
खींजना | खीज़ |
चढ़ना | चढ़ाई |
उभार | उभरना |
प्रश्न :- संस्मरण में आए अंग्रेजी के शब्दों को छाँटकर लिखो और उनके हिंदी अर्थ
जानो।
उत्तर :-
ग्रे – स्लेटी।
फ़्रिल – झालर।
लेमन – नीबू
ऑलिव आयल – सरसों का तेल
कैस्टर आयल – अरंडी का तेल
कन्फ़ैक्शनरी – हलवाई की दुकान
स्टॉक – भंडार।
प्रश्न :- चार दिन, कुछ व्यक्ति, एक लीटर दूध आदि शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दो तो पता चलेगा कि इसमें चार, कुछ और एक लीटर शब्द से संख्या या परिमाण का आभास होता है, क्योंकि ये संख्यावाचक विशेषण हैं। इसमें भी चार दिन से निश्चित संख्या का बोध होता है, इसलिए इसको निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं और कुछ व्यक्ति से अनिश्चित संख्या का बोध होने से इसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इसी प्रकार एक लीटर दूध से परिमाण का बोध होता है इसलिए इसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। अब तुम नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो और उनके सामने विशेषण के भेदों को लिखो-
उत्तर –
(क) मुझे दो दर्जन केले चाहिए।
दो दर्जन- निश्चित संख्यावाचक विशेषण।
(ख) दो किलो अनाज दे दो।
दो किलो- निश्चित परिणामवाचक विशेषण।
(ग) कुछ बच्चे आ रहे हैं।
कुछ- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण।
(घ) तुम्हारा सारा प्रयत्न बेकार रहा।
सारा – निश्चित परिमाणवाचक विशेषण।
(घ) सभी लोग हँस रहे थे।
सभी- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण।
(च) तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है।
तुम्हारा- सार्वनामिक विशेषण
बहुत- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
सुंदर- गुणवाचक विशेषण
प्रश्न :- कपड़ों में मेरी दिलचस्पियाँ मेरी मौसी जानती थीं। इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘दिलचस्पियाँ’ और ‘मौसी’ संज्ञाओं की विशेषता बता रहे हैं, इसलिए ये सार्वनामिक विशेषण हैं। सर्वनाम कभी-कभी विशेषण का काम भी करते हैं। पाठ में से ऐसे पाँच उदाहरण छाँटकर लिखो।
उत्तर :-
- हम बच्चे इतवार की सुबह इसी में लगते।
- उन दिनों कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन थे।
- हमारा घर माल से ज्यादा दूर नहीं था।
- अपने-अपने जूते पॉलिश करके चमकाते।
- यह गाना उन दिनों स्कूल में हर बच्चे को आता था।
कुछ करने को
प्रश्न :- क्या तुम अपनी पोशाक से खुश हो? अगर तुम्हें अपनी पोशाक बनाने को कहा जाए तो कैसी पोशाक बनाओगे और पोशाक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखोगे? अपनी कल्पना से पोशाक का डिजाइन बनाओ।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- तीन-तीन के समूह में अपने साथियों के साथ कपड़ों के नमूने इकट्ठा करके कक्षा में बताओ। इन नमूनों को छूकर देखो और अंतर महसूस करो। यह भी पता करो कि कौन सा कपड़ा किस मौसम में पहनने के लिए अनुकूल है।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- हथकरघा और मिल के कपड़े बनाने के तरीके के बारे में आसपास के बड़ों से पता करो। संभव हो तो किसी कपड़े के कारखाने में जाकर भी जानकारी इकट्ठी करो।
उत्तर :- हथकरघा पर हाथ से तथा मिल में मशीन के द्वारा कपड़े बनाए जाते हैं।
प्रश्न :- भारत विविधताओं का देश है। यहाँ अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं, तरह-तरह के भोजन खाए जाते हैं, तरह-तरह की पोशाकें पहनी जाती हैं। कक्षा के बच्चे और शिक्षक अपने-अपने इलाकों की वेशभूषा के बारे में बातचीत करें। बच्चे इस काम में परिवार की भी मदद लें।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
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