सोने का हिरण
शब्दार्थ :- छकाया – तंग किया। निशक्त – कमजोर। मंशा – उद्देश्य। षड्यंत्र – साजिश। दृढ़ता – मजबूती। चौकसी – सावधानी। विचलित – अशांत। कातर – भयभीत। उल्लंघन – न मानना। विलाप – रोना। क्षत-विक्षत – तोड़ देना। अंतःपुर – जहाँ रानियाँ रहती हैं। अर्थहीन – बेकार।
पाठ का सार
राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण कुलाचें भरने लगा। राम का बाण लगने पर मारीच बना हिरण धरती पर पड़े हुए जोर से चिल्लाया, “हा सीते! हा लक्ष्मण!” ध्वनि ऐसी थी जैसे बाण राम को लगा हो। वह सहायता के लिए पुकार रहे हों। लक्ष्मण उसका रहस्य तत्काल समझ गए। राम की तरह। उन्होंने बाण चढ़ाकर धनुष दृढ़ता से पकड़ लिया। चौकसी बढ़ा दी। वे राक्षसों की अगली चाल का सामना करने के लिए तैयार थे। साथ ही राम का आदेश उन्हें याद था।
सीता वह आवाज सुनकर विचलित हो गईं। दौड़कर कुटिया के द्वार पर आईं। उन्होंने लक्ष्मण से कहा, “तुम जल्दी जाओ। जिस दिशा से आवाज आई है, उसी ओर। तुम्हारे भाई किसी कठिन संकट में फँस गए हैं।” सीता द्वारा भाई राम की सहायता के लिए भेजे जाने पर लक्ष्मण ने सीता को राक्षसों की चाल के विषय में समझाया और जब सीता न मानी तो मजबूर होकर राम की सहायता के लिए चले गए।
लक्ष्मण के सीता के पास से जाने पर रावण सीता के पास आया। उसने सीता की प्रशंसा की और अपना परिचय देकर सीता को लंका की रानी बनने को कहा। रावण के प्रस्ताव पर सीता क्रोधित हो उठीं। कहा, “मैं प्राण त्याग दूँगी लेकिन तुम्हारे साथ नहीं जाऊँ गी। मैं राम की पत्नी हूँ। वे महाबलशाली हैं। तुम्हें उनकी शक्ति का अनुमान नहीं है।तुम चले जाओ नहीं तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा।”
सीता के साथ चलने के लिए मना करने पर रावण ने सीता की बात अनसुनी कर दी। खींचकर उन्हें रथ में बैठा लिया। सीता प्रयास करती रहीं। पर रावण के चंगुल से मुक्त नहीं हो सकीं। स्वयं को असहाय पाकर वे विलाप करने लगीं। फ्हा राम! हा लक्ष्मण!य् पुकारती रहीं। रावण का रथ लंका की ओर उड़ चला।
सीता मार्ग में वे पशुओं, पक्षियों, पर्वतों, नदियों से कहती जा रही थीं कि कोई उनके राम को बता दे। रावण ने उनका हरण कर लिया है। मार्ग में सीता का विलाप गिद्धराज जटायु ने सुना। जब गिद्धराज जटायु ने सीता की मदद करनी चाही तो रावण ने जटायु के पंख काट दिए। जटायु अब उड़ नहीं सकता था। वह सीधे धरती पर आ गिरा।
रावण के चंगुल से न बच पाने पर राम को सूचना देने के लिए सीता ने अपने आभूषण उतारकर फेंकना प्रारंभ कर दिया। आभूषण वानरों ने उठा लिए। उन्हें आशा थी कि वानरों के पास ये आभूषण देखकर राम समझ जाएँगे। उन्हें पता चल जाएगा कि सीता किस मार्ग से गई हैं। रावण ने सीता को आभूषण फेंकने से नहीं रोका। उसे लगा कि सीता शोक में ऐसा कर रही हैं। रावण ने सीता को अशोक वाटिका में बंदी बनाया।
पाठ पर आधारित अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न :- राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण क्या करने लगा?
उत्तर :- कुलाचें भरने लगा।
प्रश्न :- राम का बाण लगने पर मारीच बने हिरण ने क्या किया?
उत्तर :- धरती पर पड़े हुए वह जोर से चिल्लाया, “हा सीते! हा लक्ष्मण!” ध्वनि ऐसी थी जैसे बाण राम को लगा हो। वह सहायता के लिए पुकार रहे हों।
प्रश्न :- हिरण बने मारीच की आवाज सुनकर लक्ष्मण ने क्या किया?
उत्तर :- लक्ष्मण उसका रहस्य तत्काल समझ गए। राम की तरह। उन्होंने बाण चढ़ाकर धनुष दृढ़ता से पकड़ लिया। चौकसी बढ़ा दी। वे राक्षसों की अगली चाल का
सामना करने के लिए तैयार थे। साथ ही राम का आदेश उन्हें याद था।
प्रश्न :- हिरण बने मारीच के आवाज सुनकर सीता की क्या दशा हुई?
उत्तर :- सीता वह आवाज सुनकर विचलित हो गईं। दौड़कर कुटिया के द्वार पर आईं। उन्होंने लक्ष्मण से कहा, “तुम जल्दी जाओ। जिस दिशा से आवाज आई है, उसी ओर। तुम्हारे भाई किसी कठिन संकट में फँस गए हैं।”
प्रश्न :- सीता द्वारा भाई राम की सहायता के लिए भेजे जाने पर लक्ष्मण ने क्या किया?
उत्तर :- सीता को राक्षसों की चाल के विषय में समझाया और जब सीता न मानी तो मजबूर होकर राम की सहायता के लिए चले गए।
प्रश्न :- लक्ष्मण के सीता के पास से जाने पर रावण ने क्या किया?
उत्तर :- रावण सीता के पास आया। उसने सीता की प्रशंसा की और अपना परिचय देकर सीता को लंका की रानी बनने को कहा।
प्रश्न :- रावण के प्रस्ताव पर सीता ने क्या किया?
उत्तर :- सीता क्रोधित हो उठीं। कहा, “मैं प्राण त्याग दूँगी लेकिन तुम्हारे साथ नहीं जाऊँ गी। मैं राम की पत्नी हूँ। वे महाबलशाली हैं। तुम्हें उनकी शक्ति का अनुमान नहीं है। तुम चले जाओ नहीं तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा।”
प्रश्न :- सीता के साथ चलने के लिए मना करने पर रावण ने क्या किया?
उत्तर :- रावण ने सीता की बात अनसुनी कर दी। खींचकर उन्हें रथ में बैठा लिया। सीता प्रयास करती रहीं। पर रावण के चंगुल से मुक्त नहीं हो सकीं। स्वयं को असहाय पाकर वे विलाप करने लगीं। ‘हा राम! हा लक्ष्मण!” पुकारती रहीं। रावण का रथ लंका की ओर उड़ चला।
प्रश्न :- मार्ग में सीता किसे क्या कह रही थी?
उत्तर :- मार्ग में वे पशुओं, पक्षियों, पर्वतों, नदियों से कहती जा रही थीं कि कोई उनके राम को बता दे। रावण ने उनका हरण कर लिया है।
प्रश्न :- मार्ग में सीता का विलाप किसने सुना?
उत्तर :- गिद्धराज जटायु ने।
प्रश्न :- जब गिद्धराज जटायु ने सीता की मदद करनी चाही तो रावण ने क्या किया?
उत्तर :- रावण ने जटायु के पंख काट दिए। जटायु अब उड़ नहीं सकता था। वह सीधे धरती पर आ गिरा।
प्रश्न :- रावण के चंगुल से न बच पाने पर राम को सूचना देने के लिए सीता ने क्या किया?
उत्तर :- उन्होंने अपने आभूषण उतारकर फेंकना प्रारंभ कर दिया। आभूषण वानरों ने उठा लिए। उन्हें आशा थी कि वानरों के पास ये आभूषण देखकर राम समझ जाएँगे। उन्हें पता चल जाएगा कि सीता किस मार्ग से गई हैं।
प्रश्न :- रावण ने सीता को आभूषण फेंकने से क्यों नहीं रोका?
उत्तर :- रावण ने सीता को आभूषण फेंकने से नहीं रोका। उसे लगा कि सीता शोक में ऐसा कर रही हैं।
प्रश्न :- रावण ने सीता को कहाँ बंदी बनाया?
उत्तर :- अशोक वाटिका में।
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