सीता की खोज
शब्दार्थ :- छल – धोखा। पगडंडी – मार्ग, रास्ता। अनिष्ट – जिसकी इच्छा न हो, बुरा। विवश – मजबूर। कटाक्ष – ताना। शून्य – खालीपन। लुप्त – समाप्त। स्तब्ध – सुन्न। असहनीय – सहन नहीं करने योग्य। विरह – बिछुड़ना। मौन – चुप। विक्षिप्त – पागल। परिहास – मजाक। विलाप – रोना। ढाढ़स – तसल्ली। मृग – हिरण। प्रयोजन – कारण। असमंजस – कुछ समझ न आना। वेणी – चोटी। बाधा – रुकावट। निर्वासित – जिसे घर से निकाल दिया गया हो। आश्वस्त – तसल्ली। व्याकुलता – बेचैनी।
पाठ का सार
कुटी की ओर वापिस जाते हुए राम के मन में कई आशंकाएँ थी। राम ने सोचा- “अब क्या होगा?” “अच्छा हो कि लक्ष्मण वहीं हों। मारीच की मायावी आवाज उन तक न पहुँची हो” “सीता अकेली रहीं तो राक्षस उन्हें मार डालेंगे। खा जाएँगे।” पगडंडी से लक्ष्मण को आते देख राम को लगा- वही हुआ, जिसका राम को डर था। अनिष्ट की आशंका और बढ़ गई। पता नहीं सीता किस हाल में होंगी? राक्षसों ने उन्हें मार डाला होगा? उठा ले गए होंगे? अकेली सीता दुष्ट राक्षसों के सामने क्या कर पाई होंगी?
राम कुटी छोड़कर आने पर वह लक्ष्मण से क्रुद्ध थे। उन्होंने क्रोध पर नियंत्रण रखा।लक्ष्मण ने राम को कुटी छोड़ने के पीछे कारण बताया – देवी सीता ने मुझे विवश कर दिया, भ्राते! उनके कटु वचन मैं सहन नहीं कर सका। कटाक्ष और उलाहना नहीं सुन सका।
कुटिया में पहुँचकर राम की बेचैनी बढ़ गई। राम ने पुकारा, “सीते! तुम कहाँ हो?” जैसे कि उन्हें पता चल गया हो कि सीता आश्रम में नहीं हैं। कुटिया मौन रही। वहाँ से कोई उत्तर नहीं मिला। सीता का कहीं पता न था। शोक से व्याकुल राम रोने लगे। सीता से बिछुड़ना उनके लिए असहनीय आघात था। वे सुध-बुध भुला बैठे।
राम ने गोदावरी नदी से सीता के विषय में पूछा। नदी ने कोई उत्तर नहीं दिया। राम ने सीता के विषय में नदी, वृक्ष, हाथी, शेर, चट्टानों और पत्थर से पूछा। राम की मानसिक स्थिति विक्षिप्त जैसी थी। लक्ष्मण ने राम को शांत करते हुए कहा- “आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। इस तरह दुख से कातर नहीं होना चाहिए। हम मिलकर सीता की खोज करेंगे। वे जहाँ भी होंगी, हम उन्हें ढूँढ़ निकालेंगे। सीता हमारी प्रतीक्षा कररही होंगी।”
राम के द्वारा सीता के विषय में पूछने पर हिरणों ने संकेत किया – हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए। राम-लक्ष्मण सीता की खोज के लिए दक्षिण दिशा की ओर चले।
वन में भटकते हुए राम-लक्ष्मण ने एक टूटे हुए रथ के टुकड़े देखे। मरा हुआ सारथी और मृत घोड़े भी थे। सीता की वेणी की पुष्पमाला देखी। पक्षिराज जटायु को देखा। पक्षिराज जटायु ने राम को सीता के विषय में बताया – “हे राजकुमार! सीता को रावण उठा ले गया है। मेरे पंख उसी ने काटे। सीता का विलाप सुनकर मैंने रावण को चुनौती दी। उसका रथ तोड़ दिया। सारथी और घोड़ों को मार डाला। स्वयं रावण को घायल कर दिया। पर मैं सीता को नहीं बचा सका। रावण उन्हें लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर उड़ गया,” कहते-कहते जटायु ने प्राण त्याग दिए।
पक्षिराज जटायु की अंतिम क्रिया राम ने की। सीता की खोज में जाते हुए राम-लक्ष्मण को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा। राम और लक्ष्मण को लगभग हर दिन राक्षसी आक्रमणों से जूझना पड़ा। अनेक कठिनाइयाँ आईं। अवरोध मिले।
कबंध देखने में बहुत डरावना था। मोटे माँसपिड जैसा। गर्दन नहीं थी। एक आँख थी। दाँत बाहर निकले हुए। जीभ साँप की तरह। लंबी और लपलपाती हुई। कबंध राम और लक्ष्मण की शक्ति और बुद्धि पर आश्चर्यचकित रह गया।
कबंध ने एक शर्त पर राम को सीता की खोज का उपाय बताया। उसने कहा, “मैं सीता के संबंध में कुछ नहीं जानता। लेकिन तुम दोनों की सहायता का उपाय बता सकता हूँ। मेरा एक छोटा-सा आग्रह स्वीकार करो तो। मेरा अंतिम संस्कार राम करें।”
कबंध ने राम को सुग्रीव के पास भेजा सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहता था। सुग्रीव निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे?
पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम था। मतंग ऋषि के आश्रम में मतंग ऋषि की शिष्या शबरी रहती थी। ऋषि ने उसे बताया था कि एक दिन राम आश्रम में अवश्य आएँगे। और उससे मिलेंगे।
राम को आश्रम में देखकर शबरी बहुत प्रसन्न हुई। उनकी आवभगत की। सेवा की। खाने को मीठे फल दिए। रहने की जगह दी। उसकी आँखें तृप्त हो गईं। राम ने उससे सीता के संबंध में पूछा। अगले दिन राम ऋष्यमूक पर्वत चले गए।
पाठ पर आधारित अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न :- कुटी की ओर वापिस जाते हुए राम के मन में कौन-कौन सी आशंकाएँ थी?
उत्तर :- राम ने सोचा-
“अब क्या होगा?”
“अच्छा हो कि लक्ष्मण वहीं हों। मारीच की मायावी आवाज उन तक न पहुँची हो” “सीता अकेली रहीं तो राक्षस उन्हें मार डालेंगे। खा जाएँगे।”
प्रश्न :- पगडंडी से लक्ष्मण को आते देख राम को कैसा लगा?
उत्तर :- वही हुआ, जिसका राम को डर था। अनिष्ट की आशंका और बढ़ गई। पता नहीं सीता किस हाल में होंगी? राक्षसों ने उन्हें मार डाला होगा? उठा ले गए होंगे? अकेली सीता दुष्ट राक्षसों के सामने क्या कर पाई होंगी?
प्रश्न :- राम लक्ष्मण पर क्रुद्ध क्यों थे?
उत्तर :- कुटी छोड़कर आने पर वह लक्ष्मण से क्रुद्ध थे। उन्होंने क्रोध पर नियंत्रण रखा।
प्रश्न :- लक्ष्मण ने राम को कुटी छोड़ने के पीछे कौन-सा कारण बताया?
उत्तर :- देवी सीता ने मुझे विवश कर दिया, भ्राते! उनके कटु वचन मैं सहन नहीं कर सका। कटाक्ष और उलाहना नहीं सुन सका।
प्रश्न :- कुटिया में पहुँचकर राम की बेचैनी क्यों बढ़ गई?
उत्तर :- राम ने पुकारा, “सीते! तुम कहाँ हो?” जैसे कि उन्हें पता चल गया हो कि सीता आश्रम में नहीं हैं। कुटिया मौन रही। वहाँ से कोई उत्तर नहीं मिला। राम की बेचैनी बढ़ गई।
प्रश्न :- राम सुध-बुध क्यों भुला बैठे?
उत्तर :- सीता का कहीं पता न था। शोक से व्याकुल राम रोने लगे। सीता से बिछुड़ना उनके लिए असहनीय आघात था। वे सुध-बुध भुला बैठे।
प्रश्न :- राम ने किस नदी से सीता के विषय में पूछा?
उत्तर :- गोदावरी नदी से।
प्रश्न :- गोदावरी नदी ने सीता के विषय में राम को क्या बताया?
उत्तर :- नदी ने कोई उत्तर नहीं दिया।
प्रश्न :- राम ने सीता के विषय में किस-किस से पूछा?
उत्तर :- नदी, वृक्ष, हाथी, शेर, चट्टानों और पत्थर से।
प्रश्न :- सीता के वियोग में राम की स्थिति कैसी हो गई थी?
उत्तर :- राम की मानसिक स्थिति विक्षिप्त जैसी थी।
प्रश्न :- लक्ष्मण ने राम को शांत करते हुए क्या कहा?
उत्तर :- “आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। इस तरह दुख से कातर नहीं होना चाहिए। हम मिलकर सीता की खोज करेंगे। वे जहाँ भी होंगी, हम उन्हें ढूँढ़ निकालेंगे। सीता हमारी प्रतीक्षा कर रही होंगी।”
प्रश्न :- राम के द्वारा सीता के विषय में पूछने पर हिरणों ने कैसे संकेत किया?
उत्तर :- हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए।
प्रश्न :- राम-लक्ष्मण सीता की खोज के लिए किस दिशा की ओर चले?
उत्तर :- दक्षिण दिशा की ओर।
प्रश्न :- वन में भटकते हुए राम-लक्ष्मण ने क्या-क्या देखा?
उत्तर :- एक टूटे हुए रथ के टुकड़े देखे। मरा हुआ सारथी और मृत घोड़े भी थे। सीता की वेणी की पुष्पमाला देखी। पक्षिराज जटायु को देखा।
प्रश्न :- पक्षिराज जटायु ने राम को सीता के विषय में क्या बताया?
उत्तर :- “हे राजकुमार! सीता को रावण उठा ले गया है। मेरे पंख उसी ने काटे। सीता का विलाप सुनकर मैंने रावण को चुनौती दी। उसका रथ तोड़ दिया। सारथी और घोड़ों को मार डाला। स्वयं रावण को घायल कर दिया। पर मैं सीता को नहीं बचा सका। रावण उन्हें लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर उड़ गया,” कहते-कहते जटायु ने प्राण त्याग दिए।
प्रश्न :- पक्षिराज जटायु की अंतिम क्रिया किसने की?
उत्तर :- राम ने।
प्रश्न :- सीता की खोज में जाते हुए राम-लक्ष्मण को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर :- राम और लक्ष्मण को लगभग हर दिन राक्षसी आक्रमणों से जूझना पड़ा। अनेक कठिनाइयाँ आईं। अवरोध मिले।
प्रश्न :- कबंध राक्षस कैसा था?
उत्तर :- कबंध देखने में बहुत डरावना था। मोटे माँसपिड जैसा। गर्दन नहीं थी। एक आँख थी। दाँत बाहर निकले हुए। जीभ साँप की तरह लंबी और लपलपाती हुई।
प्रश्न :- कबंध क्यों आश्चर्यचकित रह गया?
उत्तर :- कबंध राम और लक्ष्मण की शक्ति और बुद्धि पर आश्चर्यचकित रह गया।
प्रश्न :- कबंध ने किस शर्त पर राम को सीता की खोज का उपाय बताया?
उत्तर :- उसने कहा, “मैं सीता के संबंध में कुछ नहीं जानता। लेकिन तुम दोनों की
सहायता का उपाय बता सकता हूँ। मेरा एक छोटा-सा आग्रह स्वीकार करो तो। मेरा अंतिम संस्कार राम करें।”
प्रश्न :- कबंध ने राम को किसके पास भेजा?
उत्तर :- सुग्रीव के पास।
प्रश्न :- सुग्रीव कहाँ रहता था?
उत्तर :- ऋष्यमूक पर्वत पर।
प्रश्न :- सुग्रीव कैसा जीवन व्यतीत कर रहे थे?
उत्तर :- निर्वासित जीवन।
प्रश्न :- पंपा सरोवर के पास किसका आश्रम था?
उत्तर :- मतंग ऋषि का।
प्रश्न :- मतंग ऋषि के आश्रम में कौन रहता था?
उत्तर :- मतंग ऋषि की शिष्या शबरी।
प्रश्न :- मतंग ऋषि ने शबरी को क्या बताया था?
उत्तर :- ऋषि ने उसे बताया था कि एक दिन राम आश्रम में अवश्य आएँगे। और उससे मिलेंगे।
प्रश्न :- राम और शबरी का मिलन किस प्रकार हुआ?
उत्तर :- राम को आश्रम में देखकर शबरी बहुत प्रसन्न हुई। उनकी आवभगत की। सेवा की। खाने को मीठे फल दिए। रहने की जगह दी। उसकी आँखें तृप्त हो गईं। राम ने उससे सीता के संबंध में पूछा।
प्रश्न :- शबरी से मिलने के बाद राम-लक्ष्मण कहाँ गए?
उत्तर :- अगले दिन राम ऋष्यमूक पर्वत चले गए।
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