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मैं सबसे छोटी होऊँ
सुमित्रा नंदन पंत
मैं सबसे छोटी होऊँ,
तेरी गोदी में सोऊँ,
तेरा अंचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ! तेरे साथ,
कभी न छोड़ँू तेरा हाथ!
शब्दार्थ :- अंचल – वस्त्र का छोर, साड़ी, ओढ़नी आदि का वह छोर जो छाती और पेट पर रहता है
भावार्थ :- सुमित्रा नंदन पंत द्वारा लिखित कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ की इन पक्तियों में बच्ची अपनी माँ से कह रही है कि माँ मैं तेरी सबसे छोटी संतान बनूँ ताकि मैं तेरी गोदी में प्यार से सो सकूँ। प्यार से तेरा आँचल पकड़कर, हमेशा तेरे साथ घूमती रहूँ और तेरा हाथ कभी ना छोड़ूँ।
बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात!
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात!
अपने कर से खिला, धुला मुख,
धूल पोंछ, सज्जित कर गात,
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात!
शब्दार्थ :- सज्जित – सजाकर। गात – शरीर।
भावार्थ :- सुमित्रा नंदन पंत द्वारा लिखित कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ की इन पक्तियों में बच्ची अपनी माँ से कह रही है कि जैसे ही हम बड़े हो जाते हैं, माँ हमारा साथ छोड़ देती है। फिर दिन-रात हमारे आगे-पीछे नहीं घूमती, इसलिए हमें छोटा ही बने रहना चाहिए। बड़े होने के बाद माँ हमें अपने हाथ से नहलाती नहीं, ना ही सजाती और सँवारती है। फिर तो माँ हमें प्यार से एक जगह बिठा कर खिलौनों से नहीं खिलाती और परियों की कहानी भी नहीं सुनाती।
ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं,
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय,
कहूँ – दिखा दे चंद्रोदय!
शब्दार्थ :- स्नेह – बड़ों का छोटों के प्रति प्रेम। निस्पृह – बिना इच्छा के।
भावार्थ :- सुमित्रा नंदन पंत द्वारा लिखित कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ की इन पक्तियों में बच्ची अपनी माँ से कह रही है कि मुझे बड़ा नहीं बनना है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो माँ! मैं तेरे आँचल की छाया खो दूँगी, जिसमें मैं निर्भय, सुरक्षित होकर आराम से सो जाती हूँ और उसी आँचल की छाया के भीतर से तुझसे कहूँ कि मुझे चाँद का उदय दिखा दे। अतः बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है क्योंकि बड़ा होने के बाद उसे माँ का प्यार और दुलार नहीं मिल पाएगा।
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मैं सबसे छोटी होऊँ
प्रश्न-अभ्यास
कविता से
प्रश्न:- कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है?
उत्तर:- बड़ा होने के बाद उसे माँ का प्यार और दुलार नहीं मिल पाएगा। इसलिए बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है।
प्रश्न:- कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:- कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ इसलिए कहा गया है क्योंकि बच्ची को बड़ा नहीं बनना है। अगर ऐसा हुआ तो बच्ची को डर है कि वह माँ के आँचल की छाया खो देगी, जिसमें वह निर्भय, सुरक्षित होकर आराम से सो जाती है।
प्रश्न:- कविता में किसके आँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है और क्यों?
उत्तर:- कविता में माँ के आँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है क्योंकि माँ अपने आँचल की छाया में अपने बच्चे को बाहरी दुनिया की परेशानियों से बचा कर रखती है।
प्रश्न:-आशय स्पष्ट करो-
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात!
उत्तर:- बड़े हो जाने पर बच्चों का साथ माँ से छूट जाता है। जिस तरह छोटे रहने पर माँ हमेशा बच्ची के साथ रहकर समय तथा प्यार देती थी, वैसा अब नहीं करती है।
प्रश्न :- अपने छुटपन में बच्चे अपनी माँ के बहुत करीब होते हैं। इस कविता में नज़दीकी की कौन-कौन सी स्थितियाँ बताई गई हैं?
उत्तर :- माँ की गोंदी में सोना और परियों की कहानी सुनना, आँचल पकड़ कर चलना, उसके हाथों से खाना तथा उसके हाथों से सजना आदि इस कविता में नजदीकी की स्थितियाँ बताई गई हैं।
कविता से आगे
प्रश्न :- तुम्हारी माँ तुम लोगों के लिए क्या-क्या काम करती है?
उत्तर- हमारी माँ हमारे लिए निम्नलिखित कार्य करती है-
- माँ हमारे लिए खाना बनती है।
- माँ हमें नहलाती-धुलाती और तैयार करती है।
- वह हमें कहानी सुनाती है।
- मेरी हर जरूरत का ध्यान रखती है।
- अच्छी बातें सिखाती है और पढ़ाती है।
प्रश्न :- यह क्यों कहा गया है कि बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है?
उत्तर- माँ जब बच्चों को बड़ा बना देती है तो अपने कामों में लगी रहती है। तब वह उसे न तो नहलाती धुलाती है और न अपने हाथ से खाना खिलाती है, न परियों की कहानी सुनाती है। तब बच्चों को लगता है कि बड़ा होने पर माँ उसे छलती है।
प्रश्न :- उन क्रियाओं को गिनाओ जो इस कविता में माँ अपनी बच्ची या बच्चे के लिए करती है।
उत्तर :- माँ अपने बच्चे को गोदी में सुलाती है, आँचल पकड़वाकर साथ-साथ रखती है, खाना खिलाती है, नहलाती-धुलाती है, सजाती-सँवारती है, खिलौने देती है, परियों की कहानियाँ सुनाती है। चाँद का उदय दिखाती है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न:- इस कविता के अंत में कवि माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात क्यों कर रहा है? अनुमान लगाओ और अपने शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर:- बच्चों को चाँद का उदय देखना रोचक लगता है। वे अकसर माता-पिता से चाँद को देखने या उसे हाथ में लेने की जिद करते हैं इसलिए कविता में कवि ने चंद्रोदय दिखाने की बात कही है।
प्रश्न :- इस कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और उसकी माँ का चित्र तुम्हारे मन में उभरता है। वह बच्ची और क्या-क्या कहती होगी? क्या-क्या करती होगी? कल्पना करके एक कहानी बनाओ।
उत्तर :- वह दिन भर माँ के साथ उसके आगे-पीछे घूमती होगी, बातें करती होगी, सवाल पूछती होगी, जिद्द लगाती होगी, खिलौने माँगती होगी, खाना-पीना माँगती होगी। वह अपने कपड़े गंदे कर लेती होगी और माँ की डांट खाती होगी।
प्रश्न :- माँ अपना एक दिन कैसे गुज़ारती है? कुछ मौकों पर उसकी दिनचर्या बदल जाया करती है, जैसे-मेहमानों के आ जाने पर, घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर या त्योहार के दिन। इन अवसरों पर माँ की दिनचर्या पर क्या फ़र्क पड़ता है? सोचो और लिखो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न :- नीचे दिए गए शब्दों में अंतर बताओ, उनमें क्या फ़र्क है?
उत्तर-
- स्नेह (छोटे के लिए प्रेम)- पिता अपने पुत्र से स्नेह करता है।
- प्रेम (छोटे, बड़े सभी के लिए)- राधा-कृष्ण का प्रेम अद्भुत है।
- शांति (हलचल न होना)- कक्षा में छात्र शांति से बैठे हैं।
- सन्नाटा (वातावरण में चुप्पी होना)- गर्मी की दोपहरी में गाँवों में सन्नाटा छा जाता है।
- धूल (मिट्टी)- सड़क पर धूल से प्रदूषण फैल रहा है।
- राख (लकड़ी या कोयले के जलने के बाद बचा पदार्थ)- उपले की राख अच्छी होती है।
- ग्रह (नक्षत्र)- सौर मंडल में आठ ग्रह बताए गए हैं।
- गृह (घर)- आज हमें गृह-प्रवेश कर लिया।
- निधन (मृत्यु)- गायक के निथन की खबर सुनकर संगीत जगत दुखी है।
- निर्धन (गरीब)- निर्धन होना लज्जा की बात नहीं है।
- समान (बराबर)- स्कूल में सभी छात्र समान हैं।
- सामान (वस्तु)- सामान को सही जगह लगा दो।
प्रश्न :- कविता में दिन-रात’ शब्द आया है। दिन रात का विलोम है। तुम ऐसे चार शब्दों के जोड़े सोचकर लिखो, जो विलोम शब्दों से मिलकर बने हों। जोड़ों के अर्थ को समझने के लिए वाक्य भी बनाओ।
उत्तर-
- भला-बुरा- भला-बुरा देखकर ही कार्य करना चाहिए।
- आना-जाना- संसार से आना-जाना लगा रहता है।
- जीवन-मरण- जीवन-मरण ईश्वर के हाथ में है।
- लाभ-हानि- जीवन में लाभ-हानि लगा ही रहता है।
क्विज /टेस्ट
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