कक्षा 6 » साथी हाथ बढ़ाना (गीत)

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साथी हाथ बढ़ाना

कवि – साहिर लुधियानवी

साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।

हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ :- साथी – मित्र, दोस्त। हाथ बढ़ाना – मदद करना। मेहनत वालों – परिश्रमी। कदम बढ़ाया – आगे बढ़ना। परबत – पर्वत। सीस – सिर। फ़ौलादी – लोहे जितना मजबूत। सीना – छाती। पैदा कर दें राहें – रास्ते बना दिए।

भावार्थ :- कवि साहिर लुधियानवी द्वारा रचित गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ की इन पंक्तियों में कवि ने मिलकर काम करने की महत्ता को दर्शाया है। कवि के अनुसार यदि एक व्यक्ति काम करते-करते थक जाए तो दूसरे को उसका साथ देना चाहिए। इतिहास इस बात का साक्षी है जब भी मेहनत करने वाले लोगों ने मिलकर कुछ करने की ठानी है, तो उसमें सफलता अवश्य मिली है। मेहनत करने वाले लोगों ने सागर पर रास्ता तैयार कर दिया और दुर्गम पर्वतों के ऊपर चढ़ाई की। मेहनत करने वाले लोगों की सीना और बाहें फौलाद जैसी मजबूत हैं जो चट्टान को तोड़कर उसमें भी रास्ता तैयार कर सकती हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे का साथ देना है।

मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल, अपना रस्ता नेक
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ :- लेख की रेखा – भाग्य की रेखा। गैरों – दूसरे लोगों, अंग्रेजों। खातिर – के लिए। नेक – भला, पवित्र।

भावार्थ :- कवि साहिर लुधियानवी द्वारा रचित गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ की इन पंक्तियों में कवि ने मिलकर काम करने की महत्ता को दर्शाया है। कवि मेहनत करने की प्रेरणा देते हुए कहता है कि हमें मेहनत करने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मेहनत करने से ही हमारे भाग्य की रेखा बादल सकती है। बीते हुए समय में हमने दूसरे लोगों अर्थात अंग्रेजों के लिए मेहनत की थी आज तो हमें अपने विकास के लिए ही मेहनत करनी है। हमें सुख-दुख को अपना साथी मानकर आगे बढ़ना है। हमें अच्छे रास्ते पर सच के साथ आगे जाने है। हमारी उद्देश्य सच का होना चाहिए। इसलिए हमें एक-दूसरे का साथ देना है।

एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो जर्रा, बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ :- कतरा – बूँद। दरिया – नदी। जर्रा – रेत का कण। राई – छोटी सरसों का दाना। इंसाँ – आदमी। सेहरा- रेगिस्तान।

भावार्थ – कवि साहिर लुधियानवी द्वारा रचित गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ की इन पंक्तियों में कवि एकता की ताकत को स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि एक-एक बूँद मिलकर नदी जाती है। छोटे-छोटे रेत के कण मिलकर विशाल रेगिस्तान बन जाते हैं। छोटे राई के दाने मिलकर पर्वत बना देने की क्षमता रखते हैं। उसी प्रकार यदि प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करें तो भाग्य को भी पलट कर रख सकते हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे का साथ देते हुए आगे बढ़ना है।

 

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प्रश्न-अभ्यास

गीत से

प्रश्न :-  इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास की जिदगी में घटते हुए देख सकते हो?

उत्तर :-

“हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।”

प्रश्न :- ‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’-साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।

उत्तर :- इतिहास इस बात का साक्षी है जब भी मेहनत करने वाले लोगों ने मिलकर कुछ करने की ठानी है, तो उसमें सफलता अवश्य मिली है। मेहनत करने वाले लोगों ने सागर पर रास्ता तैयार कर दिया और दुर्गम पर्वतों के ऊपर चढ़ाई की।

प्रश्न :- गीत में सीने और बाँहों को फ़ौलादी क्यों कहा गया है?

उत्तर :- सीने और बाँह को फ़ौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि हमारे इरादे मजबूत हैं और हमारी बाँहें शक्तिशाली हैं। इन्हीं मजबूत इरादों और शक्तिशाली बाँहों के सहारे मानव ने कई बार असंभव को संभव कर दिखाया है।

गीत से आगे

प्रश्न :- अपने आसपास तुम किसे ‘साथी’ मानते हो और क्यों? इससे मिलते-जुलते कुछ और शब्द खोजकर लिखो।

उत्तर :- हमारे माता-पिता, दादा-दादी, भाई-बहन, मित्र, सहपाठी, शिक्षक, पड़ोसी-ये सभी हमारे साथी हैं। ये सब हमें किसी न किसी रूप में सहयोग करते हैं। साथी से मिलते-जुलते शब्द हैं- सहायक, सखा, संगी, सहचर, शुभचिंतक, मित्र, मीत आदि।

प्रश्न :- ‘अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक’ कक्षा, मोहल्ले और गाँव / शहर के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम्हें इस वाक्य की सच्चाई महसूस होती है और कैसे?

उत्तर :- जब रोजमर्रा की मुश्किलों जैसे बिजली, पानी, बाढ़ आदि से जब हमारा सामना होता है तो हमें लगता है जैसे हमारा दुख एक है। वहीं दूसरी ओर विद्यालय के लिए पदक जीतना, कक्षा में अच्छे अंक लाना और आगे बढ़ने की इच्छा से पता चलता है कि हमारा सुख भी एक ही है।

प्रश्न :-  इस गीत को तुम किस माहौल में गुनगुना सकते हो?

उत्तर – वैसे तो यह गीत कभी-भी गुनगुनाया जा सकता है लेकिन विशेष अवसरों जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या किसी संगठन की स्थापना के अवसर पर इसे गाया है। खेल के मैदान में भी यह गीत खिलाड़ियों में जोश भर सकता है। 

प्रश्न :-  ‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’-
(क) तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?

उत्तर – अपने घर के छोटे-बड़े कामों में माता-पिता का हाथ बँटा कर हम इस बात का ध्यान रख सकते हैं।

(ख) पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?

उत्तर – पापा और माँ को बहुत से काम करने होते हैं। एक ओर पापा बाहरी कामों का ध्यान रखते हैं वहीं माँ घर की सफाई, खाना बनाना, कपड़े धोनाखरीदारी करना और कई छोटे-बड़े कामों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती है।

(ग) क्या वे एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं?

उत्तर – हाँ, वे इन कामों से एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं।

प्रश्न :- यदि तुमने ‘नया दौर’ फ़िल्म देखी है तो बताओ कि यह गीत फ़िल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है? यदि तुमने फ़िल्म नहीं देखी है तो फ़िल्म देखो और बताओ।

उत्तर :- ‘नया दौर’ फिल्म में जब कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए सब मिल जुल कर काम करते हैं तब यह गीत आता है। यह गीत काम करने वाले लोगों के सहयोग, उत्साह और जोश को प्रदर्शित करता है।

कहावतों  की दुनिया

प्रश्न :-       “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।”
“एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।”

(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पंक्तियों से मिलता-जुलता है?

उत्तर –

  • “एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।”
  • “एक से मिले तो कतरा, बन जाता जाता है दरिया
    एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाती है सेहरी
    एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
    एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत।”

(ख) इन दोनों कहावतों का अर्थ कहावत-कोश में देखकर समझो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर –  

  • अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – तुम बहादुर हो लेकिन पुलिस के ओर जवान साथ ले लो। क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। 
  • एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं – मिलकर चट्टान तोड़ें तो रास्ता मिल सकता है, आखिर एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं। 

प्रश्न :-  नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ-

उत्तर :-

(क) हाथ को हाथ न सूझना – कुछ दिखाई न देना – रात के अंधेरे में हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।

(ख) हाथ साफ़ करना – चोरी करना – चोर ने पलक झपकते ही दुकान पर हाथ साफ कर दिया।

(ग) हाथ-पैर फ़ूलना – घबरा जाना – हार सामने देखकर विपक्षी टीम के हाथ-पैर फूल गए।

(घ) हाथों-हाथ लेना – तुरंत ले लेना – बाजार में नई किताब आते है पाठकों ने उसे हाथों-हाथ लिया।

(घ) हाथ लगना – अचानक मिल जाना – अलमारी से पुरानी पुस्तक आज मेरे हाथ लगी।

भाषा की बात

प्रश्न :-  हाथ और हस्त एक ही शब्द के दो रूप हैं। नीचे दिए शब्दों में हस्त और हाथ छिपे हैं। शब्दों को पढ़कर बताओ कि हाथों का इनमें क्या काम है-

हाथघड़ी हथौड़ा हस्तशिल्प हस्तक्षेप
निहत्था हथकंडा हस्ताक्षर हथकरघा

उत्तर :-

  • हाथघड़ी- हाथघड़ी हाथ की कलाई पर पहनी जाती है।
  • हथौड़ा- एक ऐसा लोहे का औज़ार है जिसे हाथ से पकड़कर चलाया जाता है।
  • हस्तशिल्प- इस शिल्पकारी को हाथ (हस्त) से किया जाता है।
  • हस्तक्षेप- बीच-बचाव करने के लिए। इसका अर्थ है दखल देना।
  • निहत्था- जिसके हाथ में कोई हथियार न हो, उसे निहत्था कहते हैं।
  • हथकंडा- किसी कार्य को पूरा करने के लिए अनुचित तरीका अपनाने को हथकंडा कहते हैं। इसमें भी हाथ का कार्य नहीं है।
  • हस्ताक्षर- हाथ से अपना नाम लिखकर किसी कार्य हेतु स्वीकृति देना।
  • हथकरघा- हाथ से किए जाने वाले छोटे-मोटे उद्योग धंधे, जैसे चरखा चलाना, कपड़ा बुनना, टोकरी बुनना आदि।

प्रश्न :-  इस गीत में परबत, सीस, रस्ता, इंसाँ जैसे शब्दों के प्रयोग हुए हैं। इन शब्दों के प्रचलित रूप लिखो।

उत्तर :-

  • परबत – पहाड़, पर्वत
  • सीस – शीश, सिर, माथा
  • रस्ता – रास्ता
  • इंसाँ – इंसान, मनुष्य

प्रश्न :- ‘कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना’- इस वाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है-

(तुमने) कल गैरों की खातिर (मेहनत) की, आज (तुम) अपनी खातिर करना।

इस वाक्य में ‘तुम’ कर्ता है जो गीत की पंक्ति में छंद बनाए रखने के लिए हटा दिया गया है। उपर्युक्त पंक्ति में रेखांकित शब्द ‘अपनी’ का प्रयोग कर्ता ‘तुम’ के लिए हो रहा है, इसलिए यह सर्वनाम है। ऐसे सर्वनाम जो अपने आप के बारे में बताएँ निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। (निज का अर्थ ‘अपना’ होता है।) निजवाचक सर्वनाम के तीन प्रकार होते हैं जो नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित हैं-

  • मैं अपने आप (या आप) घर चली जाऊँगी।
  • बब्बन अपना काम खुद करता है।
  • सुधा ने अपने लिए कुछ नहीं खरीदा।

अब तुम भी निजवाचक सर्वनाम के निम्नलिखित रूपों का वाक्यों में प्रयोग करो-

उत्तर :-

  1. अपने को- हमें अपने को हार से बचाना है।
  2. अपने पर- मुझे अपने पर विश्वास है।
  3. अपने से- अपने से बड़े व्यक्तियों की बात मानो।
  4. अपने लिए- हमें अपने लिए कुछ समय निकलना चाहिए।
  5. अपना- आप इसे अपना ही घर समझो।
  6. आपस में- आपस में मत झगड़ो।

कुछ करने को

प्रश्न :- बातचीत करते समय हमारी बातें हाथ की हरकत से प्रभावशाली होकर दूसरे तक पहुँचती हैं। हाथ की हरकत से या हाथ के इशारे से भी कुछ कहा जा सकता है। नीचे लिखे हाथ के इशारे किन अवसरों पर प्रयोग होते हैं? लिखो-

उत्तर :-

  • ‘क्यों’ पूछते हाथ- हम किसी से प्रश्न करते समय करते हैं।
  • ‘मना करते हाथ’- किसी की बात को मना करने के लिए किया गया हाथों का प्रयोग।
  • बुलाते हाथ- किसी को बुलाने के लिए किया गया हाथों का प्रयोग।
  • आरोप लगाते हाथ- किसी पर दोष मढ़ते समय हाथ की ऊँगली का इशारा।
  • जोश दिखाते हाथ- जोश दिखाने के लिए दोनों हाथों का इशारा करते हैं।
  • समझाते हाथ- हम हाथ के संकेत से समझाते हैं।
  • चेतावनी देते हाथ- किसी काम के परिणाम के विषय में आगाह करते समय।


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