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आश्रम का अनुमानित व्यय (पाठ का सार)
शब्दार्थ :- आरंभ – शुरूआत। संभावना – उम्मीद। औसतन – लगभग। अतिथि – मेहमान। व्यवस्था – इंतजाम। लायक – योग्य। बढ़ईगीरी – लकड़ी के काम करने की कला। मासिक – महीने का। मालूम – ज्ञात। मदों में – वस्तुओं पर। जुटाना – प्रबंध ।करना।
‘आश्रम का अनुमानित व्यय’ नामक पाठ गांधी जी द्वारा लिखित एक लेखा-जोखा है। दक्षिण अफ़ीका से लौटकर गांधी जी ने अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की, उसके प्रारंभिक सदस्यों तथा सामान आदि का विवरण इस पाठ में है।
गांधी जी लिखते है कि आरंभ में आश्रम में चालीस लोग होंगे। हर महीने औसतन दस अतिथियों के आने की संभावना है। इनमें तीन या पाँच सपरिवार होंगे, इसलिए स्थान की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि परिवारवाले लोग अलग रह सकें और शेष एक साथ। इसको ध्यान में रखते हुए तीन रसोईघर हों और मकान कुल पचास हजार वर्ग फुट क्षेत्रफल में बने तो सब लोगों के लायक जगह हो जाएगी। इसके अलावा तीन हजार पुस्तकें रखने लायक पुस्तकालय और अलमारियाँ होनी चाहिए। कम-से-कम पाँच एकड़ जमीन खेती करने के लिए चाहिए, जिसमें कम-से-कम तीस लोग काम कर सकें, इतने खेती के औजार चाहिए। इनमें कुदालियों, फावड़ों और खुरपों की जरूरत होगी। बढ़ईगिरी के निम्नलिखित औजार भी होने चाहिए-पाँच बड़े हथौड़े, तीन बसूले, पाँच छोटी हथौड़ियाँ, दो एरन, तीन बम, दस छोटी-बड़ी छेनियाँ, चार रंदे, एक सालनी, चार केतियाँ, चार छोटी-बड़ी बेधनियाँ, चार आरियाँ, पाँच छोटी-बड़ी संड़ासियाँ, बीस रतल कीलें-छोटी और बड़ी, एक मोंगरा (लकड़ी का हथौड़ा), मोची के औजार। मेरे अनुमान से इन सब पर कुल पाँच रुपया खर्च आएगा। रसोई के लिए आवश्यक सामान पर एक सौ पचास रुपये खर्च आएगा। स्टेशन दूर होगा तो सामान को या मेहमानों को लाने के लिए बैलगाड़ी चाहिए। मैं खाने का खर्च दस रुपये मासिक प्रति व्यक्ति लगाता हूँ। मैं नहीं समझता कि हम यह खर्च पहले वर्ष में निकाल सकेंगे। वर्ष में औसतन पचास लोगों का खर्च छह हजार रुपये आएगा। मुझे मालूम हुआ है कि प्रमुख लोगों की इच्छा यह है कि अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए। यदि ऐसा हो तो अहमदाबाद को ऊपर बताया गया सब खर्च उठाना चाहिए। मेरी माँग तो यह भी है कि अहमदाबाद मुझे पूरी जमीन और मकान सभी दे दे तो बाकी खर्च मैं कहीं और से या दूसरी तरह जुटा लूँगा। अब चूँकि विचार बदल गया है, इसलिए ऐसा लगता है कि एक वर्ष का या इससे कुछ कम दिनों का खर्च अहमदाबाद को उठाना चाहिए। यदि अहमदाबाद एक वर्ष के खर्च का बोझ उठाने के लिए तैयार न हो, तो ऊपर बताए गए खाने के खर्च का इंतजाम मैं कर सकता हूँ। चूँकि मैंने खर्च का यह अनुमान जल्दी में तैयार किया है, इसलिए यह संभव है कि कुछ मदें मुझसे छूट गई हों। इसके अतिरिक्त खाने के खर्च के सिवा मुझे स्थानीय स्थितियों की जानकारी नहीं है। इसलिए मेरे अनुमान में भूलें भी हो सकती हैं। यदि अहमदाबाद सब खर्च उठाए तो विभिन्न मदों में खर्च इस तरह होगा-
- किराया-बंगला और खेत की जमीन
- किताबों की अलमारियों का खर्च
- बढ़ई के औजार
- मोची के औजार
- चौके का सामान
- एक बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी
- एक वर्ष के लिए खाने का खर्च- छह हजार रुपया
मेरा खयाल है कि हमें लुहार और राजमिस्त्री के औजारों की भी जरूरत होगी। दूसरे बहुत से औजार भी चाहिए, कितु इस हिसाब से मैंने उनका खर्च और शिक्षण-संबंधी सामान का खर्च शामिल नहीं किया है। शिक्षण के सामान में पाँच-छह देशी हथकरघों की आवश्यकता होगी।
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आश्रम का अनुमानित व्यय (प्रश्न-उत्तर)
लेखा-जोखा
प्रश्न :- हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गांधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औजार- छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर :- गांधी जी आश्रम में आने वाले लोगों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देना चाहते होंगे। इसलिए वे पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औजार- छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि खरीदना चाहते होंगे। ताकि वहाँ आने वाले परिवार हाथ से काम करना सीख सकें।
प्रश्न :- गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।
उत्तर :- किसी भी आश्रम या सभा का हिसाब-किताब गांधी जी बहुत कुशलता से लगाते थे। साबरमती आश्रम में भी उन्होंने ऐसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।
प्रश्न :- मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नयी मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :-आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर :- अनुमानित बजट को गहराई से अध्ययन करने के बाद हम आश्रम के उद्देश्यों को निम्न रूप में समझ सकते हैं –
- आश्रम वासियों में स्वावलंबन की भावना का विकास करना।
- अतिथि सत्कार करना।
- जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना।
- बेकार लोगों को आजीविका प्रदान करना।
- श्रम का महत्त्व समझना।
- कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना।
भाषा की बात
प्रश्न :- अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
प्रमाणित, व्यथित, द्रवित, मुखरित, झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित।
उत्तर :-
प्रमाणित = प्रमाण + इत
झंकृत = झंकार + इत
व्यथित = व्यथा + इत
द्रवित = द्रव + इत
मुखरित = मुखर + इत
शिक्षित = शिक्षा + इत
मोहित = मोह + इत
चर्चित = चर्चा + इत
प्रश्न :- इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे-सप्ताह + इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक, नैतिक, पौराणिक, दैनिक।
उत्तर :-
मौखिक = मुख + इक
नैतिक = नीति + इक
संवैधानिक = संविधान + इक
पौराणिक = पुराण + इक
प्राथमिक = प्रथम + इक
दैनिक = दिन + इक
प्रश्न :- बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर :-
समस्तपद | समास विग्रह |
रसोईघर | रसोई के लिए घर |
तुलसीकृत | तुलसी द्वारा कृत |
रेखांकित | रेखा द्वारा अंकित |
शरणागत | शरण में आया हुआ |
रोगग्रस्त | रोग से ग्रस्त |
राहखर्च | राह के लिए खर्च |
धनहीन | धन से रहित |
जन्मान्ध | जन्म से अंधा |
टेस्ट/क्विज
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