इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |
कंचा (पाठ का सार)
कंचा कहानी में लेखक श्री टी० पद्मनाभन ने बालपन की जिज्ञासा का सुंदर चित्रण किया है| एक बालक कैसे अपने खेलने के सामान बाकी अन्य चीज़ों से ऊपर रखता है और किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता| अप्पू ने एक दुकान पर अलमारी में काँच के ज़ार में रखे कंचे देखे। कंचे सफ़ेद गोल बड़े आँवले जैसे दिख रहे थे। वह कंचे को देखते-दखते उसमें खो गया। स्कूल की घंटी सुनते ही दौड़ पड़ा। जार्ज जो उसका सहपाठी था, आज बुखार होने के कारण स्कूल नहीं आया था। वह उसके बारे में सोचने लगा क्योंकि वह कंचे का अच्छा खिलाड़ी था। मास्टर साहब उस समय रेलगाड़ी के बारे में पढ़ा रहा था परंतु अप्पू का ध्यान पढ़ाई में नहीं था। वह अभी भी कंचे के बारे में सोच रहा था। इतने में ही उसे एक चॉक का टुकड़ा आ लगा और वह खड़ा हो गया। मास्टर जी उसके पास आकर डाँटने लगे। मास्टर जी उसका चेहरा देखकर समझ गए कि इसका ध्यान कहीं और था। उन्होंने अप्पू से प्रश्न पूछा जिसका जवाब वह नहीं दे पाया। मास्टर जी ने उसे बेंच पर खड़ा कर दिया। सभी बच्चे उसकी हँसी उड़ा रहे थे। वह रोने लगा। बेंच पर खड़ा अप्पू अभी भी कंचों के बारे में ही सोच रहा था। वह सोच रहा था कि जॉर्ज के आने पर कंचे खेलेगा। मास्टर जी अपना घंटा समाप्त कर चले गए। अप्पू अब भी यही सोच रहा था कि कंचे कैसे लिए जाएँ। मास्टर जी ने सब बच्चों को फीस भरने के लिए कहा। मास्टरजी के कहने पर अप्पू भी बेंच से उतरकर फीस भरने गया। ज्यादातर बच्चों ने फ़ीस भर दिया लेकिन अप्पू अभी भी कंचे के बारे में सोच रहा था। घंटी बजने पर सभी बच्चे कक्षा में आ गए। शाम को उसी दुकान पर पहुँचकर वह शीशे के जार में रखे कंचे देखने लगा। उसने अपनी फ़ीस के एक रुपया पचास पैसे के उस दुकानदार से कंचे खरीद लिए। जब वह कंचे लेकर घर आ रहा था तो रास्ते में उसे देखने के लिए जैसे ही कागज़ की पुड़िया खोला तो सारे कंचे बिखर गए। अपनी किताबें बाहर निकाल वह कंचे बस्ते में डालने लगा। वह उसे चुनने लगा तभी एक गाड़ी आई और वहाँ रुक गई। गाड़ी की ड्राइवर को अप्पू पर बहुत गुस्सा आया पर उसे खुश देख वह मुसकराकर चला गया। जब अप्पू घर पहुँचा और माँ को कंचा दिखाया तो माँ इतने सारे कंचे देखकर हैरान हो गई| अप्पू ने बताया कि वह फ़ीस के पैसों से ये कंचे खरीद लाया है। माँ ने कहा कि अब खेलोगे किसके साथ? यह कहकर माँ रोने लगी क्योंकि उसकी एक बहन थी मुन्नी, जो अब दुनिया में नहीं रही थी। तब अप्पू ने माँ से पूछा कि आपको कंचे अच्छे नहीं लगे। माँ उसकी भावनाओं को समझ गई और हँसकर बोली बहुत अच्छे हैं।
इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |
कंचा (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न :- किसी एक खेल को खेले जाने की विधि को अपने शब्दों में लिखिए।
- माँ ने दाँतों तले उँगली दबाई।
- सारी कक्षा साँस रोके हुए उसी तरफ़ देख रही है।
- हक्का-बक्का रह जाना – क्रिकेट में भारत की हार के बाद मेरा मित्र हक्का-बक्का रह गया।
- आँखें खुली रह जाना – कमजोर आदमी द्वारा मोटे पहलवान को हरा देने पर सबकी आँखें खुली रह गई।
- दम साधे हुए – मेरे पिता जी दम साधे हुए परीक्षा परिणाम का इंतज़ार कर रहे हैं।
- प्राण सूख जाना – परीक्षा में कम अंक आते है अभिनव के प्राण सूख गए।
टेस्ट/क्विज
इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |