कक्षा 7 » कंचा (कहानी-मलयालम)

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कंचा
(पाठ का सार)
शब्दार्थ :- केंद्रित – स्थिर। छाँव – छाया। नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना। जार – काँच के डिब्बे। कतार – पंक्ति। आकृष्ट – आकर्षित। टुकर-टुकर ताकना – टकटकी लगाकर देखना। निषेध में – मना करना। थामे – पकड़े। मात खाना – हार जाना। खों में चिंगारियाँ सुलगना – बहुत अधिक क्रोधित होना। सुबकना – धीमी आवाज में रोना। चिकोटी – चुटकी। सींखचे – लकड़ी के पट्टे। रकम – पैसे। पोटली – थैली। गुस्सा हवा होना – गुस्सा शांत हो जाना। काहे – क्यों।

कंचा कहानी में लेखक श्री टी० पद्मनाभन ने बालपन की जिज्ञासा का सुंदर चित्रण किया है| एक बालक कैसे अपने खेलने के सामान बाकी अन्य चीज़ों से ऊपर रखता है और किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता| अप्पू ने एक दुकान पर अलमारी में काँच के ज़ार में रखे कंचे देखे। कंचे सफ़ेद गोल बड़े आँवले जैसे दिख रहे थे। वह कंचे को देखते-दखते उसमें खो गया। स्कूल की घंटी सुनते ही दौड़ पड़ा।  जार्ज जो उसका सहपाठी था, आज बुखार होने के कारण स्कूल नहीं आया था। वह उसके बारे में सोचने लगा क्योंकि वह कंचे का अच्छा खिलाड़ी था। मास्टर साहब उस समय रेलगाड़ी के बारे में पढ़ा रहा था परंतु अप्पू का ध्यान पढ़ाई में नहीं था। वह अभी भी कंचे के बारे में सोच रहा था। इतने में ही उसे एक चॉक का टुकड़ा आ लगा और वह खड़ा हो गया। मास्टर जी उसके पास आकर डाँटने लगे। मास्टर जी उसका चेहरा देखकर समझ गए कि इसका ध्यान कहीं और था। उन्होंने अप्पू से प्रश्न पूछा जिसका जवाब वह नहीं दे पाया। मास्टर जी ने उसे बेंच पर खड़ा कर दिया। सभी बच्चे उसकी हँसी उड़ा रहे थे। वह रोने लगा। बेंच पर खड़ा अप्पू अभी भी कंचों के बारे में ही सोच रहा था। वह सोच रहा था कि जॉर्ज के आने पर कंचे खेलेगा। मास्टर जी अपना घंटा समाप्त कर चले गए। अप्पू अब भी यही सोच रहा था कि कंचे कैसे लिए जाएँ। मास्टर जी ने सब बच्चों को फीस भरने के लिए कहा।  मास्टरजी के कहने पर अप्पू भी बेंच से उतरकर फीस भरने गया। ज्यादातर बच्चों ने फ़ीस भर दिया लेकिन अप्पू अभी भी कंचे के बारे में सोच रहा था। घंटी बजने पर सभी बच्चे कक्षा में आ गए। शाम को उसी दुकान पर पहुँचकर वह शीशे के जार में रखे कंचे देखने लगा। उसने अपनी फ़ीस के एक रुपया पचास पैसे के उस दुकानदार से कंचे खरीद लिए। जब वह कंचे लेकर घर आ रहा था तो रास्ते में उसे देखने के लिए जैसे ही कागज़ की पुड़िया खोला तो सारे कंचे बिखर गए। अपनी किताबें बाहर निकाल वह कंचे बस्ते में डालने लगा। वह उसे चुनने लगा तभी एक गाड़ी आई और वहाँ रुक गई। गाड़ी की ड्राइवर को अप्पू पर बहुत गुस्सा आया पर उसे खुश देख वह मुसकराकर चला गया। जब अप्पू घर पहुँचा और माँ को कंचा दिखाया तो माँ इतने सारे कंचे देखकर हैरान हो गई| अप्पू ने बताया कि वह फ़ीस के पैसों से ये कंचे खरीद लाया है। माँ ने कहा कि अब खेलोगे किसके साथ? यह कहकर माँ रोने लगी क्योंकि उसकी एक बहन थी मुन्नी, जो अब दुनिया में नहीं रही थी। तब अप्पू ने माँ से पूछा कि आपको कंचे अच्छे नहीं लगे। माँ उसकी भावनाओं को समझ गई और हँसकर बोली बहुत अच्छे हैं।

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कंचा
(प्रश्न-उत्तर)
कहानी से
प्रश्न :- कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है?
उत्तर :- कंचे जब ज़ार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब वह उन्हीं में खो जाता है। उसे लगता है कि जैसे कंचों का ज़ार बड़ा होकर आसमान-सा बड़ा हो गया और वह उसके भीतर समा गया। वह अकेला ही कंचे चारों ओर बिखेरता हुआ मज़े से खेल रहा था। आँवले सा गोल हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे उसके दिमाग में पूरी तरह छा गए।
प्रश्न :- दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है? वे दोनाें उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए।
उत्तर :-  दुकानदार उसे देखकर पहले परेशान होता है। वह बार-बार कंचे देख तो रहा है लेकिन खरीद नहीं रहा। फिर जैसे ही अप्पू ने कंचे खरीदे तो वह हँस दिया।
अप्पू दुर्घटना की परवाह किए बिना ही सड़क पर बिखरे अपने कंचे बीन रहा है। कार ड्राइवर  पहले तो परेशान होता है लेकिन जैसे ही अप्पू उसे इशारा करके अपना कंचा दिखाता है तो वह उसकी बचपन की शरारत समझकर हँसने लगता है।
प्रश्न :- ‘मास्टर जी की आवाज अब कम ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे।’ मास्टर जी की आवाज धीमी क्यों हो गई होगी? लिखिए।
उत्तर :- पाठ शुरू करते समय मास्टर जी की आवाज ऊँची थी क्योंकि वे सभी बच्चों का ध्यान आकर्षित करना चाहते थे। जब पाठ शुरू हो गया और बच्चे ध्यानपूर्वक उनकी बातें सुनने लगे तो उनकी आवाज़ धीमी हो गई।
कहानी से आगे
प्रश्न :- कंचे, गिल्ली-डंडा, गेंदतड़ी (पिट्ठू) जैसे गली-मोहल्लों के कई खेल ऐसे हैं जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। आपके इलाके में ऐसे कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं? उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर :- हमारे इलाके में कंचे, गिल्ली-डंडा, पिट्ठू, क्रिकेट, बैडमिंटन, फुटबॉल, खो-खो, वॉलीबाल, टेनिस आदि खेल खेले जाते हैं।

प्रश्न :- किसी एक खेल को खेले जाने की विधि को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- जब मास्टर जी अप्पू से सवाल पूछते हैं तो वह कौन सी दुनिया में खोया हुआ था? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी दिन क्लास में रहते हुए भी क्लास से गायब रहे हों? ऐसा क्यों हुआ और आप पर उस दिन क्या गुजरी? अपने अनुभव लिखिए।
उत्तर :- जब मास्टर जी कक्षा में रेलगाड़ी का पाठ पढ़ा रहे थे तो अप्पू तो कंचों की दुनिया में खोया था उसका ध्यान मास्टर जी के द्वारा पढ़ाए जाने वाले पाठ में बिलकुल भी न था।
छात्र आपने अनुभव स्वयं लिखें।
प्रश्न :- आप कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?
उत्तर :- अप्पू के सुंदर कंचे।
प्रश्न :- गुल्ली-डंडा और क्रिकेट में कुछ समानता है और कुछ अंतर। बताइए, कौन सी समानताएँ हैं और क्या-क्या अंतर हैं?
उत्तर :-
समानता :- गुल्ली डंडा में एक खिलाड़ी गुल्ली फेंकता है और दूसरा डंडे से उसे दूर तक फेंकने का प्रयास करता है। अन्य खिलाड़ी उस गिल्ली को कैच करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। क्रिकेट में बैट से गेंद को उछाला जाता है। बल्लेबाज द्वारा बल्ले से मारी गई गेंद को कैच करने का प्रयास किया जाता है।
अंतर :- गुल्ली डंडा में मैदान और समय का कोई निश्चित पैमाना नहीं होता है। क्रिकेट में ओवरों की संख्या निश्चित होती है। 
भाषा की बात
प्रश्न :- नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित मुहावरे किन भावों को प्रकट करते हैं? इन भावों से जुड़े दो-दो मुहावरे बताइए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
  • माँ ने दाँतों तले उँगली दबाई।
  • सारी कक्षा साँस रोके हुए उसी तरफ़ देख रही है।
उत्तर :-
दाँतों तले उँगली दबाना-आश्चर्य प्रकट करना
अन्य मुहावरे-
  • हक्का-बक्का रह जाना – क्रिकेट में भारत की हार के बाद मेरा मित्र हक्का-बक्का रह गया।
  • आँखें खुली रह जाना – कमजोर आदमी द्वारा मोटे पहलवान को हरा देने पर सबकी आँखें खुली रह गई।
साँस रोके हुए-(भयभीत होना)
  • दम साधे हुए – मेरे पिता जी दम साधे हुए परीक्षा परिणाम का इंतज़ार कर रहे हैं।
  • प्राण सूख जाना – परीक्षा में कम अंक आते है अभिनव के प्राण सूख गए।
प्रश्न :- विशेषण कभी-कभी एक से अधिक शब्दों के भी होते हैं। नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्से क्रमशः रकम और कंचे के बारे में बताते हैं, इसलिए वे विशेषण हैं। पहले कभी किसी ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे। बढ़िया सफ़ेद गोल कंचे। इसी प्रकार के कुछ विशेषण नीचे दिए गए हैं इनका प्रयोग कर वाक्य बनाएँ-
ठंडी अँधेरी रात, खट्टी-मीठी गोलियाँ, ताजा स्वादिष्ट भोजन, स्वच्छ रंगीन कपड़े
उत्तर :- 
ठंडी अँधेरी रात – उल्लू का ठंडी अँधेरी रात में जगाना मुश्किल है।
खट्टी-मीठी गोलियाँ – अनाया दुकान से खट्टी-मीठी गोलियाँ खरीद कर लाई।
ताजा स्वादिष्ट भोजन – अनीता ने ताजा स्वादिष्ट भोजन तैयार किया।
स्वच्छ रंगीन कपड़े – अनवी को स्वच्छ रंगीन कपड़े अच्छे लगते हैं।
कुछ करने को
प्रश्न :- मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ खोजकर पढ़िए। ‘ईदगाह’ कहानी में हामिद चिमटा खरीदता है और ‘कंचा’ कहानी में अप्पू कंचे। इन दोनों बच्चों में से किसकी पसंद को आप महत्त्व देना चाहेंगे? हो सकता है, आपके कुछ साथी चिमटा खरीदनेवाले हामिद को पसंद करें और कुछ अप्पू को। अपनी कक्षा में इस विषय पर वाद-विवाद का आयोजन कीजिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें। 

टेस्ट/क्विज

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