कक्षा 7 » कठपुतली (कविता)

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कठपुतली
(कविता का अर्थ)

कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली-ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
सुनकर बोलीं और-और
कठपुतलियाँ
कि हाँ,
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद छुए।
मगर—
पहली कठपुतली सोचने लगी-
ये कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी?

इस कविता में कठपुतलियाँ स्वतंत्रता की इच्छा से स्वयं अपनी बात व्यक्त कर रही हैं। उनके समक्ष स्वतंत्रता को साकार बनानेवाली चुनौतियाँ हैं। धागे में बँधी हुई कठपुतलियाँ पराधीन हैं। इन्हें दूसरों के इशारे पर नाचने से दुख होता है। दुख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह कर देती है। वह अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है। उसकी बात सभी कठपुतलियों को अच्छी लगती है। स्वतंत्र रहना कौन नहीं चाहता! लेकिन, जब पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, वह सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है।

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कठपुतली
(प्रश्न-अभ्यास)

कविता से

प्रश्न :- कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

उत्तर :- कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि वह लंबे समय से धागे में बँधी है। लोग उसे अपने इशारों पर नाचते हैं। धागे में बँधना उसे पराधीनता लगता है। वह अपने पाँवों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भर बनना चाहती है।

प्रश्न :- कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?

उत्तर :- कठपुतली धागे के बंधनों से मुक्त होकर अपने पाँवों पर खड़ी होना चाहती है लेकिन खड़ी नहीं होती क्योंकि जब उस पर सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है तो वह डर जाती है। उसे ऐसा लगता है कि कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुश्किल में न डाल दे।

प्रश्न :- पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?

उत्तर :- अन्य कठपुतलियाँ भी स्वतंत्र होना चाहती थीं और अपनी पाँव पर खड़ी होना चाहती थी। किसी को भी पराधीन रहना पसंद नहीं। यही कारण था कि वे सब पहली कठपुतली की बात से सहमत थी।

प्रश्न :- पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’-तो फिर वह चितित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-

  • उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
  • उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिता होने लगी।
  • वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
  • वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।

उत्तर :- इस कविता में कठपुतलियाँ स्वतंत्रता की इच्छा से स्वयं अपनी बात व्यक्त कर रही हैं। उनके समक्ष स्वतंत्रता को साकार बनानेवाली चुनौतियाँ हैं। धागे में बँधी हुई कठपुतलियाँ पराधीन हैं। इन्हें दूसरों के इशारे पर नाचने से दुख होता है। दुख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह कर देती है। वह अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है। उसकी बात सभी कठपुतलियों को अच्छी लगती है। स्वतंत्र रहना कौन नहीं चाहता! लेकिन, जब पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, वह सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है।

कविता से आगे

प्रश्न :- ‘बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’-इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें
छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।

 

उत्तर :- (घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।

प्रश्न :-नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-
(क) सन् 1857
(ख) सन् 1942

उत्तर :-

  • सन् 1857 – लक्ष्मीबाई और मंगल पांडे
  • सन् 1942 – महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?

उत्तर :-

पहले सभी कठपुतलियों से विचार-विमर्श किया होगा और आपस में मिलकर लड़ी होंगी, क्योंकि सबकी समस्या एक जैसी थी।  स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी बनने के लिए उन्होंने काफ़ी संघर्ष किया होगा। अपने पाँव पर खड़े होने के लिए बहुत परिश्रम किया होगा। यदि फिर भी उन्हें धागे में बाँधकर नचाने का प्रयास किया गया होगा तो उन्होंने मिलकर विरोध किया होगा क्योंकि गुलामी में सारे सुख होने के बावजूद आजाद रहना ही सबको अच्छा लगता है।

भाषा की बात

प्रश्न :- कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए-जैसे-

काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा
हाथ-हथ सोना-सोन मिट्टी-मट

उत्तर :-

  • हाथ और गोला = हथगोला
  • हाथ और करघा = हथकरघा
  • हाथ और कड़ी = हथकड़ी
  • मिट्टी और मैला =  मटमैला

प्रश्न :-कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘—बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए-दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।

उत्तर :- पतला-दुबला, उधर-इधर, नीचे-ऊपर, बाएँ-दाएँ, काला-गोरा, पीला-लाल।

टेस्ट/क्विज

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