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चिड़िया की बच्ची (पाठ का सार)
“चिड़िया की बच्ची” कहानी को जैनेंद्र कुमार ने लिखा है। इस कहानी में लेखक ने एक चिड़िया की आजाद जिंदगी की तुलना एक अमीर सेठ की विवश जिंदगी से की है। सेठ माधवदास के पास सभी भौतिक सुख सुविधाएँ हैं लेकिन सच्ची खुशी नहीं है। नन्ही चिड़िया के पास भौतिक सुविधा के नाम पर उसकी माँ का घोंसला है जहाँ सुनहरी धूप आती और खाने को कुछ दाने मिल जाते हैं। लेकिन नन्हीं चिड़िया को और किसी सुख सुविधा की इच्छा नहीं है। वह तो इतनी निच्छल है कि उसे सेठ शब्द का अर्थ भी मालूम नहीं है। सेठ उसे सारी सुख सुविधाएँ देने का वचन देता है और उसे सोने चाँदी से तौलने की बात भी करता है। जब इन सबसे बात नहीं बनती है तो सेठ अपने नौकर को आदेश देता है कि चिड़िया को बंदी बना ले। लेकिन चिड़िया वहाँ से बचकर निकल जाती है और अपनी माँ के परों की गर्माहट में सुकून की तलाश करती है।
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चिड़िया की बच्ची (प्रश्न-अभ्यास)
कहानी से
प्रश्न :- किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर :- निम्न बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था-
- माधवदास की बड़ी कोठी, सुंदर बगीचा, रहने का ठाठ-बाट रईसों जैसा था।
- चिड़िया के साथ वार्तालाप में कहना कि तेरा सोने का पिंजरा बनावा दूंगा और उसे मालामाल कर देने की बात कहता है।
- उसके पास कई कोठियाँ, बगीचे और नौकर-चाकर हैं।
निम्न बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास सुखी नहीं था-
- सारी सुविधाओं के बाद भी वह अकेलेपन को दूर करने के लिए चिड़िया के साथ रहने के लिए मजबूर था।
प्रश्न :- माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- माधवदास चाहता है कि चिड़िया सदा के लिए बगीचे में रह जाए। उसे चिड़िया बहुत सुंदर और प्यारी लगी। इसलिए माधवदास बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है। नहीं, माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह नहीं कह रहा था। वह अकेलेपन को दूर करना चाहता था। वह चिड़ियाँ को पिंजरे में बंद करना चाहता था।
प्रश्न :-माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नजर में चिड़िया की जिद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- चिड़िया को स्वच्छंदता पसंद थी। वह अपने परिवार से भी अलग नहीं होना चाहती थी। शाम होते ही उसे माँ के पास जाने की जल्दी होती है। वह तो केवल घूमना चाहती है, बंधन में रहना उसका स्वभाव नहीं।
दूसरी ओर माधवदास चिड़िया को अपने बगीचे की शोभा बढ़ाने के लिए पकड़ना चाहते था। वह उसे लालच देता है लेकिन चिड़िया के लिए सब चीजें कोई महत्त्व नहीं रखतीं।
प्रश्न :- कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर :- कहानी के अंत में नन्ही चिडिया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर हमें बहुत खुशी हुई। यदि नौकर चिड़िया को पकड़ने में सफल हो जाता तो उसका शेष जीवन कैदी के रूप में बीतता। वह अपने परिवार बिछड़ जाती। उसकी आज़ादी समाप्त हो जाती।
प्रश्न :-‘माँ मेरी बाट देखती होगी’-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिदगी में माँ का क्या महत्त्व है?
उत्तर :- हमारी जिंदगी में माँ का महत्त्वपूर्ण स्थान है। माँ हर परिस्थिति में सदैव अपने बच्चों के साथ रहती है। माँ हमारा पालन-पोषण करती है। माँ का स्नेह और आशीर्वाद बच्चे की सफलता में योगदान देता है। वह हमारे जीवन की सभी परेशानियों को दूर करते हुए सारे दुखों और कष्टों को स्वयं झेलती है। अतः हम माँ के ऋण से उऋण नहीं हो सकते।
प्रश्न :– इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर :- हमारे अनुसार इस कहानी को ‘नन्हीं चिड़िया’ शीर्षक भी दिया जा सकता है। इस पाठ में वर्णित चिड़िया छोटी है, नौकर के पंजे से छूटकर वह छोटे बच्चे की भाँति ही डर जाती है और बच्चा माँ की गोद में ही अपने-आप को सुरक्षित महसूस करती है।
कहानी से आगे
प्रश्न :- इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रें तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-‘स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें-
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी
होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।
उत्तर :- यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में हमें सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो हमें -‘स्वाधीनता’ स्वीकार होगी।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :-आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :- मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। मनुष्यों में माताएँ नौ महीने तक बच्चे को अपने गर्भ में धारण करती हैं, फिर अत्यंत पीड़ा सहकर बच्चों को जन्म देती हैं। माँ का अपने बच्चे से ममता और वात्सल्य का इतना गहरा रिश्ता है कि प्रत्येक प्राणी में इसके दर्शन होते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न :- पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं-
(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।
(ख) कभी पर हिलाती थी।
(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
तीनों ‘पर’ के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी ‘पर’ का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए ‘पर’ के प्रयोग हुए हों।
उत्तर :-
(क) पर (के ऊपर) – शिवांशु छत पर बैठा है।
(ख) पर (पंख) – हंस के पर सफ़ेद होते हैं।
(ग) पर (लेकिन) – पर मैंने ऐसा नहीं कहा था।
प्रश्न :- पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिन्दी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।
उत्तर :-
- दियो – देना
- मनैं – मैंने
- ले लियो – ले लेना
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