कक्षा 7 » पापा खो गए (नाटक-मराठी)

इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।

JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL
पापा खो गए
(पाठ का सार)

विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित इस मराठी नाटक में सड़क पर लगी कुछ निर्जीव वस्तुओं का सजीव वस्तुओं के साथ रोचक वार्तालाप है। सड़क पर खड़े खंभा और पेड़ आपसी बातचीत द्वारा बताते हैं कि किस तरह वे प्रकृति की मुसीबतों का सामना करते हुए अपने स्थान पर टिके रहे, किस तरह उन दोनों में दोस्ती हुई। इसी तरह नाटक में लैटरबक्स और कौआ गीत गाने की बात लेकर आते हैं। लैटरबक्स अपने अंदर आई चिट्ठियाँ निकालकर पढ़ता है। सब उसे समझाते हैं कि ऐसे किसी की चिट्ठी पढ़ना अच्छी बात नहीं है। बीच-बीच में पोस्टर पर छपी नाचनेवाली आकृति हिलती रहती है और उसके घुँगरू बजने की आवाज आती है। अचानक नाटक में एक बच्चे चुराने वाले व्यक्ति का प्रवेश होता है जो रात में सोई हुई लड़की को चुराकर लाया है। भूखा होने के कारण वह बेहोश लड़की को पेड़ के नीचे लेटकर भोजन की तलाश में निकल जाता है। पेड़, खंभा, लैटरबक्स, कौआ और पोस्टर बच्चे चुराने वाले व्यक्ति की हरकतों की निंदा करते हैं और बच्ची को उठाते है। बच्ची के उठते ही सब चुप हो जाते है ताकि बच्ची डर न जाए। बच्ची को अहसास होता है कि कहीं कोई बोल रहा है, लेकिन अपने आस-पास किसी को न पाकर वह अपने घुटनों पर सिर रखकर बैठ जाती है। पेड़, खंभा, लैटरबक्स, कौआ फिर बातें शुरू करते हैं। लड़की उनको बाते करता हुआ देखकर हैरान होती है। वे लड़की से उसके घर का पता पूछते हैं लेकिन लड़की उन्हें केवल इतना ही बता पाती है कि उसका घर सड़क के किनारे एक गली में है। सब निराश हो जाते हैं। इतने में बच्चे चुराने वाले व्यक्ति के आने की आहट आती है। बच्ची पेड़ के पीछे छिप जाती है। व्यक्ति आकार देखता है तो उसे ढूँढने की कोशिश करता है। लेकिन वो बारी-बारी से कभी खंभे के पीछे, कभी लैटरबाक्स के पीछे छिपकर व्यक्ति की नजरों से बच जाती है। इतने में सभी भूत-भूत कहकर व्यक्ति को डरा देते है और वह बड़बड़ाते हुए चला जाता है। सभी देखते हैं कि लड़की गायब हो चुकी है, वे निराश हो जाते हैं। तभी लड़की नाचने वाली आकृति के पीछे से निकलती है। वे उस बच्ची की सूचना पुलिस को देने की तरकीब बनाते हैं। पेड़ लड़की के ऊपर छाया कर लेता है ताकि दिन निकलने पर वह सोती रहे, खंभा तिरछा हो जाता है जिससे सबका ध्यान उस ओर जाए, कौआ भी लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगता है। सिनेमा के पोस्टर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है-पापा खो गए हैं। पोस्टर पर बनी नाचनेवाली की भंगिमा इससे मेल खानेवाली भंगिमा बन जाती है। अंत में लैटरबॉक्स आगे आकार दर्शकों से चुपके से कहता है – “शः! शः! लाल ताऊ बोल रहा हूँ। आप में से किसी को अगरहमारी इस प्यारी सी बच्ची के पापा मिल जाएँ तो उन्हें जितनी जल्दी हो सके यहाँ ले आइएगा।”

परदा गिरता है।

इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।

JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL
पापा खो गए
(प्रश्न-अभ्यास)

नाटक से

प्रश्न :- नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों?

उत्तर :- हमें नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र कौआ लगा क्योंकि वह उड़-उड़कर सभी घटनाओं की जानकारी रखता है। उसे अच्छे-बुरे लोगों की पहचान है। उसी की सूझ-बूझ के कारण बच्चे चुराने वाले व्यक्ति से बच्ची बच जाती है।

प्रश्न :- पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई?

उत्तर :- पेड़ का जन्म समुद्र के किनारे हुआ था और वह वही अकेला बड़ा होता रहा। कुछ दिनों बाद वहाँ खंभा लगाया गया तो पेड़ ने उससे मित्रता करने की कोशिश की। लेकिन खंभा अकड़ में पेड़ से नहीं बोलता था। तेज आँधी में एक दिन खंभा पेड़ के ऊपर आ गिरा। पेड़ ने उसे अपने ऊपर झेल लिया। इस कोशिश में पेड़ को खुद चोट आया। पेड़ ने खंभे को नीचे गिरने से बचा लिया। उसी दिन से दोनों में दोस्ती हो गई।

प्रश्न :- लैटरबक्स को सभी लाल ताऊ कहकर क्यों पुकारते थे?

उत्तर :- लैटरबक्स को चारों ओर से लाल रंग से रंगा गया था, इसलिए सब उसे लाल ताऊ कहकर पुकारते थे।

प्रश्न :- लाल ताऊ किस प्रकार बाकी पात्रों से भिन्न है?

उत्तर :- लाल ताऊ (लैटरबक्स) एक ऐसा पात्र है जो पढ़ा लिखा है। वह अपने आप में मस्त रहता था। अकेले रहने पर भजन गुनगुनाते रहना उसकी आदत थी। निर्जीव होते हुए भी समाज की चिंताएँ उसे सताती थीं। इस तरह वह अन्य पात्रों से भिन्न था।

प्रश्न :- नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मजेदार लगीं? लिखिए।

उत्तर :- नाटक में एकमात्र सजीव पात्र ‘कौआ’ है। वह अन्य पात्रों से होशियार है। उसे आस-पास की घटनाओं की जानकारी रहती है और समाज के अच्छे-बुरे लोगों की भी पहचान है। उसी की सूझ-बूझ के कारण बच्चे चुराने वाले व्यक्ति से बच्ची बच जाती है। दुष्ट व्यक्ति को भागने के लिए वही सबसे पहले भूत-भूत चिल्लाता है। उसी के परामर्श से सभी बच्ची को सकुशल घर भेजने की योजना बना पाते हैं।

प्रश्न :- क्या वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे?

उत्तर :- लड़की बहुत छोटी व नादान थी। उसे अपने घर का पता मालूम नहीं था और न ही अपने माता-पिता का नाम जानती थी। इसीलिए सभी पात्र मिलकर भी उस लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे।

नाटक से आगे

प्रश्न :- अपने-अपने घर का पता लिखिए तथा चित्र बनाकर वहाँ पहुँचने का रास्ता भी बताइए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।

उत्तर :- लड़की को अपने पिता का नाम व घर का पता मालूम नहीं था। इसलिए नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ रखा गया। इसका अन्य शीर्षक ‘लापता बच्ची’ रखा जा सकता है, क्योंकि नाटक में पापा नहीं, बच्ची ही खोई थी।

प्रश्न :- क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं?

उत्तर :- बच्ची के पापा को खोजने के निम्न तरीके हो सकते हैं –

  • समाचार पत्रों में, पोस्टरों में या दूरदर्शन पर उसका चित्र दिखाकर सूचना दी जा सकती है।
  • लड़की को पुलिस थाने ले जाकर उसकी रिपोर्ट लिखवाई जा सकती है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में होगी? क्या वह पार्क / मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा?

उत्तर :- नाटक के अनुसार जिस समय चोर ने बच्ची को उठाया था तब वह सो रही थी।

प्रश्न :- नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए।

  • समूह में चलना।
  • एकजुट होकर बच्चा उठानेवालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।
  • अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।

उत्तर :-

  • अपने घर का पता एवं माता-पिता का नाम एवं फ़ोन नं० अपने डायरी में लिखकर साथ रखना चाहिए।
  • अकेले सुनसान या अपरिचित जगह पर नहीं जाना चाहिए।
  • थोड़ा भी शक होने पर शोर मचाना और माता-पिता या पास के किसी बड़े व्यक्ति को इसकी जानकारी देना।

भाषा की बात

प्रश्न :- आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे-‘सड़क / रात का समय—दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।

उत्तर :- रात का दृश्य मंच पर दिखाने के लिए निम्न कार्य किए जा सकते है-

  • अंधकार फैलाना यानी हलकी नीली रोशनी करना
  • आकाश में तारों और चाँद का चमकना
  • झिंगुरों की आवाज
  • कुत्ते के भौंकने की आवाज़

प्रश्न :- पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिह्नों की ओर गया होगा। अगले पृष्ठ पर दिए गए अंश से विराम चिह्नों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिह्न लगाइए-

मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आप़्ाफ़त याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ खां कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थरथर काँपने लगते हैं

उत्तर :- मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे बाप रे! वो बिजली थी या आफ़त। याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी, वहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज। अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थर-थर काँपने लगते हैं।

प्रश्न :- आसपास की निर्जीव चीजों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-

  • चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
  • कलम का कॉपी से संवाद
  • खिड़की का दरवाजे से संवाद

उत्तर :– छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- उपर्युक्त में से दस-पंद्रह संवादों को चुनें, उनके साथ दृश्यों की कल्पना करें और एक छोटा सा नाटक लिखने का प्रयास करें। इस काम में अपने शिक्षक से सहयोग लें।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

 टेस्ट/क्विज

इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।

JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL