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भोर और बरखा (कविता का अर्थ)
जागो बंसीवारे ललना!
जागो मोरे प्यारे!
रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किवारे।
गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।
उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढे़ द्वारे।
ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै।।
माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।
शब्दार्थ :- बंसीवारे – कृष्ण। रजनी – रात। भोर – सुबह। भयो – होना । किवारे – दरवाजे। ठाढ़े – खड़े। कुलाहल – शोर। उचारै – बोलना। गउवन – गाएँ । रखवारे – रखवाले। गिरधर – कृष्ण।
भावार्थ :- ‘भोर और बरखा’ नामक कविता से उद्धृत इस पद में मीरा बाई ने ब्रजभूमि की भोर का वर्णन करते हुए लिखा है – यशोदा माता कृष्ण को जागते हुए कहती है कि मेरे प्यारे कृष्ण जाग जाओ । रात बीत चुकी है, सुबह हो गई है। सभी घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ अपने-अपने घरों में दही बिलोने-मथने लगी हैं। दही मथते हुए उनके कंगनों की टकराहट की झंकार सुनाई दे रही है। उठो लालजी! सुबह की पवित्र बेला में सभी देवता-नर दरवाजों पर खड़े हैं। ग्वाले भी जय-जय शब्दों का उच्चारण करके शोर मचाने लगे हैं। सभी ग्वाल बालकों ने मक्खन और रोटी ले ली है। वे अपनी अपनी गायों को चराने और उनकी रखवाली के लिए जंगल की ओर चल दिए हैं। मीराबाई जी कहती हैं कि उनके प्रभु श्री कृष्ण अपनी शरण में आए भक्तों का उद्धार करते हैं।
बरसे बदरिया सावन की।
सावन की, मन-भावन की।।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।।
नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।।
शब्दार्थ :- बदरिया – वर्षा। उमग्यो – हर्षित होना। भनक – खबर। हरि – कृष्ण। चहुँदिस – चारों दिशाओं। दामिन – बिजली। दमकै – चमकती है। झर – लगातार वर्षा। मेहा – बादल।
भावार्थ :- इस पद में मीरा बाई सावन की ऋतु में कृष्ण के आने की खबर सुनकर मंगल-गीत गाने का वर्णन करते हुए कहती हैं कि सावन ऋतु आ गई है। बादल वर्षा बरसाने लगे हैं। सावन की ऋतु में वर्षा मन को खुश कर देती है। सावन में बरसते बादलों को देखकर उनके मन में उमंग जाग गई है। मीरा को श्री कृष्ण के आने की खबर मिल चुकी है। आसमान में बादल आ-आकर उमड़-घुमड़ कर चारों ओर वर्षा कर रहे हैं। आसमान में रह-रहकर बिजली चमक रही है। बरसात की नन्ही-नन्ही बूंदें बरस रही हैं। चारों ओर शीतल वायु बह रही है। मीराबाई सावन की ऋतु में बरसात और बिजली चमकने और प्रभु श्री कृष्ण के आने पर मंगल-गीत गा रही हैं।
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भोर और बरखा (प्रश्न-उत्तर)
कविता से
प्रश्न :- ‘बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यारे’, ‘लाल जी’, कहते हुए यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और वे कौन-कौन सी बातें कहती हैं?
उत्तर :- यशोदा माता कृष्ण को जागते हुए कहती है कि मेरे प्यारे कृष्ण जाग जाओ । रात बीत चुकी है, सुबह हो गई है। सभी घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ अपने-अपने घरों में दही बिलोने-मथने लगी हैं। दही मथते हुए उनके कंगनों की टकराहट की झंकार सुनाई दे रही है। उठो लालजी! सुबह की पवित्र बेला में सभी देवता-नर दरवाजों पर खड़े हैं।
प्रश्न :- नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए-
‘माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।’
उत्तर :- ग्वाले भी जय-जय शब्दों का उच्चारण करके शोर मचाने लगे हैं। सभी ग्वाल बालकों ने मक्खन और रोटी ले ली है। वे अपनी अपनी गायों को चराने और उनकी रखवाली के लिए जंगल की ओर चल दिए हैं।
प्रश्न :- पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए।
उत्तर :- ब्रज की भोर होने पर सभी घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ अपने-अपने घरों में दही बिलोने-मथने लगी हैं। दही मथते हुए उनके कंगनों की टकराहट की झंकार सुनाई दे रही है। सुबह की पवित्र बेला में सभी देवता-नर दरवाजों पर खड़े हैं। ग्वाले भी जय-जय शब्दों का उच्चारण करके शोर मचाने लगे हैं। सभी ग्वाल बालकों ने मक्खन और रोटी ले ली है। वे अपनी अपनी गायों को चराने और उनकी रखवाली के लिए जंगल की ओर चल दिए हैं।
प्रश्न :- मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा?
उत्तर :- मीरा को कृष्ण के आने की सूचना मिल गई है। इसलिए मीरा को सावन मनभावन लगने लगा।
प्रश्न :- पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :- सावन ऋतु आ गई है। बादल वर्षा बरसाने लगे हैं। सावन की ऋतु में वर्षा मन को खुश कर देती है। सावन में बरसते बादलों को देखकर लोगों के मन में उमंग जाग गई है। आसमान में बादल आ-आकर उमड़-घुमड़ कर चारों ओर वर्षा कर रहे हैं। आसमान में रह-रहकर बिजली चमक रही है। बरसात की नन्ही-नन्ही बूंदें बरस रही हैं। चारों ओर शीतल वायु बह रही है।
कविता से आगे
प्रश्न :- मीरा भक्तिकाल की प्रसिद्ध कवयित्री थीं। इस काल के दूसरे कवियों के नामों की सूची बनाइए तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर :- भक्तिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचना निम्न प्रकार है –
कबीर – साखी, सबद, रमैनी।
मालिक मुहम्मद जायसी – पद्मावत।
तुलसीदास – रामचरितमानस।
सूरदास – सूरसागर।
प्रश्न :- सावन वर्षा ऋतु का महीना है, वर्षा ऋतु से संबंधित दो अन्य महीनों के नाम लिखिए।
उत्तर :- आसाढ़ और भादो।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- सुबह जगने के समय आपको क्या अच्छा लगता है?
उत्तर :- सुबह जगने के समय हमें अपने आँगन में लगा तुलसी का पौधा अच्छा लगता है।
प्रश्न :- यदि आपको अपने छोटे भाई-बहन को जगाना पड़े, तो कैसे जगाएँगे?
उत्तर :- यदि हमें अपने छोटे भाई-बहन को जगाना पड़े तो हम उसे प्यार से उठाएंगे।
प्रश्न :- वर्षा में भीगना और खेलना आपको कैसा लगता है?
उत्तर :- हमें वर्षा में भीगना और खेलना बहुत अच्छा लगता है।
प्रश्न :- मीरा बाई ने सुबह का चित्र खींचा है। अपनी कल्पना और अनुमान से लिखिए कि नीचे दिए गए स्थानों की सुबह कैसी होती है-
(क) गाँव, गली या मुहल्ले में
(ख) रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर
(ग) नदी या समुद्र के किनारे
(घ) पहाड़ों पर
उत्तर :-
(क) गाँव, गली या मुहल्ले में
लोग सुबह होते ही आलस छोड़कर घूमने लिकाल जाते हैं। दिनचर्या से निवृत्त होकर पूजा-पाठ करते हैं। सुबह का भोजन करते हैं और खुश होकर अपने-अपने काम धंधों पर निकल जाते हैं।
(ख) रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर
लोग प्लेटफॉर्म पर चाय वाले को पुकारते हैं। प्लेटफॉर्म पर चहल कदमी होती है। लोग रेल का इंतजार करते हैं।
(ग) नदी या समुद्र के किनारे
लोग सुबह-सुबह नदी या समुद्र के जल में नहाते हैं। ईष्ट देव याद करके सूर्य को जलांजलि अर्पित करते हैं।
(घ) पहाड़ों पर
स्वच्छ व शांत वातावरण में घूमने निकलते हैं। दैनिक क्रिया के बाद पूजा-पाठ करते हैं। दूर से सामान लाने चल पड़ते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न :- कृष्ण को ‘गउवन के रखवारे’ कहा गया है जिसका अर्थ है गौओं का पालन करनेवाले। इसके लिए एक शब्द दें।
उत्तर :- गोपाल।
प्रश्न :- नीचे दो पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें से पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द दो बार आए हैं, और दूसरी पंक्ति में भी दो बार। इन्हें पुनरुक्ति (पुनः उक्ति) कहते हैं। पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द विशेषण हैं और दूसरी पंक्ति में संज्ञा।
‘नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे’
‘घर-घर खुले किवारे’
इस प्रकार के दो-दो उदाहरण खोजकर वाक्य में प्रयोग कीजिए और देखिए कि विशेषण तथा संज्ञा की पुनरुक्ति के अर्थ में क्या अंतर है? जैसे-मीठी-मीठी बातें, फूल-फूल महके।
उत्तर :-
विशेषण की पुनरुक्ति
- गरम-गरम :- अनीता ने गरम-गरम पकौड़े बनाए।
- सुंदर-सुंदर :- बाग में सुंदर-सुंदर फूल खिले हैं।
संज्ञा की पुनरुक्ति
- गली-गली :- होली के दिन गली-गली में गुलाल बिखरा रहता है।
- गाँव-गाँव :- वर्तमान में गाँव-गाँव में इंटरनेट की पहुँच हो चुकी है।
कुछ करने को
प्रश्न :- कृष्ण को ‘गिरधर’ क्यों कहा जाता है? इसके पीछे कौन-सी कथा है? पता कीजिए और कक्षा में बताइए।
उत्तर :- देवताओं के राजा इंद्र के क्रोध से गोकुल वासियों को बचाने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत (गिरि) को अपनी अंगुली पर उठा लिया था। इसलिए कृष्ण को ‘गिरधर’ कहा जाता है।
टेस्ट/क्विज
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