कक्षा 7 » मिठाईवाला (कहानी)

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मिठाईवाला
(पाठ का सार)

मिठाईवाले के माध्यम से लेखक भगवतीप्रसाद वाजपेयी ने ऐसे व्यक्ति की मन:स्थिति पर प्रकाश डाला है जो असमय ही अपनी पत्नी और बच्चों को खो चुका है। अपने निराशा भरे जीवन में नई आशा का संचार करने के लिए वह कभी मिठाईवाला, कभी मुरलीवाला व कभी खिलौनेवाला बनकर आता है। बच्चों से उसे विशेष लगाव है। उसे उन बच्चों में अपने बच्चों की झलक नजर आती थी। उनसे मिलकर वह आनंदित होता था। मिठाईवाला पैसों के लालच में अपना सामान नहीं बेचता था, वह उन बच्चों को खुश रखना चाहता था। वह कम दाम में सामान बेचकर बच्चों को खुश करता। विजय बाबू के बच्चे चुन्नू-मुन्नू एक दिन एक खिलौने वाले से खिलौने लेकर आए तो उनकी माँ रोहिणी ने उनसे पूछा-‘कितने में लाए हो?’ तो मुनू ने बताया ‘दो पैसे में।’ रोहिणी हैरान थी कि खिलौनेवाला इतने बढ़िया खिलौने इतने कम दामों में क्यों बेच गया?

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मिठाईवाला
(प्रश्न-अभ्यास)

प्रश्न :- अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

उत्तर :- मिठाईवाले के बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह गाँव के बच्चों में अपने बच्चों की झलक को देखता था। वह बच्चों की रुचि की चीजें बेचा करता था। वह गाँव में कई महीने बाद इसलिए आता था क्योंकि उसे पैसों की कोई जरूरत या लालच न थी। वह बच्चों के उत्सुकता को बनाए रखना चाहता था।

प्रश्न :- मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिचे चले आते थे?

उत्तर :- मिठाईवाला मधुर आवाज में गा-गाकर अपनी चीजों की विशेषताएँ बताता था।  वह औरों से सस्ती चीजें बेचता था। वह बच्चों से बड़े अपनत्व के साथ व्यवहार करता था। विनम्र, सभ्य और शिष्ट व्यवहार के कारण बच्चों के साथ-साथ बड़े भी प्रभावित होकर उसकी ओर खींचे चले आते थे।

प्रश्न :- विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?

उत्तर :- जब मुरलीवाले ने विजय बाबू से कहा कि मैंने सबको यह मुरली तीन पैसे में दी है लेकिन आपको दो पैसे में दे रहा हूं, तब विजय बाबू ने मुरलीवाले की बात को काटते हुए कहा कि तुमने सभी को ही इतने की दी होगी लेकिन मुझ पर ही एहसान जताना चाहते हो।

प्रश्न :- खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर :- खिलौने वाले के आने पर बच्चे खुश हो जाते थे। खिलौनेवाले की आवाज सुनकर आसपास के सभी घरों में हलचल मच जाती थी। बच्चे उसे उसे चारों ओर से घेर लेते थे। जब वह खिलौने वाली पेटी खोलकर बैठ जाता तो बच्चे खुश हो जाते थे।

प्रश्न :- रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया?

उत्तर :–  खिलौनावाला भी मुरलीवाले की तरह मधुर स्वर से गाकर खिलौना बेचा करता था। खिलौनेवाला की तरह ही इसकी आवाज़ जानी पहचानी थी। इसलिए रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण इसलिए हो आया।

प्रश्न :- किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?

उत्तर– रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने इन व्यवसायों को अपनाने का मुख्य कारण बताया कि बच्चों को खुश देखकर मेरा दिल खुश हो जाता है। गाँव के बच्चों में मुझे अपने बच्चों की झलक नजर आती है।
प्रश्न :-‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर– मिठाईवाले की दुखभरी और कारुणिक कहानी सुनकर दादी और रोहिणी का हृदय दुख से भर गया। तभी चुन्नू-मुन्नू आते हैं और मिठाई दिलाने की जिद्द करने लगते हैं। रोहिणी पैसे देती है तो मिठाईवाला कहता है -“अब इस बार ये पैसे न लूँगा।” चुन्नू-मुन्नू को देखकर उसे अपने बच्चों की याद आ जाती है, इसलिए उसने रोहिणी से मिठाई के पैसे लेने से मना कर दिया।

प्रश्न :- इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?

उत्तर– लेखक ने बताया है कि रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है लेकिन आज के जमाने में ऐसा नहीं है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् संविधान ने स्त्री-पुरुष को समान अधिकार दिए और आज शिक्षा के प्रसार व आधुनिकीकरण से भी समाज में बदलाव आया है। आज के समाज में स्त्री और पुरुष को समानता का अधिकार दिया गया है। हमारी राय में आज की स्त्रियाँ समाज में अपने विचार को रखने के लिए स्वतंत्र हैं। स्त्रियों पर पाबंदी बिल्कुल गलत है क्योंकि आज का युग समानता का युग है समाज में सभी को बराबर अधिकार मिलने चाहिए।
कहानी से आगे
प्रश्न :- मिठाई वाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर– छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- हाट मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।

उत्तर :– हॉट-मेले, शादी आदि आयोजनों में हमें मिठाइयाँ, फलों की चाट, टिक्की, बड़ा-सांभर इत्यादि खाद्य पदार्थ अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
इनको बनाने और सजाने में विभिन्न खाना बनाने वाले विशेषज्ञों का हाथ होता है। इनके चेहरे पर परिश्रम की छाया झलकती है और वह हर कार्य निपुणता के साथ करते हैं। जैसे डोसा बनाने वाला डोसा बनाने में, टिक्की बनाने वाला टिक्की बनाने में आदि।

प्रश्न :- इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिजाज की और कहानियाँ, कविता ढूंढिए और पढ़िए।

उत्तर :– छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे मं क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।

उत्तर :– छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाजों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- क्या आपको लगता है कि- वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।

उत्तर– ‘हाँ’ वक्त के साथ फेरीवालों के स्वर बिल्कुल कम हो गए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है जगह-जगह बाजारों का खुलना। साथ ही  लोगों की रुचि फेरीवालों से सामान खरीदने में कम होती जा रही है।

भाषा की बात

प्रश्न :- मिठाईवाला, बोलनेवाली गुड़िया

ऊपर ‘वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि

(क)’ वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम. विशेषण आदि में से क्या है?

(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?

उत्तर

क. मिठाई संज्ञा है और बोलने वाली विशेषण है।

ख. मिठाईवाला का अर्थ है ‘मिठाई बेचने वाला’ जबकि बोलने वाली गुड़िया का अर्थ है ‘वह गुड़िया जो बोलती है’।

प्रश्न :- “अच्छा मुझे ज्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

*उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ठे बटुली।

*ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं / बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर– छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- “वे भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”

क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”

“दादी. चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”

भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे?

उत्तर-

“लगता है वह भी पार्क में खेलने चले गए हैं”

“भैया, इस मुरली का दाम क्या है?”

“दादी ! चुन्नू मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है, जरा उसे रोकिए”

कुछ करने को

प्रश्न :- फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए तीन-तीन के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुडे फेरीवालों से बात करे।

उत्तर– फेरीवालों की दिनचर्या बहुत ही कठिन होती होगी। उनमें से अधिकतर के पास रहने, खाने का कोई निश्चित स्थान नहीं होता होगा। वे घर-परिवार से दूर रहते होंगे। बड़ी कठिनाई से जीवन गुजारते होंगे। इस प्रकार की अनेक समस्याओं का सामना फेरीवालों को करना पड़ता होगा।

प्रश्न :- इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।

उत्तर :- यह बात सच है कि दूसरों को प्यार और खुशी बांटने से मन के दुख कम हो जाते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण मिठाईवाला है। जिसके बच्चे किसी हादसे का शिकार होकर उससे दूर हो गए थे और वह गांव में तरह-तरह के सामान बेचकर बच्चों से मिलता था। उनसे प्यारभरी बातें करता था। उन बच्चों की खुशी को देखकर उसे अपने बच्चों की खुशी का अहसास होता था।

प्रश्न :- अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

टेस्ट/क्विज

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