कक्षा 7 » वीर कुँवर सिह (निबंध)

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वीर कुँवर सिह
(पाठ का सार)

इस पाठ में स्वतंत्रता संग्राम के वीर कुँवर सिह के बारे में जानकारी दी जा रही है। सन् 1857 के व्यापक सशस्त्र-विद्रोह ने भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिला दिया। कुँवर सिह का जन्म बिहार में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में सन् 1782 ई॰ में हुआ था। उनके पिता का नाम साहबजादा सिह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता साहबजादा सिह जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे, परंतु उनको अपनी जमींदारी हासिल करने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। पारिवारिक उलझनों के कारण कुँवर सिह के पिता बचपन में उनकी ठीक से देखभाल नहीं कर सके। जगदीशपुर लौटने के बाद ही वे कुँवर सिह की पढ़ाई-लिखाई की ठीक से व्यवस्था कर पाए। वीर कुँवर सिह के व्यक्तित्व की वीर सेनानी और साहसी , उदार स्वभाव, स्वाभिमानी, दृढ़निश्चयी, समाज सेवक जैसी विशेषताएँ हमें प्रभावित करती हैं। कुंवर सिंह को बचपन में घुड़सवारी करने, तलवारबाजी करने तथा कुश्ती लड़ने में मजा आता था। हाँ, उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में अवश्य मदद मिली। तलवार और घुड़सवारी से वे अंग्रेजों को मात देते थे। कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। कुँवर सिह उदार एवं अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति थे। इब्राहीम खाँ और किफ़ायत हुसैन उनकी सेना में उच्च पदों पर आसीन थे। उनके यहाँ हिदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाए जाते थे। उन्होंने पाठशालाएँ और मकतब भी बनवाए। “वीर कुँवर सिह ने ब्रिटिश हुकूमत के साथ लोहा तो लिया ही उन्होने अनेक सामाजिक कार्य भी किए। आरा जिला स्कूल के लिए जमीन दान में दी जिस पर स्कूल के भवन का निर्माण किया गया। कहा जाता है कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, फिर भी वे निर्धन व्यक्तियों की सहायता करते थे। उन्होंने अपने इलाके में अनेक सुविधाएँ प्रदान की थीं। उनमें से एक है-आरा-जगदीशपुरसड़क और आरा-बलिया सड़क का निर्माण। उस समय जल की पूर्ति के लिए लोग कुएँ खुदवाते थे और तालाब बनवाते थे। वीर कुँवर सिह ने अनेक कुएँ खुदवाए और जलाशय भी बनवाए।” उन्होंने बिहार के प्रसिद्ध सोनपुर मेले को अपनी गुप्त बैठकों की योजना के लिए चुना। सोनपुर के मेले को एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। यह हाथियों के क्रय-विक्रय के लिए भी विख्यात है। इसी ऐतिहासिक मेले में उन दिनों स्वाधीनता के लिए लोग एकत्र होकर क्रांति के बारे में योजना बनाते थे।

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वीर कुँवर सिह
(प्रश्न-अभ्यास)

निबंध से

प्रश्न :- वीर कुँवर सिह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

उत्तर :- वीर कुँवर सिह के व्यक्तित्व की वीर सेनानी और साहसी , उदार स्वभाव, स्वाभिमानी, दृढ़निश्चयी, समाज सेवक जैसी विशेषताएँ हमें प्रभावित करती हैं।

प्रश्न :- कुँवर सिह को बचपन में किन कामों में मजा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?

उत्तर :- कुंवर सिंह को बचपन में घुड़सवारी करने, तलवारबाजी करने तथा कुश्ती लड़ने में मजा आता था। हाँ, उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में अवश्य मदद मिली। तलवार और घुड़सवारी से वे अंग्रेजों को मात देते थे।

प्रश्न :-सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिह की गहरी आस्था थी – पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर :- कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। कुँवर सिह उदार एवं अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति थे। इब्राहीम खाँ और किफ़ायत हुसैन उनकी सेना में उच्च पदों पर आसीन थे। उनके यहाँ हिदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाए जाते थे। उन्होंने पाठशालाएँ और मकतब भी बनवाए।

प्रश्न :- पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुँवर सिह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?

उत्तर :- “वीर कुँवर सिह ने ब्रिटिश हुकूमत के साथ लोहा तो लिया ही उन्होने अनेक सामाजिक कार्य भी किए। आरा जिला स्कूल के लिए जमीन दान में दी जिस पर स्कूल के भवन का निर्माण किया गया। कहा जाता है कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, फिर भी वे निर्धन व्यक्तियों की सहायता करते थे। उन्होंने अपने इलाके में अनेक सुविधाएँ प्रदान की थीं। उनमें से एक है-आरा-जगदीशपुरसड़क और आरा-बलिया सड़क का निर्माण। उस समय जल की पूर्ति के लिए लोग कुएँ खुदवाते थे और तालाब बनवाते थे। वीर कुँवर सिह ने अनेक कुएँ खुदवाए और जलाशय भी बनवाए।”

प्रश्न :- आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद फ़रोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुँवर सिह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?

उत्तर :- उन्होंने बिहार के प्रसिद्ध सोनपुर मेले को अपनी गुप्त बैठकों की योजना के लिए चुना। सोनपुर के मेले को एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। यह हाथियों के क्रय-विक्रय के लिए भी विख्यात है। इसी ऐतिहासिक मेले में उन दिनों स्वाधीनता के लिए लोग एकत्र होकर क्रांति के बारे में योजना बनाते थे।

निबंध से आगे

प्रश्न :- सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेनेवाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।

उत्तर :-

मंगल पांडे – मंगल पांडे अंग्रेजी सेना का सिपाही  था। वह कट्टर धर्मावलंबी था। मंगल पांडे ने ही विद्रोह की शुरुआत की थी।

बहादुर शाह ज़फ़र – मई, 1857 में विद्रोहियों ने दिल्ली पर कब्जा किया। बहादुर शाह ने बख्त खाँ के सहयोग से विद्रोह का नेतृत्व किया था। 

तात्या टोपे – तात्या टोपे झाँसी की रानी के सेनापति थे। इन्हें 18 अप्रैल, 1859 को फाँसी पर लटका दिया गया था।

रानी लक्ष्मीबाई – झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वाधीनता संग्राम की प्रथम महिला थीं।वह स्वाभिमानिनी, कुशल योद्धा, कुशल प्रशासिका, विदुषी थी। वह अंग्रेजों से अंत तक लड़ती रही। 

प्रश्न :- सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

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अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- वीर कुँवर सिह का पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में अधिक मन लगता था। आपको पढ़ने के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मजा आता है? लिखिए।

उत्तर :- हमें पढ़ने के अलावा खेलने, घूमने एवं दोस्तों के साथ गप्पे मारने में मजा आता है। 

प्रश्न :-सन् 1857 में अगर आप 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखिए।

उत्तर :- 1857 में यदि मैं 12 वर्ष का होता तो मैं भी तलवार चलाना व घुड़सवारी आदि सीखता। अंग्रेज़ो के खिलाफ लोगों में देश-प्रेम की भावना जागृत करता।

प्रश्न :- अनुमान लगाइए, स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को क्यों चुना गया होगा?

उत्तर :- सोनपुर का मेला एशिया का सबसे बड़ा मेला है। इसमें तरह-तरह के हाथियों की खरीद-बिक्री की जाती है। इस मेले में इतनी भीड़ होती थी कि यदि स्वतंत्रता सेनानी यहाँ कोई योजना बनाने के लिए इकट्ठे हो जाएँ तो अंग्रेजी सरकार को कभी शक नहीं हो सकता था। इसलिए स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को चुना गया होगा।

भाषा की बात

प्रश्न :- आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है। जैसे-सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के वर्ण ‘नी’ की मात्र दीर्घ ‘ी’ (ई) से ”स्व ‘ि’ (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिनके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता जैसे-दृष्टि से दृष्टियों।

नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए-

नीति———- जिम्मेदारियों———- सलामी——-
स्थिति——— स्वाभिमानियों———- गोली———

उत्तर :-

  • नीति – नीतियों
  • जिम्मेदारियों – जिम्मेदारी
  • सलामी – सलामियों
  • स्थिति – स्थितियों
  •  स्वाभिमानियों – स्वाभिमानी
  • गोली – गोलियाँ

 टेस्ट/क्विज

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