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हिमालय की बेटियाँ (पाठ का सार)
“हिमालय की बेटियाँ” निबंध में नागार्जुन हिमालय से निकलने वाली नदियों के विभिन्न चित्र प्रस्तुत करते हैं। लेखक बताता है कि अभी तक लेखक ने नदियों को दूर से देखा था। लेखक को संभ्रांत महिला की भाँति बड़ी गंभीर, शांत, अपने आप में
खोई हुई लगती थीं। उनके प्रति लेखक के दिल में आदर और श्रद्धा के भाव थे।
इस बार जब लेखक हिमालय की यात्रा करता है तो देखकर हैरान हो जाता है कि यही दुबली-पतली नदियाँ मैदानों में उतरकर विशाल कैसे हो जाती हैं? इनका यह उल्लास कहाँ गायब हो जाता है? ये कहाँ भागी जा रही हैं? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है? अपने महान पिता (हिमालय) का विराट प्रेम पाकर भी अगर इनका हृदय अतृप्त ही है तो वह कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा? लेखक इनके जवाब बड़ी-बड़ी चोटियों से जाकर पूछना चाहता है तो उत्तर में विराट मौन ही मिलता है।
लेखक को सिधु और ब्रह्मपुत्र के साथ रावी, सतलुज, व्यास, चनाब, झेलम, काबुल (कुभा), कपिशा, गंगा, यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि याद आने लगती हैं। लेखक कहता है कि हिमालय के पिघले हुए दिल की एक-एक बूँद न जाने कब से इकट्ठा हो-होकर इन दो महानदों के रूप में समुद्र की ओर प्रवाहित होती रही है। लेखक को ये नदियाँ खेलनेवाली बालिकाओं के रूप में लुभावनी लगती हैं। वह हिमालय को ससुर और समुद्र को उसका दामाद के रूप में देखता है।
इन चंचल नदियों को देखकर लेखक को कालिदास के विरही यक्ष अचानक याद आ गई और सोचा कि शायद उस महाकवि को भी नदियों का सचेतन रूपक पसंद था। काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। कितु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख लें तो क्या हर्ज है? इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसे रहेगा? ममता का एक और भी धागा है, जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं – बहन का। लेखक एक दिन सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उस प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताजा हो गया तो लगा वह गुनगुनाने-
जय हो सतलज बहन तुम्हारी
लीला अचरज बहन तुम्हारी
हुआ मुदित मन हटा खुमारी
जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी
तुम बेटी यह बाप हिमालय
चितित पर, चुपचाप हिमालय
प्रकृति नटी के चित्रित पट पर
अनुपम अद्भुत छाप हिमालय
जय हो सतलज बहन तुम्हारी!
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हिमालय की बेटियाँ (प्रश्न-अभ्यास)
लेख से
प्रश्न :- नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर :– लेखक नागार्जुन नदियों माँ के अतिरिक्त बेटी, प्रेयसी और बहन के रूप में देखते हैं।
प्रश्न :- सिधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर :- सिधु और ब्रह्मपुत्र की निम्न विशेषताएँ बताई गई हैं-
- ये हिमालय से निकलने वाली प्रमुख बड़ी नदियाँ हैं।
- इन दो नदियों के बीच से अन्य दो छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं।
- ये नदियाँ दयालु हिमालय के पिघले दिल की एक-एक बूंद इकट्ठा होकर ये नदी बनी हैं।
- ये नदियाँ सुंदर एवं लुभावनी लगती हैं।
प्रश्न :- काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर :- नदियाँ हमें जल प्रदान कर जीवनदान देती हैं। नदियों के किनारे ही लोगों ने अपनी पहली बस्ती बसाई और खेती करना शुरू किया। इनका जल भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाता है। मानव के आधुनिकीकरण में जैसे-बिजली बनाना, सिंचाई के नवीन साधनों आदि में इन्होंने पूरा सहयोग दिया है। मनुष्य के लिए ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधों आदि के लिए बहुत जरूरी है। इस प्रकार नदियाँ सभी के लिए कल्याणकारी हैं। इसीलिए काका कालेलकर ने उन्हें लोकमाता कहा है।
प्रश्न :- हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर :- हिमालय की यात्रा में लेखक ने नदियों, पर्वतों, बर्फीली पहाड़ियों, हरी-भरी घाटियों तथा महासागरों की प्रशंसा की है।
लेख से आगे
प्रश्न :- नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर :- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न :-गोपालसिह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।
उत्तर :- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न :- यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर :- 1947 से अब तक हिमालय से निकलनेवाली नदियों में निम्न बदलाव आए हैं-
- ये नदियाँ प्रदूषण का शिकार हो चुकी हैं।
- औद्योगिक क्रांति, उपेक्षा के कारण नदी के जल की गुणवत्ता में भी भारी कमी आई है।
- जगह-जगह बाँध बनाने के कारण जल-प्रवाह में कमी हुई है।
प्रश्न :-अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
उत्तर :- हिमालय पर्वत पर देवताओं मुख्यतः शिव का वास माना जाता है। ऋषि-मुनि यहाँ तपस्या करते हैं। इसलिए कालिदास ने हिमालय को देवात्मा कहा है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :-लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
उत्तर :- हम नदियों को माँ समान ही कहना चाहेंगे, क्योंकि वे हमें जल प्रदान करती हैं। धरती की प्यास बुझाती हैं। एक सच्चे माँ एवं मित्र के रूप में नदियाँ हमारी सदैव हितैषी रही हैं.
नदियों की सुरक्षा के लिए सरकार जो प्रयास कर रही है, जो निम्न हैं –
- नदियों के जल को प्रदूषण से बचाना, बहाव को सही दिशा देना, अधिक नहरों के निर्माण पर रोक लगाना, जल का कटाव रोकना। नदियों की सफाई की उचित व्यवस्था करना आदि है।
सुझाव :-
- नदियों के सफ़ाई की उचित व्यवस्था की जाए।
- उनमें कचरे फेंकने पर रोक लगाई जाए।
- कल-कारखानों से निकलने वाले दूषित जल, रसायन तथा शव प्रवाहित करने पर रोक लगाई जाए।
- नदियों के सफ़ाई जन-चेतना फैलाना।
प्रश्न :- नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों का एक निबंध लिखिए।
उत्तर :- विद्यार्थी स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न :- अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण-
(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
- अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर :- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न :- निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे-
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूँढ़िए।
उत्तर –
- संभ्रांत महिला की भाँति प्रतीत होती थी।
- इनका उछलना और कूदना, खिलखिलाकर हँसते जाना, इनकी भाव-भंगी यह उल्लास कहाँ गायब हो जाता है।
- माँ-बाप की गोद में नंग-धडंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं को रूप
- पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर इनका मन अतृप्त ही है तो कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा।
- बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।
- हिमालय को ससुर और समुद्र को उसका दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।
प्रश्न :- पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं। नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए-
विशेषण विशेष्य
संभ्रांत वर्षा
चंचल जंगल
समतल महिला
घना नदियाँ
मूसलधार आँगन
उत्तर :-
विशेषण – विशेष्य
संभ्रांत – महिला
चंचल – नदियाँ
समतल – आँगन
घना – जंगल
मूसलधार – वर्षा
प्रश्न :- द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे-राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
उत्तर :-
छोटी – बड़ी
भाव – भंगी
माँ – बाप
प्रश्न :- नदी को उलटा लिखने से दीन होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)।
उत्तर :-
जाता – ताजा (भाववाचक संज्ञा)
भला – लाभ (भाववाचक संज्ञा)
नमी – मीन (जातिवाचक संज्ञा)
काल – कला (भाववाचक संज्ञा)
भार – भरा (भाववाचक संज्ञा)
प्रश्न :- समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं,न जैसे – बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए –
सतलुज, रोपड़
झेलम, चिनाब
अजमेर, बनारस
उत्तर :-
सतलुज – शतद्रुम
रोपड़ – रूपपुर ।
झेलम – वितस्ता
चिनाब – विपाशा
अजमेर – अजयमेरु
बनारस – वाराणसी
प्रश्न :- ‘उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’
- उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं – उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
- इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
उत्तर :-
वाक्य | विश्लेषण |
नेहरू को कौन नहीं जानता। | हर कोई नेहरू को जानता है। |
ये काम कौन नहीं कर सकता। | हर कोई ये काम कर सकता है। |
सामान कौन नहीं ला सकता। | हर कोई सामान ला सकता है। |
वह शायद ही पास हो। | शायद वह पास न हो। |
तुम शायद ही उसे देख सको। | शायद तुम उसे न देख सको। |
वे लोग शायद ही जाएँ | शायद वे लोग न जाएँ। |
टेस्ट/क्विज
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