कक्षा 8 » अकबरी लोटा (कहानी)

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अकबरी लोटा
(पाठ का सार)

शब्दार्थ : अदब – शिष्टाचार, लिहाज। डामलफाँसी – आजीवन कारावास का दंड, देश निकाला। मुँडेर – छत के आस-पास बनाई जाने वाली दीवार। सायबान – वह छप्पर या कपड़ा आदि का परदा जो धूप और वर्षा से बचाव के लिए मकान या दुकान के आगे लगाया जाता है। खुराफाती – शरारती। गढ़न – बनावट। सांगोपांग – पूरी तरह, ऊपर से नीचे तक। ईजाद – खोज, अन्वेषण। पारसाल – पिछले वर्ष
तन्मयता – मग्न हो जाना। अंतर्धान – अदृश्य।

‘अकबरी लोटा’ कहानी के मुख्य पात्र लाला झाऊलाल हैं। इनका काशी के ठठेरी बाजार में एक मकान था। मकान के नीचे की दुकानों से उन्हें सौ रुपया हर महीने  किराया मिलता था। इसी से उनका गुजारा होता था। एक दिन अचानक उनकी पत्नी ने ढाई सौ रुपए लालाजी से माँग लिए। मगर लालाजी के पास पत्नी को देने के लिए उस समय पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने थोड़ा-सा मुँह बनाकर पत्नी की ओर देखा। इस पर पत्नी ने अपने भाई से ढाई सौ रुपए मांग लेने की बात कही। यह सुनते ही  लालाजी तिलमिला गए। उन्होंने एक सप्ताह के अंदर रुपए देने का वादा किया।

लालाजी ने अपनी पत्नी को पैसे देने का वादा तो कर दिया लेकिन पैसों का प्रबंध मुश्किल हो गया था। लालाजी ने परेशानी का ज़िक्र अपने मित्र पंड़ित बिलवासी मिश्रजी से किया। पंड़ित बिलवासी मिश्रजी ने लाला जी को आश्वस्त किया कि वह किसी न किसी प्रकार रुपयों का इंतजाम कर देंगे। लेकिन जब 6 दिन बीत जाने के बाद भी पैसों का इंतजाम ना हो सका तो लालाजी अत्यधिक परेशान हो गए और अपनी छत पर जाकर टहलने लगे। उन्होंने अपनी पत्नी से पीने के लिए पानी मँगवाया। पत्नी भी एक बेढंगे-से लोटे में पानी लेकर आ गई। यह लोटा लाला जी को कतई पसंद नहीं था।

खैर उन्होंने पत्नी से लोटा लिया और पानी पीने लगे। चिंता में वह लोटा अचानक उनके हाथ से छूट गया और नीचे गली में खड़े एक अंग्रेज अधिकारी को नहलाता हुआ उसके पैरों पर जोर से जा गिरा जिससे उसके पैर के अंगूठे में चोट आ गई।अंग्रेज अधिकारी गुस्से से लाल पीला होकर, गालियां देता हुआ लालाजी के घर में घुस गया। ठीक उसी समय पंड़ित बिलवासी मिश्र जी भी वहां पहुँच गए। उन्होंने क्रोधित अंग्रेज अधिकारी को आराम से एक कुर्सी में बैठाया और झूठा गुस्सा दिखा कर लालाजी से नाराज होने का नाटक करने लगे।

थोड़ी देर बाद  वो उस अंग्रेज अधिकारी के सामने उस बेढंगे से लोटे को खरीदने में दिलचस्पी दिखाने लगे। उस अंग्रेज अधिकारी के सामने उस बेढंगे व बदसूरत लोटे को ऐतिहासिक व बादशाह अकबर का लोटा बता कर उसका गुणगान करने लगे। उसे बेशकीमती व मूल्यवान बताने लगे। लोटे की इतनी प्रशंसा सुनकर अंग्रेज अधिकारी भी लोटे को खरीदने के लिए लालायित हो उठा। बस इसका ही फायदा पंड़ित बिलवासी मिश्रजी ने उठाया और रुपयों की बाजी लगानी शुरू कर दी। दोनों बाजी लगाते गये और अंत में पंड़ित बिलवासी मिश्र ने ढाई सौ रूपये की बाजी लगा दी लेकिन अंग्रेज भी लोटे को लेने के लिए अत्यधिक लालायित था। इसीलिए उसने पाँच सौ रूपये की बाजी लगा दी।

अब पंड़ितजी ने बड़ी होशियारी से अपनी लाचारी दिखाते हुए अंग्रेज अधिकारी से कहा कि उनके पास तो सिर्फ ढाई सौ रूपये ही हैं। इसीलिए अधिक दाम चुकाने के कारण वो उस लोटे के हकदार हैं। अंग्रेज अधिकारी ने लाला से उस लोटे को खुशी- खुशी खरीद लिया। अंग्रेज अधिकारी ने पंड़ित बिलवासी मिश्र को बताया कि वह उस अकबरी लोटे को ले जाकर अपने पड़ोसी मेजर डग्लस को दिखाएगा क्योंकि मेजर डग्लस के पास एक ‘जहाँगीरी अंडा’ है जिसकी वह खूब तारीफ करता है।

अंग्रेज के जाने के बाद पंड़ितजी ने लालाजी को पैसे दिए जिससे लालाजी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने पंड़ितजी को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। जब पंडित जी अपने घर जाने लगे तो लालाजी ने उनसे ढाई सौ रुपयों के बारे में पूछा लिया। मगर पंडित जी ‘ईश्वर ही जाने’ कह कर अपने घर को चल दिए।

रात में पंड़ितजी ने अपनी पत्नी के संदूक से अपने मित्र की मदद के लिये निकाले ढाई सौ रुपयों को वापस उसी तरह ए उसी संदूक में रख दिया और चैन की नींद सो गए।

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अकबरी लोटा
(प्रश्न-उत्तर)

कहानी की बात

प्रश्न :- ‘लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।’ लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।

उत्तर :- लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का अदब मानते थे। वे अपनी पत्नी के तेज स्वभाव से भी परिचित थे। उन्हें भय रहा होगा कि कहीं वे अपनी पत्नी को कुछ कहें और उनकी पत्नी उन पर गुस्सा न हो जाए।

प्रश्न :- ”लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।” आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?

उत्तर :- ‘दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया’ – मुहावरे का अर्थ है स्थिति को भाँपकर सही कदम उठाना। जब लाला जी को पता चला कि लोटा किसी अंग्रेज़ अधिकारी को जा लगा है और वो घर में घुस आया है तो लाला जी स्थिति की गंभीरता को समझ गए और चुप रहे।

प्रश्न :- अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से इनकार कर दिया था। हमारे विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार इसलिए कर रहे थे ताकि अंग्रेज़ अधिकारी को यह न लगे कि बिलवासी भी लाला झाऊलाल का ही साथी है। यदि अंग्रेज़ अधिकारी को शक हो जाता तो बिलवासी के लिए अपनी योजना अनुसार लोटा बेचना मुश्किल हो जाता।

प्रश्न :- बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।

उत्तर :- बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से चोरी की थी।

प्रश्न :- आपके विचार से अंग्रेज ने यह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।

उत्तर :- अंग्रेज़ दुकान से पुरानी पीतल की मूर्तियाँ खरीद रहा था। इससे लगता है कि उसे पुरानी चीजें एकत्रित करने का शौक था। जब उसे पता चला कि यह लोटा अकबर का है, तो उसने उसे ऐतिहासिक मानकर पाँच सौ रुपये में खरीद लिया।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- ‘इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। मैं नहीं बताऊँगा।’ बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए।

उत्तर :- बिलवासी जी ने यह बात लाला झाऊलाल से कही क्योंकि उसने अपने मित्र की मदद करने के लिए पैसे अपनी पत्नी के सन्दूक से निकाले थे। यह राज़ की बात बिलवासी किसी को नहीं बताना चाहते थे।

प्रश्न :- ‘उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई।’ समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों? लिखिए।

उत्तर :- लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए बिलवासी जी ने पैसे अपनी पत्नी के सन्दूक से निकाले थे। अब वे पैसे वापिस उसी संदूक में रखना चाहते थे, इसलिए बिलवासी जी अपनी पत्नी के सोने का इंतजार कर रहे थे।

प्रश्न :- “लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।”  “अजी इसी सप्ताह में ले लेना।” “सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?” झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है? लिखिए।

उत्तर :- झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से पता चलता है कि-

  • झाऊलाल की पत्नी को अपने पति के वादे पर यकीन नहीं था।
  • झाऊलाल की पत्नी ने पहले भी कुछ माँगा होगा। झाऊलाल ने हाँ करने के बाद भी लाकर नहीं दिया होगा।
  • झाऊलाल कंजूस प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं।

क्या होता यदि

प्रश्न :- अंग्रेज लोटा न खरीदता?

उत्तर :- यदि अंग्रेज़ अधिकारी लोटा नहीं खरीदता तो बिलवासी जी अपनी पत्नी के संदूक से चुराए रूपए लाला झाऊलाल को दे देते।

प्रश्न :- यदि अंग्रेज पुलिस को बुला लेता?

उत्तर :- यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता तो हो सकता है लाला झाऊलाल को गिरफ्तार कर लिया जाता या उन्हें जुर्माना देना पड़ता या जेल भेज दिया जाता।

प्रश्न :- जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती?

उत्तर :- जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती तो चोरी जैसा घिनौना काम करने पर उन्हें अपनी पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़ता।

पता कीजिए

प्रश्न :- ‘अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया।’ उल्का क्या होती है? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होते हैं?

उत्तर :- अपने विज्ञान के अध्यापक से पता करें।

प्रश्न :- इस कहानी में आपने दो चीजों के बारे में मजेदार कहानियाँ पढ़ीं-अकबरी लोटे की कहानी और जहाँगीरी अंडे की कहानी। आपके विचार से ये कहानियाँ सच्ची हैं या काल्पनिक?

उत्तर :- हमारे विचार से ये कहानियाँ काल्पनिक कहानियाँ हैं।

प्रश्न :- अपने घर या कक्षा की किसी पुरानी चीज के बारे में ऐसी ही कोई मजेदार कहानी बनाइए।

उत्तर :– छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह सही था या गलत?

उत्तर :- बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह बिलकुल गलत था। उन्हें सोच समझकर अपने मित्र से वादा करना चाहिए था।

भाषा की बात

प्रश्न :- इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बदले रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।

उत्तर :-

  • अब तक बिलवासी जी को वे अपनी आँखो से खा चुके होते।
  • कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे की थी कि उसका बाप डमरू, माँ चिलम रही हो।
  • ढ़ाई सौ रूपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते हैं।

प्रश्न :- इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।

उत्तर :-

1. चैन की नींद सोना – (निश्चिंत सोना)
चोर के पकड़े जाने पर जनता चैन की नींद सोई।

2. आँखों से खा जाना – (क्रोधित होना)
गिलास टूट जाने पर मालकिन ने नौकर को ऐसे देखा मानो आँखों से ही खा जाएगी।

3. आँख सेंकने के लिए भी न मिलना – (दुर्लभ होना)
कुछ पक्षी तो आजकल आँख सेंकने के लिए भी नहीं मिलते।

4. मारा-मारा फिरना – (ठोकरें खाना)
सही समय पर पढ़ाई न करने पर मारा-मारा फिरना पड़ता है।

5. डींगे सुनाना – (झूठ-मूठ की तारीफ करना)
केशव जब दिखो तब अपनी डींगे सुनाता रहता है।

 

टेस्ट/क्विज

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