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कामचोर (पाठ का सार)
शब्दार्थ : दबैल – दब्बू। घमासान – घोर, भयानक। फरमान – राजाज्ञा। तनख्वाह – वेतन, पगार। फर्शी – फर्श पर बिछी हुई। हवाला – उल्लेख करना, उद्धरण।धुआँधार – ताबड़तोड़। कुमक – फौजी टुकड़ी। धींगा-मुश्ती- धक्का-मुक्की, लड़ना-भिड़ना, शरारत। लथपथ – सना हुआ, तर। दड़बा – मुर्गियों के रहने की जगह। मोरी – नाली, गंदे पानी की नाली। बेनकेल – बिना नकेल (पशुओं की नाक में पहनाई जाने वाली रस्सी के बिना)। दालान – बरामदा। तरकारी – सब्जी। मातम – शोक मनाना। बटालियन – पलटन। कोर्ट मार्शल – फौजी अदालत में सजा सुनाने की तरह।
‘कामचोर’ इस्मत चुगताई द्वारा लिखी गई हास्य कहानी है। इस कहानी में लेखिका ने कामचोरी करने वाले लोगों और उसके परिणाम को हमारे सामने रखा है।
लेखिका बताती है कि घर के कुछ नौकरों को निकाल कर बच्चों से घर का काम कराने की बात तय हुई। यह सुनकर बच्चों का मन कुछ करने के लिए व्याकुल हो उठा और उन्होंने स्वयं कार्य करने का निश्चय कर लिया। बच्चों ने बारी-बारी से कार्य शुरू किए –
- कार्य की शुरुआत पानी पीने से हुई।
- दरी साफ करने का काम दिया गया।
- आँगन का कूड़ा साफ करने को कहा गया।
- पेड़ों में पानी देना है।
बच्चे काम में जुट गए। इन कामों को करने की धक्का-मुक्की में बच्चे बेतहाशा कीचड़ में सन गए। बच्चों को नहलाने के लिए पास के बंगले से नौकर बुलाए गए और वे चार आना प्रति बच्चे को नहलाने लगे। बच्चों ने सोचा कि उनसे इस तरह का कोई काम नहीं हो सकता। अचानक उन्हें विचार आया कि मुर्गियाँ हाँकने लगे। चारों ओर से ‘दड़बे-दड़बे’ की आवाजें आने लगी। देखते-ही-देखते एक मुर्गी दीदी-कामदानी के सिर और दुपट्टे पर खीर गिराती हुई आगे निकल गई।
मुर्गियों में असफलता मिलने के बाद बच्चों ने सोचा कि चलो भेड़ो को दाना डाल दिया जाए। भेड़ें सबकुछ अस्त-व्यस्त करते हुए सबको रौंदती मेंगनों का छिड़काव करती हुई दौड़ पड़ी। इसी क्रम में पलंग पर दुपट्टे से मुंह ढक कर सोई हज्जन माँ पर से जी भेड़ें दौड़ी। वह दुपट्टे में उलझी हुई श्मारो-मारोश् चीखने लगी। कुछ ही देर में भेड़े सूप को भूलकर सब्जी की टोकरी पर टूट पडीं। थोड़ी ही देर में भेड़ों ने तरकारी छिलकों समेत अपने पेट की कड़ाही में डाल गई।
सब कार्यों में असफलता मिलने के बाद बच्चे अब भैंसों का दूध निकालने में जुट गए। भैंस बाल्टी को लात मारकर दूर जा खड़ी हुई। सबने तय किया कि भैंस को आगे-पीछे कसकर बांध दिया जाए। झूले की रस्सी निकालकर भैंस के पैर बाँधे गए। पिछले दो पैर चाचा जी की चारपाई से बाँध दिए गए। अगले पैरों को बाँधने की कोशिश की जा रही थी कि भैंस चौकन्नी हो गई और छूटकर भाग निकली। चारपाई पर लेटे चाचा को खींचती हुई भैंस सबको हँसा रही थी। थोड़ी देर बाद बच्चों ने बछड़ा भी खोल दिया गया। बछड़े की ममता में व्याकुल भैंस रुक गई। बछड़ा उसी समय दूध पीने में जुट गया। दुहने वाले गिलास-कटोरे लेकर लपके। कुछ दूध जमीन पर और कपड़ों पर गिरा। दो-चार धारे गिलास-कटोरों पर भी पड़ गईए बाकी सब बछड़ा पी गया। पूरे घर में कोलाहल मच गया।
चारों ओर टूट-फूट और बिखरा सामान ही देखकर अम्मा ने साफ साफ कह दिया-‘या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे रख लो। नहीं तो मैं चली मायके।’
सबको एक पंक्ति में खड़ा करके पूरी बच्चा बटालियन का कोर्ट मार्शल कर कर दिया गया। बच्चों को चेतावनी दी गई अगर किसी बच्चे ने घर की किसी चीज को हाथ लगायाए तो रात का खाना बंद हो जाएगा।
इसके बाद बच्चों ने निश्चय कर लिया कि अब वे कोई काम नहीं करेंगे।
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कामचोर (प्रश्न-उत्तर)
कहानी से
प्रश्न – कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं?’ किन के बारे में और क्यों कहा गया?
उत्तर – कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं?’ बच्चों के बारे में कहा गया है, क्योकि अब्बा सोचते हैं कि सारे दिन बच्चे कोई काम नहीं करते। पूरे दिन उधम मचाते हैं।
प्रश्न – बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?
उत्तर –
- सुराहियाँ लुढ़क गई,मटके लुढ़क गए
- कपड़े भीग गए।
- लगा मानो बाढ़ आ गई।
- सारा घर धूल से अँट गया।
- खासते-खाँसते घर के लोग बेदम हो गए।
- बच्चों ने उसकी सींक-सींक विखेर दी।
- घर के तमाम बरतनों को इधर-उधर बिखेर दिया गया।
- मुर्गियों ने पूरे घर में कीचड़ फैला दिया।
- घर का बहुत-सा समान टूट गया।
प्रश्न – ‘या तो बच्चाराज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।’ अम्मा ने कब कहा? और इसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर – चारों ओर टूट-फूट और बिखरा सामान ही देखकर अम्मा ने साफ साफ कह दिया-‘या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे रख लो। नहीं तो मैं चली मायके।’
इसका परिणाम यह निकला कि सबको एक पंक्ति में खड़ा करके पूरी बच्चा बटालियन का कोर्ट मार्शल कर कर दिया गया। बच्चों को चेतावनी दी गई अगर किसी बच्चे ने घर की किसी चीज को हाथ लगायाए तो रात का खाना बंद हो जाएगा।
प्रश्न – ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है?
उत्तर – ‘कामचोर’ कहानी से हमें संदेश देती है कि हमें घर के कामों में सहयोग करते समय समझदारी भी दिखानी चाहिए। बिना सोचे-समझे या लालच में किए गए कार्य हानि पहुँचाते हैं।
प्रश्न – क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर
पानी भी नहीं पिएँगे।
उत्तर – नहीं। बच्चों को अपनी गलतियों से सीखना चाहिए था। घर के बड़ों से माफ़ी माँगकर उनकी मदद करनी चाहिए थी।
कहानी से आगे
प्रश्न – घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर – घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक है ताकि काम पूरा हो जाए और किसी प्रकार का नुकसान भी न हो।
प्रश्न -भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर
कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।
उत्तर – यदि परिवार के सभी सदस्य अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए कार्य करें तो परिवार सुखद हो सकता है।
यदि परिवार के सदस्य अपनी योग्यता को भूलकर केवल लोभवश कार्य को हाथ में लेते हैं तो कार्य के परिणाम दुखद हो सकते है, जैसा कि कामचोर कहानी में बच्चों के द्वारा होता है।
प्रश्न – बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार? कामचोर कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर – बच्चे यदि गंभीरता पूर्वक अपने-अपने माता-पिता के कामों में सहयोग करें तो इससे कार्य का परिणाम सही होगा। घर का वातावरण शांतिप्रिय रहेगा। इसके विपरीत बालक अपने अविवेकी, शरारती और अस्त-व्यस्त कार्यों से परिवार के सदस्यों के लिए परेशानी पैदा करते है तथा उन पर भार बन सकते हैं।
प्रश्न -‘कामचोर’ कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?
उत्तर –
- एकल परिवार में बच्चे और उनके माता-पिता रहते हैं।
- संयुक्त परिवार में बच्चे उनके माता-पिता उनके दादा-दादी उनके चाचा-चाची इत्यादि लोग साथ-साथ रहते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न – घरेलू नौकरों को हटाने की बात किन-किन परिस्थितियों में उठ सकती है? विचार कीजिए।
उत्तर – घरेलू नौकरों को हटाने की बात निम्न परिस्थितियों में उठ सकती है-
- वे आलसी-निकम्मे हों
- कार्यों को निपटाने में कुशल न हों।
- अनैतिक कार्य करें।
- घर के कार्यों के हिसाब से उनकी संख्या अधिक हो।
प्रश्न – कहानी में एक समृद्ध परिवार के ऊधमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुमान से उनकी आदत क्यों बिगड़ी होगी? उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे?
उत्तर – हमारे अनुमान से कहानी में चित्रित बच्चे सुख-सुविधा पाकर आलसी हो गए हैं। वे स्वयं कोई काम नहीं करते थे, जिस कारण वे किसी भी कार्य को करने में निपुण भी नहीं है।
ऐसे बच्चों को सुधारने के लिए माँ-बाप को उन्हें समझाना चाहिए और धीरे-धीरे घर के कार्यों से जोड़ना चाहिए।
प्रश्न – किसी सफल व्यक्ति की जीवनी से उसके विद्यार्थी जीवन की दिनचर्या के बारे में पढ़ें और सुव्यवस्थित कार्यशैली पर एक लेख लिखें।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
‘धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।’ धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुली बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है। ‘बे’ उपसर्ग से बननेवाले कुछ और शब्द हैं- बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बननेवाले शब्द खोजिए-
उत्तर –
- प्र– प्रकाश, प्रलय, प्रमाण, प्रताप।
- आ– आमरण, आजीवन, आकार, आचरण।
- भर– भरपेट, भरसक।
- बद– बदहाल, बदनाम, बदबू ।
क्विज/टेस्ट
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