कक्षा 8 » क्या निराश हुआ जाए (निबंध)

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क्या निराश हुआ जाए
(पाठ का सार)

शब्दार्थ : धर्मभीरु – जिसे धर्म छूटने का भय हो, अधर्म से डरनेवाला। पर्दाप़्ाफ़ाश – भेद खोलना, दोष प्रकट करना। उजागर – प्रकट करना। गंतव्य – स्थान जहाँ किसी को जाना हो। ढाँढ़स – दिलासा, धीरज।

पाठ का सार

लेखक वर्तमान समय में फैले डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार से दुखी है। आज समाचार पत्र व्यक्ति को व्यक्ति पर विश्वास करने से रोकते हैं। लेखक के अनुसार जिस भारत का सपना गांधी, तिलक, टैगोर ने देखा था यह भारत अब उनके स्वप्नों का भारत नहीं रहा। आज के समय में ईमानदारी से कमाने वाले भूखे रह रहे हैं और धोखेबाज़ी करने वाले लोग राज कर रहे हैं।

लेखक के अनुसार भारतीय संस्कृति हमेशा ही संतोषी प्रवृति के रही है। आम आदमी की मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कानून बनाए गए हैं किन्तु आज लोग ईमानदार नहीं रहे। भारत में धर्म को कानून से बढ़कर माना गया है। शायद इसलिए आज भी लोगों में ईमानदारी सच्चाई है। लेखक को यह सोचकर अच्छा लगता है कि अभी भी लोगों में इंसानियत बाकी है। लेखक इसके लिए दो उदाहरण देता है। पहला उदाहरण ‘रेलवे स्टेशन पर हुई घटना’ और दूसरा उदाहरण ‘बस की यात्रा का’ बताते हैं।

इन दोनों उदाहरणों के कारण लेखक के मन में आशा की उम्मीद पैदा होती है और वह कहता है कि अभी निराश नहीं हुआ जा सकता। लेखक ने टैगोर के एक प्रार्थना गीत का उदाहरण देकर कहा है कि जिस प्रकार उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि चाहे जितनी विपत्ति आए, लेकिन भगवान उनको इतना आंतरिक बल दे कि वे सदैव भगवान में ध्यान लगाए रखें। लेखक को विश्वास है कि एक दिन भारत इन्हीं  गुणों के बल पर वैसा ही भारत बन जायेगा जैसा लेखक चाहता है। अतः हमें अभी निराश नहीं होना चाहिए।

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क्या निराश हुआ जाए
(प्रश्न-उत्तर)

आपके विचार से

प्रश्न :- लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर :-  लेखक ने स्वीकार किया है कि लेखक ने भी धोखा खाया है फिर भी लेखक निराश नहीं है। उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए जीवन व्यतीत करना कठिन होगा। साथ-साथ उन लोगों पर भी संदेह होगा जो आज भी ईमानदारी व मनुष्यता के सजीव उदाहरण हैं। लेखक उन लोगों का सम्मान करते हुए उनकी उपेक्षा नहीं करना चाहता। इससे लेखक का आशावादी दृष्टिकोण सामने आता है।

प्रश्न :- समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविजन पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।

उत्तर :-  छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

पर्दाफ़ाश

प्रश्न :- दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

उत्तर :- लेखक के अनुसार दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बुरी बात है।

प्रश्न :- आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?

उत्तर :- आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। टीवी चैनलों और समाचार पत्रों की भरमार के कारण उनके बीच में जनमें श्रेष्ठ-दिखाने-की-होड़ ने इसे धंधा बना दिया है। इससे लोग दोनों पक्षों की सच्चाई जाने बिना ही अपनी तरफ़ से दोषारोपण आरम्भ कर देते हैं। इस बात को तनिक भी नहीं सोचते कि इससे किसी के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। समाचार पत्र या समाचार चैनलों को मिथ्या दोष लगाने से बचना चाहिए।

कारण बताइए

निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे- ‘ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।’ परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
1- ‘सचाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।’

परिणाम :- तानाशाही बढ़ेगी।

2- ‘झूठ और फरेब का रोजगार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।’

परिणाम :- भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

3- ‘हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।’

परिणाम :- अविश्वास बढ़ेगा।

दो लेखक और बस यात्रा

प्रश्न :- आपने इस लेख में एक बस की यात्र के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्र के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।

उत्तर :– छात्र स्वयं करें।

सार्थक शीर्षक

प्रश्न :- लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

उत्तर :- लेखक ने इस लेख का शीर्षक “क्या निराश हुआ जाए” उचित रखा है क्योंकि यह उस सत्य को उजागर करता है जो हम अपने आसपास घटते देखते रहते हैं। अगर हम एक-दो बार धोखा खाने पर यही सोचते रहें कि इस संसार में ईमानदार लोगों की कमी हो गयी है तो यह सही नहीं होगा। आज भी ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी ईमानदारी को बरकरार रखा है। लेखक ने इसी आधार पर लेख का शीर्षक “क्या निराश हुआ जाए” रखा है।

यदि लेख का शीर्षक उजाले की ओर’ होता तो शायद लेखक की बात को और बल मिलता।

प्रश्न :- यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा
जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। – , । – ! ? – _ – , —- ।

उत्तर :- यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा
जाए तो दिए गए चिह्नों में से विस्मयादि बोधक चिह्न (!) लगाना उचित होगा।

प्रश्न :- ‘आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।’ क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर :- ‘आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन
है।’ – इस बात से आंशिक रूप से सहमत हुआ जा सकता है, लेकिन पूर्ण रूप से नहीं। अगर प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में आदर्शों के प्रति सच्ची निष्ठा रखे और उनपर चले तो सभी के लिए आदर्शों का पालन करना आसान हो जाएगा।

सपनों का भारत

‘हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।’

प्रश्न :- आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।

उत्तर :- हमारे महान विद्वानों ने ऐसे भारत के सपने देखे थे –

  • जहाँ सबके लिए कानून एक जैसा हो।
  • सभी जन सुखी हों। एक दूसरे का सम्मान करें।
  • समाज में भेदभाव न हो।
  • सभी अपना काम ईमानदारी से करें।

प्रश्न :- आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।

उत्तर :- मेरे सपनों के भारत में –

छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न :- दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरु-बेबस। दिन और रात = दिन-रात। ‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।

उत्तर :-

भला-बुरा भला और बुरा द्वंद्व समास
सुख-दुख सुख और दुख द्वंद्व समास
यश-अपयश यश और अपयश द्वंद्व समास
लाभ-हानि लाभ और हानि द्वंद्व समास
अपना-पराया अपना और पराया द्वंद्व समास
दिन-रात दिन और रात द्वंद्व समास
काला-गोरा काला और गोरा द्वंद्व समास
सम्मान-अपमान सम्मान और अपमान द्वंद्व समास
सही-गलत सही और गलत द्वंद्व समास
अन्न-जल अन्न और जल द्वंद्व समास
राधा-कृष्ण राधा और कृष्ण द्वंद्व समास
सीता-राम सीता और राम द्वंद्व समास
ऊँच-नीच ऊँच और नीच द्वंद्व समास
रुपया-पैसा रुपया और पैसा द्वंद्व समास
एड़ी-चोटी एड़ी और चोटी द्वंद्व समास
राजा-प्रजा राजा और प्रजा द्वंद्व समास
नर-नारी नर और नारी द्वंद्व समास
जन्म-मरण जन्म और मरण द्वंद्व समास
लेन-देन लेन और देन द्वंद्व समास
भाई-बहन भाई और बहन द्वंद्व समास
भूल-चूक भूल और चूक द्वंद्व समास
गौरी-शंकर गौरी और शंकर द्वंद्व समास
मार-पीट मार और पीट द्वंद्व समास
दूध-दही दूध और दही द्वंद्व समास
नून-तेल नून और तेल द्वंद्व समास
ठंडा-गर्म ठंडा और गर्म द्वंद्व समास

प्रश्न :- पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर :-

(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा

  • मदनमोहन मालवीय
  • तिलक
  • रबींद्रनाथ टैगोर
  • महात्मा गाँधी

(ख) जातिवाचक संज्ञा

  • चोर
  • डकैत
  • बस
  • यात्री
  • मनुष्य
  • ड्राइवर
  • कंडक्टर
  • हिन्दू
  • आर्य
  • पति
  • पत्नि

(ग) भाववाचक संज्ञा

  • मूर्खता
  • धोखा
  • ईमानदारी
  • सेवा
  • सच्चाई
  • झूठ

 

टेस्ट/क्विज

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