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जहाँ पहिया है (पाठ का सार)
शब्दार्थ :- फब्ती – चोट करने वाली या चुभती बात। यकीन – विश्वास। घिसीपिटी – जो बहुत दिनों से चली आ रही, पुरानी।
लेखक पी0 साईनाथ द्वारा लिखित इस रिपोर्ताज में तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले के उस संघर्ष को बताया गया है, जिसे वहाँ की महिलाओं ने साइकिल के पहिए के द्वारा अपनी कामयाबी में बदल दिया।
इस जिले में महिलाओं द्वारा साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन माना जाता है। पुडुकोट्टई जिले की हजारों नवसाक्षर ग्रामीण महिलाओं के लिए यह अब आम बात है। भारत के सर्वाधिक गरीब जिलों में से एक है पुडुकोट्टई। यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने अपनीस्वाधीनता, आजादी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साइकिल को चुना है। उनमें से अधिकांश नवसाक्षर थीं। वहाँ
इसके लिए कई ‘प्रशिक्षण शिविर’ चल रहे हैं।
जमीला बीवी नामक एक युवती ने लेखक को बताया – “यह मेरा अधिकार है, अब हम कहीं भी जा सकते हैं। अब हमें बस का इंतजार नहीं करना पड़ता। मुझे पता है कि जब मैंने साइकिल चलाना शुरू किया तो लोग फ़ब्तियाँ कसते थे। लेकिन मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।”
फातिमा एक माध्यमिक स्कूल में पढ़ाती हैं और वह हर शाम आधा घंटे के लिए किराए पर साइकिल लेती हैं। एक नयी साइकिल खरीदने की उनकी हैसियत नहीं है। फातिमा ने बताया कि – “साइकिल चलाने में एक खास तरह की आजादी है। हमें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। मैं कभी इसे नहीं छोडूंगी।”
ग्राम सेविकाएँ और दोपहर का भोजन पहुँचानेवाली औरतें भी पीछे नहीं हैं। सबसे बड़ी संख्या उन लोगों की है जो अभी नवसाक्षर हुई हैं।
लेखक के लिए साइकिल प्रशिक्षण शिविर देखना एक असाधारण अनुभव है। किलाकुरुचि गाँव में सभी साइकिल सीखनेवाली महिलाएँ रविवार को इकट्ठी हुई थीं। साइकिल ने उन्हें पुरुषों द्वारा थोपे गए दायरे के अंदर रोजमर्रा की घिसी-पिटी चर्चा से बाहर निकलने का रास्ता दिखाया। 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।
यहाँ की कुछ महिलाएँ अगल-बगल के गाँवों में कृषि संबंधी अथवा अन्य उत्पाद बेच आती हैं। साइकिल की वजह से बसों के इंतजार में व्यय होने वाला उनका समय बच जाता है। खराब परिवहन व्यवस्था वाले स्थानों के लिए तो यह बहुत महत्वपूर्ण है। दूसरे, इससे इन्हें इतना समय मिल जाता है कि ये अपने सामान बेचने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर पाती हैं। तीसरे, इससे ये और अधिक इलाकों में जा पाती हैं। अंतिम बात यह है कि अगर आप चाहें तो इससे आराम करने का काफ़ी समय मिल सकता है।
साइकिल प्रशिक्षण से महिलाओं के अंदर आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई है यह बहुत महत्वपूर्ण है। फातिमा का कहना है- “बेशक, यह मामला केवल आर्थिक नहीं है।”
अंत में लेखक कहता है कि – “जो पुरुष इसका विरोध करते हैं, वे जाएँ और टहलें क्योंकि जब साइकिल चलाने की बात आती है, वे महिलाओं की बराबरी कर ही नहीं सकते।”
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जहाँ पहिया है (प्रश्न-उत्तर)
जंजीरें
प्रश्न – “—उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं—” आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?
उत्तर – लेखक “जंजीरों” द्वारा रूढ़िवादी प्रथाओं की ओर इशारा कर रहा है। इन प्रथाओं ने सदियों से एक स्त्री जाति को बंधन में जकड़ा हुआ है।
प्रश्न – क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
उत्तर – हम लेखक की इस बात से सहमत हैं क्योंकि मनुष्य अधिक समय तक बंधनों में नहीं रह सकता। कभी न कभी वह उसका शोषण करने वाली रूढ़ियों को तोड़ डालता है। ऐसा ही तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ है। महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता के लिए साइकिल चलाना शुरू किया और धीरे-धीरे वे आत्मनिर्भर हो गई।
पहिया
प्रश्न – ‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुको‘ई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?
उत्तर –
- महिलाएँ अपनी आज़ादी के प्रति जागरूक हुई।
- उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी व आत्मनिर्भर हो गई।
- समय और श्रम की बचत हुई।
- स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई।
प्रश्न – शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर0 साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?
उत्तर – आर0 साइकिल्स के मालिक गाँव के एकमात्र लेड़ीज साइकिल डीलर थे, इस आंदोलन के कारण उसकी आय में वृद्धि होना स्वभाविक था। इसलिए उसने स्वार्थ के कारण आंदोलन का समर्थन किया।
प्रश्न – प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?
उत्तर –
- फ़ातिमा को लोगों की अभद्र टिप्पणियाँ सुननी पड़ी।
- फातिमा मुस्लिम परिवार से थी। जो बहुत ही रूढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया।
- पुरुषों ने भी इसका बहुत विरोध किया।
- गाँव में लेड़ीज साइकिल पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं थी।
शीर्षक की बात
प्रश्न – आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?
उत्तर – पुडुकोट्टई गाँव में महिलाओं ने पुरुषों के विरोध के बावजूद ‘साइकिल आंदोलन’ को सफल बनाया। उनके लिए पहिये की ये सवारी उनकी इच्छाओं को पाने और संसार में अपनी अलग पहचान बनाने में उपयोगी सिद्ध हुई। इसलिए लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ रखा होगा।
प्रश्न – अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर – ‘पहिये से विकास यात्रा’। चूंकि इस पाठ में पहिये की सवारी साइकिल के द्वारा महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की घटना बताई गई है, इसलिए इसका एक शीर्षक यह भी हो सकता है।
समझने की बात
प्रश्न – “लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।” साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
प्रश्न – “पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था।” साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
उत्तर – साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है क्योंकि इस सवारी में अन्य सवारियों के मुक़ाबले कम शोर होता है और ये अन्य सवारियों को अपने से आगे निकलने का रास्ता दे देती है।
साइकिल
प्रश्न – फातिमा ने कहा, “—मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।” साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?
उत्तर – फातिमा के गाँव में औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। पुरुषों द्वारा लगाए गए बंधनों को तोड़कर स्वयं को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी’ का अनुभव होता होगा।
कल्पना से
प्रश्न – पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न क्या बनाती और क्यों?
उत्तर – पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न साइकिल को बनाती, क्योंकि साइकिल ने यहाँ की महिलाओं का जीवन बादल दिया था और उन्हें आत्मसम्मान से जीना सिखाया था।
प्रश्न – अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा?
उत्तर – अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो दुनिया की गति रुक जाएगी। जरूरत का सामान और यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं पहुँच सकेंगे।
प्रश्न – “1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।” इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता। हैंडल पर झंडियाँ लगाए, घंटियाँ बजाते हुए साइकिल पर सवार 1500 महिलाओं ने पुडुकोट्टई में तूफ़ान ला दिया। महिलाओं की साइकिल चलाने की इस तैयारी ने यहाँ रहनेवालों को हक्का-बक्का कर दिया।
प्रश्न – मान लीजिए आप एक संवाददाता हैें। आपको 8 मार्च 1992 के दिन पुडुको‘ई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और अपनी कल्पना के आधार पर एक समाचार तैयार कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
प्रश्न – अगले पृष्ठ पर दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और
फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न – उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं-अभि, प्र, अनु, परि, वि(उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।
उत्तर –
उपसर्ग
- अभि – अभिमान
- प्र – प्रयत्न
- अनु – अनुसरण
- परि – परिपक्व
- वि – विशेष
प्रत्यय
- इक – धार्मिक (धर्म + इक)
- वाला – किस्मतवाला (किस्मत + वाला)
- ता – सजीवता (सजीव + ता)
- ना – चढ़ना (चढ़ + ना)
- नव – नव + साक्षर (नवसाक्षर)
- गतिशील – गतिशील + ता (गतिशीलता)
टेस्ट/क्विज
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