इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |
पानी की कहानी (पाठ का सार)
शब्दार्थ : – साँसत – कठिनाई में पड़ना, बड़ा कष्ट। वर्णनातीत – जिसका वर्णन न किया जा सके।
लेखक रामचंद्र तिवारी द्वारा लिखित निबंध ‘पानी की कहानी’ में लेखक ने पानी की बूंद का मानवीकरण किया है। बूंद के जन्म से लेकर उसके सम्पूर्ण जीवन चक्र की कहानी रामचंद्र तिवारी इस पाठ के माध्यम से हमें समझाते हैं। वे कहते हैं कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बनी छोटी-सी पानी की बूँद अपने जीवन में बहुत लम्बा सफर तय करती हैं। सबसे पहले अत्यधिक गर्मी के कारण समुद्र से भाप बनकर उड़ जाती है। फिर ठंडा होने पर बादलों का रूप ले लेती है। और अत्यधिक घने काले बादल बरस कर दोबारा से पानी के रूप में धरती पर आ जाते हैं। फिर कुछ पानी मनुष्य, पेड़ पौधों तथा अन्य जीव जंतुओं दवारा उपयोग किया जाता है। कुछ पानी नदी, नहरों और नालों में बह कर फिर से समुद्र में जा मिलता है। इस तरह पानी का जीवन चक्र लगातार चलता रहता है। बस यही बात लेखक इस पाठ के माध्यम से लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं।
इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |
पानी की कहानी (प्रश्न-उत्तर)
पाठ से
प्रश्न :- लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?
उत्तर :- लेखक को ओस की बूँद बेर की झाड़ी पर मिली।
प्रश्न :- ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?
उत्तर :- ओस की बूँद लेखक से कहती है – “वह जो पेड़ तुम देखते हो न! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़ें, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।” इसलिए ओस की बूँद क्रोध और घृणा से काँप उठी।
प्रश्न :- हाइाड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज/पुरखा क्यों कहा?
उत्तर :- जब ब्रह्मांड में पृथ्वी व अन्य ग्रहों का उद्भव नहीं हुआ था तब ब्रह्मांड में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं।ऑक्सीजन व हाइड्रोजन के बीच हुई रासायनिक क्रिया के द्वारा पानी का जन्म हुआ। इसलिए बूँद ने इन दोनों को अपना पूर्वज कहा है।
प्रश्न :- “पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :- जब ब्रह्मांड में पृथ्वी व अन्य ग्रहों का उद्भव नहीं हुआ था तब ब्रह्मांड में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं।ऑक्सीजन व हाइड्रोजन के बीच हुई रासायनिक क्रिया के द्वारा पानी का जन्म हुआ। पहले बूँद भाप के रूप में पृथ्वी के वातावरण में ईद-गिर्द घूमती रहती है, तत्पश्चात ठोस बर्फ के रूप में विद्यमान हो गई। समुद्र से होती हुई वह गर्म-धारा से मिलकर ठोस से तरल का रूप धारण कर लेती है।
प्रश्न :- कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?
उत्तर :- कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को पढ़कर यह पता चलता है कि ओस की बूँद सूर्य उदय की प्रतीक्षा कर रही थी।
पाठ से आगे
प्रश्न :- जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- “पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूँद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी क्यों नहीं पड़ती?
उत्तर :- समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी इसलिए नहीं पड़ती क्योंकि वहाँ के वातावरण में सदा नमी होती है।
प्रश्न :-पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :- पेड़ की जड़ों व तनों में जाइलम और फ्लोएम नामक वाहिकाएँ होती हैं जो पानी को जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाती हैं। इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में ‘संवहन’ (ट्रांसपाईरेशन) कहते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर ओस की बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और जल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भांति आप भी लोहे अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर :– छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- अन्य पदार्थों के समान जल की भी तीन अवस्थाएँ होती हैं। अन्य पदार्थों से जल की इन अवस्थाओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (बर्फ) हलकी होती है। इसका कारण ज्ञात कीजिए।
उत्तर :- जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (बर्फ) का घनत्व अधिक होता है। इसलिए वह हल्की होती है और पानी पर तैरती है।
प्रश्न :- पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न :- किसी भी क्रिया को पूरी करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं जैसे- “वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।” जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो, जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों जैसे-कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।
अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।
उत्तर :-
- मैं समुद्र के ऊपर तो बहुत घूम चुकी हूँ,
के ऊपर – संप्रदान कारक।
- मैं अपने दूसरे भाइयों के पीछे-पीछे चट्टान में घुस गई।
चट्टान में – संप्रदान कारक।
- इस दुर्घटना से मेरे कान खड़े हो गए।
दुर्घटना से – करण कारक।
- तुम ज्वालामुखी की बात कह रही हो।
की बात – संबंध कारक।
- मैं एक छोटी धारा में मिल गई।
मैं – कर्ता कारक।
टेस्ट/क्विज
इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |